सिरसा में बाल साहित्यकारों का भव्य अलंकरण समारोह
सिरसा (हरियाणा) । विश्व शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में, मातेश्वरी विद्यादेवी बाल साहित्य शोध एवं विकास संस्थान, सिरसा द्वारा अखिल भारतीय बाल साहित्य पुस्तक एवं पत्र-पत्रिका विमोचन तथा बाल साहित्यकार अलंकरण समारोह का भव्य आयोजन किया गया। यह समारोह श्रीयुवक साहित्य सदन के डॉ. जी.डी. चौधरी सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें देशभर से आए 39 बाल साहित्यकारों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
समारोह का मुख्य आकर्षण बिहार के सुप्रसिद्ध साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक रहे, जिन्हें राष्ट्रभाषा हिन्दी के सर्वांगीण विकास एवं बाल साहित्य में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और आलेख विधा में बच्चों के लिए लेखन के लिए 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025' से अलंकृत किया गया। उन्हें सम्मान पत्र, अंगवस्त्र, मेडल और ₹1,100 की नकद राशि प्रदान की गई। इस अवसर पर, बिहार के मुजफ्फरपुर की लेखिका एवं कवियित्री डॉ. उषा किरण श्रीवास्तव को 'अखिल भारतीय माधव प्रसाद मिश्र बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025' से नवाज़ा गया। सम्मानित होने वाले अन्य प्रमुख साहित्यकारों में बिहार से सतीस चंद्र भगत, हरियाणा से त्रिलोक चंद फतेहपुरी और दानवीर फूल, तथा कानपुर से कैलाश बजपेयी शामिल रहे। संस्थान के संयोजक सह अध्यक्ष राजकुमार निजात और मंत्री मदन शर्मा ने बाल साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले इन रचनाकारों को सम्मानित कर उनके कार्यों की सराहना की। अलंकरण समारोह के दौरान कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इनमें रेवाड़ी, हरियाणा के त्रिलोक चंद फतेहपुरी की पुस्तकें 'बाल सौरभ बाल कविताएं', 'नेपाल दर्शन 1 (यात्रा वृतांत)', और 'ये हीरे हिंदुस्तान के काव्य संग्रह', तथा दलबीर फूल की पुस्तक 'गेडा नेपाल का' और त्रिवेणी केवम सहित अन्य रचनाकारों की पुस्तकें शामिल रहीं। संस्थान ने इस पहल के माध्यम से बाल साहित्य के उन्नयन और राष्ट्रभाषा हिंदी के विकास में योगदान देने वाले रचनाकारों को प्रोत्साहित किया।
समारोह के दौरान सम्मान प्रदान करने के पूर्व अलंगकरण में चर्चा करते हुए श्री पाठक के संबंध में कहा गया कि सत्येन्द्र कुमार पाठक बिहार के सुप्रसिद्ध साहित्यकार व इतिहासकार हैं, जिन्हें विशेष रूप से बाल साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। सिरसा में विश्व शिक्षक दिवस पर उन्हें बाल साहित्य में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और आलेख विधा में बच्चों के लिए लेखन के लिए 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025' से अलंकृत किया गया। सत्येन्द्र कुमार पाठक को हाल के वर्षों में साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में उनके सतत प्रयासों के लिए कई सम्मानों से नवाज़ा गया है, जो उनके कार्यों की व्यापक चर्चा का प्रमाण है:
'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025' (सिरसा, हरियाणा): यह सम्मान उन्हें बाल साहित्य के उन्नयन और राष्ट्रभाषा हिन्दी के सर्वांगीण विकास में उनके अनुपम योगदान के लिए प्रदान किया गया।
डॉ. तारा सिंह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान' (मुंबई): उन्हें हिंदी साहित्य सेवा और इतिहास के क्षेत्र में उनकी सराहनीय एवं उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया। विशेष रूप से सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में उनके प्रयासों को सराहा गया। 'जीवन धारा नमामी गंगे सम्मान 2025' को उन्हें पर्यावरण संरक्षण के उत्कृष्ट कार्यों और समर्पण के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठियों में : उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भी सम्मानित किया गया है, जो साहित्य, संस्कृति और इतिहास के क्षेत्र में उनके सतत प्रयासों का प्रतीक है। श्री पाठक के संबंध में सम्मान देते हुए कहा गया कि सत्येन्द्र कुमार पाठक के लेखन की चर्चाएँ मुख्यतः हिंदी साहित्य, इतिहास और बाल साहित्य पर केंद्रित रहती हैं। खोज परिणामों में उनके कुछ विशिष्ट लेखन संदर्भ में 'जासूसी उपन्यास के जनक गोपालराम गहमरी' पर लेख: उनका यह लेख हिंदी साहित्य में जासूसी उपन्यास की परंपरा पर गहराई से प्रकाश डालता है, जिससे इतिहासकार और शोधकर्ता के रूप में उनकी भूमिका स्पष्ट होती है। बाल साहित्य में योगदान: सिरसा सम्मान में विशेष रूप से 'बाल साहित्य में बच्चों के लिए आलेख विधा में उत्कृष्ट लेखन' के लिए उन्हें सम्मानित किया गया, जो बाल साहित्य के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। वह बाल पत्रिकाओं के संपादन से भी जुड़े रहे हैं। उनके लेखन की चर्चा उनके निबंधों, ऐतिहासिक शोध कार्यों और बाल साहित्य में आलेख विधा में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर आधारित है।
संस्थान के संयोजक सह अध्यक्ष राजकुमार निजात एवं मंत्री मदन शर्मा ने इस पहल के माध्यम से बाल साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले रचनाकारों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन बाल साहित्य की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने और नई पीढ़ी के रचनाकारों को प्रेरित करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। समारोह में संस्थान के संरक्षक राजकुमार निजात सहित अन्य अधिकारीगण शामिल रहे।
अंग्रेजी
Grand Honouring Ceremony of Children's Literature Writers in Sirsa
Sirsa (Haryana). On the occasion of World Teachers' Day, the Mateshwari Vidyadevi Bal Sahitya Shodh Evam Vikas Sansthan (Mateshwari Vidyadevi Children's Literature Research and Development Institute), Sirsa, organized a grand function for the All India Children's Literature Book and Periodical Release and Children's Litterateur Honouring Ceremony. The event was held at the Dr. G.D. Choudhary Auditorium of Shri Yuvak Sahitya Sadan, where 39 children's literature writers from across the country were honoured for their outstanding contributions.
The main attraction of the ceremony was the famous litterateur and historian from Bihar, Satyendra Kumar Pathak, who was decorated with the 'Akhil Bharatiya Vaidya Virwal Das Bal Sahitya Shikhar Samman 2025' (All India Vaidya Virwal Das Children's Literature Peak Award 2025) for his exceptional services to the overall development of the National Language Hindi and for his outstanding writing for children in the article genre (आलेख विधा) within children's literature. He was presented with a certificate of honour, a shawl, a medal, and a cash prize of ₹1,100. On this occasion, Dr. Usha Kiran Srivastava, a writer and poetess from Muzaffarpur, Bihar, was honoured with the 'Akhil Bharatiya Madhav Prasad Mishra Bal Sahitya Shikhar Samman 2025' (All India Madhav Prasad Mishra Children's Literature Peak Award 2025). Other prominent honoured litterateurs included Satish Chandra Bhagat from Bihar, Trilok Chand Fatehpuri and Dalbir Phool from Haryana, and Kailash Bajpai from Kanpur. Rajkumar Nijat, the Convener-cum-President of the institute, and Madan Sharma, the Secretary, commended the work of these creators for their notable contributions to the field of children's literature.
Several important books were also released during the honouring ceremony. These included 'Bal Saurabh Bal Kavitayen' (Children's poems), 'Nepal Darshan 1 (Travelogue)', and 'Ye Heere Hindustan Ke Kavya Sangrah' (These Diamonds of India Poetry Collection) by Trilok Chand Fatehpuri from Rewari, Haryana, as well as the book 'Geda Nepal Ka' by Dalbir Phool, and books by Triveni Kewam and other writers. Through this initiative, the institute encouraged writers who contribute to the upliftment of children's literature and the development of the National Language Hindi. Prior to presenting the award, while discussing the honours, it was said that Mr. Pathak is a well-known litterateur and historian from Bihar, especially recognized for his contribution to children's literature and history. He was honoured in Sirsa on World Teachers' Day with the 'Akhil Bharatiya Vaidya Virwal Das Bal Sahitya Shikhar Samman 2025' for his excellent services in children's literature and his writing for children in the article genre. Satyendra Kumar Pathak has been honoured with several awards in recent years for his sustained efforts in the field of literature and history, which is a testament to the wide discussion of his work:
'Akhil Bharatiya Vaidya Virwal Das Bal Sahitya Shikhar Samman 2025' (Sirsa, Haryana): This award was given for his incomparable contribution to the enhancement of children's literature and the all-round development of the National Language Hindi. 'Dr. Tara Singh Distinguished National Honour' (Mumbai): He received this prestigious honour for his commendable and outstanding achievements in the service of Hindi literature and the field of history, with special appreciation for his efforts toward cultural renaissance. 'Jeevan Dhara Namami Gange Samman 2025' was awarded for his excellent work and dedication to environmental protection.
At National Seminars: He has also been honoured at various national seminars, which symbolizes his continuous efforts in the fields of literature, culture, and history.।While presenting the award, it was mentioned regarding Mr. Pathak that discussions about his writing primarily focus on Hindi literature, history, and children's literature. Specific references to his writing found in search results include:Article on 'Gopalram Gahmari, the Father of Detective Novels': This article sheds deep light on the tradition of detective novels in Hindi literature, clarifying his role as a historian and researcher. Contribution to Children's Literature: The Sirsa award specifically honoured him for 'Outstanding writing for children in the article genre in children's literature', which reflects his dedication to the genre. He has also been associated with the editing of children's magazines. Discussions of his writing are based on his essays, historical research works, and his significant contributions in the article genre within children's literature.
Rajkumar Nijat, the Convener-cum-President of the institute, and Madan Sharma, the Secretary, encouraged the creators who have made notable contributions to the field of children's literature through this initiative. They stated that such events are extremely essential for advancing the rich tradition of children's literature and inspiring the new generation of writers. The institute's patron, Rajkumar Nijat, along with other officials, attended the ceremony.
संस्कृत
सिरसायां बालसाहित्यकाराणां भव्यं अलंकरणसमारोहम्
सिरसा (हरियाणा)। विश्वशिक्षकदिवसस्य उपलक्ष्ये, मातेश्वरी विद्यादेवी बालसाहित्यशोध एवं विकास संस्थानम्, सिरसा इत्यनेन अखिल भारतीय बालसाहित्यपुस्तक एवं पत्र-पत्रिका विमोचन तथा बालसाहित्यकार अलंकरण समारोहस्य भव्यं आयोजनं कृतम्। एषः समारोहः श्रीयुवक साहित्य सदनस्य डॉ. जी.डी. चौधरी सभागारे सम्पन्नः अभवत्, यत्र देशभरेभ्यः आगताः ३९ बालसाहित्यकाराः स्वस्य उत्कृष्टयोगदानाय सम्मानिताः कृताः। समारोहस्य मुख्यं आकर्षणं बिहारस्य सुप्रसिद्धः साहित्यकारः इतिहासकारः च सत्येन्द्र कुमार पाठकः आसीत्, यः राष्ट्रभाषायाः हिन्दीयाः सर्वांगीणविकासाय तथा बालसाहित्ये तस्य उत्कृष्टसेवाभ्यः आलेखविधायां बालकेभ्यः लेखनार्थं च 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मानम् २०२५' इत्यनेन अलंकृतः कृतः। तस्मै सम्मानपत्रं, अंगवस्त्रं, पदकं, तथा ₹१,१०० नगदराशिः प्रदत्ता। अस्मिन् अवसरे, बिहारस्य मुजफ्फरपुरस्य लेखिका कवयित्री च डॉ. उषा किरण श्रीवास्तव 'अखिल भारतीय माधव प्रसाद मिश्र बाल साहित्य शिखर सम्मानम् २०२५' इत्यनेन सम्मानिता कृता। सम्मानितेषु अन्येषु प्रमुखेषु साहित्यकारेषु बिहारतः सतीस चंद्र भगतः, हरियाणातः त्रिलोक चंद फतेहपुरी तथा दानवीर फूलः, तथा कानपुरतः कैलाश बजपेयी च समाविष्टाः आसन्। संस्थानस्य संयोजकः सह-अध्यक्षः राजकुमार निजातः तथा मन्त्री मदन शर्मा एतेषां बालसाहित्यक्षेत्रे उल्लेखनीयं योगदानं दत्तवतां रचनाकाराणां सम्माननं कृत्वा तेषां कार्याणां प्रशंसां कृतवन्तौ।
अलंकरणसमारोहस्य समये बहवः महत्त्वपूर्णाः पुस्तकाः अपि विमोचिताः। एतेषु रेवाड़ी, हरियाणातः त्रिलोक चंद फतेहपुरी इत्यस्य 'बाल सौरभ बाल कविताएं', 'नेपाल दर्शन १ (यात्रा वृतांत)', तथा 'ये हीरे हिंदुस्तान के काव्य संग्रह' नामिकाः पुस्तकाः, तथा दलबीर फूल इत्यस्य 'गेडा नेपाल का' नामिका पुस्तिका तथा त्रिवेणी केवम इत्यस्य अन्येषां रचनाकाराणां च पुस्तकानि समाविष्टाः आसन्। संस्थानम् अस्याः पहलस्य माध्यमेन बालसाहित्यस्य उन्नयने राष्ट्रभाषायाः हिन्दीयाः विकासे च योगदानं दत्तवतः रचनाकारान् प्रोत्साहितं कृतवान्। सम्मानप्रदानात् पूर्वं, अलंकरणे चर्चां कुर्वन् श्री पाठकस्य विषये उक्तं यत् सत्येन्द्र कुमार पाठकः बिहारस्य सुप्रसिद्धः साहित्यकारः इतिहासकारः च अस्ति, यः विशेषतया बालसाहित्ये इतिहासे च स्वयोगदानाय ज्ञायते। सिरसायां विश्वशिक्षकदिवसे सः बालसाहित्ये तस्य उत्कृष्टसेवाभ्यः आलेखविधायां बालकेभ्यः लेखनार्थं च 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मानम् २०२५' इत्यनेन अलंकृतः कृतः। सत्येन्द्र कुमार पाठकः इदानीं वर्षेषु साहित्यस्य इतिहासस्य च क्षेत्रे स्वस्य निरन्तरप्रयासेभ्यः अनेकैः सम्मानैः अलंकृतः अस्ति, यत् तस्य कार्याणां व्यापकचर्चायाः प्रमाणम् अस्ति: 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मानम् २०२५' (सिरसा, हरियाणा): एषः सम्मानः तस्मै बालसाहित्यस्य उन्नयने राष्ट्रभाषायाः हिन्दीयाः सर्वांगीणविकासे च तस्य अनुपमयोगदानाय प्रदत्तः।
'डॉ. तारा सिंह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मानम्' (मुंबई): सः हिन्दी साहित्यसेवायां इतिहासक्षेत्रे च स्वस्य प्रशंसनीयेभ्यः उत्कृष्टेभ्यः च सिद्धीभ्यः एतत् प्रतिष्ठितं सम्मानं प्राप्तवान्। विशेषतया सांस्कृतिकपुनर्जागरणस्य दिशि तस्य प्रयत्नाः प्रशंसिताः। 'जीवन धारा नमामी गंगे सम्मानम् २०२५' पर्यावरणसंरक्षणस्य उत्कृष्टकार्येभ्यः समर्पणात् च तस्मै प्राप्तम्।
राष्ट्रियगोष्ठीषु: सः विविधे राष्ट्रीयगोष्ठीषु अपि सम्मानितः अस्ति, यत् साहित्यस्य, संस्कृतेः, इतिहासस्य च क्षेत्रे तस्य सततप्रयासानां प्रतीकम् अस्ति। श्री पाठकस्य विषये सम्मानं ददत् उक्तं यत् सत्येन्द्र कुमार पाठकस्य लेखनस्य चर्चाः मुख्यतया हिन्दी साहित्ये, इतिहासे, बालसाहित्ये च केन्द्रिताः भवन्ति। अन्वेषणपरिणामेषु तस्य केचन विशिष्टाः लेखनसन्दर्भाः:'जासूसी उपन्यासस्य जनकः गोपालराम गहमरी' इति विषये लेखः: तस्य एषः लेखः हिन्दी साहित्ये जासूसी उपन्यासस्य परम्परायाम् गहनतया प्रकाशं पातयति, येन इतिहासकाररूपेण शोधकरूपेण च तस्य भूमिका स्पष्टा भवति। बालसाहित्ये योगदानम्: सिरसासम्मानः तस्मै विशेषतया 'बालसाहित्ये बालकेभ्यः आलेखविधायां उत्कृष्टलेखनार्थं' सम्मानितं कृतवान्, यत् बालसाहित्यं प्रति तस्य समर्पणं दर्शयति। सः बालपत्रिकाणां सम्पादनेन अपि सम्बद्धः अस्ति। तस्य लेखनस्य चर्चा तस्य निबंधेषु, ऐतिहासिकशोधकार्येषु, बालसाहित्ये आलेखविधायां तस्य महत्त्वपूर्णयोगदानं च आधारीकृता अस्ति।
संस्थानस्य संयोजकः सह-अध्यक्षः राजकुमार निजातः तथा मन्त्री मदन शर्मा अस्याः पहलस्य माध्यमेन बालसाहित्यक्षेत्रे उल्लेखनीयं योगदानं दत्तवतः रचनाकारान् प्रोत्साहितवन्तौ। तौ उक्तवन्तौ यत् एतादृशाः आयोजनाः बालसाहित्यस्य समृद्धपरम्पराम् अग्रसारयितुं नूतनपीढ्याः रचनाकारान् प्रेरयितुं च अत्यन्तं आवश्यकाः सन्ति। समारोहे संस्थानस्य संरक्षकः राजकुमार निजात: अन्ये च अधिकारिणः उपस्थिताः आसन्।
हरियाणवी
सिरसा में बाल साहित्यकारां का घणा बढ़िया सम्मान समारोह
सिरसा (हरियाणा)। विश्व शिक्षक दिवस के मौके पै, मातेश्वरी विद्यादेवी बाल साहित्य शोध एवं विकास संस्थान, सिरसा नै अखिल भारतीय बाल साहित्य पोथी अर पर्चे-पत्रिका विमोचन अर बाल साहित्यकार सम्मान समारोह का तगड़ा प्रोग्राम करा। यो समारोह श्रीयुवक साहित्य सदन के डॉ. जी.डी. चौधरी सभागार में होया, जिब देशभर तै आए ३९ बाल साहित्यकारां नै उणके चोखे काम खातर मान-सम्मान दिया गया।
समारोह का मुख्य आकर्षण बिहार के नामी साहित्यकार अर इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक रहे, जिननै राष्ट्रभाषा हिन्दी के सारे तरहां के विकास अर बाल साहित्य में उणकी चोखी सेवावां अर आलेख विधा में बाळकां खातर लिखण खातर 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान २०२५' तै नवाज्या गया। उणनै सम्मान पत्र, शाल, मेडल अर ₹१,१०० नकद रूपिये दिए गए। इस मौके पै, बिहार के मुजफ्फरपुर की लिखण आळी अर कवियित्री डॉ. उषा किरण श्रीवास्तव नै 'अखिल भारतीय माधव प्रसाद मिश्र बाल साहित्य शिखर सम्मान २०२५' तै सम्मानित करी गई। और जो मुख्य साहित्यकार सम्मानित होए, उणमें बिहार तै सतीस चंद्र भगत, हरियाणा तै त्रिलोक चंद फतेहपुरी अर दानवीर फूल, अर कानपुर तै कैलाश बजपेयी शामिल थे। संस्थान के संयोजक-सह-अध्यक्ष राजकुमार निजात अर मन्त्री मदन शर्मा नै बाल साहित्य के क्षेत्र में बढ़िया काम करण आळे इन रचनाकारां नै सम्मान दे कै उणके कामां की तारीफ करी।
सम्मान समारोह के टेम पै कई जरूरी पोथियां का विमोचन भी होया। इणमें रेवाड़ी, हरियाणा के त्रिलोक चंद फतेहपुरी की पोथियां 'बाल सौरभ बाल कविताएं', 'नेपाल दर्शन १ (यात्रा वृतांत)', अर 'ये हीरे हिंदुस्तान के काव्य संग्रह', अर दलबीर फूल की पोथी 'गेडा नेपाल का' अर त्रिवेणी केवम समेत और रचनाकारां की पोथियां शामिल थी। संस्थान नै इस पहल तै बाल साहित्य नै ऊँचा उठाण अर राष्ट्रभाषा हिन्दी के विकास में योगदान देण आळे रचनाकारां का हौंसला बढ़ाया।
सम्मान देण तै पहलयां, श्री पाठक के बारे में चर्चा करदे होए कह्या गया कि सत्येन्द्र कुमार पाठक बिहार के सुप्रसिद्ध साहित्यकार अर इतिहासकार सैं, जिननै खास तौर पै बाल साहित्य अर इतिहास के क्षेत्र में उणके योगदान खातर जाणया जा सै। सिरसा में विश्व शिक्षक दिवस पै उणनै बाल साहित्य में उणकी चोखी सेवावां अर आलेख विधा में बाळकां खातर लिखण खातर 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान २०२५' तै सम्मानित करया गया। सत्येन्द्र कुमार पाठक नै हाल के सालां में साहित्य अर इतिहास के क्षेत्र में उणकी लगातार कोशिशां खातर कई सम्मानां तै नवाज्या गया सै, जो उणके कामां की घणी चर्चा का सबूत सै:
'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान २०२५' (सिरसा, हरियाणा): यो सम्मान उणनै बाल साहित्य नै चोखा बणाण अर राष्ट्रभाषा हिन्दी के सारे तरहां के विकास में उणके घणे बढ़िया योगदान खातर दिया गया।
'डॉ. तारा सिंह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान' (मुंबई): उणनै हिन्दी साहित्य की सेवा अर इतिहास के क्षेत्र में उणकी काबिले तारीफ अर उत्कृष्ट उपलब्धियां खातर यो प्रतिष्ठित सम्मान मिल्या। खास तौर पै सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में उणकी कोशिशां की तारीफ करी गई। 'जीवन धारा नमामी गंगे सम्मान २०२५' उणनै पर्यावरण बचाण के बढ़िया कामां अर लगन खातर प्राप्त होया।
राष्ट्रीय गोष्ठी-सम्मेलनां में: उणनै अलग-अलग राष्ट्रीय गोष्ठी-सम्मेलनां में भी सम्मानित करया गया सै, जो साहित्य, संस्कृति अर इतिहास के क्षेत्र में उणकी लगातार कोशिशां का प्रतीक सै। श्री पाठक के बारे में सम्मान देंदे होए कह्या गया कि सत्येन्द्र कुमार पाठक के लिखण की चर्चाएं मुख्य रूप तै हिन्दी साहित्य, इतिहास अर बाल साहित्य पै केन्द्रित रहवैं सैं। खोजां के नतीज्यां में उणके कुछ खास लिखण के सन्दर्भ:'जासूसी उपन्यास के जनक गोपालराम गहमरी' पै लेख: उणका यो लेख हिन्दी साहित्य में जासूसी उपन्यास की परम्परा पै गहरी रौशनी गेरै सै, जिसतै इतिहासकार अर शोधकर्ता के रूप में उणकी भूमिका साफ़ हो सै।बाल साहित्य में योगदान: सिरसा सम्मान में खास तौर पै उणनै 'बाल साहित्य में बाळकां खातर आलेख विधा में उत्कृष्ट लिखण' खातर सम्मानित करया गया, जो बाल साहित्य खातर उणकी लगन नै दिखावै सै। वे बाल पत्रिकावां के संपादन तै भी जुड़ राखे सैं। उणके लिखण की चर्चा उणके निबंधां, ऐतिहासिक शोध कामां अर बाल साहित्य में आलेख विधा में उणके खास योगदान पै टिकी सै।
संस्थान के संयोजक-सह-अध्यक्ष राजकुमार निजात अर मन्त्री मदन शर्मा नै इस पहल तै बाल साहित्य के क्षेत्र में बढ़िया योगदान देण आळे रचनाकारां का हौंसला बढ़ाया। उणनै कह्या कि ऐसे प्रोग्राम बाल साहित्य की समृद्ध परम्परा नै आगै बढाण अर नई पीढ़ी के रचनाकारां नै प्रेरित करण खातर घणे जरूरी सैं। समारोह में संस्थान के संरक्षक राजकुमार निजात समेत और अधिकारी भी शामिल रहे।
Gujarati
સિરસામાં બાળ સાહિત્યકારોનો ભવ્ય સન્માન સમારોહ
સિરસા (હરિયાણા)। વિશ્વ શિક્ષક દિવસના ઉપલક્ષ્યમાં, માતેશ્વરી વિદ્યાદેવી બાળ સાહિત્ય શોધ એવં વિકાસ સંસ્થાન, સિરસા દ્વારા અખિલ ભારતીય બાળ સાહિત્ય પુસ્તક અને પત્ર-પત્રિકા વિમોચન તથા બાળ સાહિત્યકાર અલંકરણ સમારોહનું ભવ્ય આયોજન કરવામાં આવ્યું. આ સમારોહ શ્રીયુવક સાહિત્ય સદનના ડો. જી.ડી. ચૌધરી સભાગૃહમાં સંપન્ન થયો, જેમાં દેશભરમાંથી આવેલા ૩૯ બાળ સાહિત્યકારોને તેમના ઉત્કૃષ્ટ યોગદાન માટે સન્માનિત કરવામાં આવ્યા.
સમારોહનું મુખ્ય આકર્ષણ બિહારના સુપ્રસિદ્ધ સાહિત્યકાર અને ઇતિહાસકાર સત્યેન્દ્ર કુમાર પાઠક રહ્યા, જેમણે રાષ્ટ્રભાષા હિન્દીના સર્વાંગીણ વિકાસ અને બાળ સાહિત્યમાં તેમની ઉત્કૃષ્ટ સેવાઓ તથા આલેખ વિધામાં બાળકો માટેના લેખન માટે 'અખિલ ભારતીય વૈદ્ય વીરવલ દાસ બાળ સાહિત્ય શિખર સન્માન ૨૦૨૫' થી સન્માનિત કરવામાં આવ્યા. તેમને સન્માન પત્ર, અંગવસ્ત્ર, મેડલ અને ₹૧,૧૦૦ ની રોકડ રકમ આપવામાં આવી. આ પ્રસંગે, બિહારના મુઝફ્ફરપુરના લેખિકા અને કવયિત્રી ડો. ઉષા કિરણ શ્રીવાસ્તવને 'અખિલ ભારતીય માધવ પ્રસાદ મિશ્ર બાળ સાહિત્ય શિખર સન્માન ૨૦૨૫' થી નવાજવામાં આવ્યા. સન્માનિત થનારા અન્ય મુખ્ય સાહિત્યકારોમાં બિહારમાંથી સતીસ ચંદ્ર ભગત, હરિયાણામાંથી ત્રિલોક ચંદ ફતેહપુરી અને દાનવીર ફૂલ, તથા કાનપુરથી કૈલાશ બજપેયી સામેલ રહ્યા. સંસ્થાના સંયોજક સહ અધ્યક્ષ રાજકુમાર નિજાત અને મંત્રી મદન શર્માએ બાળ સાહિત્યના ક્ષેત્રમાં નોંધપાત્ર યોગદાન આપનાર આ રચનાકારોને સન્માનિત કરીને તેમના કાર્યોની પ્રશંસા કરી.
અલંકરણ સમારોહ દરમિયાન કેટલીક મહત્વપૂર્ણ પુસ્તકોનું વિમોચન પણ કરવામાં આવ્યું. આમાં રેવાડી, હરિયાણાના ત્રિલોક ચંદ ફતેહપુરીની પુસ્તકો 'બાલ સૌરભ બાલ કવિતાએં', 'નેપાલ દર્શન ૧ (યાત્રા વૃતાંત)', અને 'યે હીરે હિન્દુસ્તાન કે કાવ્ય સંગ્રહ', તથા દલબીર ફૂલની પુસ્તક 'ગેડા નેપાલ કા' અને ત્રિવેણી કેવમ સહિત અન્ય રચનાકારોની પુસ્તકોનો સમાવેશ થાય છે. સંસ્થાએ આ પહેલ દ્વારા બાળ સાહિત્યના ઉત્થાન અને રાષ્ટ્રભાષા હિન્દીના વિકાસમાં યોગદાન આપનાર રચનાકારોને પ્રોત્સાહિત કર્યા.
(मराठी )
सिरसा येथे बाल साहित्यकारांचा भव्य सत्कार समारंभ
सिरसा (हरियाणा)। विश्व शिक्षक दिनानिमित्त, मातेश्वरी विद्यादेवी बाल साहित्य शोध एवं विकास संस्थान, सिरसा यांच्या वतीने अखिल भारतीय बाल साहित्य पुस्तक व नियतकालिक विमोचन आणि बाल साहित्यकार सत्कार समारंभाचे भव्य आयोजन करण्यात आले. हा समारंभ श्रीयुवक साहित्य सदनच्या डॉ. जी.डी. चौधरी सभागृहात पार पडला, ज्यात देशभरातून आलेल्या ३९ बाल साहित्यकारांना त्यांच्या उत्कृष्ट योगदानाबद्दल सन्मानित करण्यात आले.
समारंभाचे मुख्य आकर्षण बिहारचे सुप्रसिद्ध साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक हे होते, ज्यांना राष्ट्रभाषा हिंदीच्या सर्वांगीण विकासासाठी आणि बाल साहित्यातील त्यांच्या उत्कृष्ट सेवांसाठी तसेच आलेख (लेख) या साहित्यप्रकारात मुलांसाठी केलेल्या लेखनासाठी 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सन्मान २०२५' ने अलंकृत करण्यात आले. त्यांना सन्मानपत्र, शाल, पदक आणि ₹१,१०० ची रोख रक्कम प्रदान करण्यात आली. या प्रसंगी, बिहारमधील मुजफ्फरपूरच्या लेखिका व कवयित्री डॉ. उषा किरण श्रीवास्तव यांना 'अखिल भारतीय माधव प्रसाद मिश्र बाल साहित्य शिखर सन्मान २०२५' ने गौरविण्यात आले. सन्मानित झालेल्या इतर प्रमुख साहित्यकारांमध्ये बिहारमधील सतीस चंद्र भगत, हरियाणातील त्रिलोक चंद फतेहपुरी आणि दानवीर फूल, तसेच कानपूरचे कैलाश बजपेयी यांचा समावेश होता. संस्थेचे संयोजक सह-अध्यक्ष राजकुमार निजात आणि मंत्री मदन शर्मा यांनी बाल साहित्याच्या क्षेत्रात उल्लेखनीय योगदान देणाऱ्या या रचनाकारांना सन्मानित करून त्यांच्या कार्याची प्रशंसा केली.
सत्कार समारंभादरम्यान अनेक महत्त्वाच्या पुस्तकांचे विमोचनही करण्यात आले. यामध्ये रेवाडी, हरियाणा येथील त्रिलोक चंद फतेहपुरी यांची 'बाल सौरभ बाल कविताएं', 'नेपाल दर्शन १ (प्रवासवर्णन)', आणि 'ये हीरे हिंदुस्तान के काव्य संग्रह', तसेच दलबीर फूल यांचे 'गेडा नेपाल का' आणि त्रिवेणी केवम यांच्यासह अन्य रचनाकारांच्या पुस्तकांचा समावेश होता. या उपक्रमाद्वारे संस्थेने बाल साहित्याच्या उन्नतीसाठी आणि राष्ट्रभाषा हिंदीच्या विकासासाठी योगदान देणाऱ्या रचनाकारांना प्रोत्साहित केले.
Tamil
சிரசாவில் குழந்தைப் படைப்பாளர்களுக்கு பிரம்மாண்ட கௌரவிப்பு விழா
சிரசா (ஹரியானா). உலக ஆசிரியர் தினத்தை முன்னிட்டு, மாத்தேஸ்வரி வித்யா தேவி குழந்தைப் படைப்பாய்வு மற்றும் மேம்பாட்டு நிறுவனம் (Mateshwari Vidyadevi Bal Sahitya Shodh Evam Vikas Sansthan), சிரசா சார்பில் அகில இந்திய குழந்தைப் படைப்புகள் புத்தகம் மற்றும் இதழ்கள் வெளியீடு மற்றும் குழந்தைப் படைப்பாளர்கள் கௌரவிப்பு விழா பிரம்மாண்டமாக ஏற்பாடு செய்யப்பட்டது. இந்த விழா ஸ்ரீயுவக் சாகித்ய சதன் வளாகத்தில் உள்ள டாக்டர். ஜி.டி. சௌத்ரி அரங்கத்தில் நடைபெற்றது, இதில் நாடு முழுவதிலுமிருந்து வந்த 39 குழந்தைப் படைப்பாளர்கள் அவர்களது சிறந்த பங்களிப்புக்காகக் கௌரவிக்கப்பட்டனர்.
விழாவின் முக்கிய ஈர்ப்பு, பீகாரின் புகழ்பெற்ற இலக்கியவாதியும் வரலாற்றாசிரியருமான சத்யேந்திர குமார் பதக் ஆவார். தேசிய மொழியான ஹிந்தியின் ஒட்டுமொத்த வளர்ச்சிக்கும் மற்றும் குழந்தை இலக்கியத்தில் அவரது சிறந்த சேவைகளுக்காகவும், கட்டுரைப் பிரிவில் (ஆலேக் விதா) குழந்தைகளுக்காக அவர் எழுதியதற்காகவும் அவருக்கு ‘அகில இந்திய வைத்யா வீர்வால் தாஸ் பால் சாகித்ய சிகர் சம்மான் 2025' (Akhil Bharatiya Vaidya Virwal Das Bal Sahitya Shikhar Samman 2025) வழங்கி கௌரவிக்கப்பட்டார். அவருக்குச் சான்றிதழ், சால்வை, பதக்கம் மற்றும் ₹1,100 ரொக்கப் பரிசு வழங்கப்பட்டது. இந்தச் சந்தர்ப்பத்தில், பீகார் மாநிலம் முசாபர்பூரைச் சேர்ந்த எழுத்தாளரும் கவிஞருமான டாக்டர். உஷா கிரண் ஸ்ரீவஸ்தவாவுக்கு ‘அகில இந்திய மாதவ் பிரசாத் மிஸ்ரா பால் சாகித்ய சிகர் சம்மான் 2025' வழங்கப்பட்டது. கௌரவிக்கப்பட்ட மற்ற முக்கிய படைப்பாளர்களில் பீகாரைச் சேர்ந்த சதீஸ் சந்திர பகத், ஹரியானாவைச் சேர்ந்த த்ரிலோக் சந்த் ஃபதேபுரி மற்றும் தான்வீர் பூல், மற்றும் கான்பூரைச் சேர்ந்த கைலாஷ் பாஜ்பேயி ஆகியோர் அடங்குவர். நிறுவனத்தின் ஒருங்கிணைப்பாளரும் இணைத் தலைவருமான ராஜ்குமார் நிஜாத் மற்றும் அமைச்சர் மதன் ஷர்மா ஆகியோர் குழந்தைப் படைப்புத் துறையில் குறிப்பிடத்தக்கப் பங்களிப்பை வழங்கிய இந்தப் படைப்பாளர்களைக் கௌரவித்துப் பாராட்டினர்.
