गुरुवार, जून 02, 2022

शैव स्थल पातालपुरी आँती...


         नवादा जिला मुख्यालय नवादा से सात किलोमीटर दूर डेढ़ वर्गकिमि क्षेत्रफल में 5000 आवादी वाले आँती पंचायत का मुख्यालय आंती या  आती का विजयनगर स्थित पातालपुरी शिवमंदिर में   भगवान शिवलिंग स्थापित है। जमीनी तल से करीब 20  फीट नीचे शिव¨लग विराजमान हैं। सीढि़यों के सहारे उतरकर लोग गर्भगृह में प्रवेश करते हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं। इस मंदिर की एक खासियत यह भी है कि शिव¨लिंग  पर किये जाने वाले जलाभिषेक का पानी कहां जाता है, यह आज तक किसी को पता नहीं चल सका है। जबकि शिव¨लग के चारों ओर टाइल्स बिछा हुआ है। वहां पर छोटी  जगह से पानी का गायब हो जाना रहस्मयी है। इस मंदिर के प्रति ग्रामीणों की अटूट श्रद्धा है। गर्भगृह के चारों तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की दर्जनों प्रतिमाएं है। में कई ¨क्वटल बेलपत्र, बेल आदि चढ़ाये जाते हैं। जिसे पूजा के बाद सकरी नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। भारतीय वास्तु विज्ञान का प्रादुर्भाव मूर्ति कला आए वास्तु कला की कहानी धरोहर है ।पुरातन सभ्यता से लेकर ब्रिटिश शासन तक मूर्तियों और भवनों की स्वयं विरासत की कहानी है ।साम्राज्यों का उद्भव और पतन , विदेशी आक्रांताओं का आक्रमण विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम मागधीय वास्तुकला एवं मूर्तिकला के विकास में परिलक्षित होते है । प्राचीन मगध को कीकट कहा गया है । नवादा जिले के आँती की मूर्तियां , पातालपुरी , विजयनगर में चाक्षुष मन्वंतर एवं वैवस्वत मन्वंतर काल में विकसित था । आँती की मूर्तियां मौर्यकालीन , गुप्तकालीन मूर्तियां , गढ़ , शिवलिंग एवं विदेशी आक्रांताओं द्वारा विक्षिप्त मूर्तियां है ।
 आँती का   रसातल में सहस्तरशीर्षा , कालाग्नि रुद्र शिवलिंग ,तथा कृतिवसा की मूर्तियां है । शांकरी नदी के किनारे ऋषि दधीचि के पुत्र अथर्वा ऋषि द्वारा अथर्ववेद की रचना की थी । कर्दम ऋषि की पत्नी एवं अथर्वा ऋषि की पुत्री  चिन्ति ज्ञानगुण सम्पन्न एवं तंत्र मंत्र की ज्ञाता थी । कर्दम ऋषि की पत्नी द्वारा चिन्ति नगर का निर्माण किया गया था  । आँती को चिन्ति , चिन्ति नगर ,पातालपुरी , विजयनगर , अन्तःपुर , आती, आँती , अन्ति कहा गया है। वैदिक ऋषि अथर्वा द्वारा आकाशीय उल्का पारद शिवलिंग की स्थापना शांकरी नदी के किनारे रसातल में कई गयी थी ।  नवादा जिले के नवादा प्रखंड का आँती स्थित विजय नगर का पातालपुरी में 20 फीट गहराई से युक्त 16 सीढ़ियों से पातालेश्वर या पारद रुद्र शिवलिंग एवं भगवान विष्णु , अथर्वा तथा माता चिन्ति  का दर्शन किया जाता है । पातालेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु आदित्य , शिव पार्वती विहार , विष्णु  , बुद्ध अन्य देवी डिवॉन की मूर्तियां है । मंदिर परिसर में विशाल  एक मुखी शिवलिंग ,  विदेशी आक्रांताओं द्वारकी गयी क्षीण भिन्न की गई मूर्तियां है ।