गुरुवार, मई 12, 2022

प्रेम और मोह की देवी है मोहनी ...


पुरणों एवं महाभारत के अनुसार भगवान विष्णु का महिला  अवतार मोहनी द्वारा  ब्रह्मांड को मोहित कर  प्रेम में रहने का मार्ग प्रशस्त किया गया है । प्रेम , मोह और वासना की देवी  भगवान विष्णु का स्त्री अवतार मोहनी का जन्म वैशाख शुक्ल एकादशी को अवतरण हुआ था । भगवान शिव की अर्धांगनी मोहकता , सुदर्शन चक्र अस्त्र धारिणी मोह , प्रेम और वासना की देवी मोहनी का पुत्र  अय्यप्पा था । । समुद्र मंथन के समय जब देवताओं व असुरों को सागर से अमृत मिला था । देवताओं को डर था कि असुर कहीं अमृत पीकर अमर न हो जायें। तब वे भगवान विष्णु के पास गये व प्रार्थना की कि ऐसा होने से रोकें। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर अमृत देवताओं को पिलाया ब्रह्मवैवर्तव असुरों को मोहित कर अमर होने से रोका। भगवान श्री विष्णु ने मोहनी  नारी बनकर  संसार  को देवों व असुरों से रक्षा की थीं।  मोहिनी द्वारा  मानव जाति  दुनिया से लुप्त होने के लिए वचाव की थी ।  भगवान शिव से दैत्य राज भष्मासुर वरदान माँगा की सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। दैत्यराज  भस्मासुर ने भगवान शिव से प्राप्त वरदान के  शक्ति का गलत प्रयोग शुरू किया और स्वयं शिव जी को भस्म करने चला था। भगवान विष्णु  ने मोहनी  स्त्री का रूप धारण कर भस्मासुर को आकर्षित किया और नृत्य के लिए प्रेरित किया। नृत्य करते समय भस्मासुर मोहनी की  तरह नृत्य करने लगा और उचित मौका देखकर मोहनी  ने अपने सिर पर हाथ रखा, जिसकी नकल शक्ति और काम के नशे में चूर भस्मासुर अपने वरदान से भस्म हो गया। समुद्र मन्थन के दौरान अमृत कलश लेकर भगवान विष्णु का अवतार धनवंतरी रूप में प्रकट हुए। असुर भगवान धन्वंतरि से अमृत कलश लेकर असुर भाग गया था । भगवान विष्णु का अवतार नारी  मोहिनी  ने असुरों से अमृत लिया और देवताओं के पास गईं। मोहनी ने असुरों को अपनी ओर मोहित कर लिया और देवताओं को अमृत पिलाने लगीं। मोहिनी की चाल दानवराज स्वरभानु द्वारा  देवता का भेष  लेकर अमृत पीने चला गया। मोहिनी को  पता चली तब  मोहनी द्वारा दानव राज  स्वरभानु का सिर सुदर्शन चक्र से काट दिया गया परंतु  दानवराज स्वरभानु के गले से अमृत की घूंट नीचे चली गई और वह अमर हो गया था । मोहनी द्वारा सुदर्शन चक्र से दानवराज स्वरभानु का सिर और धड़ अलग होने के कारण राहु के नाम से स्वरभानु का सिर और केतु के नाम से स्वरभानु का धड़ प्रसिद्ध हुआ है ।वविश्व के विभिन्न क्षेत्रों में यूनानी ग्रीक , मिश्र और पश्चिमी देशों में मोहनी मंदिर में मिश्र की देवी हैकटी ,ग्रीक यूनान में सेमरानेरा ,लियोनार्डो द विंची , कर्नाटक , गोवा में महालसा मंदिर ,आंध्रप्रदेश के गोदावरी जिले के रायली में मोहनी मंदिर , हेलेबीड़ू होयसलेश वारा टेम्पल ,भुवनेश्वर , चिदंबरम , झाँझर ,ओड़िसा , इंडियन कोलम्बस टेम्पल ,चेन्नके , बेलूर , अलंपुरम में मोहनी मंदिर प्रसिद्ध है । मोहनी का उल्लेख भागवत , महाभारत , ब्रह्मवैवर्त एवं पुरणों में किया गया है । सनातन संस्कृति एवं पंचांगों में वैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि मोहनी देवी को समर्पित मोहनी एकादशी है ।





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें