रविवार, अक्तूबर 08, 2023

सौर स्थल हंडिया सूर्य मंदिर

सौर स्थल हंडिया का सूर्यमंदिर
सत्येन्द्र कुमार पाठक
सनातन धर्म की सौर सम्प्रदाय का स्थल में बिहार राज्य के नवादा जिलान्तर्गत नादरीगंज प्रखण्ड मुख्यालय नादरीगंज से 4 किमी दूरी पर अवस्थित हंडिया सूर्यमंदिर में भगवान सूर्य  की मूर्ति एवं सूर्यकुंड है । मागधीय सांस्कृतिक विरासत में सौर संस्कृति का स्थल नादरीगंज प्रखण्ड के तहत झारखंड राज्य का कोडरमा जिले के ढोंढा कोल पर्वत से उद्गम धनार्जय नदी के किनारे सूर्यमंदिर में भगवान सूर्य की। मूर्ति स्थापित है।  विभिन्न श्रोतों एवं सूर्यपुरण , हरिवंश पुराण , भागवत पुराण नवम स्कन्द के अनुसार चंद्रवंश के आदिपुरुष चंद्र के वंसज एवं ब्रह्मा जी का 12 वी पीढ़ी यदु के प्रपौत्र सहस्त्रजित का पौत्र शतजित के पुत्र कीकट प्रदेश का राजा  हैहय द्वारा हैहयर नगर एवं वेणुहय ने भगवान सूर्य मूर्ति की स्थापना एवं वेणु सरोवर का निर्माण कर सौर संस्कृति का स्थल बनाया था । हनरिया स्थल को  हंडी , हंडिया , हैहया , हैहयर विभिन्न कालों में कहा गया है । हंडिया का क्षेत्रफल 853 हेक्टेयर में फैले 5494 आवादी में 47 प्रतिशत साक्षर है । हंडिया पंचायत में दयालपुर , डालेपुर , दरियापुर , हनरिया , नंदग्राम , पनपुरा और राजपुर गावँ है । नारदीगंज से 4 किमी , निनौरा से 5 किमी ,हसुआ से दक्षिण 6 किमि  , राजगीर से उतर नवादा से पश्चिम 7 किमि ,मोहरा से पूरब , प्राचीन टोला लखमिनियाँ से 0.06 किमी की दूरी पर हनरिया में सूर्यमंदिर , हनुमान मंदिर , शिव मंदिर अवस्थित है । हनरिया के विभिन्न क्षेत्रों में धनार्जय नदी , तिलैया नदी एवं पंचानवे नदी प्रवाहित होती है । वैवश्वत मन्वंतर में चंद्र वंश के आदि पुरुष चंद्र के वंशजों में हैहय ,  वेणुहय का नालंदा जिले का राजगीर एवं नवादा जिले का हनरिया सौर सम्प्रदाय का महान स्थल था । हैहय राजा ने हनरिया में  वेणुसरोवर का निर्माण तथा सूर्य मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की मूर्ति स्थापित किया था । द्वापर युग में चंद्रवंशीय वृहद्रथ  के पुत्र जरासंध के साथ मल्लयुद्ध के लिए भगवान कृष्ण , पांडव पुत्र भीम एवं अर्जुन ने हरनिया सौर स्थान में स्थित सूर्य मंदिर एवं वेणु सूर्यकुंड के किनारे विश्राम एवं रथ  रुका था । रथ का ठहराव हरनिया में पत्थर रथ के नाम से विख्यात है । सूर्य कुंड में  स्नान कर मनोवांक्षित फल प्राप्त करने वालों में भगवान कृष्ण , अर्जुन  , भीम , चक्षु रोग एवं कुष्टव्यधि से युक्त जरासंध का पुत्र सहदेव तथा कृष्ण पुत्र साम्ब का कुष्टव्यधि रोग से मुक्ति मिल था । सूर्यमूर्ति कि स्थापना , सूर्यमंदिर एवं सूर्यकुंड का पुनर्निर्माण साम्ब एवं मगध साम्राज्य का राजा  सहदेव द्वारा कराया गया था । शुंग शासन काल  184 ई. पू. से 30 ई.पू. तक , शुंगवशीय देवभूमि , गुप्तकाल के राजा चंद्रगुप्त प्रथम 319 ई. से 350 ई ,समुद्रगुप्त 350 ई. से 375 ई. तक  हर्ष काल 640 ई.  में हर्षवर्द्धन के समय , वैदिक काल में द्यूस्थान आकाश का देव भगवान सूर्य मित्र आदित्य की उपासना .और  दिल्ली बादशाह अकबर का दिन के इलाही के अनुयायी एवं बल्क राजा तथा सूफी संत  नजीरुद्दीन हंडिया द्वारा सूर्य की उपासना के लिए हनरिया की सूर्य कुंड में स्नानादि कर कार्य किया जाता था । हनरिया को हंडिया के नाम से ख्याति मिला । राजगीर सीमा पर स्थित हनरिया सौर धर्म का प्रसिद्ध स्थान है । राजगृह बुद्ध काल , महावीर काल , मौर्य काल , गुप्त, सेन काल  में हनरिया सौर सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण स्थान था ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें