सोमवार, जून 20, 2022

संस्कृति की आत्मा संगीत....


    भूस्थल पर इंसान की सृष्टि के बाद भगवान  शिव द्वारा माता सरस्वती को संगीत की देवी कहा गया है । दवार्षि नारद ने पृथ्वी पर संगीत कला का प्रारंभ कर ब्रह्मांड में व्याप्त ध्वनि के संबंध में इंसान को संगीत की जानकारी दी थी । ऐतरेय भारतीय संगीत का विकास संगम संगीत माध्यम से उतर वैदिक काल में हुआ था । भारतीय संगीत का रचना विज्ञान में स्वर, राग और ताल से जाना जाता है । जैमिनी ब्राह्मण , संगीत रत्नाकर में संगीत का उल्लेख किया गया है । ग्रीष्म संक्रांति और उत्तरी गोलार्ध में खगोलीय गर्मी की प्रारम्भ  में प्रत्येक वर्ष 21 जून को सार्वभौमिकता से युक्त  विश्व संगीत दिवस, फेटे डे ला , म्यूजिक डे मनाया जाता है।  फ्रांस के तत्कालीन फ्रांसीसी कला और संस्कृति मंत्री जैक लैंग ने संगीतकार मौरिस फ्लेरेट के साथ पेरिस की सड़कों पर फेटे डे ला म्यूजिक का प्रारंभ 1982 में   किया था। जैक लैंग ने युवाओं को संगीत समारोहों की ओर आकर्षित करने एवं संगीत का जश्न मनाने के लिए संगीत कार्यक्रम 21 जून, 1982 को पेरिस के सार्वजनिक स्थानों पर  देश के सभी हिस्सों के पेशेवर और शौकिया संगीतकारों का जश्न मनाया गया था । फ्रांसीसी सरकार ने विश्व संगीत दिवस का समर्थन कर  आधिकारिक कार्यक्रम बना दिया था । यूरोपीय संगीत 1985 में    देशों ने संगीत और कलाकारों को मनाने के लिए वार्षिक संगीत कार्यक्रम को अपनाने हेतु  बुडापेस्ट में एक चार्टर पर हस्ताक्षर किए 1997 ई .को करने के पश्चात विश्व संगीत दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। विश्व संगीत ग्रीष्म संक्रांति और उत्तरी गोलार्ध में खगोलीय गर्मी की प्रारम्भ  में प्रत्येक वर्ष 21 जून को सार्वभौमिकता से युक्त  विश्व संगीत दिवस, फेटे डे ला , म्यूजिक डे मनाया जाता है।  फ्रांस के तत्कालीन फ्रांसीसी कला और संस्कृति मंत्री जैक लैंग ने संगीतकार मौरिस फ्लेरेट के साथ पेरिस की सड़कों पर फेटे डे ला म्यूजिक का प्रारंभ 1982 में   किया था। जैक लैंग ने युवाओं को संगीत समारोहों की ओर आकर्षित करने एवं संगीत का जश्न मनाने के लिए संगीत कार्यक्रम 21 जून, 1982 को पेरिस के सार्वजनिक स्थानों पर  देश के सभी हिस्सों के पेशेवर और शौकिया संगीतकारों का जश्न मनाया गया था । फ्रांसीसी सरकार ने विश्व संगीत दिवस का समर्थन कर  आधिकारिक कार्यक्रम बना दिया था । यूरोपीय संगीत 1985 में    देशों ने संगीत और कलाकारों को मनाने के लिए वार्षिक संगीत कार्यक्रम को अपनाने हेतु  बुडापेस्ट में एक चार्टर पर हस्ताक्षर किए 1997 ई .को करने के पश्चात विश्व संगीत दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। विश्व संगीत दिवस पर संगीत कलाकारों द्वारा युवा कलाकारों को अपनी संगीत प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया भर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं1998 में विश्व संगीत दिवस के लिए एक डाक टिकट समर्पित किया गया था । मॉक म्यूजिक डे आर्गेनाइजेशन के अनुसार, विश्व संगीत दिवस 21 जून को 120 देशों के 1,000 से अधिक शहरों में आयोजित किया जाता है । विश्व संगीत दिवस पर युवा, बूढ़े, शौकिया, पेशेवरलोग  मुफ़्त और जनता के लिए साज और आवाज के साथ संगीत दिवस मानते हैं।दिवस पर संगीत कलाकारों द्वारा युवा कलाकारों को अपनी संगीत प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया भर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं1998 में विश्व संगीत दिवस के लिए एक डाक टिकट समर्पित किया गया था । मॉक म्यूजिक डे आर्गेनाइजेशन के अनुसार, विश्व संगीत दिवस 21 जून को 120 देशों के 1,000 से अधिक शहरों में आयोजित किया जाता है । विश्व संगीत दिवस पर युवा, बूढ़े, शौकिया, पेशेवरलोग  मुफ़्त और जनता के लिए साज और आवाज के साथ संगीत दिवस मानते हैं।  भारतीय रागों में भैरव ,हिंडोल ,दीपक ,मेघ ,श्री  मालकौंस  तथा रास में  श्रृंगार ,हास्य ,करुणा ,रौद्र ,भयानक , वीर ,अद्भुत , वीभत्स एवं शांत है । भारतीय उपमशद्वीप में शास्त्रीय संगीत ,भारतीय शैली ,कर्नाटक शैली ,लोक संगीत ,सुगम संगीत ,रवींद्र संगीत , हवेली संगीत ,गण संगीत तथा आधुनिक संगीत में रॉक , पॉप, ट्रांस ,जैज़ और साइकेडेलिक संगीत है ।कर्नाटक संगीत का प्रारंभ 1408 ई. से 1503 ई तक अन्नमाचार्य , 1484 ई. से 1564 ई. तक पुरंदर दास , तेलगु कवि 1600 ई. से 1680 ई. तक क्षेत्रय्या तथा 1620 ई. से 1680 ई. तक भक्त राम दासु , बिहार का सोहर , छठ गीत , डोमकच ,,कोहबर ,विवाह गीत , असम के जिकिर ,अरुणाचल का जा जिन जा , इओगे नागालैंड का हेलिएमल्यू , न्यूल्यु , हेरेल्यू , तमिलनाडु के नाट्टू पुरापट्टू , ओड़िसा का पाला, पंजाब में  धाडी , झारखंड के छऊ , सूफी मत वाले कब्बाली ,सिख धर्म में शबद ,उत्तरभारत में भसजन , कीर्तन है । 1901 ई. में वी डी पलुस्कर ने गंधर्व महाविद्यालय लाहौर व 1915 ई. में मुम्बई , प्रयाग संगीत समिति की स्थापना 1926 ई. तथा विष्णु नारायण भातखंडे ने मेरिस संगीत महाविद्यालय की स्थापना कर संगीत का विकास किया है ।





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