जहानाबाद जिला मुख्यालय दरधा और जमुना नदियों के संगम पर स्थित है । बिहार का जहानाबाद जिला मुख्यालयजहानाबाद शहर को दो भागों में बांटा गया है आवासीय और व्यापारिक क्वार्टर, डिस्पेंसरी, डाकघर, जहानाबाद रेलवे स्टेशन, ऐतिहासिक पंचशिवलिंग, ठाकुर जी, ठाकुरवाड़ी ,भगवान सूर्य , वराह मंदिर में वराह, प्राचीन देवी मंदिर, वैष्णवी मंदिर, बुद्ध शिव लिंग , जिला मजिस्ट्रेट, उप विकास आयुक्त , आरक्षी अधीक्षक , निवास , कृषि , विद्युत , स्वास्थ्य विभाग , उद्योग विभाग, शिक्षा विभाग, दूरसंचार , प्रधान डाकघर का कार्यालय , एरोड्राम , स्टेडियम , दरधा की दाहिनी शाखा के उत्तर में स्थित हैं, जबकि सार्वजनिक कार्यालय, जिला और अनुमंडल कार्यालय, अनुमंडल अधिकारी निवास और डाक बंगला, गांधी मैदान, गोरक्षणी , स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, जिला न्यायाधीश, जिला अदालत, जिला परिषद, नगर परिषद, जहानाबाद प्रखंड मुख्यालय, नदी के दक्षिण में हैं। जनता की सुविधा के लिए जहानाबाद शहर के बाद की स्थिति के पास एक छोटा कोर्ट रेलवे स्टेशन जहानाबाद कचहरी व जहानाबाद कोर्ट है और जहानाबाद का मुख्य स्टेशन उत्तर में जहानाबाद स्टेशन है। यह शहर कभी अपने बुनाई उद्योग के लिए प्रसिद्ध था, और 1760 में इसने पटना में ईस्ट इंडिया कंपनी के केंद्रीय कपड़ा कारखाने से जुड़ी आठ छोटी शाखाओं में से एक का गठन किया। उन्नीसवीं शताब्दी के शुरुआती वर्षों में जहानाबाद शहर में लगभग 700 घर कपड़े की फैक्ट्री और साल्टपीटर के निर्माण के लिए एक प्राकृतिक एजेंसी थी। इसके तुरंत बाद कारखाने में कमी आने लगी और अंततः इसे समाप्त कर दिया गया था । स्थानीय परंपरा का दावा है कि कारखाने के साथ कंपनी का संबंध लगभग 1820 में समाप्त हो गया। लेकिन स्थानीय उद्योग परिणाम में बंद नहीं हुआ और 1857 के बाद मैनचेस्टर के प्रतियोगिता में प्रवेश करने तक पड़ोस में कपास का काफी निर्यात व्यापार जारी रहा। बुनकर ने तब इसे अंग्रेजी धागे से सस्ता पाया और उपभोक्ता ने इनसान हथकरघा की उपज के लिए मैनचेस्टर के टुकड़े के सामान को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप सूती कपड़े के निर्माता में गिरावट आई और आयातित सामानों द्वारा प्रदर्शित किया गया। बड़ी संख्या में कोलाहल या जुलाहा , बुनकर वर्ग अभी भी पड़ोस में रहते हैं और कुछ हथकरघा कपड़े का उत्पादन करते हैं। जहानाबाद के व्यापार को अन्य चैनलों में बदल दिया गया है और अब इसमें मुख्य रूप से खाद्यान्न तेलहन, टुकड़े के सामान और फैंसी लेख शामिल हैं। पटना और गया के बीच रेलवे के बीच होने वाली जगह की स्थिति व्यापार के लिए मददगार है। ऐतिहासिक इमारतें नहीं हैं और पुराने ईंट के घर का कोई निशान नहीं बचा है, जिसे डचों द्वारा कपड़े के डिपो के रूप में बनाया गया था, जिसका उल्लेख बंगाल के सांख्यिकीय खाते में वर्षों पहले के रूप में किया गया है। 