बच्चे बेहतर विश्व की नींव
सत्येन्द्र कुमार पाठक
विश्व बाल दिवस, हर साल 20 नवंबर को मनाया जाने वाला एक वैश्विक आह्वान है। यह दिन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि बच्चों के अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा और उनके कल्याण के प्रति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। बच्चे और युवा केवल भविष्य की आशा नहीं हैं; वे वर्तमान के शक्तिशाली एजेंट हैं। वे अपने साथ नए विचार और दृष्टिकोण लेकर आते हैं जो हम सभी के लिए एक बेहतर, न्यायसंगत और समावेशी विश्व बनाने में मदद कर सकते हैं। इस दिवस का मुख्य लक्ष्य बाल अधिकारों पर कन्वेंशन को अपनाए जाने की वर्षगाँठ मनाना और बच्चों के लिए, बच्चों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है। यह वह दिन है जब हम अपनी सामूहिक चेतना को जगाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर बच्चा सुरक्षा, शिक्षा और अपनी आवाज़ उठाने के अधिकार के साथ जागे। विश्व बाल दिवस का इतिहास बच्चों के कल्याण के प्रति बढ़ती वैश्विक चेतना से जुड़ा है। इसकी जड़ें 1925 में जिनेवा में आयोजित 'विश्व कांफ्रेंस' में हैं, जिसने बाल दिवस मनाने की नींव रखी। हालाँकि, इसे अंतर्राष्ट्रीय पहचान तब मिली जब: 1954 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 'सार्वभौमिक बाल दिवस' मनाने की घोषणा की। इसका उद्देश्य बच्चों के बीच आपसी समझ, जानकारी के आदान-प्रदान और उनके कल्याण से जुड़ी योजनाओं को लागू करना था। यह घोषणा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के बच्चों की दुर्दशा के बाद आई थी, जिसने दुनिया को बच्चों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया।
20 नवंबर की तिथि को विशेष रूप से चुना गया, क्योंकि इसी दिन दो ऐतिहासिक घटनाएँ हुईं, जिन्होंने बच्चों के अधिकारों को कानूनी और नैतिक आधार प्रदान किया: 1959: संयुक्त राष्ट्र ने सर्वसम्मति से 'बाल अधिकारों की घोषणा' को अपनाया, जिसने बच्चों के अधिकारों को पहली बार स्पष्ट रूप से परिभाषित किया। 1989: संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों के अधिकारों पर सबसे व्यापक, अंतर्राष्ट्रीय और कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता, 'बाल अधिकारों पर कन्वेंशन को अपनाया। यह समझौता एक ऐसी ढाँचागत नींव प्रदान करता है जिसके तहत राष्ट्रों को बच्चों के अधिकारों की रक्षा, सम्मान और पूर्ति करनी होती है। सी आर सी ने दुनिया भर में बच्चों के अधिकारों को स्थापित करने वाला एक दिशासूचक बन गया, जिसने 20 नवंबर को बच्चों के अधिकारों के लिए कार्रवाई का एक वैश्विक दिवस बना दिया। बाल अधिकार मानव अधिकार हैं—ये अटूट और सार्वभौमिक हैं। कन्वेंशन बच्चों को चार मुख्य स्तंभों (4 P's) पर आधारित अधिकार प्रदान करता है, जो हर बच्चे के समग्र विकास को सुनिश्चित करते हैं: जीवन, अस्तित्व और विकास का अधिकार: यह केवल जैविक रूप से जीवित रहने का अधिकार नहीं है, बल्कि एक ऐसा वातावरण प्राप्त करने का अधिकार है जो उनके मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक विकास को पूर्ण रूप से पोषित करे। संरक्षण शोषण, दुर्व्यवहार, उपेक्षा और बाल श्रम से सुरक्षा: बच्चों को किसी भी तरह की हानि से मुक्त रहने का अधिकार है। इसमें अवैध तस्करी, यौन शोषण, और ऐसे काम से सुरक्षा शामिल है जो उनके स्वास्थ्य या शिक्षा में बाधा डालते हैं।
सहभागिता अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार: बच्चों को उन सभी मामलों में अपनी राय देने का अधिकार है जो उन्हें प्रभावित करते हैं। यह लोकतंत्र और नागरिकता की भावना को बढ़ावा देता है। सर्वोच्च हित का सिद्धांत सभी निर्णय और कार्य बच्चों के सर्वोत्तम हित को प्राथमिक विचार के रूप में रखेंगे। शिक्षा केवल साक्षरता प्राप्त करने का माध्यम नहीं है; यह एक मौलिक अधिकार है जो बच्चों को गरीबी के चक्र को तोड़ने और उनकी पूरी क्षमता को साकार करने में सक्षम बनाता है। कन्वेंशन यह सुनिश्चित करता है कि प्राथमिक शिक्षा सभी के लिए निःशुल्क और अनिवार्य हो, जबकि व्यावसायिक और उच्च शिक्षा को सुलभ बनाया जाए। शिक्षा को बच्चों के व्यक्तित्व, प्रतिभा और क्षमताओं को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि वे एक स्वतंत्र और जिम्मेदार जीवन के लिए तैयार हो सकें।
आज भी लाखों बच्चे हिंसा, युद्ध, गरीबी और उपेक्षा के कारण अपने अधिकारों से वंचित हैं। उन्हें सभी प्रकार के शोषण और दुर्व्यवहार से सुरक्षा की आवश्यकता है। इसमें इंटरनेट पर सुरक्षित पहुँच, बाल श्रम से मुक्ति, और आपराधिक न्याय प्रणाली के भीतर उचित उपचार शामिल है। बाल श्रम के खिलाफ कड़े कानूनों को लागू करना आवश्यक है ताकि उनका बचपन काम करने की बेड़ियों में न बंधे।
: अधिकार बच्चों को निष्क्रिय प्राप्तकर्ता के बजाय सक्रिय नागरिक मानता है। उन्हें अपने माता-पिता, शिक्षकों और सरकारों के समक्ष अपनी राय रखने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। चाहे वह स्कूल के पाठ्यक्रम के बारे में हो या जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों के बारे में, उनके विचारों को गंभीरता से सुनना और उन्हें सम्मान देना न केवल उनका अधिकार है, बल्कि यह हमारे निर्णयों को अधिक प्रासंगिक और प्रभावी भी बनाता है। उनकी आवाज़ सुनकर, हम उनकी आत्म-अभिव्यक्ति के अधिकार को पूरा करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, यूरोप के बच्चों की दुर्दशा को देखते हुए, यूनिसेफ (UNICEF) का गठन बच्चों को भोजन, वस्त्र और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। आज, यह एजेंसी 190 से ज़्यादा देशों और क्षेत्रों में काम करती है।यूनिसेफ का ध्यान हमेशा सबसे कमज़ोर और वंचित बच्चों तक पहुँचने पर रहा है। चाहे वह संघर्ष क्षेत्रों में आपातकालीन सहायता प्रदान करना हो, दूरदराज के गाँवों में टीकाकरण अभियान चलाना हो, या बाल विवाह और भेदभाव के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना हो, यूनिसेफ बाल अधिकारों को जमीनी स्तर पर लागू करने में एक महत्वपूर्ण भागीदार है।विश्व बाल दिवस हमें याद दिलाता है कि बच्चों के अधिकारों को कायम रखना एक बेहतर विश्व की दिशा में एक दिशासूचक है—आज, कल और भविष्य में भी। यह दिवस हमें यह समझने का मौका देता है कि हर बच्चा, हर जगह, उन निर्णयों से प्रभावित होता है जो बड़ों द्वारा लिए जाते हैं। इसलिए, यह हमारा नैतिक और कानूनी दायित्व है कि हम:
बच्चों की बात सुनें। उनके जीवन, उनकी आशाओं और उनके अधिकारों को समझें। जब वे अपने अधिकारों के लिए खड़े हों, तो उनकी आवाज़ को बुलंद करें। इस विश्व बाल दिवस पर हम सब यह संकल्प लें कि हम बच्चों की आवाज़ को सुनेंगे, उनकी आशाओं को समझेंगे, और हर बच्चे के अधिकारों के लिए एकजुट होकर आवाज़ उठाएँगे। बच्चों की आवाज़ ही वह शक्तिशाली बदलाव है जो हमारी दुनिया को अधिक न्यायसंगत और मानवीय बनाएगा।
करपी , अरवल , बिहार 804419
9472987491
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें