शुक्रवार, अक्तूबर 07, 2022

समय के उद्गमकर्ता भगवान सूर्य ,,,


सनातन धर्म की सौर संस्कृति ग्रंथों एवं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य द्वारा ग्रह , समय , नक्षत्र , ऋतु , मौसम , , मास ,दिन होते है । रविवार भगवान सूर्य को समर्पित है । रविवार की अवकाश  10 जून, 1890 को मेघाजी लोखंडे का प्रयास सफलता के बाद ब्रिटिश शासन ने  रविवार के दिन सबके लिए छुट्टी घोषित किया था । सनातन धर्म में  सूर्य को  रविवार ,आदित्यवार  , इतवार , एतवार कहा जाता है। भारत के मजदूरों के नेता मेघाजी लोखंडे ने 1857 ई. मे मजदूर  अपनी थकान मिटाने और  वक्त निकाल निकालने के लिए साप्ताहिक अवकाश की मांग किया था । ब्रिटिश सरकार द्वारा  10 जून, 1890 को  रविवार के दिन छुट्टी घोषित कर दी गयी है । भारत का गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग 1844 से 1848 ई. तक रहने के दौरान  रविवार को अवकाश घोषित किया था। रोमनों ने नागरिक अभ्यास में आठ दिनों की अवधि का इस्तेमाल करने के कारण  321 सीई में सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने रोमन कैलेंडर में सात-दिवसीय सप्ताह की स्थापना कर  रविवार को सप्ताह के पहले दिन के रूप में नामित किया था । सप्ताह के सात दिनों में  सूर्य को रवि , वार  कहा गया  है । रविवार की छुट्टी की प्रारम्भ सन 1843 ई० में होने के बाद  सरकारी कार्यालयों में काम कर रहे लोगों को मानसिक रूप से विश्राम प्रदान करना है। पंचांग के अनुसार सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रम रविवार को ज्यादा होते है। अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था द्वारा 1986 में रविवार को छुट्टी का दिन घोषित करने का श्रेय  ब्रिटिश प्रशासक  को  माना जाता है । ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने प्रथम बार ब्रिटेन के स्कूलों में रविवार को छुट्टी घोषित करने का प्रस्ताव दिया था । बच्चे में रविवार को घर पर आराम और  क्रिएटिव काम करने के लिए उत्सुकता जागृत कर अपने लक्ष्य हासिल करता है । रविवार की छुट्टी की शुरुआत सन 1843 में  सरकारी कार्यालयों में काम कर रहे लोगों को मानसिक रूप से विश्राम प्रदान करना है 1843 में अंग्रेजों के गवर्नर जनरल ने रविवार में आदेश को पारित किया था। ब्रिटेन में सबसे पहले स्कूल बच्चों को रविवार की छुट्टी देने का प्रस्ताव दिया गया था ।लैटिन डाइस सोलिस की जर्मनिक  शब्द सुन्नन्दग व्याख्या से रविवार  अर्थात  "सूर्य का दिन कहा जाता है। जर्मनिक और नॉर्स के अनुसार  भगवान सूर्य को सुन्ना या सोल की देवी  है । रोमन सम्राट कॉन्सटेंटाइन  ने 07 मार्च 321 ई. को  रविवार में  श्रम से आराम का दिन बनाते हुए नागरिक डिक्री जारी कर न्यायाधीश , कर्मी और शिल्पकार द्वारा भगवान सूर्य के पवित्र दिन रविवार  पर आराम और परिवार के साथ जीवन व्यतीत करने की घोषणा किया था । विश्व के देशों में रविवार को शांतिपूर्ण अवकाश होती हैं  रॉबर्ट राइक्स , (जन्म 14 सितंबर, 1735, ग्लूसेस्टर, ग्लॉस्टरशायर, इंजी। - 5 अप्रैल, 1811, ग्लूसेस्टर), ब्रिटिश पत्रकार, परोपकारी, और संडे-स्कूल आंदोलन के अग्रणी थे । उनका परोपकारी कार्य जेल सुधार की चिंता के साथ शुरू हुआ था । इंग्लैंड में कामकाजी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रथम बार 18 वी शताब्दी में संडे स्कूल स्थापित किए गए थे। विलियम किंग ने 1751 में डर्स्ली, ग्लॉस्टरशायर में संडे स्कूल शुरू किया और सुझाव दिया कि ग्लूसेस्टर जर्नल के संपादक रॉबर्ट राइक्स ग्लूसेस्टर में संडे  स्कूल प्रारम्भ किया था । संडे स्कूल के शिक्षक का उद्देश्य संडे स्कूल और बाइबल अध्ययन पाठों को व्यवस्थित कर देखरेख करना है। चर्चों द्वारा काम पर रखे जाते  और कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं जिनमें पाठ योजनाएं विकसित करना, धन उगाहने वाले कार्यक्रमों में सहायता करना और शैक्षिक गतिविधियों में बच्चों का नेतृत्व करना शामिल है।
 पूर्वाह्न , मध्याह्न और अपराह्न उदगम - सौर संस्कृति का ज्योतिष शास्त्र एवं वेदों , संहिताओं के अनुसार भगवान सूर्य और चंद्रमा का  गति के अनुसार भूतल पर समय निर्धारित है । अंग्रेजी साहित्य और विश्व के सभी धर्मग्रंथों में भारतीय मनीषियों द्वारा समय निर्धारण भिन्न भिन्न रूप से किया नाम कारण किया गया है । सनातन धर्म में सूर्य की गतियों के कारण पल , दंड ,होड़ा , पहर ,  मौसम , ऋतुएं , मास , दिन समय निर्धारण किया गया है । सनातन धर्म एवं ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार भगवान सूर्य की गति प्रत्येक दिन प्रातः काल , मध्य काल , सायं काल , रात्रिकाल  निर्धारित है । कालांतर प्रातः काल को पूर्वाह्न , मध्य काल , और अपराह्न कहा गया ब्रिटिश काल इन प्रातः काल को एंटी मेरिडियन , अन्ते मेरीडियन , ए एम और मध्य काल , सायं काल और रात्रि काल तक को पोस्ट मेरीडियन  पी एम कहा गया है । सौर संस्कृति के अनुसार भगवान सूर्य की उपासना प्रातः काल सूर्य की मूर्ति , मध्य काल सूर्य की मूर्ति और संध्या काल की मूर्ति की उपासना की जाती है । बाद में भारतीय संस्कृति में पूर्वाह्न , मध्याह्न और अपराह्न के रूप में भगवान सूर्य की उपासना प्रारम्भ हुआ । विभिन्न संस्कृतियों में भिन्न भिन्न भिन्न भाषा के अनुसार संस्कृत भाषा मे भगवान सूर्य का चढ़ाव दिन 12 बजे के पूर्व तक  आरोहनम मार्तण्ड , प्रातः काल , हिंदी में पूर्वाह्न  , अंग्रेजी में एंटी मेरिडियन ,संक्षिप्त रूप ए एम और दिन के 12 बजे के बाद सूर्य का ढलाव , सूर्य का अवसान  को पत्तनम मार्तण्ड को , अपराह्न , पोस्ट मेरिडियन संक्षिप्त नाम पी एम कहा गया है । आधुनिक समय मे पूर्वाह्न को एंटी मेरिडियन , मध्यान को आफ्टरनून और अपराह्न को पोस्ट मेरीडियन कहा जाता है ।  भगवान सूर्य की पूर्वाह्न मध्याह्न और अपराह्न की सूर्य की मूर्ति गया एवं देव स्थित सूर्य मंदिर में स्थित है । भगवान सूर्य की आराधना और उपासना के लिए विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न भिन्न रूप तथा बिहार में छठ पूजा , यूनान में रा के रूप में उपासना की जाती है ।

1 टिप्पणी: