शुक्रवार, जून 30, 2023

पर्यावरण संरक्षण और जीवन संरक्षित.....


वैदिक एवं विभिन्न साहित्य में पर्यावरण का उल्लेख किया गया है । पर्यावरण की स्थिरता पारिस्थितिकी में जैविक प्रणाली "निरंतर" विविध संसाधनों और उत्पादक है। पर्यावरण के संसाधनों के साथ प्रजाति का संतुलन  1987 ब्रुंडलैंड रिपोर्ट के अनुसार प्रजाति   स्थिरता में संसाधन का शोषण द्वारा नवीनीकरण सीमा  है। स्थिरता में राजनीतिक , आर्थिक ,पर्यावरणीय स्थिरता का मापन,  स्थिरता सूचकांक , पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक , ट्रिपल परिणाम ,पर्यावरणीय स्थिरता के लक्ष्य , घर में स्थिरता ,स्थायी शहरों में शहरी विकास और गतिशीलता प्रणाली। ठोस अपशिष्ट, जल और स्वच्छता का व्यापक प्रबंधन ,पर्यावरणीय संपत्ति का संरक्षण में  ऊर्जा दक्षता तंत्र , जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए निवास योजना। , राजकोषीय खातों और पर्याप्त कनेक्टिविटी का आयोजन ,  नागरिक सुरक्षा के सकारात्मक सूचकांक ,  नागरिक भागीदारी शामिल है। स्थिरता सामाजिक-आर्थिक प्रक्रिया है। राजनीतिक स्थिरता राजनीतिक और आर्थिक शक्ति  देश के नियम में लोगों और पर्यावरण के लिए सम्मान की  कानूनी ढांचा स्थापित करती है। जीवन की गुणवत्ता में सुधार और समुदायों पर निर्भरता कम कर लोकतांत्रिक संरचनाओं का निर्माण होता है। आर्थिक स्थिरता समान मात्रा में धन उत्पन्न करने की क्षमता और सामाजिक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, स्थापित करने के लिए आबादी  पूरी तरह से रहने तथा  सक्षम और  वित्तीय समस्याओं का समाधान उत्पादन बढ़ाने  और मौद्रिक उत्पादन के क्षेत्रों में खपत को मजबूत करते हैं। स्थिरता प्रकृति और मनुष्य के बीच का संतुलन भविष्य की पीढ़ियों को बलिदान किए बिनाजरूरतों को पूरा करने का प्रयास करता  है। पर्यावरणीय स्थिरता में जैविक पहलुओं को बनाए रखने की क्षमता समय के साथ इसकी उत्पादकता और विविधता में  प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण प्राप्त होता है। पर्यावरण के प्रति जागरूक जिम्मेदारियों और  पर्यावरण की देखभाल और सम्मान करने से मानव विकास करता है। पर्यावरणीय  मात्रात्मक उपाय से  विकास के चरणों में पर्यावरण प्रबंधन सक्षम होता है। पर्यावरणीय स्थिरता एवं  पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांकसे  विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक पर्यावरणीय कार्य बल के लिए वैश्विक नेताओं की पहल है। देश द्वारा प्राप्त किया गया 67 अधिक विशिष्ट विषयों में टूटने से  शहरी हवा में सल्फर डाइऑक्साइड की माप और खराब सैनिटरी स्थितियों से जुड़ी मौतें होती हैं । पर्यावरण प्रणालियों में  समस्याओं को कम करने के कार्य में नागरिकों को अंतिम पर्यावरणीय क्षति से बचाने में प्रगति। सामाजिक और संस्थागत क्षमता जो प्रत्येक राष्ट्र को पर्यावरण संरक्षण  करनी है। देश के प्रशासन स्तर जीडीपी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा सूचकांक  के साथ "तौला जाना"निर्णय लेने और नीतियों के  निष्पादन को बेहतर मार्गदर्शन करने के लिए, पर्यावरणीय चर की सीमा अत्यंत पूर्ण है ।