रविवार, मार्च 07, 2021

महिला सशक्तिकरण : महिला दिवस...


विश्व के  महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए महिला दिवस  को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च 1914 को  जर्मन पोस्टर में कहा गया है कि “हम महिलाओं को मताधिकार दो। महिला दिवस, 8 मार्च 1914। अब तक, भेदभाव और प्रतिक्रियावादी नज़रिए ने उन महिलाओं को पूर्ण नागरिक अधिकार से वंचित रखा है, जिन्होंने श्रमिकों, माताओं और नागरिकों की भूमिका पूरी निष्ठा से अपने कर्त्तव्य का पालन किया है एवं जिन्हें नगर पालिका के साथ-साथ राज्य के प्रति भी करों का भुगतान करना होता है। इस प्राकृतिक मानवाधिकार के लिए हर औरत को दृढ़ एवं अटूट इरादे के साथ लड़ना चाहिए। इस लड़ाई में किसी भी प्रकार के ठहराव या विश्राम करने की अनुमति नहीं है। सभी महिलाएँ और लडकियाँ आएं, रविवार, 8 मार्च 1914 को, महिला सभा में शामिल है ।संयुक्त राष्ट्र द्वारा  राजनीतिक और मानव अधिकार विषयवस्तु के साथ महिलाओं के राजनीतिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए  मनाया जाता हैं। महिला दिवस के अवसर पर महिलाएं बैंगनी रंग के रिबन पहनकर  मनाते हैं। न्यूयॉर्क शहर में 1909 में राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने राष्ट्रीय अवकाश घोषित है। अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर, महिला दिवस २८ फ़रवरी १९०९ को मनाया गया। इसके बाद यह फरवरी के आखिरी इतवार के दिन मनाया जाने लगा। १९१० में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में  अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया।  प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था । अधिकतर देशों में महिला को वोट देने का अधिकार नहीं था।१९१७ में रूस की महिलाओं ने, महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया।  ज़ार ने सत्ता छोड़ी, अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया। उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर।  जुलियन कैलेंडर के मुताबिक १९१७ की फरवरी का आखिरी इतवार २३ फ़रवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन ८ मार्च थी। इस समय पूरी दुनिया में  ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है। इसी लिये ८ मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। प्रसिद्ध जर्मन एक्टिविस्ट क्लारा ज़ेटकिन के जोरदार प्रयासों के बदौलत इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने साल 1910 में महिला दिवस के अंतर्राष्ट्रीय स्‍वरूप और  पब्लिक हॉलीडे को सहमति दी। इसके फलस्‍वरूप 19 मार्च, 1911 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और जर्मनी में आयोजित किया गया। हालांकि महिला दिवस की तारीख को कजाखस्तान, किर्गिस्तान,लाओस, मकदूनिया (केवल महिलाओं के लिए), मडागास्कर (केवल महिलाओं के लिए),माल्डोवा,मंगोलिया,नेपाल ( महिलाओं के लिए),रूस,ताजीकिस्तान,तुर्कमेनिस्तान,यूगांडा,यूक्रेन,उज़्बेकिस्तान,वियतनाम,और ज़ाम्बिया में महिला दिवस पर आधिकारिक अवकाश रहता है। कैमरून, क्रोएशिया, रोमानिया, मोंटेनेग्रो, बोस्निया और हर्जेगोविना, सर्बिया, बुल्गारिया और चिली में इस दिन कोई सार्वजनिक अवकाश नहीं होता, हांलाकि फिर भी इसे व्यापक रूप से मनाया जाता है। महिलादिवस पर पुरुष प्रायः अपने जीवन में उपस्थित महिलाओं , दोस्तों, माताओं, पत्नी, गर्लफ्रेंड, बेटियों, सहकर्मियों आदि को फूल और उपहार देते हैं।  बुल्गारिया और रोमानिया में मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है । बच्चे अपनी माताओं और दादी को उपहार देते हैं। मानवीय मूल्यों और महिलाओं के उत्थान का एक दूसरे के साथ कर्तव्य और अधिकार का समन्वय का  द्योतक अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। बिहार सरकार द्वारा महिलाओं को चतुर्दिक विकास और आत्म सम्मान तथा आत्मनिर्भरता के लिए जीविका तथा भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन प्रारंभ कर महत्वपूर्ण कार्य किया गया है। महिला दिवस पर जीवन का आधार तथा ईश्वरीय उपहार का रूप, बहन, पत्नी और पुत्री को संरक्षण करने का संकल्प लेकर श्रद्धान्वित होना चाहिए ।

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