1901 से 2011 की जनगणना तक जहानाबाद शहर की जनसंख्या नीचे दी गई है - वर्ष 1901 में कुल आबादी - 7018. -.पुरुष 3629. - महिला 3389 ,1911. - 4764. - 2498.- 2266 ,1921 - 6956. - 3883. - 3073 , 1931.-8764.-4884-. 3880 ,1941.- 10842 - 5863 - 4979 , 1951 - 12445. - 6376 - 6 069 है । उत्तरी जिला जहानाबाद का मुख्यालय का जहानबद शहर 20 वर्ग मील में फैला हुआ था । जिले का नागरिक और राजस्व प्रशासन पटना संभाग के आयुक्त के अधीन कलेक्टर का प्रभारी होता है और सामान्य प्रशासन उद्देश्यों के लिए इसे जहानाबाद उपखंड में विभाजित किया जाता है। जहानाबाद उपखंड की स्थापना 1872 में हुई थी जब पुरानी शेरघाटी उपखंड को समाप्त कर दिया गया था। बिहार एन्ड उड़ीसा लोकल सेल्फ गोवर्नमेंट एक्ट ऑफ 1865 के तहत जहानाबाद यूनियन कमिटि का गठन 1911 ई. में 8 वर्ग मिल क्षेत्रफल में फैले आवादी 12559 थी । जहानबाद यूनियन कमिटि के सदस्य 9 थे । लोकल सेल्फ गवर्नमेंट एक्ट 1923 के अंतर्गत 1924 में जहानाबाद लोकल बोर्ड का गठन किया गया था । जहानाबाद लोकल बोर्ड में 11 सदस्य चयनित और 4 सदस्य मनोनीत होते थे । जहानाबाद जिला का सृजन 01 अगस्त 1986 ई. में हुआ है । जहानाबाद लोकल कमिटि का गठन 1911 में होने के बाद 1924 में जहानाबाद लोकल बोर्ड का गठन , बाद में नगरपालिका का गठन, 2008 ई. में नगर परिषद का गठन हुआ है । जहानाबाद शहर में अंगीभूत महाविद्यालय में स्वामी सहजानंद सरस्वती कॉलेज धनगांवाँ , सत्येन्द्र नारायण सिंह कॉलेज सहबाजपुर है । जहानाबाद नगर परिषद के अंतर्गत 33 वार्ड में माधवनगर , निजामुद्दीनपुर , शहबाजपुर , टेनिबीघा , ऊंटा , धनगांवाँ, ठाकुरवाड़ी , शिवजीपथ , गोरक्षणी , खत्री टोला , बाभना , दक्षणी दौलतपुर , उत्तरी दौलतपुर , मदारपुर , मलहचक , पथकटोली , विष्णुगंज ,होरीलगंज ,बदिसंगत , लोक नगर , पटेलनगर ,गरेरियाखण्ड , शेखालम चक ,प्यारी महल्ला , भगीरथ बीघा , राजाबाजार , इराकी , मदारपुर , नयाटोला , खचिया टोला , ढिबरापर , थाना रोड , काको रोड , उरवाल मोड़ , फिदाहुसैनरोड , निचली रोड , देवरिया हनुमाननगर , शास्त्रीनगर , कृष्णनगर आदि है ।
नामकरण - जहानाबाद का नामकरण विभिन्न साहित्य व पौराणिक तथा जान श्रुतियों के आधार पर राजा जह्नु ने जहन नगर बसाया था ।प्रवचन सरोद्धार जैन कुञ्चम के अनुसार क्षत्रिय राजा चंद्र प्रभ महासेन , नाग कुमार जहन्न राजा द्वारा जहान नगर में अपनी राजधानी बाँसई थी । सिद्धों के जन्हाप्पा मौर्य काल में रहते थे । मुगलकाल के बादशाह शाहजहां की पत्नी अरजुबन्द बनू बेगम की पुत्री व औरंगजेब की बहन जहाँआरा के जन्म दिवस 02 अप्रैल 1614 ई. और जहान में भीषण आकाल पड़ने के कारण औरंगजेब की बहन जहाँआरा के नेतृत्व में राहत कार्य चलाया गया था । तत्कालीन बिहार के सूबेदार द्वारा जहान को जहाँआरा की स्मृति में जहान आरा बाद कालांतर जहानाबाद कहा गया है । जहानाबाद को जहन , जहन्न , जहाना , जहानआराबाद , जहानाबाद कहा गया है । उत्तरी अकांक्ष 25 डिग्री 13 मिनट एवं पूर्वी देशांतर 84 डिग्री 59 मिनट तस्थ समुद्रतल से 78 मीटर ऊँचाई पर पटना से 45 कि .मि. दक्षिण और गया से 4 7 कि. मि. उत्तर दिशा एवं दिल्ली से 1061 कि. मि. दक्षिण और पूर्व में जहानाबाद स्थित है ।जहानाबाद की आवादी 2011 जनगणना के अनुसार 103202 कुल आवादी में 54710 पुरुष एवं 48492 महिला 20 . 23 हेक्टेयर क्षेत्र के निर्मित घरों में 16802 निवास करते हैं ।जहानाबाद शहर में हिन्दू 77.30 प्रतिशत , मुस्लिम 22.28 प्रतिशत ,ईसाई 0.15 प्रतिशत ,सिख 0.01 प्रतिशत ,बौद्ध 0.01 प्रतिशत , जैन 0.01 प्रतिशत है । जहानाबाद शहर के 33 वार्डों में जहानाबाद रेलवे स्टेशन परिसर में वराह मंदिर के गर्भगृह में प्राचीन भगवान वराह , भगवाढिबरा पर गायत्री मंदिर , भगवान शिव का शिवलिंग , बभना में ठाकुरवाड़ी , बड़ी संगत में नागाश्रम , मंदिर , लोक नगर के दरधा नानी के किनारे प्राकृतिक जल शराब सोइया घाट , देविस्थान , देवी स्थान , बिचली महल्ला में बुढ़वा महादेव , लालमन्दिर , है । शिक्षा के क्षेत्र में जहानाबाद शहर में मगध विश्वविद्यालय का अंगीभूत कॉलेज में एस. एस कॉलेज की स्थापना 25 जुलाई 1955 ई. , एस एन सिन्हा कॉलेज की स्थापना जुलाई 1970 में की गयी । जहानाबाद कॉलेज की स्थापना 1978 श्री कृष्ण महिला कॉलेज की स्थापना 1978 , ए एन एम कॉलेज की स्थापना 1987 , सिद्धार्थ टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज की स्थापना 2008 में की गयी है । पटना गया रोड हॉस्पिटल मोड़ के समीप सूफी संत हैदर शाह रहमतुल्लाह अलैहे , सराय रोड में जिन्ना शाह पहलवान का मजार विष्णुगंज में ईदगाह , एरोड्रम के समीप चर्च है । गुप्त काल में 275 ई. से 550 ई. तक जहानाबाद व्यापारिक केंद्र , हर्षवर्धन काल 915 से 930 ई. तक शैव धर्म ,सौरधर्म , शाक्त धर्म वैष्णव धर्म का विकसित था । पाल काल 1038 से 1161 ई. में जहानाबाद विषय था । उस समय ऊंटा सटी , सराय , मल्लाह चक , ठाकुरवाड़ी , विकसित था । राजा जह्नु द्वारा संगम प्रदेश कीराजधानी जहान नगर की स्थापना की थी । स्कन्द गुप्त काल 455 से 467 ई. तक विकसित किया गया था । पुरुरवा वंशीय जह्नु ने जहन नगर का निर्माण किया था ।
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