बुधवार, अक्तूबर 05, 2022

भगवान विष्णु के नवें अवतार बुद्ध ...


 बुद्धावतार भगवान् विष्णु के ९वाँ अवतार एवं  तेईसवें अवतार   बुद्धावतार  है । परन्तु पुराणों के विस्तृत अध्ययन से  भागवत स्कन्ध १ अध्याय ६ के श्लोक २४  , श्रीं नरसिंह पुराण 36 /29 एवं ललित विस्तार अध्याय 21 पृष्ठ 178 के अनुसार  ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्। बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति॥ अर्थात्, कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट हुए थे । बिहार का  गया के हेमसदन की भार्या अंजना के पुत्र शाक्य का जन्म आश्विन शुक्ल दशमी तिथि दिन गुरुवार द्वापर युग में हुआ था । भगवान विष्णु के 9 वें अवतार शाक्य (बुद्धावतार ) दैत्यों को मोहित करने तथा प्रजा के शांति के लिए हुए था । पुराणों में भगवान  बुद्ध के उल्लेख हरिवंश पर्व (1.41) ,विष्णु पुराण (3.18) ,भागवत पुराण (1.3.24, 2.7.37, 11.4.23) गरुड़ पुराण (1.1, 2.30.37, 3.15.26) ,अग्निपुराण (16) ,नारदीय पुराण (2.72) ,लिंगपुराण (2.71) और पद्म पुराण (3.252) में किया गया है । मोहनार्थं दानवानां बालरूपं पथि स्थितम् ।पुत्रं तं कल्पयामास मूढबुद्धिर्जिनः स्वयम् ॥ततः सम्मोहयामास जिनाद्यानसुरांशकान् ।भगवान् वाग्भिरुग्राभिरहिंसावाचिभिर्हरिः॥ (ब्रह्माण्ड पुराण १३) बुद्धावतार भगवान् विष्णु के ९वाँ अवतार एवं  तेईसवें अवतार   बुद्धावतार  है ।  पुराणों के विस्तृत अध्ययन से  भागवत स्कन्ध १ अध्याय ६ के श्लोक २४  , श्रीं नरसिंह पुराण 36 /29 एवं ललित विस्तार अध्याय 21 पृष्ठ 178 के अनुसार  ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्। बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति॥ अर्थात्, कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। बिहार का  गया के हेमसदन की भार्या अंजना के पुत्र शाक्य का जन्म आश्विन शुक्ल दशमी तिथि दिन गुरुवार द्वापर युग में हुआ था । भगवान विष्णु के 9 वें अवतार शाक्य (बुद्धावतार ) दैत्यों को मोहित करने तथा प्रजा के शांति के लिए हुए था । पुराणों में भगवान  बुद्ध के उल्लेख हरिवंश पर्व (1.41) ,विष्णु पुराण (3.18) ,भागवत पुराण (1.3.24, 2.7.37, 11.4.23) गरुड़ पुराण (1.1, 2.30.37, 3.15.26) ,अग्निपुराण (16) ,नारदीय पुराण (2.72) ,लिंगपुराण (2.71) और पद्म पुराण (3.252) में किया गया है । मोहनार्थं दानवानां बालरूपं पथि स्थितम् ।पुत्रं तं कल्पयामास मूढबुद्धिर्जिनः स्वयम् ॥ततः सम्मोहयामास जिनाद्यानसुरांशकान् ।भगवान् वाग्भिरुग्राभिरहिंसावाचिभिर्हरिः॥ (ब्रह्माण्ड पुराण १३) । अर्थात  दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया। हिन्दू ग्रन्थों में भगवान बुद्ध की चर्चा हुई है । बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति (श्रीमद्भागवत)  बुद्ध के माता अजन' और  जन्म 'कीकट'  में होने की चर्चा  है।। अर्थात  दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया। हिन्दू ग्रन्थों में भगवान बुद्ध की चर्चा हुई है । बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति (श्रीमद्भागवत)  बुद्ध के माता अजन' और  जन्म 'कीकट'  में होने की चर्चा  है।
 बौद्ध धर्मग्रंथों में  बुद्धों की ब्रह्मांड में अस्तित्व है । म्यांमार के यांगून में सुले पगोडा में बौद्ध पुरुष, बुद्धवंश के अध्याय 27 में वर्णित 29 बुद्धों का उल्लेख है । थेरवाद परंपरा के पाली साहित्य में 29 बुद्धों की श्रीलंका , कंबोडिया , लाओस , म्यांमार , थाईलैंड में वर्णन है । थेरवाद बौद्ध धर्म का पालन करते हैं । बुद्धवंश में 27 बुद्धों के साथ-साथ भविष्य का वर्णन किया गया है । मेटेय्या बुद्ध में  बुद्धवंश खुदाका निकाय का सुत्त पिटक का हिस्सा है । बुद्धों में तंठकर, मेधाकर, और सरशंकर- दीपांकर बुद्ध  थे । दीपांकर बुद्ध ने ब्राह्मण युवाओं को नियत विवरण  दिया था । बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुसार जम्बूद्वीप में बुद्ध है । बुद्ध में तह्करा तंस्कार: ,पोफावादी ,  राजा सुनंधा और रानी सुनंदा रुक्ठथाना , मेधाṅकर मेधा कर याघर: , सुदेवा और यशोधरा कैलास , सरसंस्कार: शरणा्करा विपुला सुमंगला और यशवती पुलिल , दीपांकर दीपांकर राममवतीनगर सुदेवा और सुमेध्याय पिप्पला सुमेधा (सुमति या मेघा मानव,कानदान कौशिन्या राममवतीनगर सुनंदा और सुजाता सालकल्याण विजयावी ,, मंगला मंगला उत्तरनगर (मझीमदेसा)उत्तरा (पिता) और उत्तरा (माता) एक नाग सुरुचि (सिरिब्रह्मणो )  सुमना सुमन समेखला नगरसुदासाना और सिरिमा एक नाग राजा अतुल, एक नाग रेवटा रैवत: सुधन्नवतीनगरविपला और विपुल एक नाग ए श्रमण, शोभिता शोभिता सुधम्मनगर: सुधम्मनगर (पिता) और सुधम्मनगर (माता) एक नाग सुजाता, श्रमण (राममावती में) ,अनोमाडासी अनवमदारिन चंदावतीनगर यशव और यशोदर: अंजुना एक यक्ष राजा ,पदुमा , पद्माचंपायनगर:आसमा (पिता) और आसमा (माता) सलाल एक शेर , नारद नारद धम्मावतीनगरराजा सुदेवा और अनुपमा सोनाका हिमालय में एक तपसो , पदुमुत्तरा पदमोत्तरा हंसावतीनगर अनुरुला और सुजाता सलाल जतिलो, एक तपस्वी ,सुमेधासुमेधासुदासननगर सुमेधा (पिता) और सुमेधा (माता) निपास उत्तरो के मूल निवासी , सुजाता: सुजाता: सुमंगलनगर उगाटा और पब्बावती वेलु एक चक्रवर्ती पियादस्सी , प्रियदर्शिनी सूडाननगर सुदता और सुबोध काकुधा कस्पा, एक भिक्षु सिरिवत्तनगर में , अथादस्सी अर्थदर्शिनी सोनानगर: सगर और सुदासाना चंपा सुसिनो, एक श्रमण , धम्मदास धर्मदर्शनी सुरानानगर: सूरनमह और सुनंदा बिंबजल ,सिद्धार्थ: सिद्धार्थ: विभरानगर उडेनी और सुफसाकनिहानी मंगल, एक श्रमण टिस्सा तिय्या खेमानगर: जनसंडो औरपदुमाआसन यशवतीनगर के राजा सुजाता ,फुसा , पूज्य: काशी जयसेना और सिरेमाया अमलाक विजेतावि,विपश्य नाविपासि नबंधुवतीनगर: विपासी (पिता) और विपासी(माता) पाषाण ( स्टीरियोस्पर्मम चेलोनोइड्स ) राजा अतुल ,सिखīसिखिन अरुणावट्टीनगर अरुणावट्टी और पापवट्टीपुसारिका (मैंगिफेरा इंडिका ) अरिंदमो (परीभुट्टानगर में , वेसभाविश्वभूमिअनुपमनगर:सुप्पलित्त और यशवती साला ( शोरिया रोबस्टा ) सदासन (सरभावतीनगर में काकुसंधा क्राकुचंदा खेमावतीनगर राजा खेमा और विशाखा के भिक्षु अग्गीदत्त सिरिसा ( अल्बिजिया लेबेबेक) लेबेक ) राजा खेमा , कोसागमन: कनकमुनि सोभवतीनगर:यानादत्त, एक भिक्षु, और उत्तर: उडुंबरा ( फिकस रेसमोसा ) मिथिला में  पहाड़ी क्षेत्र केराजा पब्बाटा कस्पा कश्यप: बरनासीनगर ब्रह्मदत्त, एक भिक्षु, और धनावती निग्रोधा ( फिकस बेंघालेंसिस) बेंघालेंसिस ) जोतिपाला (वप्पुल्ला में) , गौतम लुम्बिनी राजा शुद्धोदन और माया असत्था ( फिकस रिलिजियोसा) रिलिजिओसा ) गौतम, बुद्ध ,मेटेय्या मैत्रेय केतुमाता ,सुब्रह्मा और ब्रह्मवती , नागा ( मेसुआ फेरिया ) पैंतीस  बुद्ध है ।
 बौद्ध धर्म में शाक्यमुनि , शाक्य तुप-पा शाक्यमुनि , वज्रप्रमर्डī दोर्जे निंग्पो राप्तु जोम्पा वज्र सार के साथ पूरी तरह से विजय प्राप्त की ,रत्नारिणी रिनचेन ओ-ट्रो दीप्तिमान गहना , नागेश्वर राज :लुवांग जी गेलपो राजा, नागाओं के भगवान ,वीरसेन पावो-देनायकों की सेना ,वरानंदी पावो-ग्य

प्रसन्न नायक ,रत्नाग्नि में रिनचेन-मे ज्वेलफायर ,रत्नचंद्रप्रभा रिनचेन दा-ओ गहना चांदनी ,अमोघदारसी में टोंगवा डोन्योस सार्थक दृष्टि , रत्नचंद्र मैं रिनचेन दावा ज्वेल मून , विमला में  ड्रिमा मेपास स्टेनलेस एक ,रादत्त पा-जिन शानदार देना , ब्रह्मा त्संगपा शुद्ध  ब्रह्मदत्त त्संगपे जिनो पवित्रता देना वरुण चू ल्हा जल देव ,वरुणदेव: में चू लहे ल्हा जल देवताओं के देवता ,भद्राश्री में पेल-ज़ांगो गौरवशाली अच्छाई , कंदनारी में त्सेनडेन पेले गौरवशाली चंदन , अनंतौजसी मैं जिजी तय अनंत वैभव ,प्रभाश्री मेंओ पेले शानदार रोशनी ,अशोकश्री में न्यांगेन मेपे पेले दु:खरहित  महिमा ,नारायणन सेमे कयि बू गैर-लालसा का पुत्र ,कुसुमाश्री में मेटोक पेलु शानदार फूल है।

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