शुक्रवार, जून 30, 2023

पर्यावरण संरक्षण और जीवन संरक्षित.....


वैदिक एवं विभिन्न साहित्य में पर्यावरण का उल्लेख किया गया है । पर्यावरण की स्थिरता पारिस्थितिकी में जैविक प्रणाली "निरंतर" विविध संसाधनों और उत्पादक है। पर्यावरण के संसाधनों के साथ प्रजाति का संतुलन  1987 ब्रुंडलैंड रिपोर्ट के अनुसार प्रजाति   स्थिरता में संसाधन का शोषण द्वारा नवीनीकरण सीमा  है। स्थिरता में राजनीतिक , आर्थिक ,पर्यावरणीय स्थिरता का मापन,  स्थिरता सूचकांक , पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक , ट्रिपल परिणाम ,पर्यावरणीय स्थिरता के लक्ष्य , घर में स्थिरता ,स्थायी शहरों में शहरी विकास और गतिशीलता प्रणाली। ठोस अपशिष्ट, जल और स्वच्छता का व्यापक प्रबंधन ,पर्यावरणीय संपत्ति का संरक्षण में  ऊर्जा दक्षता तंत्र , जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए निवास योजना। , राजकोषीय खातों और पर्याप्त कनेक्टिविटी का आयोजन ,  नागरिक सुरक्षा के सकारात्मक सूचकांक ,  नागरिक भागीदारी शामिल है। स्थिरता सामाजिक-आर्थिक प्रक्रिया है। राजनीतिक स्थिरता राजनीतिक और आर्थिक शक्ति  देश के नियम में लोगों और पर्यावरण के लिए सम्मान की  कानूनी ढांचा स्थापित करती है। जीवन की गुणवत्ता में सुधार और समुदायों पर निर्भरता कम कर लोकतांत्रिक संरचनाओं का निर्माण होता है। आर्थिक स्थिरता समान मात्रा में धन उत्पन्न करने की क्षमता और सामाजिक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, स्थापित करने के लिए आबादी  पूरी तरह से रहने तथा  सक्षम और  वित्तीय समस्याओं का समाधान उत्पादन बढ़ाने  और मौद्रिक उत्पादन के क्षेत्रों में खपत को मजबूत करते हैं। स्थिरता प्रकृति और मनुष्य के बीच का संतुलन भविष्य की पीढ़ियों को बलिदान किए बिनाजरूरतों को पूरा करने का प्रयास करता  है। पर्यावरणीय स्थिरता में जैविक पहलुओं को बनाए रखने की क्षमता समय के साथ इसकी उत्पादकता और विविधता में  प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण प्राप्त होता है। पर्यावरण के प्रति जागरूक जिम्मेदारियों और  पर्यावरण की देखभाल और सम्मान करने से मानव विकास करता है। पर्यावरणीय  मात्रात्मक उपाय से  विकास के चरणों में पर्यावरण प्रबंधन सक्षम होता है। पर्यावरणीय स्थिरता एवं  पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांकसे  विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक पर्यावरणीय कार्य बल के लिए वैश्विक नेताओं की पहल है। देश द्वारा प्राप्त किया गया 67 अधिक विशिष्ट विषयों में टूटने से  शहरी हवा में सल्फर डाइऑक्साइड की माप और खराब सैनिटरी स्थितियों से जुड़ी मौतें होती हैं । पर्यावरण प्रणालियों में  समस्याओं को कम करने के कार्य में नागरिकों को अंतिम पर्यावरणीय क्षति से बचाने में प्रगति। सामाजिक और संस्थागत क्षमता जो प्रत्येक राष्ट्र को पर्यावरण संरक्षण  करनी है। देश के प्रशासन स्तर जीडीपी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा सूचकांक  के साथ "तौला जाना"निर्णय लेने और नीतियों के  निष्पादन को बेहतर मार्गदर्शन करने के लिए, पर्यावरणीय चर की सीमा अत्यंत पूर्ण है ।प्रदूषकों का सांद्रता और उत्सर्जन, पानी की गुणवत्ता और मात्रा, ऊर्जा की खपत और दक्षता, वाहनों के लिए विशेष क्षेत्र, कृषि-रसायनों का उपयोग, जनसंख्या वृद्धि, भ्रष्टाचार की धारणा, पर्यावरण प्रबंधन आदि पर्यावरण के लिए घातक है। पर्यावरण  सूचकांक के ईएसआई मूल्य स्वीडन, कनाडा, डेनमार्क और न्यूजीलैंड  देश है । पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक महामारी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक के लिए  विधि सम्मत मात्रा निर्धारित कर और वर्गीकृत करें संख्यात्मक रूप से किसी देश की नीतियों का पर्यावरणीय प्रदर्शन करना आवश्यक है। पारिस्थितिक तंत्र और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की जीवन शक्ति पर्यावरणीय स्वास्थ्य में विभाजित है । राजनीतिक श्रेणियां, स्वास्थ्य पर वायु की गुणवत्ता का प्रभाव , बुनियादी स्वच्छता और पीने का पानी, स्वास्थ्य पर पर्यावरण का प्रभाव और पर्यावरणीय जीवन शक्ति राजनीतिक श्रेणियां में उत्पादक प्राकृतिक संसाधन। ,जैव विविधता और निवास और जल संसाधन एवं पारिस्थितिक तंत्र पर वायु प्रदूषण का प्रभाव है। जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संरक्षण से तटों, झीलों और पहाड़ों को शहर के शहरी विकास में संरक्षित और ऊर्जा दक्षता तंत्र बिजली की खपत को कम करने के लिए नई तकनीकों या प्रक्रियाओं को लागू करते है।
पारिस्थितिक कपड़ों का  सामग्री का पेट्रोलियम से प्राप्त सिंथेटिक फाइबर पॉलिएस्टर, का उपयोग करने के बजाय, प्राकृतिक और नवीकरणीय रेशों को प्राथमिकता  है,  ।  जैविक कपास, लिनन, भांग या ऊन सामग्रियों का उत्पादन के दौरान पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है  । जैविक कपास सिंथेटिक कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के बिना उगाया जाता है । मिट्टी और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक हैं। गांजा भांग के पौधे से प्राप्त प्राकृतिक फाइबर है। गांजा भांग खेती के लिए कीटनाशकों या उर्वरकों के गहन उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है और तेजी से बढ़ने वाला पौधा होने के कारण यह मिट्टी के संसाधनों को ख़त्म नहीं करता है। गांजा विभिन्न प्रकार के परिधानों के निर्माण में अत्यधिक बहुमुखी और  टिकाऊ और पशु कल्याण के लाभदायक है। फैशन उद्योग  प्रदूषण का  बड़ा स्रोत है । प्रकृति में वायु, जल, मृदा, पेड़-पौधे तथा जीव-जन्तु पर्यावरण की रचना कर  मानव के चारों तरफ स्थल, जल, वायु, मृदा आदि का वह आवरण जिससे वह घिरा रहने के कारण पर्यावरण व एनवायरनमेंट   है। भूगोल में पर्यावरण के अध्ययन के अनुसार प्राकृतिक या भौतिक  ,मानवीय या सांस्कृतिक और प्राकृतिक या भौतिक पर्यावरण है।भौतिक पर्यावरण जैविक और अजैविक तत्वों का दृश्य और अदृश्य समप्राकृतिक पर्यावरण प्राकृतिक उपादानों, जैव एवं अजैव घटकों का समुच्चय धरातल से लेकर आकाश तक व्याप्त रहता है। प्राकृतिक पर्यावरण मे  धरातल, जलवायु, मृदा, जल, वायु, खनिज आदि,ऊर्जा तत्व समूहताप एवं प्रकाश,जैव तत्व समूह वनस्पतियां एवं जीव-जन्त से प्राकृतिक पर्यावरण का निर्माण होता है। प्रक्रियाओं में भूमि का अपक्षय, अपरदन अवसादीकरण, तापविकिरण एवं चालन, ताप वाहन, वायु एवं जल में गतियों का पैदा करना, जीव की जातियों का जन्म, मरण और विकास, आदि सम्मिलित किए जाते हैंप्राथमिक पर्यावरण में मनुष्य स्वभाविक  तकनीकी की सहायता से संशोधन तथा परिवर्तन कर भूमि को जोतकर खेती , जंगलों को साफ कर सड़कें, नहरें, रेलमार्ग, , पर्वतों को काट कर सुरंगें, और  बस्तियां बसाता तथा भूगर्भ से खनिज सम्पति निकालकर  उपकरण एवं अस्त्रशस्त्र और प्राकृतिक संसाधनों का विभिन्न प्रकार से शोषण कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। मानवीय,मानव निर्मित  सांस्कृतिक पर्यावरण  है। औजार, गहने, अधिवास, मानवीय क्रियाओं के सृजित रूप जैसे खेत, कृत्रिम चरागाह व उद्यान, पालतू पशु सम्पदा, उद्योग एवं विविध उद्यम, परिवहन और संचार के साधन प्रेस आदि सम्मिलित हैं। मानव को जिस प्रकार की सुविधाओं की आवश्यकता होने पर शोध कर खोजने की कोशिश करता है। शारीरिक एवं मानसिक योग्यता का ज्ञान, इनके निर्माण का विज्ञान मानव की सांस्कृतिक विरासत हैं। पाषाण  युग में मनुष्य ने  सुरक्षा के लिए घर बनाने, प्रकृति की वस्तुओं का भोजन के रूप में उपयोग करने, पत्थर को काट-छांट, घिसकर औजार बनाने, जंगली पशुओं को पालतू बनाने और सामूहिक रूप से सुरक्षा आदि करने के रूप में मनुष्य ने अपने सांस्कृतिक पर्यावरण को जन्म दिया है । मनुष्य भौतिक पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाने में सफल रहने के लिए  विज्ञान, तकनीकी ज्ञान और आर्थिक क्रियाओं में बड़ा महत्वपूर्ण परिवर्तन करके भौतिक पर्यावरण के साथ सामंजस्य करने की रीतियों में प्रसार किया है। मछली पकड़ना, लकड़ी काटना, जाल बिछाकर पशुओं को पकड़ना तथा खानें खोदना सम्मिलित किया जाता है। इन कार्यों में प्रकृति से सीधे ही वस्तुएं प्राप्त की जाती हैं। मनुष्य भूमि से उन वस्तुओं को अधिकाधिक मात्रा में प्राप्त  करता है । मानव  भौतिक पर्यावरण के साथ जनसंख्या का घनत्व, भूमि पर स्वामित्व, सामाजिक वर्ग,परिवार, समाज-सम्बन्ध, आदि बातें सम्मिलित हैं।  मनुष्य के व्यवहार एवं आदतें,  स्थायी जमाव व घुमक्कड़ जीवन, उसके वस्त्र, भोजन, घर, आचार-विचार, धार्मिक विश्वास एवं आस्थाएं,कला,आदि  समावेश है। मानव भौतिक पर्यावरण से नागरिक तथा राजनीतिक सामंजस्य स्थापित कर स्थानीय, प्रान्तीय या राष्ट्रीय सरकारों की स्थापना, अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, सैन्य नीतियां तथा अन्तर्राष्ट्रीय कानून आदि की व्यवस्था हैं। पर्यावरण संरक्षण में पीपल , बरगद , आंवला , महुआ , शाक , कदम्ब , आम , कटहल , बेल   आदि वृक्ष , तुलसी , केला आदि पौधे , दूर्वा , भृगराज आदि फूल  , नदियाँ का स्वच्छ जल , पर्वत , जंगल , समुद्र , जीव जंतु पर्यावरण का संरक्षक है । पर्यावरण संरक्षण से जीवन संरक्षित है ।



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