मंदिर के दक्षिण पश्चिम में 5 विघे का गढ़ में प्रचीन धरोहर छिपी है । अथर्वेद में भूपति कहा गया है । मत्स्य पुराण ,महाभारत वैन पर्व , तैतरीय आरण्यक , वामनपुराण ,, विष्णुपुराण , शिवपुराण शिवपुराण के अनुसार के अनुसार डेढ़ वर्ग किमि में फैले  आँती में काला मुख एवं लिंगायत और रुद्र सम्प्रदायके मानने वाले शुद्धाद्वैत का स्थल था । 1500 ई. पू. से 600 ई. तक शैव , वैष्णव , शाक्त एवं सौर सम्प्रदाय का स्थल था । वासव पुराण ,  गुप्त काल में वराह अवतार एवं शैव , सौर , विष्णु तथा शाक्त सम्प्रदाय के शिव लिंग ,विष्णु , सूर्य एवं शक्ति की उपासना स्थल का निर्माण हुआ था । 335 ई. में समुद्रगुप्त ,एवं गुप्त संबत का प्रारंभ कर्ता श्री गुप्त का पौत्र घटोत्कच का पुत्र चंद्रगुप्त प्रथम , चंदगुप्त द्वितीय 380 ई. में चांदी के सिक्के प्रारम्भ किया था । गोविंद गुप्त 415 ई. से 454 ई. तक , एवं स्कन्दगुप्त 456 ई. से 467 ई. में पातालेश्वर मंदिर का निर्माण कराया था । 629 ई. से 645 ई. तक हर्षवर्द्धन शासन काल में इतिहास के राजकुमार ह्वेनसांग की पुस्तक सि- यू - की में वर्णित है । 1921 ई. में दयाराम सहिनीं एवं 1990 - 91 में पुरातत्व विभाग के अधिकारी जयप्रकाश एवं अवधेश किशोर सिंह द्वारा पातालपुरी को मागध साम्राज्य का राजा विन्दुसार ने मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य किया  गया था । आँती के विकास के लिए कृष्ण गुप्त , हर्ष गुप्त  माधव गुप्त तथा आदित्य सेन द्वारा किया गया । जेनरल कनिग्घम  द्वारा 1850 एवं 1863 ई. में गुप्त कालीन की धरोहर का भ्रमण किया था । द्वापर युग में मगध साम्राज्य के वृहद्रथ वंशीय जरासंध का धर्म , प्रद्योतवंशीय  अभ्रक , चंदगुप्त मौर्य वंशीय 298 ई.पू.  विन्दुसार , शुंगवंशीय शतकर्णिका एवं हलाहल राजा ने विकास किया था । गुप्त काल मे अन्तःपुर अवन्तिदेव की राजधानी थी । यहां के गढ़ों का उत्खनन से अर्द्धगोलाकार नाद , कौड़ी ,, गहने , चांदी के सिक्के , अन्न प्राप्त हुए हसि । 10 , 20 फीट की दीवारें 6 इंच की मोटी ईंटें है । यह क्षेत्र सैंधव काल की महल का रूप है । सैंधव केयाल में आंति विकसित था । भारतीय विरासत संगठन के अध्यक्ष सत्येन्द्र कुमार पाठक , जिला विरासत समिति नवादा के अध्यक्ष नरेंद्र प्रसाद सिंह एवं सचिव वीना मिश्रा द्वारा आंति का परिभ्रमण करने के दौरान पाया कि सतयुग , त्रेता ,द्वापर युग में विकसित गाँव आंति गुप्त काल , वैदिक काल में शैव , शाक्त , सौर एवं वैष्णव धर्म एवं तंत्र मंत्र का साधना का स्थल था । गौतम कुमार सरगम के अनुसार आंती का पातालपुरी एवं गढ़ के क्षेत्रों के उत्खनन से मागधीय की पुरातन  संस्कृति तथा धरोहर प्राप्त होते है ।






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