रांची की सांस्कृतिक विरासत
सत्येन्द्र कुमार पाठक
झारखण्ड राज्य की। राजधानी और दक्षिण छोटानागपु प्रमंडल तथा 5097 वर्गकिमी एवं 1968 वर्गमील क्षेत्रफल में फैलेरांची जिला का मुख्यालय रांची है। रांची जिला की 2011 जनगणना के अनुसार जनसंख्या 2914263 की भाषा हिंदी , सदरी ,कुर्माली , कुरुख , मुंडारी , मगही है । रांची , जिला मुख्यालय है। इसे 1899 में एक जिले के रूप में स्थापित किया गया था। छोटा नागपुर पठार का 1400 ई.पू. में लोहे का धातुमल, बर्तन और लोहे के औजार पाए गए हैं। मगध साम्राज्य ने रांची क्षेत्र पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण मगध साम्राज्य का सम्राट अशोक के शासनकाल तक चला । कलिंग शासकों ने अभियानों के दौरान रांची क्षेत्र को नष्ट कर दिया था । गुप्त वंशीय समुद्रगुप्त की सेनाएँ दक्कन के अपने अभियान पर इस क्षेत्र से गुज़रीं गुजरने और गुप्तों के पतन के बाद फणी मुकुट राय ने नागवंशी वंश की स्थापना की थी। नागवंशीय संप्रभु राजा ने 1000 ई.पू. रांची जिले और छोटा नागपुर पठार के क्षेत्रों पर शासन किया था । नागवंशी राजवंश की राजधानी खुखरागढ़ था। मुगल साम्राज्य के विस्तार को नागवंशियों द्वारा रोकने के लिए मजबूर किया गया था । ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन तक स्वतंत्र रूप से शासन करना और प्रशासन करना जारी रखा । ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव , पांडे गणपत राय , टिकैत उमराव सिंह और शेख भिखारी ने 1857 के भारतीय विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । ब्रिटिश राज की अवधि के दौरान , आदिवासियों और छोटानागपुर पठार के अन्य स्थानीय लोगों ने अंग्रेजों द्वारा अधीनता का विरोध करना जारी रखने और क्षेत्र में विद्रोह हुए थे ।
आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण बिहार राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी रांची थी। रांची हिल स्टेशन हुआ करता था। गर्मियों के दौरान तापमान अधिकतम 42 से 20 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों के दौरान 25 से 0 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। दिसंबर और जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं, जब शहर के कुछ स्थानों पर तापमान हिमांक बिंदु तक पहुंच जाता है। वार्षिक वर्षा लगभग 1430 मिमी (56.34 इंच) है। जून से सितंबर तक वर्षा लगभग 1,100 मिमी है। रांची 23°21′N 85°20′E पर स्थित है।[5] रांची नगरपालिका क्षेत्र द्वारा कवर किया गया कुल क्षेत्रफल 175.12 वर्ग किलोमीटर है और शहर की औसत ऊंचाई समुद्र तल से 651 मीटर है।रांची छोटा नागपुर पठार के दक्षिणी भाग पर स्थित दक्कन पठार के पूर्वी किनारे का निर्माण करता है। रांची का दसम फॉल्स , हुंडरू फॉल्स , जोन्हा फॉल्स , हिरणी फॉल्स और पंचघाग फॉल्स एवं कांके, रूक्का और हटिया में बांध , स्वर्ण रेखा नदी , हरमू नदी है।रांची की पहाड़ी स्थलाकृति और घने उष्णकटिबंधीय जंगलों के साथ संयोजन है । ब्रिटिश शासन के दौरान हिल स्टेशन' का दर्जा दिया गया था।रांची जिले का रांची और बुंडू अनुमंडल और 14 प्रखंड है। जिले में विधानसभा क्षेत्र में , तामार (एसटी) , सिल्ली खिजरी (एसटी) , रांची , हटिया , कांके (एससी) , और मंदार (एसटी) , सिल्ली, खिजरी, रांची, हटिया और कांके और। रांची लोकसभा क्षेत्र हैं ।रांची विश्वविद्यालय की स्थापना 1960 ई. होने के बाद 35 घटक कॉलेज और 29 संबद्ध कॉलेज , 1944 ई. में स्थापित सेंट जेवियर्स कॉलेज , 19 55 ई. में स्थापित बिड़ला प्रौद्योगिकी संस्थान। , 1961 ई. में स्थापित बिरसा कृषि रांची विश्वविद्यालय थी।आईआईएम रांची , आठवां भारतीय प्रबंधन संस्थान 2010 में रांची में स्थापित किया गया था। यह वर्तमान में अपने प्रमुख कार्यक्रम के रूप में दो साल का पीजीडीएम प्रदान करता है और हाल ही में शोध कार्य के लिए पीएफपीईएक्स लॉन्च किया है।राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज , रांची में रांची विश्वविद्यालय का चिकित्सा संस्थान, 2002 में 1960 ई. में स्थापित राजेंद्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल को अपग्रेड कर शामिल किया गया था ।ब्रिटिश शासन ने 17 मई 1918 को रांची यूरोपियन ल्यूनेटिक एसाइलम स्थापित कर मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रमुख केंद्र बनाया है । और इसका श्रेय कई लोगों को जाता है। 1922 में पहला व्यावसायिक चिकित्सा विभाग, 1943 में ईसीटी, 1947 में साइकोसर्जरी और न्यूरोसर्जरी, 1948 में नैदानिक मनोविज्ञान और इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफी (ईईजी) विभाग, 1952 में एक पूर्ण न्यूरोपैथोलॉजी अनुभाग, पहला उपयोग 1952 में लिथियम और 1953 में क्लोरप्रोमाज़िन।1952 में लिथियम और 1953 में क्लोरप्रोमाज़िन का पहला प्रयोग।1952 में लिथियम और 1953 में क्लोरप्रोमाज़िन का प्रथम प्रयोग किया गया था ।रांची जिले के प्रखंडों में अंगारा , बेरो , बुंडू ब्लॉक , बर्मू , चान्हो , कांके ओरमांझी, इटकी ,नगरी ,खेलारी , लापुंग , मंदार , नामकुम ,रातू , सिल्ली , रहे ब्लॉक , सोनाहातु है।
रांची जिले में 1311 गाँव ,305 पंचायत है । ब्रिटिश साम्राज्य ने लोहरदग्गा में 1845 ई. तक शासन और 1945 के बाद किशुनपुर जिला मुख्यालय की नींव रखी थी । 1691 ई. में धुर्वा के जगनाथपुर में जगन्नाथ मंदिर की स्थापना की गई थी । रांची नगरपालिका की स्थापना 1869 ई. में हुई है। रातू महाराजा नागवंशीय मनिमुकुट राय एवं नागवंशीय के प्रथम एवं 61 वें महाराज प्रतापन्द्यना ब्राह्देव द्वारा रातू किले का निर्माण कराया था । रांची को विशुनपुर , विलकिंग्सन , अर्चि कहा जाता था।ब्रिटिश प्रशासन ने 1927 ई. में पूर्ण जिला एवं 15 नवंबर 2000 ई. को भारत सरकार द्वारा झारखण्ड राज्य का दर्जा एवं झारखण्ड राज्य की राजधानी बनाई है।
रांची जिले में पहाड़ी मंदिर , सूर्यमंदिर , टैगोर हिल , नक्षत्र वैन ,रॉक गार्डन , देवरी मंदिर , तामार का दसम फॉल ,पतरातू वैली , हुंडरू फॉल , पंचगढ़ फॉल ,सिंता फॉल ,रांची लॅक , माला शैली पर्वत , उल्तू का मराशिला पर्वत ,बूढ़ा पर्वत , नकटा पर्वत , राड़ू नदी ,हिनू नदी, जोन्हा जलप्रपात है। भगवान सूर्य। एवं छाया के पुत्र सावर्णि मनु कुल में उत्पन्न 13वाँ मनु रुचि व रौच्य मनु ने रौच्य मन्वंतर के राजा चित्र सेन , विचित्र द्वारा रौच्य नगर का निर्माण। राउंची प्रदेश का मुख्यालय राउंची किया था । चित्रसेन ने सौर धर्म , शैव धर्म , शाक्त धर्म की स्थापना की । वैष्णव धर्म , मरुत सम्प्रदाय , नाग सम्प्रदाय का उदय हुआ था । रांची को रौच्य , राउंची ,रअंची , राची कहा जाता था । राँची क्षेत्र में रांची जेल में 1885 ई. से 1900 ई. तक रांची क्षेत्र में ब्रिटिश साम्राज्य का शासन के विरुद्ध तथा नागरिकों की सुरक्षा के लिए कार्य करने वाले विरसा मुंडा 9 जून 900 ई. में हैजा होने के कारण अंतिम सांस लिए थे । भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की जन्म भूमि और कर्मभूमि रांची है। रांची क्षेत्र में झूमर , दमकच ,पाइकि , छ, किरकल