पुराणों एवं स्मृति ग्रंथों के अनुसार खाण्डव वन को भगवान कृष्ण के परामर्श से पांडवों ने इन्द्रप्रस्त का निर्माण कर पांडव की राजधानी बनी थी । पांडव वंशीय द्वारा दक्षिण दिल्ली का सूरजकुंड 700 ई. में दिल्ली का रूप दिया गया । पांडव वंशीय तोमर शासक अनंगपाल तोमर द्वितीय ने दिल्ली में लालकोट का निर्माण 1060 ई. में करने के बाद अपनी राजधानी बनाई थी ।12 96 ई. में अल्लाउद्दीन खिलजी ने लालकोट को कुष्क ए लाल , लाल प्रासाद में विश्राम किया था । लाल कोट में अष्टभुजी प्राचीर , तोरण द्वार और हाथी पोल द्वार थे । अग्निपुराण , अकबर नामा के अनुसार 1060 ई. में लालकोट का पुनर्निर्माण पृथ्वीराज चौहान द्वारा कराई गई थी । 1398 ई. में तैमूर लंग लालकोट का भ्रमण किया । लाल किला को लाल कोट , किला राय पिथौरा , लाल हवेली ,भाग्यशाली किला ,कुष्क ए लाल , , लाल प्रसाद , , लाल महल , शाहजहाबाद , किला ए मुबारक , लाल किला विभिन्न राजाओं , सुल्तानों , बादशाहों शासकों द्वारा नामकरण किया गया था । लाल की का दरवाजा में दिल्ली दरवाजा ,वर्खि दरवाजा ,अखबार दरवाजा ,नोवेल दरवाजा ,हिमायु दरवाजा ,लाहौर व लाहौरी गेट दरवाजा है ।सिखों द्वारा 174 , 1775 और 1703 ई. में लाल किला पर अधिकार किया गया था।लाल किले क्षेत्र 254 .67 एकड़ में फैले क्षेत्रफल में है। लाल किला व लाल कोट का राजा पृथ्वीराज चौहान एवं गोविंद चौहान 12 वीं सदी तक
थे । साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक द्वारा 20 अक्टूबर 2024 को लालकिला परिभ्रमण किया गया ।
पुरानी दिल्ली क्षेत्र में स्थित, लाल बलुआ पत्थर से निर्मित "लाल किला", को 2007 ई. में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल किया गया है । यमुना नदी के किनारे दिल्ली का बादशाह शाहजहाँ द्वारा 1638 ई. में 250 एकड़ जमीन में लाल किला का निर्माण कराया गया गया था । बादशाह शाहजहां ने 1638 ई . में अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली में स्थापित कर लिया था । मुगल काल के प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को लाल किले की शाही डिजाइन बनाने के लिए चुना था। उस्ताद अहमद ने लाल किला को बनवाने में विवेकशीलता और कल्पनाशीलता का इस्तेमाल कर इसे अति सुंदर और भव्य रुप दिया था। लाल किला बनने के कारण भारत की राजधानी दिल्ली को शाहजहांनाबाद कहा जाता था ।, मुगल बादशाह शाहजहां के बाद औरंगजेब ने लाल किले में मोती-मस्जिद का निर्माण करवाया था। लाल किले पर 17 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह जहंदर शाह के अधीनहोने के बाद 30 साल तक लाल किले बिना शासक का रहा था। नादिर शाह ने लाल किले पर अपना शासन किया । ब्रिटिश साम्राज्य ने 18 वीं सदी में लाल किले पर अधिकार कर लिया था । भारत की आजादी के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किला पर तिरंगा फहराकर देश के नाम संदेश दिया था। लाल किले का इस्तेमाल सैनिक प्रशिक्षण के लिए किया जाने लगा था। प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में मशहूर है । सलीमगढ़ के पूर्वी छोर पर स्थित लाल बलुआ पत्थर की प्राचीर एवं दीवार के कारण लाल किला है। लाल किला की चार दीवारी 1.5 मील (2.5 किमी) लम्बी और यमुना नदी के किनारे से ऊँचाई 60 फीट (16मी), तथा 110 फीट (35 मी) ऊँची और 82 मी की वर्गाकार ग्रिड (चौखाने) का प्रयोग कर बनाई गई है। लाल किले 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले को ब्रिटिश सेना के मुख्यालय के रूप में प्रयोग किया जाने लगा था । उमेद दानिश द्वारा 1903 ई. में लाल किले के नष्ट हुए बागों एवं बचे भागों को पुनर्स्थापित करने की योजना प्रारम्भ की गयी थी । लाल किले की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला एवं शाहजहानी शैली था। यह शैली रंग, अभिव्यंजना एवं रूप में उत्कृष्ट है। लालकिला सन 1913 ई. में राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक घोषित होने से पूर्वैसकी उत्तरकालीनता को संरक्षित एवं परिरक्षित करने हेतु प्रयास हुए थे।
