रविवार, अक्तूबर 01, 2023

सिवान की विरासत

सिवान की विरासत 
सत्येन्द्र कुमार पाठक 
बिहार राज्य का  में सारन प्रमंडल के अंतर्गत सीवान ज़िले का मुख्यालय दहा नदी के किनारे अवस्थित सिवान बिहार के पश्चिमोत्तरी छोर पर उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती सिवान  जिला के उत्तर में गोपालगंज तथा पूर्व में   सारण जिला तथा दक्षिण में उत्तरप्रदेश के देवरिया एवं पश्चिम में उत्तर प्रदेश का  बलिया जिला है। सिवान अनुमंडल का सृजन 1908 ई. होने के बाद सिवान जिला का सृजन 03 दिसंबर 1972 में  2219 वर्गकिमी व 857 वर्गमील क्षेत्रफल में सिवान और महाराजगंज अनुमंडल में 19 प्रखंड ,293 पंचायत एवं 1526 गाँव शामिल किया गया है। सिवान 8 वीं शताब्दी में बनारस साम्राज्य के राजा शिवमान ने सिवान नगर की स्थापना की थी । पाँचवी सदी ई . पू. में सिवान की भूमि कोसल महाजनपद के अधीन  था। कोसल राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में सर्पिका (साईं) नदी, पुरब में गंडक नदी तथा पश्चिम में पांचाल प्रदेश था। आठवीं सदी में  बनारस के शासकों का आधिपत्य था। सिकन्दर लोदी ने 15 वीं सदी में  सिसवन पर आधिपत्य स्थापित किया।  अकबर  शासनकाल का  आईना-ए-अकबरी के अनुसार वित्तीय क्षेत्र था ।  व्यापार के उद्देश्य से  डच द्वारा 1755 ई. में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा  दिवानी अधिकार मिल गया था ।   असहयोग आन्दोलन 1920 में सिवान के ब्रज किशोर प्रसाद ने पर्दा प्रथा के विरोध में आन्दोलन चलाया था। हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान राहुल सांकृत्यायन ने 1937 से 1938 ई. तक  किसान आन्दोलन की नींव सिवान में रखी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में सिवान  के मजहरुल हक़, राजेन्द्र प्रसाद, महेन्द्र प्रसाद,रामदास पाण्डेय फूलेना प्रसाद थे । सन 1885 में घाघरा नदी के बहाव स्थिति के अनुसार 13000 एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश को स्थानान्तरित कर दिया गया एवं 6600 एकड़ जमीन सिवान को मिला था । १९७२ में सिवान को जिला  बना दिया गया। जिले का  प्रखंड गोरयाकोठी केंद्रीय असेम्बली को हिन्दी में संबोधित करने वाले कर्म योगी नारायण  का गृह नगर है । सिवान जिला उत्तरी गंगा के मैदान में स्थित  समतल भू-भाग  का विस्तार 25053' से 260 23' उत्तरी अक्षांस तथा 840 1' से 840 47' पूर्वी देशांतर के बीच है। नदियों के द्वारा जमा  मिट्टियों की गहराई 5 हजार  तक , मैदानी भाग का ढाल उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है। निचले मैदान में जलजमाव का  क्षेत्र  चौर  से छोटी नदी या 'सोता'  निकल कर  नदी घाघरा के किनारे दरारा निर्मित हुआ है।  गंडकी एवं घाघरा नदी है। घाघरा नदी जिले की दक्षिणी सीमा पर प्रवाहित   नदी है।  झरही, दाहा, धमती, सिआही, निकारी और सोना नदियाँ  है। झरही औ‍र दाहा घाघरा की सहायक नदियाँ  और  गंडकी और धमती नदियाँ  गंडक की सहायक नदी  है। अनुमंडल- सिवान एवं महाराजगंज में प्रखंड- मैरवा, पचरुखी, रघुनाथपुर, आन्दर, गुथनी, महारजगंज, दरौली, सिसवन, दरौंदा, हुसैनगंज, भगवानपुर, हाट, गोरियाकोठी, बरहरिया, हबीबपुर, बसंतपुर, लकरी, नबीगंज, जिरादेई, नौतन, हसनपुर, जमालपुर है । भोजपुरी एवं हिंदी भाषीय  सिवान जिला में 20वी सदी के मध्य तक भोजपुरी भाषा तथा लिपी "कैथी आधिकारिक कार्यो में भी प्रचलित  थी। कैथी  लिपि मृत हो गई है। महात्मा गाँधी के सहयोगी, स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद  का जन्म 03 दिसंबर 1884 ई. को जीरादेई में हुआ था ।, महात्मा गाँधी के सहयोगी, स्वतंत्रता सेनानी एवं हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक, सदाकत आश्रम तथा बिहार विद्यापीठ के संस्थापक मौलाना मजरुलहक , पांडुलिपि संग्रहकर्ता एवं खुदा बक्श लाईब्रेरी के संस्थापक खुदाबक्श खान फुलेना प्रसाद- स्वतंत्रता सेनानी फुलेना प्रसाद ,  स्वतंत्रता सेनानी एवं पर्दा-प्रथा विरोध आन्दोलन के जन्मदाता ब्रजकिशोर प्रसाद ,  ९ अगस्त १९४२ को बिहार सचिवालय के सामने शहीद हुए क्रांतिकारियों में उमाकांत सिंह , बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दारोगप्रसाद राय , लोकनायक  जय प्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती देवी , भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के  सेनानी एवम जमींदार रामदास पांडेय , मशहूर उर्दू साहित्यकार, मकान, माफिया, दरिंदा किताबों के रचयिता पैगाम अफ़की , सिवान के दरौली प्रखंड में बरई बंगरा गाँव में जन्मे मशहूर ठग मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ नटवर लाल  , खरगिरामपुर के संविधान सभा के सदस्य पंडित वैद्यनाथ मिश्र का जन्म 26 जुलाई 1905 ई. को हुआ था । दरौली प्रखंड के दोन गाँव में बौद्ध स्थल है। दरौली नाम मुगल शासक शाहजहाँ के पुत्र दारा शिकोह द्वारा दोन को दरौली  कहा गया है।  द्वापरयुग में द्रोणाचार्य द्वारा द्रोण किले का निर्माण कराया गया था । चीनी यात्री ह्वेनसांग ने  यात्रा वर्णन में दोन  स्तूप होने का वर्णन किया है। स्तूप के अवशेष स्थल पर 9 वीं सदी में  तारा मंदिर में माता तारा की मूर्ति स्थापित है । अमरप दरौली से ३ किलोमीटर पश्चिम में घाघरा नदी के तट पर स्थित अमरपुर  गाँव में मुगल शाहजहाँ के शासनकाल (1626-1658) में नायब अमरसिंह द्वारा लाल पत्थर से अर्धनिर्मित निर्मित मस्जिद है ।
मैरवा धाम: मैरवा प्रखंड का मैरवा के झरही नदी के किनारे हरि बाबा का ब्रह्म  स्थान और  चननिया डीह  पर सती साध्वी  अहिरनी आश्रम  है।महेन्द्रनाथ मंदिर ,मेंहदार: सिसवन प्रखंड में स्थित मेंहदार गाँव के बावन बीघे में निर्मित  पोखर के किनारे शिव एवं विश्वकर्मा  मंदिर बना है। नेपाल का राजा महेन्द्रनाथ द्वारा महेन्द्रनाथ मंदिर में पंच लिंगी लिंगी की स्थापना की गई थी । पटना के मुस्लिम संत शाह अर्जन के दरगाह पर लकड़ी दरगाह  पर रब्बी-उस-सानी के ११ वें दिन  उर्स लगता है। हसनपुरा: हुसैनीगंज प्रखंड के हसनपुर गाँव में अरब से आए चिश्ती सम्प्रदाय का सूफी  संत मख्दूम सैय्यद हसन चिश्ती आकर खानकाह भी स्थापित किया था।भिखाबांध: महाराजगंज प्रखंड में भिखाबान्ध पर वृक्ष  की छया में  14 वीं सदी में मुगल सेना से लड़ाई में दोनों भाई बहन मारे गए  स्थल पर भैया बहनी मंदिर स्थापित है।  सिवान से 13 किमी पश्चिम जीरादेई में देशरत्न डा राजेन्द्र प्रसाद का जन्म स्थान ,फरीदपुर में बिहार रत्न मौलाना मजहरूल हक़ का जन्म स्थान , सोहगरा में शिव भगवान का मंदिर है।  दुरौधा रेलवे स्टेशन से दो किमि  पर हड़सर में  काली मंदिर में माता काली की मूर्ति एवं काली भक्त रहसु भगत का स्थान था ।  ऐसी मान्यता है कि जो देवी थावे मंदिर में है वह अपने भक्त रहसू भगत की पुकार पर कलकत्ते से चली और कलकत्ता से थावे जाते समय इनका यही अंतिम पडाव था। अब यहां कोई मंदिर नहीं है, पर आस्था गहरी है। पतार में राम जी बाबा का मन्दिर है ।सिवान से 30  किमी० दक्षिण सरयू नदी के किनारे नरहन में श्री नाथ मंदिर , भगवसती मंदिर ,रामजानकी मंदिर ,काली मंदिर ,ठाकुरवाड़ी  अवस्थित ह सीवान  के मैरवा दरौली के मुख्य पथ पर स्थित डोभीया में बाबा धर्मागत बरमभ जी मंदिर है ।कंधवारा में  मुक्ति धाम मशान माई , बाबा घाट,  कबीर मठ  है।
सिवान जिले का 2219 वर्गकिमी में 2011 जनगणना के अनुसार 3330464 में महिला  1655374 एवं पुरुष1675090 आवादी में साक्षरता दर 69 .45  प्रतिशत है । सिवान में सूती कपड़ा उद्योग , क्षेत्रीय हस्तकरघा निगम कार्यालय  है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ब्रजकिशोर प्रसाद द्वारा 1920 ई. में पर्दा प्रथा का विरोध स्थल , ठेपहा का महादेवा टोला शिवमंदिर में काष्ट दृश्य पाषाण युक्त  पंचमुखी शिवलिंग   , सरोवर एवं पांच कूप  , बलिया में सूर्यमंदिर ,सिसवन प्रखंड के कचनार में 2015 ई. में निर्मित सूर्यमंदिर के गर्भगृह में पांच फीट की भगवान सूर्य की प्रतिमा स्थापित है । पंचमुखी शिवमंदिर का पुनर्निर्माण 1985 ई. में हुआ था । सिवान के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में विभिन्न राजाओं द्वारा विकास किया गया है।  सिवान  को सिवान , शिशन , कैलाशवादियों शिवन ,, नबाब अली बक्श खान द्वारा अलीनगर , , शिवनाथी, अली बक्स कहा गया है ।

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