रविवार, मार्च 14, 2021

आध्यात्मिक , मोक्ष का स्थल बिहार...



        आध्यात्मिक,  मोक्ष तथा संपूर्ण क्रांति का स्थल बिहार है । बिहार में गया मोक्ष , बोधगया में भगवान बुद्ध का ग्यान , कुण्ड ग्राम में महावीर की जन्म और पावापुरी में महानर्वाण स्थली , माता सीता की भूमि , विश्वामित्र , च्यवन , जरासंध , बाणासुर , जनक , श्रींगी , बाल्मीकी की कर्म भूमि , वैशाली का गणतंत्र भूमि रहा है । विदेश में  बिहार दिवस मनाया जाता है. स्कॉटलैंड के पूर्वी आयरशायर में पटना  है ।  बिहार की राजधानी पटना के साथ उसके ऐतिहासिक संबंधों को मनाने के लिए बिहार दिवस का अयोजन किया जाता है । स्काॅटलैंड के किसान विलियम फुलर्टन द्वारा  उनके स्केलडन स्टेट और कोयले के खदानों में काम करने वाले लोगों को रहने की सुविधा के लिए 1802 में पटना शहर की स्थापना हुई थी। पटना के संस्थापक फुलर्टन का जन्म बिहार के पटना में हुआ था  । फुलर्टन ने अपने पिता सर्जन विलियम फुलर्टन की याद में स्काॅटलैंड में पटना का निर्माण किया था ।सर्जन ब्रिटिश इर्स्ट इंडिया कंपनी में थे और भारत में 1744 से 1766 तक अपनी सेवा के दौरान  इतिहासकारों, पेंटरों, कलाकारों और व्यापारियों से  अच्छे संपर्क किए थे  । स्काॅटलैंड में 17 मार्च को आयोजित बिहार दिवस कार्यक्रम में चीफ गेस्ट के तौर पर पहुंचे ब्रिटेन में भारत के अंबेसेडर वाई के सिन्हा ने कहा, ‘‘ पटना हमेशा से शिक्षा और व्यापार का अहम केंद्र रहा है । मूल रूप से बिहार के रहने वाले सिन्हा ने दोनो शहरों के बीच संबंध को और मजबूत करने के लिए सभी मदद देने का वादा किया. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक भारत के निर्माण में पटना शहर की भूमिका के बारे में बात की थी । ।इस कार्यक्रम में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें छठ पूजा, समा चकेवा, तीज, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और गुरू गोविंद सिंह के बारे में जानकारी के अलावा बिहार के दूसरे बड़े पर्वों की झलक दिखायी गयी थी । प्राचीन मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र है। बिहार दिवस हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है । ब्रिटिश सरकार ने 22 मार्च 1912 में बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग बिहार प्रदेश का गठन किया था । 22 मार्च 1912 में बिहार को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग कर राज्य बनाया गया था। इसलिए हर साल राज्य सरकार 22 मार्च को बिहार दिवस मनाती है।बिहार का इतिहास 1857 के प्रथम सिपाही विद्रोह में बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1912 में बंगाल का विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया। 1935 में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार के चंपारण के विद्रोह को, अंग्रेजों के खिलाफ बगावत फैलाने में अग्रगण्य घटनाओं में  गिना जाता है। स्वतंत्रता के बाद बिहार का विभाजन हुआ और सन 2000 में झारखंड राज्य इससे अलग कर दिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार की गहन भूमिका रही। बिहार का प्रादुर्भाव बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुआ है । बिहार का क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है।बिहार को मगध के नाम से भी जाना जाता था। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है।राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। बिहार की जनसंख्या लगभग 10,38,04637 करोड़ है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यत: नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है । बिहार की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में संलग्न है। बिहार शिक्षा के सर्वप्रमुख केन्द्रों में गिना जाता था। नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय और ओदंतपुरी विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे। प्रशासनिक व्यवस्था प्रशासनिक सुविधा के लिए बिहार राज्य को 9 प्रमंडल तथा 38 मंडल (जिला) में बांटा गया है। जिलों को क्रमश: 101 अनुमंडलों, 534 प्रखंडों, 8,471 पंचायतों, 45,103 गांवों में बांटा गया है । नालंदा की ऐतिहासिक शिक्षण व्यवस्था के चलते दुनिया भर में पहचान बनाने वाले बिहार प्रदेश में व्यंजन हैं । स्वाद के मुरीदों का दिल जीतने का दम रखते हैं। बिहार भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है और इसकी राजधानी पटना है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है । बिहारका क्षेत्रफल 94,163 किमी² है।विधानमण्डल द्विसदनीय में विधान परिषद - 75 सीटें , विधान सभा - 243 सीटें  है।
बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूर्व में पश्चिम बंगाल, और पश्चिम में उत्तर प्रदेश स्थित है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल में विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य के सामान्य योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है । सन् 1936 ई• में ओडिशा और सन् 2000 ई॰ में झारखण्ड के अलग हो जाने से बिहार ने कृषि के दम पर और अपने मेधा को लेकर उन्नति की है। बिहार के क्षेत्र जैसे-मगध, मिथिला और अंग- धार्मिक ग्रंथों और प्राचीन भारत के महाकाव्यों में वर्णित हैं।सारण जिले में गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर चिरांद, नवपाषाण युग (लगभग 4500-2345 ईसा पूर्व) और ताम्र युग ( 2345-1726 ईसा पूर्व) से एक पुरातात्विक रिकॉर्ड है। मिथिला को पहली बार इंडो-आर्यन लोगों ने विदेह साम्राज्य की स्थापना के बाद प्रतिष्ठा प्राप्त की। देर वैदिक काल (सी। 1600-1100 ईसा पूर्व) के दौरान, विदेह् दक्षिण एशिया के प्रमुख राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक बन गया, कुरु और पंचाल् के साथ। वेदहा साम्राज्य के राजा जनक कहलाते थे। मिथिला के जनक की पुत्री सीता जिसका वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य, रामायण में भगवान राम की पत्नी के रूप में वर्णित है। विदेह राज्य के वाजिशि शहर में अपनी राजधानी था जो वज्जि समझौता में शामिल हो गया, मिथिला में भी है। वज्जि के पास एक रिपब्लिकन शासन था । राजा राजाओं की संख्या से चुने गए थे। जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रंथों के आधार पर, वज्जि को 6 ठी शताब्दी ईसा पूर्व से गणराज्य के रूप में स्थापित किया गया था, गौतम बुद्ध के जन्म से 563 ईसा पूर्व में, वैशाली दुनिया का पहला गणतंत्र था। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वैशाली में हुआ था।आधुनिक-पश्चिमी पश्चिमी बिहार के क्षेत्र में मगध 1000 वर्षों के लिए भारत में शक्ति, शिक्षा और संस्कृति का केंद्र बने। ऋग्वेदिक् काल मे यह ब्रिहद्रथ वंश का शासन था।सन् 684 ईसा पूर्व में स्थापित हरयंक वंश, राजगृह से मगध पर शासन किया। इस वंश के दो प्रसिद्ध राजा बिंबिसार और अजातशत्रु थे । आजातशत्रु ने पिता को सिंहासन पर चढ़ने के लिए कैद कर दिया था। अजातशत्रु ने पाटलिपुत्र शहर की स्थापना की  बाद में मगध की राजधानी बन गई। उन्होंने युद्ध की घोषणा की और बाजी को जीत लिया। हर्यक वंश के बाद शिशुनाग वंश का शासन  था। नंद वंश ने बंगाल से पंजाब तक फैले विशाल साम्राज्य पर शासन किया।
भारत की पहली साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य द्वारा नंद वंश को बदल दिया गया था। 325 ईसा पूर्व में मगध से उत्पन्न मौर्य साम्राज्य, चंद्रगुप्त मौर्य ने स्थापित किया था । पाटलिपुत्र में  मगध की राजधानी थी। मौर्य सम्राट, अशोक, जो पाटलीपुत्र  में पैदा हुए थे । अशोक को दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा शासक माना जाता है। मौर्य सम्राजय पश्चिम मे ईरान से लेकर पूर्व मे बर्मा तक और उत्तर मे मध्य-एशिया से लेकर दक्षिण मे श्रीलंका तक पूरा भारतवर्ष मे फैला था। इस सम्राजय के राजा चंद्रगुप्त मौर्य ने कै ग्रीक् सतराप् को हराकर अफ़ग़ानिस्तां के हिस्से को जीता।ग्रीस से पश्चिम-एशिय थक के यूनानी राजा सेलेक्यूज़ निकेटर को हराकर पर्शिया का बड़ा हिस्सा जीत लिया था और संधि मे यूनानी राजकुमारी हेलेन से विवाह किये । सेलेक्यूज़ निकटोर कि पुत्री थी और हमेसा के लिए यूनाननियो को भारत से बाहर रखा। प्रधानमंत्री चाणक्य ने अर्थशास्त्र कि रचना की । बिन्दुसार ने इस सम्राजय को और दूर थक फैलाया व दक्षिण तक स्थापित किया। सम्रात् अशोक इस सम्राजय के सबसे बड़े राजा थे। इनका पूरा राज नाम देवानामप्रिय प्रियादर्शी एवं राजा महान सम्रात् अशोक था। इन्होंने अपने उपदेश स्तंभ, पहाद्, शीलालेख पे लिखाया जो भारत इतिहास के लिया बहुत महातवपूर्ण है। येे लेख् ब्राह्मी, ग्रीक, अरमिक् मे पूरे अपने सम्राजय मे अंकित् किया। इनके मृत्या के बाद मौर्य सम्राजय को इनके पुत्रोने दो हिस्से मे बात कर पूर्व और पश्चिम मौर्य रज्या कि तरह रज्या किया। इस सम्राजय कि अंतिम शासक ब्रिहद्रत् को उनके ब्राह्मिन सेनापति पुष्यमित्र शूंग ने मारकर वे मगध पे अपना शासन स्थापित किया।सन् 240 ई.  में मगध में उत्पन्न गुप्त साम्राज्य को विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, वाणिज्य, धर्म और भारतीय दर्शन में भारत का स्वर्ण युग कहा गया। इस वंश के महान राजा समुद्रगुप्त ने इस सम्राजय को पूरे दक्षिण एशिय मे स्थापित किया। इनके पुत्र चँद्रगुप्त विक्रमादित्य ने भारत के सारे विदेशी घुसपैट्या को हरा कर देश से बाहर किया इसीलिए इन्हे सकारी की उपादि दी गई। इन्ही गुप्त राजाओं मे  स्कंदगुप्त ने भारत मे हूणों का आक्रमं रोका और उनेे भारत से बाहर भगाया और देश की बाहरी लोगो से रक्षा की। उस समय गुप्त सम्राजय दुनिया कि शक्तिशाली साम्राज्य था।  पर्शिया या बग़दाद से पूर्व मे बर्मा तक और उत्तर मे मध्य एशिया से लेकर दक्षिण मे कांचीपुरम तक फैला था।मगध  सम्राजय का प्रभाव विश्व का रोम, ग्रीस, अरब से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक था। मगध में बौद्ध धर्म मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के आक्रमण की वजह से गिरावट में पड़ गया, जिसके दौरान कई विहार और नालंदा और विक्रमशिला के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया गया । 12 वीं शताब्दी के दौरान हजारों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या हुई थी । घटनाएं सर्वोच्चता के लिए लड़ाई में बौद्ध ब्राह्मण की झड़पों का परिणाम थीं। 1540 में, महान पस्तीस के राजा , सासाराम के शेर शाह सूरी, सम्राट हुमायूं की मुगल सेना को हराकर मुगलों से उत्तरी भारत ले गए थे। शेर शाह ने अपनी राजधानी दिल्ली की घोषणा की और 11 वीं शताब्दी से लेकर 20 वीं शताब्दी तक, मिथिला पर विभिन्न स्वदेशीय राजवंशों ने शासन किया था। इनमें से पहला, कर्नाट, अनवर राजवंश, रघुवंशी और अंततः राज दरभंगा के बाद। इस अवधि के दौरान मिथिला की राजधानी दरभंगा में स्थानांतरित की गई थी ।1857 के प्रथम सिपाही विद्रोह में बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1905 में बंगाल का विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया। 1936 में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार में चंपारण के विद्रोह को, अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत फैलाने में अग्रगण्य घटनाओं में से एक गिना जाता है। स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और 15 नवंबर 2000 में झारखंड राज्य को इससे अलग कर दिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन में भी बिहार की गहन भूमिका रही।
देखें भारत छोड़ो आन्दोलन और बिहार  24°20'10" ~ 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 83°19'50" ~ 88°17'40" पूर्वी देशांतर के बीच बिहार एक हिंदी भाषी राज्य है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है। गंगा के पूर्वी मैदान में स्थित इस राज्य की औसत ऊँचाई १७३ फीट है। भौगोलिक तौर पर बिहार को तीन प्राकृतिक विभागो में बाँटा जाता है- उत्तर का पर्वतीय एवं तराई भाग, मध्य का विशाल मैदान तथा दक्षिण का पहाड़ी किनारा है । उत्तर का पर्वतीय प्रदेश सोमेश्वर श्रेणी का हिस्सा है। इस श्रेणी की औसत उचाई 455 मीटर है परन्तु इसका सर्वोच्च शिखर 874 मीटर उँचा है। सोमेश्वर श्रेणी के दक्षिण में तराई क्षेत्र है। यह दलदली क्षेत्र है जहाँ साल वॄक्ष के घने जंगल हैं। इन जंगलों में प्रदेश का इकलौता बाघ अभयारण्य वाल्मिकीनगर में स्थित है।मध्यवर्ती विशाल मैदान बिहार के 95% भाग को समेटे हुए हैं। बिहार का भौगोलिक स्तर पर- तराई क्षेत्र यह सोमेश्वर श्रेणी के तराई में लगभग 10 किलोमीटर चौ़ड़ा कंकर-बालू का निक्षेप है। इसके दक्षिण में तराई उपक्षेत्र दलदली है। भांगर क्षेत्र  जलोढ़ क्षेत्र है। समान्यतः यह आस पास के क्षेत्रों से 7-8 मीटर ऊँचा  है । खादर क्षेत्र इसका विस्तार गंडक से कोसी नदी के क्षेत्र तक सारे उत्तरी बिहार में है। प् बाढ़ के कारण यह क्षेत्र उपजाऊ है। गंगा नदी राज्य के लगभग बीचों-बीच बहती है। उत्तरी बिहार बागमती, कोशी, बूढी गंडक, गंडक, घाघरा और उनकी सहायक नदियों का समतल मैदान है। सोन, पुनपुन, फल्गू तथा किऊल नदी बिहार में दक्षिण से गंगा में मिलनेवाली सहायक नदियाँ है। बिहार के दक्षिण भाग में छोटानागपुर का पठार तथा उत्तर में हिमालय पर्वत की नेपाल श्रेणी है। हिमालय से  कई नदियाँ तथा जलधाराएँ बिहार होकर प्रवाहित होती है और गंगा में विसर्जित होती हैं । वैदिक नदियों में हिरण्यबाहु (बह) है । उत्तर में भूमि प्रायः सर्वत्र उपजाऊ एवं कृषियोग्य है। धान, गेंहूँ, दलहन, मक्का, तिलहन, तम्बाकू,सब्जी तथा केला, आम और लीची जैसे कुछ फलों की खेती की जाती है। हाजीपुर का केला एवं मुजफ्फरपुर की लीची बहुत ही प्रसिद्ध है।
भाषा और संस्कृति - हिंदी,  भोजपुरी, मगही, अंगिका तथा बज्जिका बिहार में बोली जाने वाली अन्य प्रमुख भाषाओं  में हिंदी , मगही, भोजपुरी, मैथिली, अंगिका, बज्जिका , अंग्रेजी , उर्दू और बोलियों में  शामिल है। पर्वों में छठ, होली, दीपावली, दशहरा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, श्री पंचमी,  कर्मा , तीज , जीतीया , रक्षाबंधन, नवरात्रि , मुहर्रम, ईद,तथा क्रिसमस हैं। सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना सिटी (पटना) में  जयन्ती पर प्रकाशोत्सव मनाया जाता है। बिहार ने हिंदी को अधिकारिक भाषा है ।
 बिहार राज्य में 9 प्रमंडल तथा 38 जिला , 101 अनुमंडल, 534 प्रखंड तथा अंचल , 8,471 पंचायत, 45,103 गाँव है।पटना, तिरहुत, सारण, दरभंगा, कोशी, पूर्णिया, भागलपुर, मुंगेर तथा मगध प्रमंडल है । बिहार के जिलों में अररिया , अरवल , औरंगाबाद , कटिहार , किशनगंज , खगड़िया , गया , गोपालगंज , छपरा , जमुई , जहानाबाद , दरभंगा , नवादा , नालंदा , पटना , पश्चिम चंपारण , पूर्णिया , पूर्वी चंपारण , बक्सर ,बाँका ,बेगूसराय ,भभुआ ,भोजपुर ,भागलपुर , मधेपुरा , मुंगेर , मुजफ्फरपुर , मधुबनी , सासाराम *लखीसराय *वैशाली , सहरसा , समस्तीपुर , सीतामढी , सीवान , सुपौल , शिवहर , शेखपुरा है।
अतीत में बिहार सत्ता, धर्म तथा ज्ञान का केंद्र रहा है । प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतें: कुम्रहार परिसर, अगमकुआँ, महेन्द्रूघाट, शेरशाह के द्वारा बनवाए गए किले का अवशेष ,ब्रिटिश कालीन भवन: जालान म्यूजियम, गोलघर, पटना संग्रहालय, विधान सभा भवन, हाईकोर्ट भवन, सदाकत आश्रम है। धार्मिक स्थल : महावीर मंदिर,बड़ी पटनदेवी,छोटी पटनदेवी,शीतला माता मंदिर,इस्कॉन मंदिर,हरमंदिर(पटना), महाबोधि मंदिर(गया),माता सीता की जन्मस्थली(सीतामढ़ी), कवि विद्यापति सह उगना महादेव मंदिर(मधुबनी), द•भारत स्थापत्यकला विष्णु मंदिर(सुपौल), सिहेश्वरनाथ मंदिर(मधेपुरा), सबसे ऊँची काली मंदिर(अररिया), नृसिंह अवतार स्थल(पूर्णियाँ), सूर्य मंदिर,नवलख्खा मंदिर,थावे(गोपालगंज)माँ दुर्गा माता मंदिर,नेचुआ जलालपुर रामबृक्ष धाम, दुर्गा मंदिर, अमनौर वैष्णो धाम ,आमी अम्बिका दुर्गा मंदिर,माँ दुर्गा की मंदिर छपरा, सीता जी का जन्म स्थान, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, बेगू ह्ज्जाम की मस्जिद, पत्थर की मस्जिद, जामा मस्जिद, फुलवारीशरीफ में बड़ी खानकाह, मनेरशरीफ - सूफी संत हज़रत याहया खाँ मनेरी की दरगाह, जहनाबाद जिले का भारत की प्रथम महिला सूफी संत हजरत बीबी कमाल का कब्र (जहानाबाद) बराबर पर्वत समूह में गुफाएँ, भित्तिचित्र, गुहा लिपि , सिद्धेश्वर नाथ , वास्तु शिल्प कला  , नालंदा जिले का राजगीर पर्वत समूह में गर्म झरना , जरासंध , का स्वर्ण भंडार , , भगवान बुद्ध की कर्म स्थली , पावापुरी , नालंदा विश्वविद्यालय,  औरंगाबाद जिले का देव , उमगा का सूर्य मंदिर, देवकुंड कख दूग्धेश्वरनाथ , अरवल जिले का करपी का जगदंबा स्थान , मदसरवाँ का च्यवशेश्वर मंदिर, गया के ब्रह्मयोनि पर्वत समूह पर बने विष्णु गिरि का भगवान विष्णु पद मंदिर , भष्म गिरि पर माँ मंगला, राम गिरि , प्रेत गिरि पर धर्मराज मंदिर , मारकणडेश्वर , माँ बाँग्ला , नवादा जिले का अपसढ में बराह मंदिर, चामुंडा मंदिर बोलता पहाड़ , ककोलत का झरना , वैशाली का अशोक सतंम्भ , पटना तारामंडल, पटना विश्वविद्यालय, सच्चिदानंद सिन्हा लाइब्रेरी, संजय गाँधी जैविक उद्यान, श्रीकृष्ण सिन्हा विज्ञान केंद्र, खुदाबक़्श लाइब्रेरी एवं विज्ञान परिसर , प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा से लगनेवाला सोनपुर मेला, सारण जिला का नवपाषाण कालीन चिरांद गाँव, कोनहारा घाट, नेपाली मंदिर, रामचौरा मंदिर, १५वीं सदी में बनी मस्जिद, दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल, महात्मा गाँधी सेतु, गुप्त एवं पालकालीन धरोहरों वाला चेचर गाँव , छठी सदी इसापूर्व में वज्जिसंघ द्वारा स्थापित विश्व का प्रथम गणराज्य के अवशेष, अशोक स्तंभ, बसोकुंड में भगवान महावीर की जन्म स्थली, अभिषेक पुष्करणी, विश्व शांतिस्तूप, राजा विशाल का गढ, चौमुखी महादेव मंदिर, भगवान महावीर के जन्मदिन पर वैशाख महीने में आयोजित होनेवाला वैशाली महोत्सव , राजगृह मगध साम्राज्य की पहली राजधानी तथा हिंदू, जैन एवं बौध धर्म का एक प्रमुख दार्शनिक स्थल है। भगवान बुद्ध तथा वर्धमान महावीर से जुडा कई स्थान अति पवित्र हैं। वेणुवन, सप्तपर्णी गुफा, गृद्धकूट पर्वत, जरासंध का अखाड़ा, गर्म पानी के कुंड, मख़दूम कुंड आदि राजगीर के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं।नालंदा तथा आसपासः नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष, पावापुरी में भगवान महावीर का परिनिर्वाण स्थल एवं जलमंदिर, बिहारशरीफ में मध्यकालीन किले का अवशेष एवं १४वीं सदी के सूफी संत की दरगाह (बड़ी दरगाह एवं छोटी दरगाह), नवादा के पास ककोलत जलप्रपात , गया एवं बोधगया , हिंदू धर्म के अलावे बौद्ध धर्म मानने वालों का यह सबसे प्रमुख दार्शनिक स्थल है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ दुनिया भर से हिंदू आकर फल्गू नदी किनारे पितरों को तर्पण करते हैं। विष्णुपद मंदिर, बोधगया में भगवान बुद्ध से जुड़ा पीपल का वृक्ष तथा महाबोधि मंदिर के अलावे तिब्बती मंदिर, थाई मंदिर, जापानी मंदिर, बर्मा का मंदिर, बौधनी पहाड़ी { इमामगंज ) में स्थित है ।  पाल शासकों द्वारा बनवाये गये प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय का अवशेष, वैद्यनाथधाम मंदिर, सुलतानगंज, मुंगेर में बनवाया मीरकासिम का किला, मंदार पर्वत बौंसी बाँका एक प्रमुख धार्मिक स्थल जो तीन धर्मो का संगम स्थल है। विष्णुपुराण के अनुसार समुद्र मंथन यही संपन्न हुआ था और यही पर्वत जिसका प्राचीन नाम मंद्राचल पर्वत( मंदार ) जो की मथनी के रूप में  हुआ था।सम्राट अशोक द्वारा लौरिया में स्थापित स्तंभ, लौरिया का नंदन गढ़, नरकटियागंज का चानकीगढ़, वाल्मीकिनगर जंगल, बापू द्वारा स्थापित भीतीहरवा आश्रम, तारकेश्वर नाथ तिवारी का बनवाया रामगढ़वा हाई स्कूल, स्वतंत्रता आन्दोलन के समय महात्मा गाँधी एवं अन्य सेनानियों की कर्मभूमि तथा अरेराज में भगवान शिव का मन्दिर, केसरिया में दुनिया का सबसे बड़ा बुद्ध स्तूप जो पूर्वी चंपारण में एक आदर्श पर्यटन स्थल है । पुनौरा में देवी सीता की जन्मस्थली, जानकी मंदिर एवं जानकी कुंड, हलेश्वर स्थान, पंथपाकड़, यहाँ से सटे नेपाल के जनकपुर जाकर भगवान राम का स्वयंवर स्थल  है।अफगान शैली में बनाया गया अष्टकोणीय शेरशाह का मक़बरा वास्तुकला का है।देव सूर्य मंदिर, देवार्क सूर्य मंदिर या केवल देवार्क के नाम से प्रसिद्ध, यह भारतीय राज्य बिहार के औरंगाबाद जिले में देव नामक स्थान पर स्थित एक हिंदू मंदिर है  देवता सूर्य को समर्पित है। यह सूर्य मंदिर अन्य सूर्य मंदिरों की तरह पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है। देवार्क मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए भी जाना जाता है। पत्थरों को तराश कर बनाए गए इस मंदिर की नक्काशी उत्कृष्ट शिल्प कला का नमूना है। इतिहासकार इस मंदिर के निर्माण का काल छठी - आठवीं सदी के मध्य होने का अनुमान लगाते हैं जबकि अलग-अलग पौराणिक विवरणों पर आधारित मान्यताएँ और जनश्रुतियाँ इसे त्रेता युगीन अथवा द्वापर युग के मध्यकाल में निर्मित बताती हैं।परंपरागत रूप से इसे हिंदू मिथकों में वर्णित, कृष्ण के पुत्र, साम्ब द्वारा निर्मित बारह सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के साथ साम्ब की कथा के अतिरिक्त, यहां देव माता अदिति ने की थी पूजा मंदिर को लेकर एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। कहते हैं कि  समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया। अतिरिक्त पुरुरवा ऐल, और शिवभक्त राक्षसद्वय माली-सुमाली की अलग-अलग कथाएँ भी जुड़ी हुई हैं जो इसके निर्माण का अलग-अलग कारण और समय बताती हैं। एक अन्य विवरण के अनुसार देवार्क को तीन प्रमुख सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है, अन्य दो लोलार्क (वाराणसी) और कोणार्क हैं।बिहार में विशेष  मनाये जाने वाले छठ पर्व है।भील - भील जनजाति ने बिहार के क्षेत्रों पर शासन किया था। 22 मार्च 1912 ई. को बिहार राज्य की स्थापना से बिहारियों के अतीत की आकांक्षाओं का पहचान बनी है। बिहार की आध्यात्मिक भूमि , गंगा , पुनपुन , फल्गु पवित्र नदियां , मगध साम्राज्य की सांस्कृतिक विरासत है।


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