शनिवार, अगस्त 01, 2020

पारिवारिक एवं एकबद्धता का दिवस रक्षा बंधन

प्रेम और सौहार्द का प्रतीक रक्षा बंधन 
सत्येन्द्र कुमार पाठक 
भारतीय वाङ्मय पुरातन संस्कृति में रक्षा सूत्र का बड़ा महत्व है ।पुरातन काल में धर्म ,शक्ति और विजय के रूप में रक्षाबंधन सभी देव,दानव,दैत्य,राक्षस ,किरात, गंधर्व , आर्य ,अनार्य आदि संस्कृतियों में मनाए जाने की परंपरा है।सावन पूर्णिमा को रक्षाबंधन,राखी त्योहार ,सालुनो, श्रावणी ,रामराखी ,चूड़ा रखी,अवनि अवित्तम,वालेव के रूप में हिन्दू ,जैन आदि धर्मावलंबी मानते है।भारत और नेपाल में ब्राह्मण ,भागनेय, बहने अपने गुरु ,,भाई को रक्षा सूत्र रखी बांधते है ।भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1905 ई में बंग भांग विरोध में रक्षा बंधन जागरण प्रारम्भ हुआ था , द्वापर में द्रोपदी ने भगवान कृष्ण को अपनी आँचल को टुकड़े से रक्षा सूत्र, माता लक्ष्मी द्वारा दैत्य राज बली को राखी बांध कर भाई बनाई और अपने भगवान विष्णु को बली से मुक्त कराई ,केवाड की रानी कर्मवती ने दिल्ली के बादशाह हिमायु को राखी भेजकर अपनी सुरक्षा की सिकंदर की पत्नी ने पुरुरवा को राखी बांधकर अपने पति का जीवन बचायी थी।विष्णुकुमार ने 700 जैन मुनियों की सुरक्षा तथा भगवान वामन ने राजा बली को रक्षा सूत्र बांध कर की वही इंद्र की पत्नी इंद्राणी द्वारा निर्मित रक्षा सूत्र को देव गुरु वृहत्पति ने इंद्र और राजा बलि बांध था ।श्रावण पूर्णिमा को अमरनाथ गुफा में निर्मित हिमानी शिवलिंग पूर्ण आकार में परिणत हो कर श्रद्धालुओ की मनोकामना पूर्ण करते है।भविष्यत पुराण के अनुसार समुद्र मंथन से निकले हलाहल को भगवान शिव ने पान करने पर ब्रह्मांड को बचाया जिसके कारण हलाहल से विचलित भगवान शिव के मस्तक पर माता गंगा ,चंद्रमा द्वारा शीतलता प्रदान की वहीं देवराज इंद्र ने वर्षा प्रारम्भ कर शांत  कराया  है । गणपति बप्पा को रक्षा बंधन माता संतोषी ने बांधी थी।शुक्ल पक्ष  पूर्णिमा 2077 दिनांक 03 अगस्त 2020 के श्रवण पूर्णिमा का मुहूर्त 558 वर्ष के बाद आया है ।पांच सोमवार और अमावस्या तथा पूर्णिमा  2020 वर्ष का महान मुहूर्त है।यह संयोग 47 वर्ष पूर्व में आया था।प्राचीन मानव जीवन की संस्कृति का रूप 12 थे जिसे दैत्य धर्म ,सिद्ध धर्म ,गंधर्व धर्म, विद्याधर धर्म ,किंपुरुष धर्म,पितरधर्म ,ऋषिधर्म, मानवधर्म ,गुह्य धर्म,राक्षस धर्म ,पिशाच धर्म ,शाश्वत धर्म तथा कीरात धर्म एवं संस्कृति में श्रावण पूर्णिमा और रक्षा सूत्र की प्रचलन प्रारम्भ था ।यह पर्व पारिवारिक,सामाजिक और एकबद्धता का पर्व रक्षा बंधन है।

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