मंगलवार, जून 18, 2024

हजरीबाग की सांस्कृतिक विरासत

हजरीबाग परिभ्रमण 
सत्येन्द्र कुमार पाठक 
झारखण्ड राज्य का प्राचीन काल में हजारीबाग जिले को दुर्गम वनों से आच्छादित क्षेत्र में  कोल जनजातियों का राजा हजारी का  2816 उचाई से युक्त पर्वत चंदवारा और 3057 फिट उचाई युक्त पर्वत जिल्लिंज तथा दामोदर नदी भराकर नदी का क्षेत्र शाक्त सम्प्रदाय , सौर सम्प्रदाय , शैव सम्प्रदाय एवं वैष्णव संप्रदाय का वर्चस्व था ।   तुर्क-अफगान  1526 ई. में हजारीबाग का क्षेत्र  प्रभाव से मुक्त था । दिल्ली के सिंहासन के बादशाह अकबर शासन 1556 ई. में प्रवेश  कोकरा के रूप में हुआ था । है । बादशाह अकबर ने 1585 ई.में  छोटानागपुर के राजा को  उपनदी की स्थिति में काम  करने के लिए शहबाज़ खान के आदेश के तहत बल भेजा था ।. 1605 में अकबर की मृत्यु के बाद 1605 ई. में  हजारीबाग क्षेत्र स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद  आवँयक हुआ था । है 1616 में एक अभियान इब्राहिम खान नुसरत जंग ने 1616 ई. को  बिहार के राज्यपाल और रानी नूरजहां के भाई ने 1626 ई. में  इब्राहिम खान ने दुरजन साल छोटानागपुर के 46 वें राजा दुर्जन साल  को हराया और कब्जा किया  था ।  बारह वर्षों  तक  मुगल शासकों द्वारा राज दुर्जन को कैद में रखा था।  बारह वर्ष के बाद में पुनः छोटानागपुर सिंहासन पर राजा दुर्जन हुए थे । छोटानागपुर में 1632 ई. को  136000 रुपये के वार्षिक भुगतान के लिए पटना में राज्यपाल को जागीर के रूप में दिया गया था ।. यह 1636 ईसवी में 161000 रुपए के लिए उठाया गया था मुहम्मद शाह (1719 – 1748) के शासनकाल के दौरान तत्कालीन बिहार के राज्यपाल सरबलंद खान ने छोटानागपुर के राजा के खिलाफ मार्च किया और अपनी प्रस्तुती प्राप्त की । 1731 में बिहार के राज्यपाल  फक्रुदौला के नेतृत्व में  अभियान चलाने छोटानागपुर के राजा के साथ संदर्भ में आए थे । सन् 1735 में अलीवर्दी खान को रामगढ़ के राजा से 12000 रुपए की वार्षिक श्रद्धांजलि के भुगतान को लागू करने में कुछ कठिनाई हुई, जैसा कि बाद में फक्रुदौला से तय की गई शर्तों के अनुसार सहमति से हुआ. यह स्थिति अंग्रेजों द्वारा देश के कब्जे तक जारी रही । मुगल काल  के दौरान जिले में मुख्य सम्पदा रामगढ़, खाडये, चाड और खरगडीहा थे । 1831 में कोल  विद्रोह के बाद गंभीरता से हजारीबाग प्रभावित नहीं किया था । क्षेत्र के प्रशासनिक ढांचे को बदल दिया गया था । परगना रामगढ़, खडगडीहा, केनडी और खाडये दक्षिण-पश्चिम सीमांत एजेंसी के पुर्जे बने और प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में हजारीबाग नाम के एक प्रभाग में गठित किए गए । 1854 में दक्षिण-पश्चिम सीमांत एजेंसी के पद नाम को छोटा नागपुर में बदल दिया गया और यह तत्कालीन बिहार के लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधीन  गैर-नियमन प्रांत के रूप में प्रशासित होने लगा | 1855-56 में अंग्रेजों के खिलाफ संथालों के महान विद्रोह को बेरहमी से दबा दिया गया था । हजरीबाग जिले के  क्षेत्रफल 3555 वर्गकीमि में 2011 जनगणना के अनुसार 1734005 आबादी 1308 गाँव ,257 पंचायत प्रखंड16 , अंचल 15 थाने 19 और हजारीबग्ग सदर और बरही अनुमंडल है । ब्रिटिश साम्राज्य ने  हजरीबाग जिले का सृजन 1855 ई. में किया गया एवं रामगढ़ बटालियन की स्थापना 1790 ई. हजरीबाग जिले का मुख्यालय हजरीबाग में 1834 ई. में कई गयी थी ।