கௌரவிப்பு விழாவின்போது பல முக்கியமான புத்தகங்களும் வெளியிடப்பட்டன. இவற்றுள் ஹரியானாவின் ரேவாரியைச் சேர்ந்த த்ரிலோக் சந்த் ஃபதேபுரியின் ‘பால் சௌரப் பால் கவிதாஏன்’ (குழந்தைப் பாடல்கள்), ‘நேபால் தர்ஷன் 1 (பயணக் கட்டுரை)’, மற்றும் ‘யே ஹிரே ஹிந்துஸ்தான் கே காவ்ய சங்க்ரஹ்’ (இந்த வைரங்கள் இந்தியாவின் கவிதைத் தொகுப்பு), அத்துடன் தல்பீர் பூல்லின் ‘கேடா நேபால் கா’ மற்றும் த்ரிவேணி கேவம் உள்ளிட்ட பிற படைப்பாளர்களின் புத்தகங்களும் அடங்கும். இந்தக் கடமையின் மூலம், குழந்தைப் படைப்புகளின் வளர்ச்சிக்கும் தேசிய மொழியான ஹிந்தியின் மேம்பாட்டிற்கும் பங்களித்த படைப்பாளர்களை நிறுவனம் ஊக்குவித்தது.
Urdu (اردو ترجمہ)
سرسا میں بچوں کے ادیبوں کا شاندار اعزازی تقریب
سرسا (ہریانہ)۔ عالمی یوم اساتذہ کے موقع پر، ماتیشوری ودیا دیوی بال ساہتیہ شودھ ایوم وکاس سنستھان (Mateshwari Vidyadevi Bal Sahitya Shodh Evam Vikas Sansthan)، سرسا کے زیر اہتمام آل انڈیا بچوں کے ادب کی کتاب اور جریدے کی رسم رونمائی اور بچوں کے ادیبوں کا اعزازی تقریب کا شاندار انعقاد کیا گیا۔ یہ تقریب شری یوک ساہتیہ سدن کے ڈاکٹر جی ڈی چودھری آڈیٹوریم میں منعقد ہوئی، جس میں ملک بھر سے آئے ۳۹ بچوں کے ادیبوں کو ان کی بہترین خدمات کے لیے اعزاز سے نوازا گیا۔
تقریب کی خاص توجہ کا مرکز بہار کے مشہور ادیب اور مورخ ستیندر کمار پاٹھک رہے، جنہیں قومی زبان ہندی کی ہمہ جہت ترقی اور بچوں کے ادب میں ان کی شاندار خدمات اور مضمون نگاری کی صنف (آلیکھ ودھا) میں بچوں کے لیے لکھنے کے لیے 'اکھل بھارتیہ ویدیہ ویرول داس بال ساہتیہ شیکھر سمان ۲۰۲۵' (Akhil Bharatiya Vaidya Virwal Das Bal Sahitya Shikhar Samman 2025) سے سرفراز کیا گیا۔ انہیں اعزاز نامہ، شال، میڈل اور ۱,۱۰۰ روپے کی نقد رقم پیش کی گئی۔ اس موقع پر، بہار کے مظفر پور سے تعلق رکھنے والی ادیبہ اور شاعرہ ڈاکٹر اوشا کرن شریواستو کو 'اکھل بھارتیہ مادھو پرساد مشرا بال ساہتیہ شیکھر سمان ۲۰۲۵' سے نوازا گیا۔ اعزاز حاصل کرنے والے دیگر اہم ادیبوں میں بہار سے ستیس چندر بھگت، ہریانہ سے ترلوک چند فتح پوری اور دان ویر پھول، اور کانپور سے کیلاش باجپائی شامل رہے۔ ادارے کے کنوینر سہ صدر راجکمار نجات اور وزیر مدن شرما نے بچوں کے ادب کے میدان میں نمایاں خدمات انجام دینے والے ان تخلیق کاروں کو سراہا اور اعزاز سے نوازا
اس اعزازی تقریب کے دوران کئی اہم کتابوں کی رسم رونمائی بھی کی گئی۔ ان میں ہریانہ کے ریواڑی چند فتح پوری کی کتابیں 'بال سؤربھ بال کویتائیں' (بچوں کی نظمیں)، 'نیپال درشن ۱ (سفر نامہ)'، اور 'یہ ہیرے ہندوستان کے کاویہ سنگرہ' (ہندوستان کے ہیرے: مجموعہ کلام)، نیز دلبر پھول کی کتاب 'گیڈا نیپال کا' اور تریوینی کیوم سمیت دیگر تخلیق کاروں کی کتابیں شامل تھیں۔ ادارے نے اس اقدام کے ذریعے بچوں کے ادب کے فروغ اور قومی زبان ہندی کی ترقی میں اپنا کردار ادا کرنے والے تخلیق کاروں کی حوصلہ افزائی کی