ब्रह्मा जी ने ऋषियों के अन्त:करण और समाधि की अवस्था में प्रत्यारोपित कर मानव कल्याण हेतु ईश्वरीय ज्ञान के लिए वेद अग्रसारित किया है । भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में ' सनक , सनन्दन , सनातन एवं सनत कुमारों ' के द्वारा वेद की रचना प्रस्तुत की गई । श्रृष्टि के प्रारंभ में श्री ब्रह्मा जी द्वारा मानव कल्याण के लिए वेद के रुप में एक संहिता तैयार कर भविष्य में मानव अनुसासित तरीके से पृथ्वी पर जीवों के साथ - साथ पर्यावरण को अक्षुण्ण रखते हुए विकास की नींव रखी गयी थी । ऋषियों के अन्त:करण से ऋग्वेद, आयुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचनाएं हुई थी ।
ऋग्वेद के रचनाकार ऋषि अग्नि द्वारा ऋग्वेद में १०५८९ मन्त्रों के साथ ' ज्ञान ' , आयुर्वेद के रचनाकार ऋषि वायु द्वारा यजुर्वेद में 1975 मन्त्रों के साथ ' कर्म काण्ड ' , सामवेद के रचनाकार ऋषि आदित्य द्वारा सामवेद में 1875 मन्त्रों के साथ ' उपासना ' और अथर्वेद के रचनाकार ऋषि अंगिरा द्वारा अथर्ववेद में 5977 मन्त्रों द्वारा ' विज्ञान ' अर्थात वेदों में 20416 मन्त्रों के माध्यम से ज्ञान ,कर्मकांड और उपासना की नींव डाली गई थी ।
' पुरणों ' में इतिहास , भूगोल , दर्शन , गणित , कला आदि विषयों का समावेश है । भारत की भौगोलिक एकता करोड़ों वर्ष से प्राचीन महत्व के ज्ञान के हिमाचल , भरत खंड अथवा जम्बूद्वीप , शाकद्वीप , प्लक्ष द्वीप , क्रौंच द्वीप , सप्त सिन्धु में दक्षिण - पूर्व एशिया , उत्तरपथ , यूरोप एवं अफ्रीका के भू - भागों के सन्दर्भ आये हैं । ब्रह्म पुराण में उड़ीसा के क्षेत्र , अग्नि पुराण में गया के क्षेत्र ; ब्रह्म वैवर्त पुराण में वृन्दावन एवं गोकुल क्षेत्र ; स्कन्द पुराण में काशी , उड़ीसा , नर्मदा के तीर्थ ; वामन पुराण में आन्ध्र का भौगोलिक वितरण ; विष्णु पुराण में मौर्य राजवंश ; वायु पुराण में गया जी तथा गुप्त वंश का उल्लेख हैं । मत्स्य पुराण से राजतंत्र उत्तराधिकारी , सम्राट के अधिकार एवं दायित्वों का विवरण , अमात्य , मंत्री व अधिकारियों के कार्य - विभाजन का ज्ञान है । अठारहों पुराणों से भारत के इतिहास , भूगोल , विज्ञान , सामाजिक समरसता हैं । रामायण में उत्तर भारत एवं महाभारत के भीष्म पर्व , आदि पर्व तथा सभा पर्व में बृहत्तर भारत के संदर्भ हैं । ऋग्वेद में सिंधु , सरस्वती और सरयू एवं २१ नदियों एवं अधिकतर हिमालय तथा मंजुवन पर्वतों का उल्लेख है । वेद से सूत्र ग्रंथों में १४ नदियों तथा महामेरु और विंध्य पर्वत आया है ।अमेरिका के बर्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में संस्कृत के एक प्रोफ़ेसर जो प्राचीन भारतीय इतिहास , पौराणिक आख्यानों व दन्तकथाओं के विशेषज्ञ हैं - उन्होंने रामायण की कथाओं पर भी अनेक खोजें की है । उन्होंने एक स्थान पर लिखा है कि पावन अनुभूति की तीव्रता और विशालता प्राचीन भारतीय आख्यानों की सबसे बड़ी शक्ति है । स्विट्जरलैंड के विद्वान एरिक वान डेनिके के अनुसार प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में विश्व के इतिहास के अनेक संदर्भ समाविष्ट हैं । सन् १९६९ में डेमिके द्वारा ' चेरियट्स औफ गौड्स ' में उल्लेख किया है कि हजारों साल पहले धरती पर दूसरे लोकों से मानव आये थे , तब लोगों में उत्सुकता बढ़ी है । भारत यात्रा के दौरान झारखंड के जमशेदपुर के निकट स्वर्ण रेखा नदी के समीप घाटशिला की पहाड़ी पर पांडवों का रथ के पहिए के निशान बहुत दूर तक है , जब वह उड़कर आकाश में चला गया था । भारतीय आख्यानों को दुनिया के प्राचीनतम साक्ष्य हैं । पाश्चात्य इतिहासकार डेनिकन के हचू ' और ' कौलीन गैंटजर ' के अनुसार भारतीय पुराण निस्संदेह दुनिया के सबसे पुराने एवं अनमोल दस्तावेज़ वेद एवं पुराण हैं । महाभारत में अर्जुन की इंद्रलोक की यात्रा का वर्णन है । डेनिकन के अनुसार ' ओल्ड टेस्टामेंट ' बाइबिल के पुराने आख्यान , हर धर्म में प्रलय के वर्णन भारतीय महा - जलप्लावन आख्यानों से लिये गये हैं ।
बहुमूल्य ज्ञानवर्धक जानकारी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय श्री 🙏🙏