कोडरमा की सांस्कृतिक विरासत
सत्येन्द्र कुमार पाठक
झारखंड राज्य के कोडरमा जिले केनिर्देशांक: 24°28′N 85°36′E / 24.47°N 85.60°Eनिर्देशांक: 24°28′N 85°36′E / 24.47°N 85.60°E पर स्थित हिंदी और मगही भाषीय का क्षेत्रफल1655.61 वर्गकिमी में 2011 जनगणना के अनुसार 716259 आबादी निवास करते है । हजारीबग्ग जिले का कोडरमा अनुमंडल का सृजन 1973 ई में होने के बाद हजारीबग्ग जिले से अलग कोडरमा जिले का दर्जा 10 अप्रैल 1994 को प्राप्त हुआ है। कोडरमा भारत के अभ्रक जिला एवं झारखंड का प्रवेशद्वार के नाम से ख्याति है। प्राकृतिक संसाधन मौजूद कोडरमा जिला में 717 गाँवों में 377 गाँव एवं 122 निर्जन गाँव शहर कोडरमा और झुमरी तिलैया बिहार में गया और नवादा तथा झारखंड का गिरिडीह तथा हजारीबाग की सीमा पर ह कोडरमा जिला मे कोडरमा, जयनगर, मरकच्चौ, डोमचांच, सतगांवा एंव चंदवारा है। कोडरमा जिले की औसत ऊंचाई 375 मीटर (1230 फीट) है।
कोडरमा का चंचला मंदिर के गर्भगृह में शक्तिपीठ मां चंचला देवी स्थापित है । प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को माता चंचला की उपासना की उपासना करते है। अभ्रक की खदानें होने के कारण कोडरमा को अभ्रक नगरी कहा जाता है। उरवन टूरिस्ट कॉम्पलैक्स, ध्वजागिरि पहाड़ी और सतगांवा पैट्रो झरने पर्यटक स्थल हैं। तिलैया बांध - दामोदर नदी घाटी परियोजना के तहत तिलैया बाँध का निर्माण हुआ था। डैम का जल हरा होने से आनंद और रोमांच उत्पन्न करता है। डैम के तरफ पहाड़,दुसरे तरफ पेड़ - पौधे और नीचे डैम का पानी मनमोहक दृश्य का निर्माण करते है। तिलैया बांध दामोदर घाटी में बराकर नदी पर बना हुआ है। डैम का आकार में 1200 फीट लंबा और 99 फीट ऊंचा 36 वर्गकिमी में फैला है। बाँध सैनिक विधालय ,तिलैया का द्वार है । प्रसिद्ध फिल्मकार प्रकाश झा,सैनिक विधालय के विधार्थी है। बिहार व बंगाल सरकार के संयुक्त प्रयास से वर्ष 1948 में तिलैया डैम का निर्माण किया गया था। उरवन टूरिस्ट कॉम्पलैक्स - तिलैया बांध के समीप उरवन टूरिस्ट कॉम्पलैक्स , पर्यटक पिकनिक स्थल , बोटिंग और वाटर स्पोर्टस का आनंद लिया जाता है। उरवन में घूमने के बाद बागोधर के हरि हर धाम के दर्शन करते हैं। हरिहर धाम में भगवान शिव को समर्पित 52 फीट ऊंचाई युक्त स्वयंभू शिवलिंग है। प्रकृति की गोद में बसे सतगांवा में सतगावां पैट्रो झरना घने जंगलों में स्थित हैं । गिरिडीह - -गिरिडीह हाईवे से 33 कि॰मी॰ की दूरी पर 400 फिट की उचाई अवस्थित मां चंचला देवी शक्तिपीठ स्थित है। माता चंचल शक्तिपीठ पर्वत पर गुफा में मां दुर्गा की चार मुद्राओं की मूर्ति हैं। मां दुर्गा को समर्पित गुफा का प्रवेश द्वार काफी छोटा है। कोडरमा वन्यजीव अभयारण्य कोडरमा जिला कोडरमा मुख्यालय से प्राररम्भ होकर एन एच 33 से होते हुए बिहार के गया और नवादा जिला तक विस्तृत वन क्षेत्र दो वन्यजीव अभयारण्य के लिए भौगोलिक विस्तार प्रदान करता है। कोडरमा वन्यजीव अभयारण्य में हिरण, भालू, नीलगाय,जंगली खरहा , सैकड़ो तरह के परिंदे , साँप तथा कई अन्य सरीसृप है। अभ्यारण्य में मुख्य वृक्ष सखुआ,बेल,बाँस,आम ,शिरिष,महुआ,पलाश है।अभयारण्य में ध्वजाधारी धार्मिक तीर्थ स्थल पहाड़ के शीर्ष पर चढने के लिए पत्थर की सीढियाँ है। महशिवरात्री के अवसर पर मेला लगता है। मगध साम्राज्य का राजा समुद्र गुप्त द्वारा 325 ई. से 380 ई. तक कोडरमा क्षेत्र का विकास एवं कोडरमा का नागवंशीय राजा फनीमुकट्ट थे । सतगावां प्रखंड के घोरसीमर में भगवान शिव का शिवलिंग , सौर , शाक्त , शैव एवं वैष्णव सम्प्रदाय का स्थल राजा फनीमुकट्ट द्वारा निर्माण किया था । छोटानागपुर को महाभारत काल में मुराड , विष्णुपुराण में मुंड मुगलकाल में कुकरा और
ब्रिटिश काल में छोटानागपुर कहा जाता था । छोटानागपुर का राजा फनीमुकट्ट काल में मुंड कहा जाता था । गिरिडीह जिले का ढोंढा कोला के समीप मनकोमरो पर्वत , ध्वजाधारी हिल ,जरन पंचायत का वृन्दाहा पर्वत के 300 फिट से गिरने वाली जलप्रपात ,नदियों में करारों नदी ,बरकार नदी ,डोमचाच प्रखंड के हरिया नदी , सतगावां प्रखंड के दुमदुमा सकरी नदी प्रवाहित है।
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