बुधवार, जनवरी 27, 2021

कला संस्कृति का केन्द्र दरभंगा...


मिथिलांचल की भूमि प्राचीन काल से कला का केन्द्र रहा है । दरभंगा का प्राचीन समय में प्राचीर भवनों , मूर्तियां मूक गवाह हैं । इतिहास के आईने में दरभंगा की कला , संस्कृति, विद्वता की ओर आकर्षित करने के लिए प्रेरणा मिलती रही हैं । दरभंगा राज के खण्डेलवाल वंश का मिथिला पर 1556 - 1947 तक  राज्य था और दरभंगा को दरभंघा कहा गया है। दरभंगा राज की स्थापना 1556 ई. मे हुई दरभंगा। 1947 ई. मे दरभंगा जिला का स्टजन हुआ जिसका  क्षेत्रफल -  8,380 किमी² (3,236 वर्ग मील)  मे जनसंख्या - (1901) 29,12,611   घनत्व 347.6 /किमी²  (900.2 /वर्ग मील)  है। बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में लगभग 8380 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ दरभंगा राज  मैथिल ब्राह्मण जमींदारों द्वारा 16वीं सदी की शुरुआत किया गया था । ब्रिटिश राज के तहत तत्कालीन बंगाल के 18 सर्किल के 4,495 गाँव दरभंगा नरेश के शासन में थे। राज के शासन-प्रशासन को देखने के लिए लगभग 7,500 अधिकारी बहाल थे। भारत के रजवाड़ों में एवं प्राचीन संस्कृति को लेकर दरभंगा राज का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा स्थान था । शाण्डिलीय गोत्र के दरभंगा-महाराज खण्डवाल कुल के शासन-संस्थापक श्री महेश ठाकुर थे। उनके शिष्य रघुनन्दन की विद्वता की चर्चा सम्पूर्ण भारत में उत्कृष्ट  था। महाराजा मानसिंह के सहयोग से माहाराजा अकबर द्वारा उन्हें राज्य की स्थापना के लिए अपेक्षित सहयोग व धन प्राप्त हुई थी।खण्डवाल राजवंश भारत में कई ब्राह्मण राजवंशों में से एक था, जिसने 1960 के दशक तक मुगल सम्राट अकबर के समय से मिथिला  क्षेत्र में शासन किया था। उन्हें 'दरभंगा राज' के नाम से जानते है।
 कला-संस्कृति का द्वार बागमती के तट पर बसा हुआ शहर दरभंगा  पेंटिंग , कला और संस्कृति केन्द्र है । अफ़ग़ानिस्तान से आने वाले व्यापारी का ठहराव के बाद बंगाल में प्रवेश करने के  कारण दर-ए-बंगाल (बंगाल का दरवाज़ा) रख दिया गया था जिसे कलांतर मे  दरभंगा बन गया है। चौदहवीं शताब्दी में दरभंगा राज्य का  मुग़ल सल्तनत में तब्दील हो गया था । बादशाह अकबर द्वारा दरभंगा को तिरहुत राज्य के महामहोपाध्याय महेश ठाकुर को 16वीं शताब्दी में सौंपा गया था । ब्राह्मण  में पाई जाने वाली उच्च शिक्षा के लिए भी प्रसिद्ध रहा है ।  मिथिला की महिलाओं की अदभुत कला मधुबनी पेंटिंग के नाम से प्रसिद्ध है।  इसका व्यावसायिक इस्तेमाल 1960 के दशक में ही शुरू हुआ है। दरभंगा का 'कोहबर घर' (शादी के बाद कमरा )  नवविवाहित दंपत्ति को आशीर्वाद देने के लिए बनाया जाता है । मधुबनी शैली में शिव-पार्वती और राधा-कृष्ण आदि के चित्र कला को चोटी पर पहुँचाने में दरभंगा महाराज का  योगदान है ।
महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह बहादुर (1858-1898) जिन्होंने 1860 में राजगद्दी संभाली थी। उन्होंने अपने राज्य मे सामाजिक कार्य किए. उनके 1898 में देहांत के बाद उनके भाई महाराज रामेश्वर सिंह  दरभंगा राज की बागडोर संभाली थी।
: बिहार राज्य के उत्तरी बिहार में बागमती नदी के किनारे स्थित दरभंगा मे जिला एवं प्रमंडलीय मुख्यालय है। दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत दरभंगा, मधुबनी, एवं समस्तीपुर जिले हैं।  दरभंगा के उत्तर में मधुबनी, दक्षिण में समस्तीपुर, पूर्व में सहरसा एवं पश्चिम में मुजफ्फरपुर तथा सीतामढ़ी जिला है। दरभंगा शहर के बहुविध एवं आधुनिक स्वरुप का विकास सोलहवीं सदी में मुग़ल व्यापारियों तथा ओईनवार शासकों द्वारा विकसित किया गया। दरभंगा 16वीं सदी में स्थापित दरभंगा राज की राजधानी था। यह जिला आम और मखाना के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
दरभंगा शब्द संस्कृत भाषा के शब्द 'द्वार-बंग' या फारसी भाषा के 'दर-ए-बंग' यानी बंगाल का दरवाजा का मैथिली भाषा में कई सालों तक चलनेवाले स्थानीयकरण का परिणाम है। ऐसा कहा जाता है कि मुगल काल में दरभंगी खां ने शहर ब
साया था । दरभंगी खां स्वेत ब्राह्मण ने कालांतर मे इस्लाम कबुल किया था। जिन्हें महराज दरभंगा के द्वारा "खां" की उपाधि मिली थी। 
वैदिक  , पुराणों, शास्त्रों तथा इतिहास के अनुसार आर्यों की विदेह  ने अग्नि के संरक्षण में सरस्वती तट से पूरब में सदानीरा (गंडक) की ओर कूच किया और विदेह राज्य की स्थापना की। विदेह के राजा मिथि के नाम पर मिथिला कहा गया है । रामायणकाल में मिथिला के राजा  जनक द्वारा जनकपुर नगर बसाया था । जनक वंश के सिरध्वज जनक की पुत्री सीता थी। विदेह राज्य का अंत होने पर यह प्रदेश वैशाली गणराज्य का अंग बना। बाद मे मगध के मौर्य, शुंग, कण्व और गुप्त शासकों के महान साम्राज्य का हिस्सा रहा है। १३ वीं सदी में पश्चिम बंगाल के मुसलमान शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के समय मिथिला एवं तिरहुत क्षेत्रों का बँटवारा हो गया। उत्तरी भाग जिसके अंतर्गत मधुबनी, दरभंगा एवं समस्तीपुर का उत्तरी हिस्सा  सुगौना के ओईनवार राजा कामेश्वर सिंह के अधीन रहा है।  दरभंगा स्थित श्यामा माई मंदिर, शिव मंदिर, तलाव, अनेक मंदिर, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय , एल.एन.मिश्र विश्वविद्यालय पर्यटन स्थल है।