प्रदूषकों का सांद्रता और उत्सर्जन, पानी की गुणवत्ता और मात्रा, ऊर्जा की खपत और दक्षता, वाहनों के लिए विशेष क्षेत्र, कृषि-रसायनों का उपयोग, जनसंख्या वृद्धि, भ्रष्टाचार की धारणा, पर्यावरण प्रबंधन आदि पर्यावरण के लिए घातक है। पर्यावरण  सूचकांक के ईएसआई मूल्य स्वीडन, कनाडा, डेनमार्क और न्यूजीलैंड  देश है । पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक महामारी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक के लिए  विधि सम्मत मात्रा निर्धारित कर और वर्गीकृत करें संख्यात्मक रूप से किसी देश की नीतियों का पर्यावरणीय प्रदर्शन करना आवश्यक है। पारिस्थितिक तंत्र और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की जीवन शक्ति पर्यावरणीय स्वास्थ्य में विभाजित है । राजनीतिक श्रेणियां, स्वास्थ्य पर वायु की गुणवत्ता का प्रभाव , बुनियादी स्वच्छता और पीने का पानी, स्वास्थ्य पर पर्यावरण का प्रभाव और पर्यावरणीय जीवन शक्ति राजनीतिक श्रेणियां में उत्पादक प्राकृतिक संसाधन। ,जैव विविधता और निवास और जल संसाधन एवं पारिस्थितिक तंत्र पर वायु प्रदूषण का प्रभाव है। जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संरक्षण से तटों, झीलों और पहाड़ों को शहर के शहरी विकास में संरक्षित और ऊर्जा दक्षता तंत्र बिजली की खपत को कम करने के लिए नई तकनीकों या प्रक्रियाओं को लागू करते है।
पारिस्थितिक कपड़ों का  सामग्री का पेट्रोलियम से प्राप्त सिंथेटिक फाइबर पॉलिएस्टर, का उपयोग करने के बजाय, प्राकृतिक और नवीकरणीय रेशों को प्राथमिकता  है,  ।  जैविक कपास, लिनन, भांग या ऊन सामग्रियों का उत्पादन के दौरान पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है  । जैविक कपास सिंथेटिक कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के बिना उगाया जाता है । मिट्टी और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक हैं। गांजा भांग के पौधे से प्राप्त प्राकृतिक फाइबर है। गांजा भांग खेती के लिए कीटनाशकों या उर्वरकों के गहन उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है और तेजी से बढ़ने वाला पौधा होने के कारण यह मिट्टी के संसाधनों को ख़त्म नहीं करता है। गांजा विभिन्न प्रकार के परिधानों के निर्माण में अत्यधिक बहुमुखी और  टिकाऊ और पशु कल्याण के लाभदायक है। फैशन उद्योग  प्रदूषण का  बड़ा स्रोत है । प्रकृति में वायु, जल, मृदा, पेड़-पौधे तथा जीव-जन्तु पर्यावरण की रचना कर  मानव के चारों तरफ स्थल, जल, वायु, मृदा आदि का वह आवरण जिससे वह घिरा रहने के कारण पर्यावरण व एनवायरनमेंट   है। भूगोल में पर्यावरण के अध्ययन के अनुसार प्राकृतिक या भौतिक  ,मानवीय या सांस्कृतिक और प्राकृतिक या भौतिक पर्यावरण है।