मानव संस्कृति की अतीत का धरोहर है विरासत
सत्येन्द्र कुमार पाठक
विश्व में त्योहारों, परंपराओं और स्मारकों के माध्यम से अतीत की संस्कृति और विरासत का मानव सभ्यता के संयुक्त इतिहास और विरासत को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है। विश्व की विभिन्न संस्कृतियों को प्रोत्साहित करने और सांस्कृतिक स्मारकों और स्थलों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया की संस्कृतियों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के महत्व को दर्शाने के लिए मनाया जाता है । स्मारक और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिषद प्रिंसिपल्स वेनिस चार्टर में स्थापना 1982 में की गई थी। स्मारकों और स्थलों के लिए विश्व विरासत दिवस में कई आर्किटेक्ट, इंजीनियर, सिविल इंजीनियर, भूगोलवेत्ता, पुरातत्वविद् और कलाकार हैं। इंटरनेशनल कौंसिल ऑन मोनुमेंट एंड सीट्स की स्थापना के बाद से, विश्व के 150 देशों में 10,000 से सदस्यों में 10,000 सदस्यों में से 400 विभिन्न संस्थानों, अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समितियों और राष्ट्रीय समितियां हैं। भारत के 42 स्थलों को यूनेस्को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल हैं। प्राचीन स्मारक, इमारतें और विरासत स्थल भारत में पर्यटन के माध्यम इन्हें दुनिया के लिए एक संपत्ति है। विश्व धरोहर स्थलों में भारत के अजंता गुफाएं , एलोरा गुफाएं, आगरा किला और ताज महल , बिहार का बोधि मंदिर बोधगया एवं नालंदा विश्वविद्यालय , बंगाल का शांतिनिकेतन , चीन की महान दीवार, माचू पिचू, गीज़ा के पिरामिड और कई अन्य शामिल हैं। पहला विश्व विरासत दिवस ट्यूनीशिया में मनाया गया था। ताज महल, हुमायूँ का मकबरा, कुतुब मीनार और लाल किला जैसी धरोवर सुरक्षित है। विश्व में 1,092 विश्व धरोहर स्थल हैं। इन्हें 845 सांस्कृतिक, 209 प्राकृतिक और 38 मिश्रित स्थल में 32 देश 10 विश्व धरोहर स्थल हैं, 13 देश में 20 स्थल हैं, 8 देश में 30 स्थल और 5 देश में 40 स्थल हैं।विश्व धरोहर स्थल किरिबाती में फीनिक्स द्वीप संरक्षित का क्षेत्रफल 408,250 वर्गकिमी है। विश्व धरोहर स्थल चेक गणराज्य के ओलोमौक में होली ट्रिनिटी कॉलम है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में नंदा देवी शिखर 7816 मीटर पर स्थित सबसे ऊंची चोटी है। ‘भीमबेटक गुफाएँ’ भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के शुरुआती निशान प्रदर्शित करती हैं। विश्व विरासत दिवस मनाने का प्रारंभ यूनेस्को महासभा द्वारा 18 अप्रैल 1982 ई. में कई गयी है। बिहार में जहानाबाद जिले के बराबर पर्वत समूह की गुफाएं , भित्तिचित्र , गुहा लेखन , मूर्तियां , सिद्धेश्वर नाथ मंदिर , गया जिले का विष्णुपद मंदिर , मंगलागौरी मंदिर , बोधगया का बोधि मंदिर अरवल जिले का करपी जगदम्बा स्थान की मूर्तियां , औरंगाबाद जिले की उमगा पर्वत समूह का सूर्यमंदिर , देव सूर्यमंदिर , सतबहिनी मंदिर , नवादा जिले का अपसढ़ का बारह मंदिर , आंति का पातालपुरी , रूपौ का चामुंडा , दरियापुर पार्वती , पटना के अगमकुवां , पटनदेवी , गोलघर , नालंदा जिले का नालंदा विश्वविद्यालय , पावापुरी का जलमंदिर , राजगिर पर्वत समूह , रोहतास जिले का रोहतासगढ़ किला , गुप्ताधाम , तुतला भवानी , कैमूर , बक्सर , भोजपुर जिले में विरासत भारी पड़ी है । बिहार शिक्षा का स्वर्ग और सांस्कृतिक और राजनीतिक शक्तियों का केंद्र था। बिहार में सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में 2002 ई. को महाबोधि मंदिरबोधगया का सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित, महाबोधि मंदिर प्राचीन काल की 5वीं-6वीं शताब्दी ई. को समाहित करता है। भारत के 4 पवित्र स्थलों में गौतम बुद्ध के जीवन,ज्ञान प्राप्ति स्थल है । नालन्दा विश्वविद्यालय के खंडहर को यूनेस्को द्वारा 2016 में शामिल किया गया है। एशियाई एकता और शक्ति का प्रतीक, नालंदा विश्वविद्यालय हमें प्राचीन भारत की समृद्ध विरासत की याद दिलाता है। शैक्षिक और मठवासी केंद्र के पुरातात्विक खंडहर तीसरी शताब्दी ई .और 13वीं शताब्दी ई. के मध्य में निर्मित हैं। बिहार में अस्थायी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में प्राचीन वैशाली के खंडहर और विक्रमशिला प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष बिहार में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में हैं। प्राचीन वैशाली के खंडहर महाभारत काल के राजा विशाल के नाम पर पड़ा। वैशाली को विश्व का प्रथम गणतंत्र माना जाता है। कोल्हुआ में बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश और अपने निर्वाण की घोषणा की थी। महान बौद्ध तीर्थ होने के साथ-साथ भगवान महावीर की जन्मस्थली है। विक्रमशिला प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष भागलपुर का एंटीचक में स्थित आठवीं शताब्दी ई .में स्थापित विक्रमशिला विश्वविद्यालय मठ बौद्ध धर्मग्रंथों की प्रतिलिपि बनाने, अनुवाद करने और संरक्षित करने का पवित्र कार्य किया जाता था। बौद्ध और हिंदू देवताओं को चित्रित करने वाले शिलालेख, पट्टिकाएं और कलाकृतियां भी इस विश्वविद्यालय की दीवारों पर अंकित हैं।
महाराष्ट्र का सिंगनापुर का शनि देव की पाषाण युक्त , औरंगाबाद जिले के एलोरा की गुफाएं , घृनेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर , नासिक जिले का त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर , पंचवटी का सीता गुफा , कालाराम मंदिर , पुणे जिले का भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर , मध्यप्रदेश का उज्जैन महाकाल मंदिर , खंडवा जिले का ओमकारेश्वर मंदिर , मुम्बई का एलिफेंटा गुफा , अजंता गुफा , नेपाल का काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर , जनकपुर का जानकी मंदिर , उत्तराखंड का केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर , बद्रीनाथ मंदिर , असम के कामाख्या मंदिर , उमानंद मंदिर , उत्तरप्रदेश के सारनाथ अशोक स्तंभ , काशी का विश्वनाथ मंदिर , ज्ञानवापी , मिर्जापुर का विंध्याचलमाता मंदिर , अयोध्या में रामजन्म भूमि आदि भारतीय सांस्कृतिक विरासत पारी पड़ी है ।
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