अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम:
सत्येन्द्र कुमार पाठक
अक्षय तृतीया का पावन दिन,
वैशाख शुक्ल तृतीया अनुपम।
अक्षय फलदायी कर्मों का,
यह बेला है मंगलमय, उत्तम।
विवाह, गृह-प्रवेश शुभ बेला,
खरीददारी, दान का होता मेला।
पितरों का तर्पण, भगवत पूजन,
पाप हों नष्ट, मिले पुण्य अनमोल।
गंगा स्नान का महत्व महान,
जप, तप, हवन, दान अक्षय जान।
सोमवार, रोहिणी नक्षत्र का योग,
बढ़ाए फल, हरे सब रोग।
मध्याह्न पूर्व से प्रदोष व्यापिनी,
तृतीया श्रेष्ठ, कल्याणदायिनी।
क्षमा याचना का दिन यह पावन,
दुर्गुण तज, भरो सदगुण मनभावन।
ब्रह्म मुहूर्त में उठो प्रातःकाल,
विष्णु पूजन करो, मन हो विशाल।
जौ, गेहूँ का सत्तू, ककड़ी, दाल चढ़ाओ**,
फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा ब्राह्मण पाओ।
सत्तू खाओ, पहनो नव वसन,
गौ, भूमि, स्वर्ण दान करो प्रसन्न।
जल भरे घड़े, पंखे, छाते दान**,
ग्रीष्म ऋतु में सुखद हो कल्याण।
लक्ष्मी नारायण की पूजा करो,
श्वेत या पीले पुष्प अर्पित धरो।
युगादि तिथि यह पावन कहलाती**,
सतयुग, त्रेता का आरंभ बताती।
नर-नारायण, हयग्रीव अवतरण,
अक्षय कुमार का शुभ दर्शन।
बद्रीनाथ कपाट खुलते आज**,
वृन्दावन में चरण दर्शन का साज।
धर्मदास वैश्य की कथा पुरानी,
अक्षय व्रत से बनी सुखद कहानी।
राजा चंद्रगुप्त का जन्म हुआ**,
वैशाख शुक्ल तृतीया शुभ हुआ।
रेणुका गर्भ से परशुराम अवतार,
कोंकण, चिप्लून में जयन्ती अपार।
दक्षिण भारत में महत्व विशेष**,
कथा श्रवण से मिटे क्लेश।
परशुराम पूजन, अर्घ्य का मान,
सौभाग्यवती, कन्या करें गौरी ध्यान।
मिठाई, फल, चने बाँटतीं प्यार से**,
कलश दान करें भक्ति भाव से।
जन्म से ब्राह्मण, कर्म से क्षत्रिय वीर,
भृगुवंशी परशुराम, शक्ति गंभीर।
माता पूजन का अद्भुत योग**,
प्रसाद बदला, विधि का संयोग।
ऋषभदेव तपस्या पूर्ण की,
इक्षु रस से पारायण किया सभी।
आदिनाथ वैरागी बने महान**,
अहिंसा, सत्य का दिया शुभ ज्ञान।
श्रेयांस कुमार ने पहचाना प्रभु,
गन्ने का रस दिया, मिटा क्षुधा रभु।
इक्षु तृतीया, अक्षय तृतीया नाम**,
जैन धर्म में इसका ऊंचा मुकाम।
वर्षीतप आराधना का काल,
कार्तिक कृष्ण अष्टमी से चाल।
वैशाख शुक्ल तृतीया पारण**,
धन्य हों भक्त, मिटे सब भारण।
बुन्देलखण्ड में उत्सव महान,
कुँवारी कन्याएँ बाँटें शगुन गान।
राजस्थान में शगुन वर्षा का**,
गीत गातीं लड़कियाँ, पतंग उड़ाता हर बच्चा।
सात अन्नों से पूजा यहाँ,
मालवा में घड़े पर खरबूजा, आम जहाँ।
कृषि कार्य का होता शुभारम्भ**,
अक्षय तृतीया है सुखद आलम्भ।
त्रेता युग का पावन प्रारंभ,
परशुराम, नर-नारायण का आरंभ।
हयग्रीव का अवतरण भी आज**,
अक्षय तृतीया का अद्भुत साज।
चंद्रगुप्त का जन्म भी इसी दिन,
अहिंसा, प्रेम का मंत्र दिया जिन।
अक्षय तृतीया का यह पावन पर्व**,
समृद्धि, सुख, शांति लाए सर्व।
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