बुधवार, मार्च 23, 2022

मधेपुरा की सांस्कृतिक विरासत ...


बिहार राज्य का 9 मई 1981 ई. में स्थापित 1787 वर्ग कि मि . व 690 वर्ग मी. क्षेत्रफल में अवस्थित  मधेपुरा जिला का मुख्यालय मधेपुरा के  उत्तर में अररिया,  सुपौल, दक्षिण में खगड़िया , भागलपुर , पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा जिले की सीमा से घिरा है। कोशी नदी के मैदानों में स्थित  25°. 34 - 26°.07’ उत्तरी अक्षांश तथा 86° .19’ से 87°.07’ पूर्वी देशान्तर के बीच मधेपुरा जिला में 2 अनुमंडल एवं 11 प्रखंड  है। पौराणिक काल में कोशी नदी के तट पर ऋषया शांता एवं ऋषि  श्रृंग का आश्रम था। ऋषया शांता एवं ऋषि श्रृंग द्वारा  अपने आराध्य देव भगवान शिव की उपासना स्थल पर शिवलिंग की स्थापना करने के कारण  श्रृंगेश्‍वर नाथ के नाम से विख्यात है ।  मिथिला राज्य का हिस्सा,  मगध साम्राज्य का  मौर्य वंश , कुषाण वंशीय के अधीन मधेपुरा था । उदा-किशनगंज स्थित मौर्य स्तम्भ है। शंकरपुर प्रखंड के बसंतपुर तथा रायभीर गांवों में रहने वाले भांट समुदाय के लोग कुशान वंश के परवर्ती हैं। मुगल शासक अकबर के समय की मस्जिद सारसंदी गांव में स्थित है । सिंहेश्वर स्थान -  पुरणों एवं इतिहासकारों  के अनुसार त्रेतायुग में अयोध्या का राजा दशरथ की भार्या कौशल्या की पुत्री एवं भगवान राम की बहन  ऋषया शांता एवं ऋषि  श्रृंग के आश्रम के समीप  प्राकृतिक शिवलिंग उत्पन्न हुई थी। मधेपुरा का व्यापारी  हरि चरण चौधरी द्वारा श्रृंगेश्वर ( सिंहेश्वर )  मंदिर का निर्माण  करवाया  था।  श्रृंगी ऋषि द्वारा स्थापित शिवलिंग 15 फिट ऊँचाई युक्त चट्टान पर स्थित है । राजा मधेश द्वारा मधेश साम्राज्य की राजधानी मधेशपुर नगर और श्रृंगेश्वर  मंदिर का निर्माण कर भगवान शिव की उपासना स्थल कायम किया गया था ।उदाकिशुनगंज - उदाकिशुनगंज में 18 वीं सदी का राजपूत राजा चंदेल वंशीय उदय सिंह एवं किसुन सिंह द्वारा दुर्गा मंदिर की स्थापना की गई थी ।  कोशी की धारा बदलने के बाद आनंदपुरा गांव के हजार मनी मिश्र ने दुर्गा मंदिर की स्थापना के लिए जमीन दान एवं  कुएं का निर्माण कराया था । उदाकिशुनगंज निवासी प्रसादी मिश्र मंदिर के पुजारी द्वारा  1768 ई में प्रथम  बार कलश स्थापित किया था।  मझुआ - संत शिशु सूरज द्वारा मझुया में  सत्संग आश्रम का निर्माण करवाया गया था  । मझुआ निवासी बाबुजन लाल की पत्नी जनकवती देवी के गर्भ से  महान संत महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज का जन्म  28 अप्रैल 1885 ई. को हुआ था । पचरासी  - मधेपुरा के चौसा प्रखंड का   पचरासी स्थित मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला शासन काल 1719 ई. में बाबा विशु राउत  का जन्म  हुआ था ।  पचारासी स्थित विशु धाम में लोक देव विशु पशु पलकों के लिए पूजन का महत्पूर्ण केंद्र   है । 14 अप्रैल 2015 को  मुख्यमंत्री नीतिश कुमार द्वारा विशु  मेला का उद्घाटन कर लोक देवता बाबा विशु की प्रतिमा पर दुधाभिषेक किया एवं  लालू प्रसाद द्वारा अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में  बाबा विशु की प्रतिमा पर दुधाभिषेक किया गया है । कोसी एवं अंग प्रदेश , पूर्वोत्तर बिहार में बाबा बिशु के प्रताप  से पशुपालक अपने पशु के पहले दूध से बाबा का अभिषेक करते हैं। बाबा बिशु की वीरगाथा एवं पशु प्रेम को चरवाहों द्वारा अंगिका भाषा  में लोकगीत गया कर  बाबा विशु समाधि स्थल पर कच्चा दूध चढ़ाया जाता है और दिन गुजर जाने के बाद भी यह दूध खराब नहीं होता है। आज भी महिला समेत लाखों श्रद्धालु एवं पशुपालन दिन के मेले में दुधारू पशुओं का दूध चढ़ाया एवं स्वस्थ रहने की मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना की पूजा अर्चना में सैकड़ो मन दूध चढ़ाया जिसे मेला में दूध की धारा बहने लगता है । बाबा विशु राउत स्थान में सप्ताह में 2 दिन सोमवार और शुक्रवार को बैरागी (जोनर) लगता है। इस दिन दूर दराज से लोग अपने पशुओं के दूध को लेकर बाबा बिशु को दूध अर्पित करते  और प्रसाद के रूप में दही चूड़ा ग्रहण करते हैं। मधेपुरा की कवित्री डॉ . इंदु कुमारी ने बताया कि वशु धाम 


