ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत बिलासपुर जिले में रतनपुर से पण्डित कपिल नाथ द्विवेदी एव वैष्णव बाबाजी के नेतृत्व में वन्देमातरम, भारत माता के जयघोष के साथ हुई थी । ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ प्रभातफेरी निकालने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था । रतनपुर राज और रायपुर राज क्रमशः शिवनाथ के उत्तर तथा दक्षिण में स्थित थे। प्रत्येक राज में स्पष्ट और निश्चित रूप अठारह-अठारह ही गढ़ होते थे। रतनपुर में सन् 1114 के अनुसार चेदि के हैहय वंशी राजा कोकल्लदेव ने अठारह पुत्रों को अपने राज्य को अठारह हिस्सों में बाँट कर अपने पुत्रों को दिया था। हैहय वंश परंपरा की स्मृति बनाये रखने के लिये राज को अठारह गढ़ों में बाँटा गया था । प्रत्येक गढ़ में सात ताल्लुका और 84 गांव थे। हैहय वंशीय राज्य सूर्यवंशियों द्वारा सूर्य की सात किरणों तथा बारह राशियों को ध्यान में रख कर ताल्लुकों और गाँवों की संख्या क्रमशः सात और कम से कम बारह रखी गईं थी। रतनपुर राज्य के क्षेत्रों में सर्वत्र भगवान सूर्य का प्रताप झलकता था । छत्तीसगढ़ राज्य का बिलासपुर जिले के रतनपुर स्थित आदिशक्ति महामया देवि का प्राचीन एवं गौरवशाली मंदिर है। त्रिपुरी के कलचुरियो ने रतनपुर को अपनी राजधानी बना कर दीर्घकाल तक छतीसगढ़ मे शासन किया। छत्तीसगढ़ को चतुर्युगी नगरी भी कहा जाता है । राजा रत्नदेव प्रथम ने रतनपुर में राजधानी बसाया । श्री आदिशक्ति माँ महामाया देवी - प्राचीन महामाया देवी का दिव्य भव्य मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा ग्यारहवी शताबदी में कराया गया था । १०४५ ई. में राजा रत्नदेव प्रथम मणिपुर में शिकार के क्रम में रात्रि विश्राम वटवृक्ष की छाया में करने के दौरान अर्ध रात्रि में जब राजा की आंखे खुली, तब उन्होंने वटवृक्ष के नीचे अलौकिक प्रकाश देखकर चमत्कृत हो गई की वह आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी हुई है | सुबह होने पर वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गये और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया । १०५०ई. में श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया गया । महामाया मंदिर में महाकाली , महालक्षमी और महासरस्वती स्थापित है । महामाया मंदिर में यंत्र-मंत्र का केंद्र था । रतनपुर में देवी सती का दाहिना स्कंद गिरने के कारण भगवन शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था । रतनपुर में कौमारी शक्तिपीठ मंदिर में माँ के दर्शन से कुंवारी कन्याओ को सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।छत्तीसगढ़ राज्य का विलासपुर जिले का रतनपुर में महामाया मंदिर , कालभैरव मंदिर ,लखनी मंदिर , वृद्धेश्वर मंदिर ,गिरिजबान्ध हनुम मंदिर ,, राम टेकरी मंदिर और सिद्धिविनायक मंदिर दर्शनीय हसि । कलिंग राज के पौत्र कमलराज के पुत्र रत्नराज द्वारा कलच्युरी वंश का संथापक एवं छत्तीसगढ़ की राजधानी रतनपुर में बनाई थी । 1114 ई . में रतनपुर समृद्ध था । तुमन का राजा कलच्युरी ने तुमन प्रदेश की राजधानी रखा एवं राजा रामचंद्र द्वारा रायपुर की स्थापना कर रायपुर नगर का निर्माण किया था । 11 वीं सदी में महाकोशल ( पूर्वी चेदि ) की राजधानी रतनपुर थी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें