मंगलवार, अगस्त 12, 2025

**सत्येन्द्र कुमार पाठक: कलम के सिपाही और समाज के सजग प्रहरी की कहानी**



बिहार की धरती ने हमेशा से ऐसे व्यक्तित्वों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी कलम और कर्म से समाज को एक नई दिशा दी है। **सत्येन्द्र कुमार पाठक** इन्हीं व्यक्तित्वों में से एक हैं, जिनका जीवन पत्रकारिता, साहित्य, शिक्षा और समाज सेवा के एक अद्भुत संगम को दर्शाता है। अरवल जिले के करपी प्रखंड में 15 जून 1957 को जन्मे सत्येन्द्र कुमार पाठक ने अपनी यात्रा एक शिक्षक के रूप में शुरू की, लेकिन उनकी पहचान एक सजग पत्रकार, समर्पित साहित्यकार और निस्वार्थ समाज सेवक के रूप में बनी।

उनके पिता, सच्चिदानंद पाठक, एक जाने-माने ज्योतिषी और कर्मकांड के विद्वान थे, जबकि माता ललिता देवी और पत्नी सत्यभामा देवी ने उन्हें धर्मपरायणता और पारिवारिक मूल्यों की शिक्षा दी। शास्त्री प्रतिष्ठा, आई.ए., विशारद और बी.टी. जैसी शैक्षणिक योग्यताएँ हासिल करने के बाद उन्होंने 1977 से 2017 तक एक शिक्षक के रूप में सरकारी विद्यालयों में अपनी सेवाएँ दीं। यह एक ऐसी यात्रा थी, जो सिर्फ पढ़ाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि जिसमें उन्होंने अपने छात्रों और समाज को जीवन के नैतिक मूल्यों से भी परिचित कराया।

#### **कलम की यात्रा: एक पत्रकार और संपादक के रूप में**

सत्येन्द्र कुमार पाठक की पत्रकारिता की यात्रा 1975 में शुरू हुई और आज भी जारी है। उन्होंने अपनी कलम से न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश की आवाज़ को बुलंद किया। उनकी पत्रकारिता की शुरुआत साप्ताहिक और दैनिक समाचार पत्रों में संबाद प्रेषण के रूप में हुई।

* **पत्रकारिता के प्रारंभिक चरण:** गया से प्रकाशित होने वाले **गया समाचार, मगध धरती** और **मगधाग्नि** जैसे साप्ताहिकों में उनकी लेखनी ने एक पहचान बनाई।
* **बढ़ती लोकप्रियता और संपादक की भूमिका:** 1981 में उन्होंने हिंदी मासिक पत्रिका **मगध ज्योति** की स्थापना की, और 1983 में इसे साप्ताहिक पत्रिका का रूप दिया। एक संपादक के रूप में उन्होंने मगध क्षेत्र की समस्याओं और संस्कृति को उजागर करने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
* **राष्ट्रीय स्तर पर पहचान:** उनकी लेखनी केवल बिहार तक सीमित नहीं थी, बल्कि जयपुर से प्रकाशित होने वाले **यंगलीडर** जैसे राष्ट्रीय समाचार पत्रों में भी उनके लेख छपते थे।
* **समकालीन पत्रकारिता में योगदान:** 2019 से वे **बुलंद समाचार, दिव्य रश्मि पोर्टल** और अपने ब्लॉग **मगध ज्योति** के माध्यम से अपने संलेख प्रकाशित कर रहे हैं। **मगबंधु** और **चित्रा दर्पण** जैसी पत्रिकाओं में उनके लेख प्रकाशित हुए, जो पत्रकारिता के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं।
* **प्रबंध संपादक का पद:** 2025 में उन्हें मुजफ्फरपुर से प्रकाशित होने वाली हिंदी पाक्षिक पत्रिका **निर्माण भारती** के प्रबंध संपादक का पद सौंपा गया है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी विश्वसनीयता और योगदान को प्रमाणित करता है।

#### **समाज सेवा का बेजोड़ सफर**

सत्येन्द्र कुमार पाठक का जीवन केवल कलम तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।

* **बाढ़ पीड़ितों की सहायता:** 1976 में करपी प्रखंड में आई भीषण बाढ़ के दौरान उन्होंने **दुग्ध दलिया समिति** के सदस्य के रूप में पीड़ितों की सहायता की।
* **विभिन्न संगठनों में सक्रिय भागीदारी:** वे **किसान सुरक्षा समिति** के अध्यक्ष, **भारतीय समाज सुधारक संघ** के अध्यक्ष, और **बिहार राज्य मगही विकास मंच** के महासचिव जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
* **शिक्षक संघ में भूमिका:** शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए उन्होंने **बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ** और **बिहार राज्य क्रांतिकारी शिक्षक संघ** में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
* **विकलांगों के विकास में योगदान:** 2003 में **भारतीय पुनर्वास परिषद** द्वारा आयोजित विकलांगता कन्वेंशन में उनकी भागीदारी ने विकलांगों के विकास के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाया।
* **विरासत और संस्कृति का संरक्षण:** वे **जहानाबाद जिला विरासत विकास समिति** के अध्यक्ष और **भारतीय विरासत संगठन** के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे, जो संस्कृति और विरासत के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।


#### **सम्मान और उपलब्धियाँ: एक लंबी और प्रतिष्ठित सूची**

सत्येन्द्र कुमार पाठक के उत्कृष्ट कार्यों को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है।

* **पत्रकारिता और साहित्य के सम्मान:**
    * **आचार्य उपाधि:** 1998 में हिंदी पत्रकारिता में उत्कृष्ट कार्य के लिए जैमिनि अकादमी, पानीपत, हरियाणा द्वारा 'आचार्य' की उपाधि से सम्मानित।
    * **महाकवि योगेश मगही अकादमी शिखर सम्मान:** 2013 में मगही साहित्य में योगदान के लिए मगही अकादमी, पटना द्वारा सम्मानित।
    * **पंडित जनार्दन प्रसाद झा 'द्विज' सम्मान:** 2020 में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा हिंदी भाषा और साहित्य की उन्नति में उनके मूल्यवान योगदान के लिए।
    * **गोपालराम गहमरी लेखक गौरव सम्मान:** 2022 में हिंदी साहित्य में बहुमूल्य योगदान के लिए उत्तरप्रदेश के गाजीपुर में सम्मानित।
    * **रवींद्र नाथ टैगोर जयंती अंतरराष्ट्रीय कला एवं साहित्य सम्मान:** 2023 में श्री सत्य इंदिरा फाउंडेशन, जयपुर, राजस्थान द्वारा।
    * **अशोक स्मृति निर्भय पत्रकारिता सम्मान:** 2024 में पत्रकारिता के प्रति उनकी निडरता के लिए सम्मानित।

* **समाज सेवा और अन्य सम्मान:**
    * **पर्यावरण रक्षक सम्मान 2023:** पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए।
    * **शहीद भगतसिंह एवं शहीद भगवानलाल सम्मान 2021:** राष्ट्र की रक्षा, समाज सेवा और कोरोना काल में योगदान के लिए मुजफ्फरपुर में सम्मानित।
    * **श्री रंजन सूरीदेव सम्मान 2023:** स्वास्थ्य, शिक्षा, सेवा और स्वावलंबन के क्षेत्र में मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए।
    * **डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार स्मृति सम्मान 2024:** संस्कार भारती, बालाघाट, मध्यप्रदेश द्वारा।
    * **श्रीराम रत्न 2024 सम्मान:** हिंदी भाषा और साहित्य की उन्नति में सेवाओं के लिए अयोध्या में।
    * **अंतरराष्ट्रीय विश्वाकाश के चमकते सूर्य सम्मान 2024:** हिंदी साहित्य और समाज सेवा में निरंतर योगदान के लिए।

इनके अलावा, उन्हें **स्व. युगल किशोर मिश्र सम्मान 2024, योग दिवस रत्न सम्मान 2024** और **साहित्यरत्न 2025** जैसे कई और सम्मानों से भी नवाजा गया है, जो उनके अथक परिश्रम और समर्पण को दर्शाते हैं।


#### **प्रकाशित रचनाएँ और भविष्य की योजनाएँ**

सत्येन्द्र कुमार पाठक की प्रकाशित रचनाओं में **गधाँचाल, वाणावर्त, बराबर** और **मगध क्षेत्र की विरासत** शामिल हैं, जिन्हें बिहार सरकार के राजभाषा विभाग से अनुदान भी प्राप्त हुआ है। उनकी अप्रकाशित रचनाएँ **उषा** और **यात्रा** हैं, जिनका प्रकाशन होना अभी बाकी है।

1999 से जहानाबाद में निवास करते हुए वे आज भी सामाजिक और साहित्यिक साधना में लीन हैं। वे **अंतरराष्ट्रीय साहित्य परिषद, मगमिहिर महासभा** और **भारतीय जनक्रांति दल (डेमोक्रेटिक)** जैसे कई संगठनों के सक्रिय सदस्य हैं।

सत्येन्द्र कुमार पाठक का जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति अपनी लगन, निष्ठा और समर्पण से शिक्षा, पत्रकारिता, समाज सेवा और साहित्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ सकता है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है।






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