गुरुवार, जून 08, 2023

समस्तीपुर की विरासत ....


दरभंगा प्रमंडल का 2904 वर्गकिमी में फैले  तथा 14 नवंबर 1972 ई. में स्थापित समस्तीपुर जिला  के उत्तर में दरभंगा, दक्षिण में गंगा नदी ,  पश्चिम में मुजफ्फरपुर तथा पूर्व में बेगूसराय जिले की सीमाओं से घिरा  मैथिली, मगही और हिंदी भाषीय  है। समस्तीपुर  मिथिला का प्रवेश द्वार एवं समस्तीपुर पूर्व मध्य रेलवे का मंडल है। समस्तीपुर का नाम  सरैसा ,  सोमवती , सोमवस्ती पुर ,समवस्तीपुर  को 1345 ई. से 1358 ई. तक मध्यकाल में बंगाल एवं उत्तरी बिहार के शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास द्वारा शमसुद्दीन पुर  बाद में समस्तीपुर कहा गया है। राजा जनक के मिथिला प्रदेश का अंग था । विदेह राज्य का अन्त होने पर समस्तीपुर  लिच्छवी गणराज्य का अंग होने के पश्चात  मगध के मौर्य, शुंग, कण्व और गुप्त शासकों का मगध  साम्राज्य का हिस्सा  था ।। ह्वेनसांग के के अनुसार  हर्षवर्धन के साम्राज्य के अंतर्गत था। १३ वीं सदी में पश्चिम बंगाल के मुसलमान शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के समय मिथिला एवं तिरहुत क्षेत्रों का बँटवारा हो गया। उत्तरी भाग सुगौना के ओईनवार राजा (1325-1525 ईस्वी) के कब्जे में था जबकि दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग शम्सुद्दीन इलियास के अधीन था । समस्तीपुर का नाम भी हाजी शम्सुद्दीन के नाम पर पड़ा है। ओईनवार राजाओं द्वारा  कला, संस्कृति और साहित्य का बढ़ावा दिया गया है। शिवसिंह के पिता देवसिंह ने लहेरियासराय के समीप  देवकुली की स्थापना की थी। शिवसिंह के बाद यहाँ पद्मसिंह, हरिसिंह, नरसिंहदेव, धीरसिंह, भैरवसिंह, रामभद्र, लक्ष्मीनाथ, कामसनारायण राजा हुए। शिवसिंह तथा भैरवसिंह द्वारा जारी किए गए सोने एवं चाँदी के सिक्के  है। ब्रिटिश साम्राज्य में 1865 ई.में तिरहुत मंडल के अधीन समस्तीपुर अनुमंडल बनाया गया था । बिहार राज्य जिला पुनर्गठन आयोग के प्रतिवेदन के आधार पर दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत 14   नवंबर 1972 ई. में समस्तीपुर   को जिला बना दिया गया है । अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध हुए स्वतंत्रता आंदोलन में समस्तीपुर के क्रांतिकारियों ने महती भूमिका निभाने वालों में  कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ,  समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रथम सांसद स्व. सत्यनारायण सिन्हा सांसद ,  कैबिनेट मंत्री , मध्यप्रदेश के राज्यपाल के पद पर और  सूचना प्रसारण मंत्री रहे थे । उत्तरी अक्षांश 25.90  एवं पूर्वी देशांतर 86.08  पर अवस्थित समस्तीपुर  जिला उपजाऊ मैदानी क्षेत्र है ।  हिमालय से प्रवाहित होने वाली नदियाँ : समस्तीपुर जिले के मध्य से बूढ़ी गण्डक, उत्तर में बागमती नदी एवं दक्षिणी तट पर गंगा   बांया भाग में, जमुआरी, नून, बागमती की दूसरी शाखा और शान्ति नदी  है ।  समस्तीपुर जिला में 4 अनुमंडल , 20  प्रखंडों, 380 पंचायतों तथा 1248 राजस्व गाँव है। अनुमंडल में  दलसिंहसराय, शाहपुर पटोरी, रोसड़ा, समस्तीपुर सदर और प्रखंड में दलसिंहसराय, उजियारपुर, विद्यापतिनगर, पटोरी, मोहनपुर,मोहिउद्दीनगर, रोसड़ा, हसनपुर, बिथान, सिंघिया, विभूतीपुर, शिवाजीनगर, समस्तीपुर, कल्याणपुर, वारिसनगर, खानपुर, पूसा, ताजपुर, मोरवा, सरायरंजन है ।। जनगणना 2011 के अनुसार समस्तीपुर  जिले की जनसंख्या 4,261,566 में पुरुष की आबादी 2,230,003 एवं 2,031,563 स्त्रियाँ में साक्षरता 45.13 प्रतिशत (पुरुष- 57.59 एवं  स्त्री- ३१31 .67 प्रतिशत ) है । गदाधर पंडित, शंकर, वाचस्पति मिश्र, उदयनाचार्य, अमर्त्यकार, अमियकर दार्शनिक एवं किसान नेता  पंडित यमुना कर्जी , पूर्व राज्यपाल सत्य नारायण सिन्हा ,   पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर , पूर्व लोकसभा के अध्यक्ष  बलिराम भगत , गया प्रसाद शर्मा , पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ,  सैय्यद शाहनवाज हुसैन , महान मैथिली कवि विद्यापति, चंद्रकांता उपन्यासकार श्री देवकीनंदन खत्री की जन्मभूमि व कर्मभूमि हैं।
 मानस मंदिर बन्दा है। बन्दा वासी की राधे राधे।। यहाँ की अमृत वाणी है। ताजपुर में जल जीवन हरियाली पार्क , स्थापत्य एवं शिल्प कला के धनी मंदिर, मदरसा अजाजिया साल्फिया रहीमाबाद और उसकी जमा मस्जिद आदि  है। 
 ब्रिटिश साम्राज्य काल में अनुमंडल ताजपुर था ।पूसा में ब्रिटिश साम्राज्य का सयुक्त राष्ट्र अमेरिका का हेनरी फिफ्स ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई थी ।   भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान को 1970 ई. में राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय  कृषि विश्वविद्यालय पूसा नामकरण किया गया है । शिव के अनन्य भक्त एवं महान मैथिल कवि विद्यापति ने यहाँ गंगा तट पर अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे। बिमारी के कारण विद्यापति  गंगातट जाने में असमर्थ होने के कारण माता गंगा ने अपनी धारा बदल कर  विद्यपति के आश्रम के पास से बहने लगी थी । विद्यपति आश्रम के कारण विद्यापतिनगर है । प्रखंड खानपुर प्रखंड के खेड़ी हरिहरपुर  में हरिहरनाथ महादेव मंदिर , ब्रिटिश साम्राज्य काल में नील की खेती का  मसिना कोठी पर मक्के की खेती एवं अन्य फसल का अनुसन्धान केंद्र  हैं । बूढ़ी गंडक तटबंध के किनारे भोरेजयराम बूढी गंडक नदी के तटबंध किनारे   बजरंगबली, माँ दुर्गा , श्री गणेश मंदिर  है। महामहिषी कुमारिलभट्ट के शिष्य महान दार्शनिक उदयनाचार्य का जन्म 984 ई.  में शिवाजीनगर प्रखंड के करियन गाँव में हुआ था। उदयनाचार्य ने न्याय, दर्शन एवं तर्क के क्षेत्र में लक्षमणमाला, न्यायकुशमांजिली, आत्मतत्वविवेक, किरणावली आदि रचनाएं है।  मालीनगर में 1844 ई.  में निर्मित  शिवमंदिर , हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार बाबू देवकी नन्दन खत्री एवं शिक्षाविद राम सूरत ठाकुर की जन्म भूमि है।राजा  मंगलदेव के निमंत्रण पर मंगलगढ़ पर  महात्मा बुद्ध संघ प्रचार के लिए आए और रात्रि विश्राम  किया था। बुद्ध का  उपदेश स्थल को बुद्धपुरा व दूधपुरा  है। पुसा प्रखंड मे स्थित मोहम्मद पुर कोआरी मे मस्जिदो  है। नरहन रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर की दूरी पर बिभूतिपुर में जगेश्वरीदेवी द्वारा निर्मित  शिव मंदिर है। ब्रिटिश काल  के समय का नरहन रजवाड़ा का  महल बिभूतिपुर  है। नरहन स्टेट के वैद्य भाव मिश्र की पुत्री जागेश्वरी  थी। ताजपुर प्रखंड मे स्थित मदरसा अजीजीया सलफ़ीया है। मोरवा अंचल में खुदनेस्वर महादेव मंदिर की स्थापना मुस्लिम द्वारा शिवलिंग मिलने पर की गयी थी। खुदनेश्वर  मंदिर के साथ महिला मुस्लिम संत की मजार हिंदू और मुस्लिम द्वारा पूजित है। संत दरियासाहेब का आश्रम: बिहार के सूफी संत दरिया साहेब आश्रम घमौन गंगा तट पर है। घमौन में निरंजन स्वामी का मंदिर है। थानेश्वर में  शिवमंदिर, खाटू-श्याम मंदिर एवं कालीपीठ  है। ताजपुर प्रखंड मे स्थित शाहपुर बघौनी में 12 मनमोहक मस्जिदे है। धोवगामा में 1523 ई. का सतीमन्दिर है । रंजितपुर गांव में वैष्णवी  मंदिर स्थित है। वारिसनगर प्रखंड के अंतर्गत बसंतपुर रमणी पंचायत का किशनपुर वैकुंठ में  श्री बाबा बैकुंठनाथ महादेव मंदिर है। माँ काली शक्तिपीठ की  स्थापना सन 1964 में किया गया था। 



समस्तीपुर लोक सभा निर्वाचन  क्षेत्र से 1952 से 1962 तक सत्य नारायण सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस , 1962 से 1971 तक यमुना प्रसाद मंडल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस , 1967: यमुना प्रसाद मंडल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस , 1977 में कर्पूरी ठाकुर, जनता पार्टी , 1978 में -उपचुनाव: अजीत कुमार मेहता , जनता पार्टी ,1980 में : अजीत कुमार मेहता, जनता पार्टी (एस) ,1984:में  रामदेव राय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ,1989 में : संजय लाल कुशवाहा, जनता दल ,1991में : संजय लाल, जनता दल ,1996: में अजीतकुमार मेहता कुशवाहा, जनता दल ,1998 में : अजीतकुमार मेहता कुशवाहा, राष्ट्रीय जनता दल ,1999 में : संजय लाल, जनता दल (यूनाइटेड), 2004: में आलोक कुमार मेहता, राष्ट्रीय जनता दल , 2009 में : महेश्वर हजारी, जनता दल (यूनाइटेड) ,2014: में राम चंद्र पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी , 2019 में : राम चंद्र पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी लोक सभा के सदस्य हुए है ।

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