विश्व धरातल पर संस्कृति और सभ्यता का धरातल भारत की महान भूमि है। मानव जीवन का वास्तविक स्वरूप प्राचीन काल से भारत की धरती से प्रारंभ हुआ है । वेदों क्षत्रों ,पुराणों तथा इतिहास कारों ने भारतवर्ष की धरती पर संस्कृति और सभ्यता का उदभव की महत्वपूर्ण उल्लेख किया है ।विष्णुपुराण, ब्रह्मपुराण,वामन पुराण आदि ग्रंथों में भारतवर्ष को राजा प्रियव्रत द्वारा अपने पुत्र आग्रीध को जम्बूद्वीप तथा मेघतिथि को प्लक्ष द्वीप , वपुष्मान को शाल्मलद्वीप, ज्योतिष्मान को कुशद्वीप ,द्युतिमान को क्रौंच द्वीप,भब्य को शाकद्वीप तथा सवन को पुष्कर द्वीप का अधिपति बनाया गया था । जम्बूद्वीप का राजा आग्रीध ने अपने पुत्र नाभि को जम्बूद्वीप का दक्षिण भाग हिमवर्ष ( भारतवर्ष ) ,किंपुरुष को हेमकूट , हरिवर्ष को नैषध वर्ष का राजा घोषित किया वहीं इलावृत को इलावृतवर्ष ,रम्य को नीलांचल वर्ष,हिमवान को श्वेतवर्ष तथा श्रृंगवान पर्वत के उत्तर में स्थित कुरु और मेरुपर्वत पूर्व स्थित भद्राश्व एवं केतुमाल को गंधमादन वर्ष अभिषिक्त कर सप्तद्वीप के राजा आग्रीध ने शालग्राम क्षेत्र में तपस्या करने के लिए चले गए थे ।
: हिमवर्ष का राजा नाभि की भार्या मेरुदेवी के गर्भ से ऋषभ का जन्म हुआ था । राजा ऋषभ द्वारा अपने 100 पुत्रों में बड़े पुत्र भरत को हिमवर्ष का राज्याभिषेक और राज्याधिकार दिया गया तथा ऋषभ तपस्या के लिए पुलहाश्रम चले गए। हिमवर्ष का राजा भरत ने भारतवर्ष की नींव डाली ।भारतवर्ष का राजा भरत को परम धार्मिक पुत्र सुमति का जन्म हुआ था । भारतवर्ष के राजा भरत ने अपने पुत्र सुमति को राज्यलक्ष्मी सौपकर शालग्राम क्षेत्र में तपस्या और योगाभ्यास करते हुए अपने प्राण छोड़ दिये ।भारतवष का राजा सुमति के पुत्र इन्द्रद्युम्न हुए । इन्द्रद्युम्न का पुत्र परमेष्ठी और उससे प्रतिहार का जन्म हुआ था ।प्रतिहार का पुत्र प्रतिहर्ता एवं उसके पुत्र भव, भाव का पुत्र उद्गीथ का जन्म हुआ था ।उद्गीथ का पुत्र प्रस्ताव , प्रस्ताव का पुत्र पृथु , पृथु का पुत्र नक्त और नक्त का पुत्र गय हुआ ।गय ने गया नगर की स्थापना की ।गय का पुत्र नर हुए।नर का पुत्र विराट ने विराट नगर की स्थापना की थी।विराट का पुत्र महावीर्य तथा उससे धीमान , धीमान का महान्त और उसके पुत्र मन्स्यु का जन्म हुआ ।भारत वर्ष में मन्स्यु का पुत्र त्वष्ठा ,, विरज ,रज ,शतजीत, और शतजीत के 100 पुत्रों में बड़े पुत्र विश्वगज्योति द्वारा भारतवर्ष को 9 भागों में विभक्त किया गया था।मंवन्तराधिप स्वायम्भुव मनु के वंशज द्वारा वराहकल्प तक 71 युगपर्यंत तक भारत भूमि पर राज किया भारतवर्ष 9 हजार योजन में फैला है ।यहां महेंद्र ,मलय ,सह्य,शुक्तिमान,ऋक्ष ,विंध्य और पारियात्र कुल पर्वत है । भारतवर्ष के राजा विश्वगज्योति द्वारा भारतवष को 9 भागों में विभक्त कर इंद्र द्वीप,केशरु , ताम्रपर्ण ,गभस्तिमान ,नागद्वीप,सौम्य ,गंधर्व और वरुण और समुद्र से घिरा हुआ द्वीप 9 वाँ किया था ।यह द्वीप उत्तर से दक्षिण तक सहस्त्र योजन है। इस द्वीप के पूर्वी भाग में कीरात और पश्चिमी भाफ में यवन बसे है ।यहां के निवासी यज्ञ ,व्यापार और युद्ध आदिअपने अपने कर्मो की व्यवस्था के अनुसार आचरण करते हुए ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य तथा शुद्र वर्ण भारतवर्ष के मध्य में रहते है ।शतद्रु तथा चंद्रभागा नदी हिमालय की तलहटी से और परित्राण पर्वत से वेद तथा स्मृति नदियां प्रवाहित होती है। विंध्याचल पर्वत से नर्मदा ,सुरसा ,सोन और ऋक्ष पर्वत से ताप्ती ,पयोषणी, निर्विनध्या एवं सह्यपर्वत से गोदावरी,भीमरथी ,कृष्णा आदि नदियाँ उत्पन्न हुई है। मलयाचल पर्वत से कृतमाला,ताम्रपर्णी एवं महेन्द्रगिरि पर्वत से त्रिसमा, आर्यकुल्या तथा शुक्तिमान पर्वत से ऋषिकुल्या और कुमारी आदि नदियां प्रवाहित है। इन्ही नदियों के किनारे कुरु ,पांचाल मध्य देशादि के रहने वलपूर्व देश और कामरूप के निवासी,पुण्ड्र ,कलिंग (उड़ीसा ) ,मगध एवं दक्षिणात्यलोग,अपरन्तदेशवासी ,सौराष्ट्र ,तथा शुर ,,अभीर,अर्बुदगण,कारूष, मालव,परियातर्निवासी ,सौवीर,सैन्धव,हूण, साल्व,और कौशल ,माद्र ,,आराम, अम्बष्ट तथा पारसी गण रहते है। भारतवर्ष में सतयुग ,त्रेता ,द्वापर और कलियुग चार युग है ।जम्बूद्वीप में भगवान विष्णु यज्ञ पुरुष द्वारा यग्यो का यजन किया जाता है । जम्बूद्वीप को बाहर चारो तरफ लाख योजन विस्तार वाले वलयाकार खारे पानी वाले समुद्र से घिरा है ।जम्बू द्वीप की प्रमुख नदी यमुना और वृक्ष जामुन है ।यहां जम्बू नाम की नदी प्रवाहित होती है।
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