1 हजरीबाग में 1869 ई. में नगरपालिका एवं बिहार का सूबेदार फकूद्दौला द्वारा 1731 ई. में हजरीबाग मिशन की स्थापना किया गया था । खोरठा। एवं हिंदी भाषीय क्षेत्र  हजरीबाग को ओकन , हजारी ,संथालडुल , पुण्डरीक क्षेत्र कहा जाता था। महाभारत काल मे मगध साम्राज्य का राजा जरासंध और महापद्म नंद उग्रसेन का शासन हजरीबाग पर था । महापद्म नंद उग्रसेन ने पद्म नगर की स्थापना की बाद में पद्मा कहा गया है। परगना में रामगढ़ ,खडकड़िहा , केनडी और खाड़ये  को 1831 ई. तथा रेगुलेशन एक्ट के तहत  कैप्टन सिम्सन के नेतृत्व में 1824 ई स्थापन के बाद . और 1855 से 1860 ई. के मध्य में हजरीबाग झील का निर्माण हुआ था । पद्मा का राजा राजा राम नारायण सिंह थे । हजरीबाग जिले की सीमा के उत्तर में गया और कोडरमा , दक्षिण में रामगढ़ ,पूरब में गिरिडीह ,बोकारो और पश्चिम में चतरा जिले की सीमाओं से घिरा है ।  हजरीबाग सदर ,बरही ,कटकमसांडी ,विष्णुगढ़ ,बड़कागांव ,इचाक ,चुरचू ,दारू ,ताती ,झरिया ,कटकम दाग , दाढ़ी ,केरेउरी प्रखंड है । हजरीबाग में 1880 ई. को पंचमन्दिर की स्थापना और 1901 ई. में दक्षिण वास्तुकला शैली में पंचमन्दिर का निर्माण हुआ था । 1991 की जनगणना के बाद  हजारीबाग को तीन पृथक जिलों यथा हजारीबाग, चतरा एवं कोडरमा को जिला सृजित किया गया है। हजरीबाग का चंदवारा पर्वत 2816 फिट उचाई एवं जिलिन्जा पर्वत की उचाई 3037 फिट है । 
हजरीबाग झील -  कैप्टन सिंम्पसन द्वारा 1855 से 1860 ई. के मध्य हजरीबाग झील का निर्माण कराया गया था । 
रामकृष्ण आश्रम -  रामकृष्ण आश्रम की स्थापना 1947 ई. में कई गयी । आश्रम की अध्यक्षा प्रबरजिका शक्तिप्रणा है। 1992 ई. में श्री रामकृष्ण शरदा मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना हुई है । रामकृष्ण आश्रम परिसर में भगवान शिवलिंग , रामकृष्ण मंदिर के गर्भगृह में परमहंस रामकृष्ण , स्वामी विवेकानंद , माता शारदा की मूर्ति एवं मेरिटेशन हॉल , काली मंदिर में माता काली स्थापित है । पांच मंदिर -   हजरीबाग पच मंदिर का निर्माण 1901 ई. में दक्षिण वास्तुकला शैली में किया गया जब कि मंदिर गर्भगृह में राधा कृष्ण , भगवान सूर्य , माता काली की स्थापना 1880 ई. में कई गयी है।   , काली मंदिर हुरहुरू , सती स्थान , शनि मंदिर , बुढ़वा महादेव मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है । नरसिंह मंदिर -  खपरियावां में भगवान विष्णु की रूप में भगवान नरसिंह की स्थापना 1645 ई. में कई गयी एवं नरसिंह मंदिर का निर्माण 1995 ई. में कई गयी है । नरसिंह मंदिर परिसर में गौरीशंकर मंदिर , काली मंदिर , सिद्धेश्वरी मंदिर , महामाया मंदिर एवं नरसिंह मंदिर के गर्भगृह में नरसिंह भगवान एवं शिवलिंग स्थापित है ।हजरीबाग से 8 किमी की दूरी पर औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड के सिरिस निवासी दामोदर मिश्र द्वारा 1645 ई. में रामगढ़ का राजा ने 22 एकड़ भूमि एवं कोनार नदी के तट पर निर्मित तलाव पर रहने के बाद  एक कूप से भगवान विष्णु रूपधारी नरसिंह की मूर्ति प्राप्त हुई थी ।  नरसिंह मंदिर के गर्भगृह में भगवान नरसिंह की स्थापना 1645 ई. में की गई है । 5 एकड़ भूमि पर माता काली , सिद्धेश्वरी ,  महामाया , भगवान सूर्य , हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित है । बरही - कमांडर कर्नल कॉनिवेट 1872 ई. अपना पा संभालने के बाद 1857 ई. में मृत्यु होने के बाद केनिवेट का कब्र निर्माण किया गया था । बरकार नदी के किनारे बसा बरही में 20 जनवरी 2015 ई. में रेलवेस्टेशन एवं रेलवे लाइन का निर्माण हुआ है। हिल्टन सर् जॉन , बिहार द हार्ट ऑफ इंडिया 1949 एवं फॉलिंग रैन जीनोमिक्स के अनुसार बरही सुंदर नगर है ।  कैनरी हिल , अभंडाहरा जलप्रपात ,मोटरा जलप्रपात ,छडवा बांध , कंचनपुर काली मंदिर ,लोटवा जलप्रपात ,इचाक बुढ़िया माता मंदिर ,राजा रामनारायण सिंह के वंशज द्वारा पद्मा किला  का निर्माण किया गया ।, बड़कागाँव -  नपोकला पंचायत का इस्को की अवसरा पर्वत में डुमारो गुफा ,पसरिया गुफा , इतिज गुफा  निर्मित है । अवसरा पर्वत श्रंखला पर शेषनाग क्षेत्र में 100 मीटर लंबाई में शेषनाग 26 चट्टानों की 500 मीटर लंबाई पर 100 स्तंभों में ब्राह्मी लिपि में  लेखन दर्शाया गया है । यह क्षेत्र नागवंशियों राजा द्वारा विकसित किया गया था । शुंग काल में ब्राह्मण धर्म विकसित था । वरसो पानी गुफा है। कैनरी पर्वत -  बरकट्टा प्रखंड के कैनारी पर्वत पर तीन झरनों में दो झीलें गर्म एवं एक झील  ठंडा युक्त है । झरनों से निर्मित कुंड में सूर्यकुंड ,ब्रह्मकुंड ,रामकुंड , लक्षमण कुंड , सीता कुंड तथा भगवान सूर्य को समर्पित सूर्य मंदिर अवस्थित है । हजारीबाग में पैका ,हुन्ता ,मुंडारी ,ब्रो , डोमकच ,छाऊ नृत्य संजाल , संथाली ,मुंडारी , खारिया ,कोलियन जनजाति में प्रसिद्ध है । यह क्षेत्र कोल शासित राज्य था। 
साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक , वर्ल्ड वाइज न्यूज हजरीबाग के संपादक अमरनाथ पाठक , मेगालिथ वेता शुभाशीष दास  के साथ हजारीबग्ग क्षेत्रों के ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी प्राप्त करने के हजरीबाग समाहरणालय के सेवानिवृत्त कार्यालय अधीक्षक आशुतोष मिश्र एवं सुभाष कुमार के साथ हजरीबाग के विभिन्न स्थल का पुरातात्विक , सांस्कृतिक स्थलों का परिभ्रमण 29 मई से 03 जून 2024 तक  किया गया । हजारीबग्ग के क्षेत्र में आर्कियन चट्टानों को नाइस पल्लवित व फोलिस्टेड चट्टाने है। इस चट्टानों को बंगाल नाइस चट्टान कहा गया है। हजारीबग्ग जिले का क्षेत्र में क्लोज फेट , लौह अस्यक ,खंडोलाइट , रिवालो सकोली सौसर श्रेणी के चट्टानों से परिपूर्ण है । यहां का क्षेत्र विंध्य पर्वत की उत्तरी छोटानागपुर का पठार विंध्य तंत्र से जुड़ाव है।
करपी , अरवल , बिहार 804419
9472987491

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