लाल किला की दीवार लाहौर दरवाज़े मुख्य प्रवेशद्वार के अन्दर एक लम्बा बाजार ,, चट्टा चौक, जिसकी दीवारें दुकानों से कतारित, खुला स्थान उत्तर-दक्षिण सड़क को काटती , सड़क पहले किले को सैनिक एवं नागरिक महलों के भागों में बांटती और सड़क का दक्षिणी छोर दिल्ली गेट है। लाहौर गेट से चट्टा चौक तक आने वाली सड़क से लगे खुले मैदान के पूर्वी ओर नक्कारखाना संगीतज्ञों हेतु बने महल का मुख्य द्वार है। गेट के पार एक और खुला मैदान में मुलतः दीवाने-ए-आम का प्रांगण हुआ करता था। दीवान-ए-आम। जनसाधारण हेतु बना वृहत प्रांगण था। अलंकृत सिंहासन का छज्जा दीवान की पूर्वी दीवार के बीचों बीच निर्मित बादशाह के लिए निर्मित सिंहासन और सुलेमान के राज सिंहासन था। नहर-ए-बहिश्त - राजगद्दी के पीछे की ओर शाही निजी कक्ष नहर ए बहिश्त के क्षेत्र का , पूर्वी छोर पर ऊँचे चबूतरों पर बने गुम्बददार इमारतों की कतार से यमुना नदी का किनारा दिखाई पड़ता है। मण्डप छोटी नहर से जुडे़ को नहर-ए-बहिश्त कहते हैं । नहर के बहिका सभी कक्षों के मध्य से जाती है। लाल किले के पूर्वोत्तर छोर पर बने शाह बुर्ज पर यमुना जल से नहर की जल आपूर्ति होती है। किले का परिरूप कुरान में वर्णित स्वर्ग या जन्नत के अनुसार बना है। लालकिले का प्रासाद, शाहजहानी शैली का उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करता है। महल के दक्षिणवर्ती प्रासाद महिलाओं हेतु निर्मित को जनाना व मुमताज महल,संग्रहालय बना हुआ एवं रंग महल, में सुवर्ण मण्डित नक्काशीकृत छतें एवं संगमर्मर सरोवर में नहर-ए-बहिश्त से जल आता है। दक्षिण से तीसरा खास महल में शाही कक्ष निर्मित हैं। खास महल में राजसी शयन-कक्ष, प्रार्थना-कक्ष, बरामदा और मुसम्मनबुर्ज से बादशाह जनता को दर्शन देते थे। दीवान-ए-खास मंडप राजा का मुक्तहस्त से सुसज्जित निजी सभा कक्ष था। दिवान के खास महल में सचिवीय qक़क़ मंत्रीमण्डल तथा सभासदों से बैठकों के काम आता थाइस म्ण्डप में पीट्रा ड्यूरा से पुष्पीय आकृति से मण्डित स्तंभ बने हैं। इनमें सुवर्ण पर्त भी मढी है, तथा बहुमूल्य रत्न जडे़ हैं। महल की मूल छत को रोगन की गई काष्ठ निर्मित छत से बदल दिया गया है। इसमें अब रजत पर सुवर्ण मण्डन किया गया है।तुर्की शैली में रंगीन संगमरमर पाषाण युक्त निर्मित हमाम महल की राजसी स्नानागार था, एवं तुर्की शैली में बना है। हमाम के पश्चिम में मोती मस्जिद का निर्माण सन् 1659 में, औरंगजे़ब की निजी मस्जिद निर्मित थी। मोती मस्जिद तीन गुम्बद वाली, तराशे हुए श्वेत संगमर्मर से निर्मित , मुख्य फलक तीन मेहराबों से युक्त , एवं आंगन में फुलो का मेला है। मोती मस्जिद के उत्तर में हयात बख्श बाग हैं। मण्डप उत्तर दक्षिण कुल्या के दोनों छोरों पर स्थित हयात महल का निर्माण अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वारा 1842 बनवाया गया था। लाल किला स्थल जहाँ से भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देश की जनता को सम्बोधित करते हैं। लाल किला इमारत समूह में 3000 लोग रहा करते थे परंतु 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा़ हो गया, एवं रिहायशी महल नष्ट कर दिये गये। लाल किला ब्रिटिश सेना का मुख्यालय बनाया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहादुर शाह जफर पर मुकदमा भी चला , नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था। स्वतंत्रता के बाद 1947 में भारतीय सेना ने किले का नियंत्रण ले लिया था। दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने लालकिला भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया। किले पर दिसम्बर 2000 में लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादियों द्वारा हमला के दौरान दो सैनिक एवं एक नागरिक मृत्यु को प्राप्त हुए। भारत के आजाद होने पर 1947 ई. में ब्रिटिश सरकार ने लाल किला परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था । २२ दिसम्बर २००३ को भारतीय सेना ने 22 दिसंबर 2003 को लाल किला खाली कर समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया था । लाल किले पर 1739 में फारस के बादशाह नादिर शाह ने हमला किया और स्वर्ण मयूर सिंहासन ले गया था।