सोमवार, फ़रवरी 21, 2022

भगवान हृषिकेश का अवतरण स्थल ऋषिकेश....


भारतीय और सनातन संस्कृति में ऋषिकेश का स्थल आध्यात्म , योग और तपोभूमि एवं भगवान हृषिकेश का अवतरण का उल्लेख है ।  वैश्विक राजधानी ऋषिकेश, हरिद्वार से 25 किमी उत्तर  स्थित है। ऋषिकेश में त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर, मुनि की रेती, परमार्थ निकेतन, राम झूला, त्रिवेणी घाट पर आरती तथा गंगा तट पर शिव मूर्ति है   निर्देशांक: 30°06′30″N 78°17′50″E / 30.10833°N 78.29722°E  पर स्थित क्षेत्रफल ११.५ किमी2 (4.4 वर्गमील) ऊँचाई 372 मी , 1,220 फीट  जनसंख्या 2011   के अनुसार जनसंख्या १०२,१३८ वाला ऋषिकेश ८,८५१ किमी2 (22,920 वर्गमील) में  फैला हुआ है । समुद्र मन्थन के दौरान निकला हलाहल भगवान शिव ने ऋषिकेश स्थान पर हलाहल  पीने के बाद भगवान शिव का  गला नीला पड जाने से नीलकण्ठ कहा गया है । त्रेतायुग में भगवान राम ने वनवास के दौरान  समय व्यतीत किया था। विक्रमसंवत 19960 में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया है । ऋषि रैभ्य ने  कठोर तपस्या  से प्रसन्न होकर भगवान हृषीकेश के रूप में प्रकट हुए थे । भगवान ह्रषिकेश को  ऋषिकेश समर्पित  है।  गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मण ने स्थान पर जूट का झूला बनवाया था। 450 फीट लम्बे  झूले के समीप  लक्ष्मण और रघुनाथ मन्दिर है । लक्ष्मण झूला के समान राम झूला  स्थित है। त्रेतायुग में भगवान राम   ने रावण की बध करने  के लिए ऋषि वशिष्ठ की सलाह पर ऋषिकेश में तपस्या किया था । ऋषिकेश में भगवान राम का प्राचीन मंदिर ,  भारत पुष्कर मंदिर, शत्रुघ्न मंदिर, लक्ष्मण  मंदिर, गीता भवन , गुरुद्वारा  और पंजाब क्षेत्र का मंदिर है। चंद्रबाथा और गंगा के संगम पर स्थित ऋषिकेश को सागो की जगह कहा गया है। नीलकंठ महादेव मंदिर - हिमालय पर्वतों के तल में बसा ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर  है । भगवान शिव ने  समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण करने के बाद माता पार्वती द्वारा   भगवान शिव का गला दबाने से  विष गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से भगवान शिव का गला नीला पड़ने के कारण  नीलकंठ से जाना गया था। अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है जहाँ भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से स्नान करते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 5500 फीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मुनी की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 50 किलोमिटर और नाव द्वारा गंगा पार करने पर 25 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है। नीलकंठ महादेव मंदिर की नक़्क़ाशी एवं अत्यन्त मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य को चित्रित  और गर्भ गृह के प्रवेश-द्वार पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान शिव को विष पीते हुए दर्शित किया  गया है।  पहाड़ी पर माता पार्वती जी का मंदिर है। ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला · राम झूला · त्रिवेणी घाट · स्वर्ग आश्रम · वसिष्ठ गुफा · गीता भवन · योग केन्द्र · नीलकंठ महादेव मंदिर · भरत मंदिर · अय्यपा मन्दिर · कैलाश निकेतन मंदिर · परमार्थ निकेतन आश्रम · स्वामी दयानंद सरस्वती आश्रम · परमार्थ निकेतन · स्वामी रामा साधक ग्राम · फूल चट्टी आश्रम , गुरुद्वारा दर्शनीय है ।पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान शिव को विष पीते हुए दर्शित किया  गया है।  पहाड़ी पर माता पार्वती जी का मंदिर है। ऋषिकेश  में लक्ष्मण झूला · राम झूला · त्रिवेणी घाट · स्वर्ग आश्रम · वसिष्ठ गुफा · गीता भवन · योग केन्द्र · नीलकंठ महादेव मंदिर · भरत मंदिर · अय्यपा मन्दिर · कैलाश निकेतन मंदिर · परमार्थ निकेतन आश्रम · स्वामी दयानंद सरस्वती आश्रम · परमार्थ निकेतन · स्वामी रामा साधक ग्राम · फूल चट्टी आश्रम , गुरुद्वारा दर्शनीय है ।


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