भौतिक पर्यावरण जैविक और अजैविक तत्वों का दृश्य और अदृश्य समप्राकृतिक पर्यावरण प्राकृतिक उपादानों, जैव एवं अजैव घटकों का समुच्चय धरातल से लेकर आकाश तक व्याप्त रहता है। प्राकृतिक पर्यावरण मे  धरातल, जलवायु, मृदा, जल, वायु, खनिज आदि,ऊर्जा तत्व समूहताप एवं प्रकाश,जैव तत्व समूह वनस्पतियां एवं जीव-जन्त से प्राकृतिक पर्यावरण का निर्माण होता है। प्रक्रियाओं में भूमि का अपक्षय, अपरदन अवसादीकरण, तापविकिरण एवं चालन, ताप वाहन, वायु एवं जल में गतियों का पैदा करना, जीव की जातियों का जन्म, मरण और विकास, आदि सम्मिलित किए जाते हैंप्राथमिक पर्यावरण में मनुष्य स्वभाविक  तकनीकी की सहायता से संशोधन तथा परिवर्तन कर भूमि को जोतकर खेती , जंगलों को साफ कर सड़कें, नहरें, रेलमार्ग, , पर्वतों को काट कर सुरंगें, और  बस्तियां बसाता तथा भूगर्भ से खनिज सम्पति निकालकर  उपकरण एवं अस्त्रशस्त्र और प्राकृतिक संसाधनों का विभिन्न प्रकार से शोषण कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। मानवीय,मानव निर्मित  सांस्कृतिक पर्यावरण  है। औजार, गहने, अधिवास, मानवीय क्रियाओं के सृजित रूप जैसे खेत, कृत्रिम चरागाह व उद्यान, पालतू पशु सम्पदा, उद्योग एवं विविध उद्यम, परिवहन और संचार के साधन प्रेस आदि सम्मिलित हैं। मानव को जिस प्रकार की सुविधाओं की आवश्यकता होने पर शोध कर खोजने की कोशिश करता है। शारीरिक एवं मानसिक योग्यता का ज्ञान, इनके निर्माण का विज्ञान मानव की सांस्कृतिक विरासत हैं। पाषाण  युग में मनुष्य ने  सुरक्षा के लिए घर बनाने, प्रकृति की वस्तुओं का भोजन के रूप में उपयोग करने, पत्थर को काट-छांट, घिसकर औजार बनाने, जंगली पशुओं को पालतू बनाने और सामूहिक रूप से सुरक्षा आदि करने के रूप में मनुष्य ने अपने सांस्कृतिक पर्यावरण को जन्म दिया है । मनुष्य भौतिक पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाने में सफल रहने के लिए  विज्ञान, तकनीकी ज्ञान और आर्थिक क्रियाओं में बड़ा महत्वपूर्ण परिवर्तन करके भौतिक पर्यावरण के साथ सामंजस्य करने की रीतियों में प्रसार किया है। मछली पकड़ना, लकड़ी काटना, जाल बिछाकर पशुओं को पकड़ना तथा खानें खोदना सम्मिलित किया जाता है। इन कार्यों में प्रकृति से सीधे ही वस्तुएं प्राप्त की जाती हैं। मनुष्य भूमि से उन वस्तुओं को अधिकाधिक मात्रा में प्राप्त  करता है । मानव  भौतिक पर्यावरण के साथ जनसंख्या का घनत्व, भूमि पर स्वामित्व, सामाजिक वर्ग,परिवार, समाज-सम्बन्ध, आदि बातें सम्मिलित हैं।  मनुष्य के व्यवहार एवं आदतें,  स्थायी जमाव व घुमक्कड़ जीवन, उसके वस्त्र, भोजन, घर, आचार-विचार, धार्मिक विश्वास एवं आस्थाएं,कला,आदि  समावेश है। मानव भौतिक पर्यावरण से नागरिक तथा राजनीतिक सामंजस्य स्थापित कर स्थानीय, प्रान्तीय या राष्ट्रीय सरकारों की स्थापना, अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, सैन्य नीतियां तथा अन्तर्राष्ट्रीय कानून आदि की व्यवस्था हैं। पर्यावरण संरक्षण में पीपल , बरगद , आंवला , महुआ , शाक , कदम्ब , आम , कटहल , बेल   आदि वृक्ष , तुलसी , केला आदि पौधे , दूर्वा , भृगराज आदि फूल  , नदियाँ का स्वच्छ जल , पर्वत , जंगल , समुद्र , जीव जंतु पर्यावरण का संरक्षक है । पर्यावरण संरक्षण से जीवन संरक्षित है ।



बुधवार, जून 14, 2023

सांस्कृतिक विरासत के साधक सत्येंद्र कुमार पाठक ...


