छत्तीसगढ़ राज्य का विलासपुर जिले के रतनपुर हैहय वंशीय एवं कलचुरी वंशीय राजाओं का क्षेत्र है । रतनपुर में विभिन्न राजाओं द्वारा स्मारकों , मंदिरों एवं बाबली कूप का निर्माण कराया गया था । कलचुरी वंश एवं हैहय वंश की राजधानी रही थी । कल्चुरी काल में रतनपुर से 4 कि.मी. की दूरी पर जूनाशहर स्थित रहस्यमयी बावली कुंआ का निर्माण कल्चुरी वंशीय राजा राज सिंह द्वारा किया गया था । बावली कूप के अन्दर दो प्रकोष्ठ की दिवारों पर पटाव और नक्काशियां की गई है । बाबली कूप का प्रथम कक्ष स्नानागार र्और द्वितीय कक्ष में भगवान शिव की उपासना के लिए शिवलिंग स्थापित है । बाबली कूप में सुरंग के माध्यम से राजा अपनी सुरक्षा के लिए निर्माण किया था । बाबली कूप का जल सूखने के बाद श्रद्धालुओं द्वारा बाबली कूप स्थित भगवान शिव की उपासना के लिए जाते है ।, स्नान के बाद पुजा का स्थल था बावली में पानी अधिक होने पर यह दोनो कमरे जलमग्न हो जाते हैं, और बावली में पानी कम होने पर कुंऐ में छिपा हुऐ सुरंग का द्वार देखा जाता है। राजा राजसिंह के शासनकाल में रतनपुर के वास्तुकला से परिपूर्ण राजपुर का रानी कजरा देवी को समर्पित बादल महल एवं सप्तमंजिल भवन निर्मित सतखंडा महल , अस्तबल एवं प्रशासनिक भवन का अवशेष है ।
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