का खीर खाने से सर्वार्थसिद्धि प्राप्ति होती है ।  श्रीनगर - मधेपुरा शहर से लगभग २२ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में स्थित श्रीनगर में  किले का राजा श्री देव रहने के लिए किया करते थे। किले के पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशा की  हरसैइर कुंड और  घोपा कुंड व  पोखर् के भगवान शिव को पत्थर युक्त स्तम्भ से निर्मित शिव मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंग  समर्पित है। रामनगर - मुरलीगंज रेलवे स्टेशन से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर रामनगर में  देवी काली के मंदिर है । बसन्तपुर - मधेपुरा के दक्षिण से 24 किलोमीटर की दूरी पर बसंतपुर में  द्वापरयुग में राजा विराट द्वारा किले का निर्माण कर कीचक को रहने का स्थान था। राजा विराट के साले कीचक को भीम ने मारा था। बिराटपुर - सोनबरसा रेलवे स्टेशन से लगभग नौ किलोमीटर की दूरी पर बिराटपुर में महाभारत काल में निर्मित  देवी चंडिका मंदिर  है । 11वीं शताब्दी में राजा कुमुन्दानंद द्वारा काली  मंदिर के बाहर पत्थर के स्तम्भ बनवाए गए थे। काली मंदिर के पश्चिम आधा किलोमीटर की दूरी स्थित  पर्वत  पर द्वापर युग में अज्ञातवास के समय  पांडव पुत्रों का निवास था ।  बाबा करु खिरहर मंदिर महर्षि खण्ड के महपुरा गांव में स्थित है। मधेपुरा जिला अब सहरसा जिले अलग स्थापित मधेपुरा को राजस्व  जिले का सृजन  9 मई 1981 में प्राप्त हुआ है ।  था।  3 सितंबर 1845 से भागलपुर जिले के तहत उप-मंडल मधेपुरा अनुमंडल था।  1 अप्रैल 1954 को भागलपुर जिले से अलग करके सहरसा जिला का सृजन किया गया था।  मधेपुरा जिला 1,788 वर्ग किलोमीटर (690 वर्ग मील) के मधेपुरा जिला कोशी नदी के मैदानी क्षेत्र और बिहार के उत्तरपूर्वी भाग में 25° के बीच अक्षांश पर स्थित है। 34 से 26°.07' और देशांतर 86°.19' से 87°.07' के बीच गुमती नदी के किनारे मधेपुरा शहर स्थित है । मधेपुरा जिले में अनुमंडल   मधेपुरा और उद किशुनगंज, 13 ब्लॉक, 13 थाना, 170 पंचायत और 434 राजस्व गांव तथा  प्रखंड में मधेपुरा , घेलर्दो , सिंगेश्वर-स्थान प्रखण्ड, गम्हरिया , शंकरपुर , कुमारखंड ,मुरलीगंज ,ग्वालपारा , बिहारीगंज ,उदाकिशुनगंज , पुराणी ,आलमनगर ,चौसा में  2011 की जनगणना के अनुसार  मधेपुरा जिले की  जनसंख्या 2,001,762 में  साक्षरता दर 53.78% है ।लिंग  पुराण , वासव पुरणों ,  महाकवि विद्यापति ने  14वीं शताब्दी मे , वाल्मीकि रामायण , ऋषि  (ऋष्यशृंग) आश्रम , महाकवि कालिदास द्वारा रचित कुमार शाम्भवम में भगवान शिव को कोसी के गुमती नदी के तट भगवान विष्णु द्वारा स्थापित श्रृंगेश्वर शिवलिंग का उल्लेख की गई है । सिंहेश्वर मंदिर का निर्माण  कुषाण वंश द्वारा कराया गया था। श्रृंगेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार भानु दास ने की है। सिंघेश्वर में रात रुकने से हजार गायों के उपहार एवं सर्वाङ्ग विकास  का फल मिलता है ।

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