बिहार राज्य के अरवल जिले का करपी प्रखंड मुख्यालय करपी में सत्येन्द्र कुमार पाठक का जन्म 15 जून 1957 ई. को शाकद्वीपीय ब्राह्मण में हुआ है । इनके पिता सच्चिदानंद पाठक ज्योतिष एवं कर्मकांड के  विद्वान , माता ललिता देवी तथा पत्नी सत्यभामा देवी धर्मपरायण थी । सत्येंद्र कुमार पाठक के नवीन कुमार पाठक , जीविका मुजफ्फरपुर के ट्रेनिंग ऑफिसर प्रवीण कुमार पाठक पुत्र तथा इंदु , कुमुद , मेनका , एस. एस . कॉलेज जहानाबाद के प्रो.  उर्वशी तथा प्रियंका पुत्री और दिव्यांशु एवं प्रियांशु  पौत्र , तीन भाई है । इन्होंने शास्त्री प्रतिष्ठा , आई ए , विशारद , बी टी योग्यता हासील करने के बाद सरकारी विद्यालयों में 1 नवंबर 1977 ई. से 30 जून 2017 तक शिक्षक के पद पर कार्य कर सेवानिवृत हुए  है ।
पत्रकारिता -  1975 से विभिन्न साप्ताहिक , दैनिक समाचार पत्रों में संबाद प्रेषण का कार्य किया है । पत्रकारिता के क्षेत्र में सत्येन्द्र कुमार पाठक ने गया से प्रकाशित गया समाचार , मगध धरती , मगधाग्नि हिंदी साप्ताहिक , पटना से प्रकाशित हिंदी दैनिक आर्यावर्त , आत्मकथा , पाटलिपुत्र टाइम्स , हिंदुस्तान , आज , जयपुर राजस्थान  से प्रकाशित यंगलीडर में संबाद , टिकरी गया का समस्या दूत का सह संपादक , शिप्रा का उपसंपादक , 1981में हिंदी  मासिक पत्रिका मगध ज्योति तथा 1983 में हिंदी साप्ताहिक  मगध ज्योति का संपादक के रूप में कार्य किया है । पटना से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र आर्यावर्त , प्रदीप , पाटलिपुत्र टाइम्स , आज , जनशक्ति , आत्मकथा , हिंदुस्तान , प्रभात खबर में सबद प्रेषण किया । 2019 ई . से बुलंद समाचार , दिब्य रश्मि पोर्टल में संलेख प्रकाशित तथा मगध ज्योति ब्लॉग पॉट में संलेख प्रकाशित कर रहे है ।सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासंघ झारखण्ड से संबद्ध  रांची से प्रकाशित मगबन्धु (अखिल) जुलाई दिसम्बर 2020 का स्वतंत्रता सेनानी विशेषांक में संलेख प्रकाशित किया गया है। औरंगाबाद से प्रकाशित चित्रा दर्पण 2021 , समकालीन जबाबदेही 2021 , अरवल  स्थापना दिवस 2011 की स्मारिका , संस्कार न्यूज़ , साहित्य धारा अकादमी झारखंड की यात्रा काव्य संकलन , भारत के रचनाकार , हिंदी साप्ताहिक आकृति साहित्य पत्र पत्रिकाओं  ,  सरोज साहित्य , बम्बई हिंदी विद्यापीठ मुम्बई से हिंदी मासिक पत्रिका भारती 2023 , मुजफ्फरपुर बिहार से प्रकाशित हिंदी पाक्षिक निर्माण भारती 2023 , बूंदी राजस्थान से हिंदी साप्ताहिक पत्र लेखक हिंदी के 2023 , वर्ल्ड वाइज न्यूज़ ( हिंदी दैनिक ) , हजारीबाग , झारखण्ड का अतिथि संपादक के रूप में 2024 से  आलेख प्रकाशित है ।
समाज सेवा - सत्येन्द्र कुमार पाठक द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में समाजसेवा का कार्य किया है । 1976 ई. में करपी अरवल प्रखंड में आई भीषण बाढ़ में करपी प्रखंड दुग्ध  दलिया समिति गया का सदस्य बन कर बढ़  पीड़ितों की सहायता की वहीं करपी प्रखंड परिवार कल्याण समिति गया का सदस्य , जीवन ज्योति मंसूरी का सदस्य , शास्त्र धर्म प्रचार सभा कलकत्ता का सदस्य , जहानाबाद अनुमंडल किसान सुरक्षा समिति का अध्यक्ष , अखिल भारतीय सामाजिक स्वास्थ्य संघ का सदस्य , मगही मंच करपी प्रखंड के अध्यक्ष , भारतीय समाज सुधारक संघ जहानाबाद का अध्यक्ष ,पंडित नेहरू क्लब करपी का अध्यक्ष , करपी प्रखंड विद्युत उपभोक्ता समिति का अध्यक्ष , मगध बुद्धि मंच , बिहार राज्य मगही विकास मंच के महासचिव 1978 ई. में इमममगंज प्रखंड शिक्षा समिति गया का सदस्य , 1980 में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का सदस्य , 2007 बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन पटना के स्थायी समिति के सदस्य  1992 ई . में सच्चिदानंद शिक्षा एवं समाज कल्याण संस्थान का सचिव , जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन जहानाबाद के उपाध्यक्ष , जहानाबाद जिला विरासत विकास समिति का अध्यक्ष , बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ जिला जहानाबाद का उप संजोजक , बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ( गोप गुट ) जहानाबाद का संयुक्त  सचिव , 2008 ई. में बिहार राज्य क्रांतिकारी शिक्षक संघ का राज्य प्रवक्ता , 1996 ई. में ज्ञान गुहार अरवल का मुख्य साधन सेवी , 2003 ई. में भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय विकलांगता  कन्वेंशन दिल्ली में विकलांगो के विकाश में शामिल हुए । 1989 ई. में इंडियन प्रेस काउंसिल भोपाल का सदस्य हुए हैं । भारतीय विरासत संगठन के अध्यक्ष पद पर 18 अप्रैल 2021 , श्रीसत्य इंदिरा फाउंडेशन जयपुर ,राजस्थान के विशिष्ट सदस्य दिनांक 04 फरवरी  2023 में  चयनित हुए है । जिला गजेटियर समिति जहानबाद के सदस्य ,   विश्व हिंदी परिषद के 2024 में आजीवन सदस्य , जीवन धारा नमामि गंगे का 2024 से राष्ट्रीय सचिव है।
सम्मान - सत्येन्द्र कुमार पाठक को 14 सितंबर 1998 ई . हिंदी दिवस पर जैमिनि अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा हिंदी पत्रकारिता के उत्कृष्ट कार्य के लिए आचार्य उपाधि से अलंकृत किये गए , 23 अक्तूवर 2013 को मगही अकादमी पटना द्वारा मगही साहित्य में विशेष योगदान के लिये महाकवि योगेश मगही अकादमी शिखर सम्मान 2013  से सम्मानित , स्नातकोत्तर हिंदी विभाग मगध विश्वविद्यालय बोधगया द्वारा आयोजित  16 - 17 अप्रैल 2012 दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्टी में हिंदी साहित्य को मगध प्रक्षेत्र का योगदान विषय डॉ सुनील कुमार की संपादन8 कला पर सम्मान , 2 मार्च 2019 को बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन पटना द्वारा आयोजित 40 वें तथा 2 - 3 अप्रैल 2016 को  37 वें  महाधिवेशन के परिसंबाद  पर सम्मानित हुए है। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन पटना की ओर से हिंदी भाषा एवं साहित्य की उन्नति में मूल्यवान सेवाओं के लिए सम्मेलन के 101 वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में पंडित जनार्दन प्रसाद झा द्विज सम्मान से विभूषित कर उपाधि पत्र 19 अक्तूवर 2020 को प्रदान किया गया है । समाजवादी लोक परिषद की ओर से  गया में विश्व हिंदी दिवस के पूर्व संध्या पर 09 जनवरी 2021 को सतीस कुमार मिश्र सम्मान समारोह 2021के अवसर पर साहित्य व पत्रकारिता के क्षेत्र में समर्पित सेवा के लिये सम्मानित  , 26 सितंबर 2021 को नागरिक मोर्चा , अखिल भारतीय आदित्य परिषद एवं श्री नवयुवक समिति ट्रस्ट  मुजफ्फरपुर की ओर से हिंदी को बढ़ावा देने साहित्य जगत में सराहनीय योगदान एवं उत्कृष्ट कार्य हेतु हिंदी दिवस के अवसर पर कलम के जादूगर महान साहित्यकार एवं स्वतंत्रता सेनानी रामवृक्ष वेनिपुरी सम्मान पत्र 2021 एवं 28 सितंबर 2021 को राष्ट्र की रक्षा , समाज सेवा एवं कोरोना काल  मे योगदान हेतु शाहिद के आजम भगत सिंह एवं शहीद भगवानलाल सम्मान समारोह मुजफ्फरपुर की ओर से शहीद भगतसिंह एवं शहीद भगवानलाल सम्मान पत्र 2021 से सम्मानित  किये गए है । बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन पटना के 41 वें महाधिवेशन 2-3 अप्रैल 2022  के विभिन्न कार्यक्रमों ,संगोष्ठियों, परिसंबादों , काव्य पाठ के लिए सम्मान पत्र प्राप्त कर सम्मानित किए गए है । प्रसिध्द जासूसी उपन्यासकार गोपालराम गहमरी की स्मृति में साहित्य सरोज एवं धर्म क्षेत्र गहमरी द्वारा  आयोजित  वां गोपालराम गहमरी साहित्यकार महोत्सव 2022 के अवसर पर 23 - 25 दिसंबर 2022 , उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के गहमर के समारोह में 25 दिसंबर 2022 को  हिंदी साहित्य के लेख - आलेख विधा में बहुमूल्य योगदान हेतु गोपालराम गहमरी लेखक गौरव सम्मान 2022 , श्रीसत्य इंदिरा फाउंडेशन जयपुर , राजस्थान से रवींद्र नाथ टैगोर जयंती के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय कला एवं साहित्य सम्मान 2023 , 5 जून 2023 विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावण संरक्षण व प्रकृति को बचाने में योगदान के लिए पर्यावरण रक्षक सम्मान 2023 ( द्वितीय वर्ष ) , रिपब्लिक प्राइड अवार्ड 2023 एवं मग धर्म संसद / फिलोसिफिकल। रिसर्च कौंसिल की ओर से 9 अप्रैल 2023 को स्वास्थ्य , शिक्षा , ,सेवा और स्वावलंबन के क्षेत्र में उच्च प्रतिमान नवाचार तथा मानवीय मूल्यों की स्थापना में योगदान के लिए श्री रंजन सूरीदेव सम्मान 2023 ,  श्रीसत्य इंदिरा फाउंडेशन जयपुर राजस्थान द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2023 के अवसर पर  वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग योग मुहिम में  समाज मे जागरुकता फैलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस सम्मान 2023 , कोशिश फाउडेशन , बुधौल नवादा , बिहार द्वारा मगही साहित्य और संरक्षण हेतु समर्पित सेवा के लिए  स्व. युगल किशोर मिंश्र सम्मान 2024  , संस्कार भारती जिला इकाई बालाघाट ,मध्यप्रदेश की ओर से परमपूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार स्मृति सम्मान 2024 , नागरिक विकास मंच  जहानाबाद बिहार , द्वारा 01 अगस्त 2024 को  जहानाबाद महोत्सव के तहत जहानाबाद पाक्षिक काव्य सम्प्रेषण में सराहनीय सहभागिता के लिए सम्मान 2024 , पद्मनाभ साहित्य परिषद हाजीपुर , वैशाली , बिहार की ओर से अयोध्या , उत्तरप्रदेश में हिंदी भाषा एवं साहित्य की उन्नति में मूल्यवान सेवाओं के लिए श्रीराम महोत्सव के अवसर पर श्रीराम रत्न 2024 सम्मान , विश्व साहित्य महासभा , भारत हिंदी प्रचारिणी महासभाइंदौर , मध्यप्रदेश , हिंदी सेवा समिति संबलपुर उड़ीसा की ओर से   हिंदी साहित्य एवं समाज सेवा  के क्षेत्र में निर्वाध निरंतर सेवारत रहने के कारण विश्व प्रतिभा 28 जनवरी 2024 को अंतरराष्ट्रीय विश्वाकाश के चमकते सूर्य सम्मान 2024 , स्वंर्णिम दर्पण  पत्रिका आर्या पब्लिकेशन का द्वितीय वार्षिक अधिवेशन  लखनऊ उत्तरप्रदेश का राजर्षि पुरुषोतदास टंडन हिंदी भवन के निराला सभागार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस 17 सितंबर को हिंदी सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत भाग्य विधाता स्मारिका सम्मान 2024 , जैमिनी अकादमी , पानीपत , हरियाणा द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग दिवस रत्न सम्मान 2024 एवं दीपोत्सव साहित्य सम्मान 2023 से  सम्मानित किए गए हैं ।
प्रकाशित रचनाएं - गधाँचाल ,  राज्य सरकार राजभाषा विभाग द्वारा अनुदानित से प्रकाशित वाणावर्त , बराबर , विरासत , मगध क्षेत्र की विरासत   है। वही अप्रकाशित रचनाए  उषा , यात्रा  है।आत्मा से पंजिकृत जिला किसान संगठन जहानाबाद का सचिव के रूप में कार्य कर रहे हैं । 1999 से जहानाबाद में रह कर सामाजिक  , साहित्यिक साधना में लगे हुए हैं । अंतरराष्ट्रीय साहित्य परिषद , आकृति साहित्य ई साप्ताहिक समाचार पत्र ,मगमिहिर महासभा  का सदस्य ,भारतीय जनक्रांति दल डेमोक्रेटिक का राष्ट्रीय कमिटि सदस्य  तथा बिहार राज्य पत्रकार संघ के सदस्य है ।