चाहत
सत्येन्द्र कुमार पाठक
रात नशीली में करवटें बदलता रहा ।
सिलवटें चादरें औढता पसारता समेटा ।
यादों की रात में उसी याद में खोया था।
हिचकियों में,रातभर याद में कहता रहा।।
जीवन की पगडंडियों में गलतियां होता रहा ।
चाहत का इकरार तकरार आस मे होने लगा ।
दिल तरकश से प्रेम का तीरे निकलता गया।
अफसोस दिल की तरकस में हलचल रहा ।।
मेरी चाहत का दिल में, लिए वो आती रही।
किसी की वो मेरी चाहत निरंतर बनती रही।।
मस्त पवन
डा उषा श्रीवास्तव
मस्त पवन का झोंका आया
वासंती रंग लाया है,
मेरे दर का ठूंठ गाछ भी
मंद-मंद मुस्काया है।
वासंती रंग,,,,,,,,,,,,,,
होली के आहट से सबके
हृदय उमंग भर आया है,
रंगों का हुर्दंग भी मेरे
अंतर्मन को लुभाया है।
वासंती रंग,,,,,,,,,,,,,,
महुए की मदहोश महक से
सबका मन भरमाया है,
चिड़ियों के कलरव में भी तो
सातों सुर भर आया है।
वासंती रंग,,,,,,,,,,,,,,
बाग-बगीचे में हरियाली
मंजर से गदराई है,
कलियों के गुण-गुण गाने से
भंवरा भी बौराया है।
वासंती रंग,,,,,,,,,,,,,,,,,
मुजफ्फरपुर, बिहार।
: इंतजार
सत्येन्द्र कुमार पाठक
दिया दिल पर दाग तुमने जितने किसी को दिखाया नही जाता।
जीतना तड़पाया और सताया मुझे किसी को बताया नही जाता।
दिल को मासूम और नादान समझ खूब मनमानिया किया तुमने।
प्यार का मारा हूं मैं जख्मी दिल दवा तुमसे लगाया नही जाता।
सारे नाज नखरे सहकर तुम्हारे हर हुक्म तामिल किया मैंने।
मुरझाए फूलो में जान जाए तुमसे बार मुस्कुराया नही जाता।
गोरे मुखड़े पर काला तिल और मेरे दिल का कातिल ।
प्यासे की प्यास बुझ जाए प्मुझसे सुनाया नही जाता।
यदि और इंतजार किसी काम के नहीं बात मान लो।
मिसाल मगर बेदर्दी को मुझसे दिल लगाया नही जाता।
यादे
सत्येन्द्र कुमार पाठक
हवा जैसा दौड़ता मन है,
दिल में टीस लगाता है।
मंजिल पर जाकर प्रेम जगाता है,
उषा की लाली लगाम लगाता है।
मन ऊंचाई पर जाकर यादें
मन की नजरों से मेल करे
दिल मे दरिया बन जाता है,
मिले सुमाहौल दिल में उनको,
स्वयं प्रेम उसी में ढल जाता है।
कभी हलचल में प्रेम की मोती ,
यादों की पुष्प दयालु हो जाता है।
साधन की साधना से उनकी ,
मन में चिन्हित साध पाता है।
प्रेम से विचलित मन तत्व से ,
यादें शांत सरोवर बन जाता है।
सत्येन्द्र कुमार पाठक
दोनो तरफ की बराबर जोर खूब चलती रही।
दिल में हलचल दिन रात हमेशा करता रहा ।
तेरी चाहत हमेशा दिल में हमे मचलती रही ।
वसंत में तेरे मेरे बीच चलता रहा है अबतक।
नजरे चुराता रहा दिल से आह निकलती रही।
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