विश्व की धरातल पर मानव जीवन की पहचान वास्तु और मूर्ति कला है। इंसान ने आश्रय का निर्माण प्रारंभ करने लगा उसी समय से वास्तु कला विज्ञान प्रारंभ हुआ साथ ही मूर्तियों और लघु रचनाएं होने लगी है। भारतीय संस्कृति में वास्तु कला तथा मूर्ति कला की अमिट छाप छोड़ी गई है। बिहारी और मागधीय सभ्यता की वास्तविकता वास्तुकला एवं मूर्तिकला के विकास झलकता है। प्राचीन मगध में मौर्य साम्राज्य, गुप्त साम्राज्य एवं पाल साम्राज्य काल की वास्तु और मूर्ति कला की जीवन्त मूर्तियां, गुफाएं और भृदमांडो आदि से प्रदर्शित करता है। मागधीय सभ्यता के प्रमुख स्थल और पुरातात्विक विरासत विखरी हुई हैं। जिसे बिहारी सभ्यता कहा जाता है। जहानाबाद जिले के बराबर पर्वत समूह की गुफाएं, वास्तु और मूर्ति कला, लिपि, भितिचित्र, नालंदा जिले का राजगीर पर्वत समूह की गुफाएं, टोरा कोटा, नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर, मूर्तियां , पावापुरी में भगवान् महावीर की मोक्ष स्थली , गया जिले का ब्रह्मयोनि पर्वत समूह एवं गया में मूर्तियां, मंदिर, गुफाएं, भगवान् शिव को शिव लिंग, भगवान् विष्णु का पैर, माता सती का स्तन और योनि के पासान प्रतीक , भगवान् सूर्य एवं ब्रह्मा जी की मूर्तियां अन्य प्राचीन काल की मूर्तियां , भगवान् बुद्ध की ज्ञान स्थली बोधगया में स्थित बुद्ध की मूर्तियां, नवादा जिले का अपसढ़ , दरियापुर पार्वती पर्वत , महावार पर्वत समूह में गुफाएं, मूर्तियां जलप्रपात ककोलत हड़िया सूर्य मंदिर कौआ कोल स्थित बोलता पहाड़ , औरंगाबाद जिले का देव सूर्य मंदिर, उमगा का सूर्य मंदिर, पवई का झुनझुना पहाड़ , अरवल जिले का करपी का जगदंबा स्थान की मूर्तियां , पटना जिले का पटना में पटनदेवी, कुम्हरार की मूर्तियां , वैशाली जिले की बौद्ध कालीन स्तूप, हरिहर क्षेत्र की मूर्तियां, कैमूर पर्वत समूह में गुफाएं और मूर्तियां आरा की अरणी भवानी एवं मुजफ्फरपुर जिले का गरीबनाथ, मूर्तियां आदि शामिल हैं। मुंगेर जिले की एवं सारण जिला का चिरांद में नव प्रस्तर युग, ताम्र प्रस्तर युग के पत्थर के अस्त्र शस्त्र का अवशेष है। बिहार का क्षेत्र पुरातात्विक महत्व है जहां से प्राचीन काल में मागधीय , अंगीय, मैथिली , वंजकीय तथा भोजकीय सभ्यता उच्च कोटि की है। बिहार के क्षेत्रों में सौर धर्म, शाक्त धर्म, शैवधर्म , वैष्णव धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म आदि संप्रदायों का समावेश है। प्राचीन काल में वैदिक काल , राम,, कृष्ण , इक्ष्वाकु काल, बुद्ध काल, महावीर काल, मौर्यकाल, गुप्त काल शुंग काल, पाल काल में बिहार का इतिहास और सभ्यता संस्कृति उच्च कोटि की थी।
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