शुक्रवार, जनवरी 26, 2024

सनातन संस्कृति की द्योतक सरयू नदी


पुराणों , आनंद रामायण के अनुसार के अनुसार भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रकट हुई सरयू नदी हैं। दैत्यराज  शंखासुर ने वेदों को चुराकर समुद्र में डाल कर छिपने के बाद भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध कर  ब्रह्मा जी को वेद सौंप दिया था । वेदों को वापस लाकर भगवान विष्णु पसंद होने के दौरान प्रेमाश्रु  की  एक बून्द आंसू टपकने से ब्रह्माजी ने  भगवान विष्णु के प्रेमाश्रु  को  मानसरोवर में डाल दिया था ।  भगवान विष्णु की पुत्री सरजू थी । सरयू नदी को ऋषि वशिष्ठ द्वारा  भूतल पर लाया गया था । कर भगवान सूर्य की भार्या एवं विश्वकर्मा की पुत्री माता संज्ञा के पौत्र एवं  विवस्वान के  पुत्र वैवस्वत मनु   ने भगवान विष्णु की आँसू से ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित आँसू युक्त सरोवर को बाण के प्रहार से धरती के बाहर निकालने के कारण  सरयू नदी की उत्पत्ति हुई थी । उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में सरयू नदी को शारदा , ब्रिटिश मानचित्रकार ने पूरे मार्ग पर्यंत घाघरा या गोगरा ,  सरयू ,  सरजू ,  देविका, रामप्रिया कहा जाता है। अयोध्या की सरयू नदी के तट पर भगवान राम का जन्म , क्रीड़ा क्षेत्र एवं जल समाधि थी । सरयू निचली घाघरा को भगवाब राम के जन्म स्थान अयोध्या शहर से होकर बहने वाली  अयोध्या के निवासियों के साथ सरयू नदी से वैकुंठ लोक गए और बाद में स्वर्ग में देवता बन गए थे । पुराणों के अनुसार सरयू भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रकट हुई थी । सरयू नदी का उद्गम भगवान विष्णु के आंसू से हुआ है. आनंद रामायण के यात्रा कांड के अनुसार, दैत्यराज शंखासुर  ने वेद को चुराकर समुद्र में डाल दिया था और खुद  छिपा था।  शारदा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी सरयू नदी है । सरयू नदी को घाघरा नदी  भारत के उत्तरी भाग में बहने वाली  उत्तराखण्ड के बागेश्वर ज़िले के। कुमाऊँ का  समुद्र तल से 4150 मीटर व 13620 फिट की ऊँचाई सरमूल पर्वत का नान्दीमुख  में उत्पन्न होती हुई  शारदा नदी में विलय होने के कारण  काली नदी उत्तरप्रदेश के  शारदा नदी फिर घाघरा नदी में विलय होने के निचले भाग को पुनः सरयू नदी कहा   है। सरयू नदी के किनारे इक्ष्वाकु वंशीय राजा अयोध्य द्वारा अयोध्या नगर बसाया हुआ है।  सरयू नदी के तट पर आजमगढ़, सीतापुर , बाराबंकी, बहरामघाट, बहराइच, गोंडा, अयोध्या, टान्डा, राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट नगर अवस्थित है। निर्देशांक 25°45′18″N 84°39′11″E / 25.755°N 84.653°E पर प्रविहित होने वाली सरयू नदी 350 किमी व 270 मील  है । सरयू नदी को सरयू , शारदा , घाघरा , सरयू , काली एवं गंगा कहा जाता है। सरयू नदी के ऊपरी हिस्से में काली नदी  उत्तराखंड में बहती हुई  मैदान में उतरने के पश्चात्  करनाली या घाघरा नदी आकर मिलने के कारण सरयू नदी  है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में सरयू नदी को शारदा नदी ,  ब्रिटिश मानचित्रकार मार्ग पर्यंत घाघरा या गोगरा के नाम से प्रदर्शितकर  सरयू  नाम देविका, रामप्रिया इत्यादि हैं। सरयू नदी बिहार के आरा और छपरा के पास गंगा में मिल जाती है। सरयुपारी व सरयुपारीण ब्राह्मण समूह का नाम सरयू नदी के कारण पड़ा है । सरयू नदी के तट पर निवास करने वाले ब्राह्मणों को सरयू  नदी के कारण सरयुपारीण ब्राह्मण कहा गया.है। वैदिक  नदी सरयू  ऋग्वेद 4.13.18 के अनुसार  इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की सरयू नदी के तट पर किया गया है ।  सरयू नदी की सहायक राप्ती नदी एवं  अरिकावती नदी  उल्लेख है। रामायण के अनुसार सरयू अयोध्या से होकर बहती है ।  सरयू नदी के किनारे राजा दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि  है। वाल्मीकि रामायण बालकांड  के अनुसार  विश्वामित्र ऋषि के साथ शिक्षा के लिये जाते हुए श्रीराम द्वारा सरयू  नदी द्वारा अयोध्या से सरयू के गंगा संगम तक नाव से यात्रा वर्णित है। कालिदास के  रघुवंशम् , कम्ब रामायण एवं  रामचरित मानस में तुलसीदास ने सरयू  नदी का गुणगान किया है। बौद्ध ग्रंथों में  सरभ   ,  कनिंघम , मेगस्थनीज द्वारा वर्णित सोलोमत्तिस नदी , टालेमी  द्वारा वर्णित सरोबेस  नदी के रूप में मानते हैं।

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