रविवार, अप्रैल 03, 2022

बोधगया परिभ्रमण


विश्व धरोहर दिवस का "विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस" का नाम बदलकर 'विश्व धरोहर दिवस' अथवा 'विश्व विरासत दिवस' रखा गया है । विश्व धरोहर दिवस का  उद्देश्य मानव विरासत को संरक्षित करना और क्षेत्र के सभी प्रासंगिक संगठनों के प्रयासों को पहचानना है। ट्यूनीशिया में 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स' द्वारा प्रथम विश्व धरोहर दिवस 18 अप्रैल 1982 ई. को   मनाया गया था। विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए 1968 ई. में अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र के सामने 1972 ई. में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान रखा गया प्रस्ताव पारित हुआ । विश्व के देशों ने ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने की शपथ लेने के बाद "यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर" अस्तित्व में आया। विश्व के कुल 12 स्थलों को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में प्रथम बार 18 अप्रैल 1978 ई. में शामिल करने के कारण  "विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस" के रूप में मनाया गया था।  यूनेस्को ने 1983 ई. से विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस को "विश्व धरोहर दिवस" के रूप में बदल दिया। 2011 ई.  तक  विश्व में  911 विश्व धरोहर स्थल मे 704 ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक, 180 प्राकृतिक और 27 मिश्रित स्थल हैं।
विश्व के ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने के लिए तथा  रक्षा और लोगों तक उसकी महत्वता का संदेश देने के लिए प्रत्येक वर्ष  विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाया जाता है। लोगों को इन धरोहरों के संरक्षण तथा महत्व से अवगत कराने  तथा दुनियां के विभिन्न देशों में स्थित स्थलों की जानकारी देकर  विरासत के प्रति आकर्षित किया जा सके। विश्व में मानव इतिहास से जुड़े समस्त इतिहास, संस्कृति एवं प्रकृति से जुड़े स्थलों का संरक्षण किया जाए तथा आमजन में इसके प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाए और इसकी विशेषताएं लोगो को बताई जाए। यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की प्राकृतिक धरोहर स्थल ,)सांस्कृतिक धरोहर स्थल , मिश्रित धरोहर स्थल को शामिल किया गया है ।
भारत में कुल 38 स्थानों, शहर, इमारतों, गुफाओं आदि को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में ताजमहल, आगरा का किला, अजंता और एलोरा की गुफाएं। गुजरात की रानी की वाव, पश्चिमी घाट, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और राजस्थान का किला। नालंदा विश्वविद्यालय, कार्बूजिए की वास्तुकला, कंचनजंघा पुष्प उद्यान और अहमदाबाद शहर। काजीरंगा अभयारण्य, केवलादेव उद्यान, महाबलीपुरम और सूर्य मंदिर कोणार्क। भीमबैठका, कुतुब मीनार, हिमालयन रेल और महाबोधि मंदिर। मानस अभयारण्य, हम्पी, गोवा के चर्च और फतेहपुर सीकरी। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, चंपाने पावागढ़, दिल्ली का लाल किला और जयपुर का जंतर मंतर। चोल मंदिर, खजुराहो मंदिर, पट्टादकल और एलिफेंटा की गुफाएं। सुंदरबन, सांची के बुद्ध स्मारक, हुमायूं का मकबरा और नंदा देवी का पुष्प उद्यान। जयपुर, विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको है । यूनेस्को द्वारा  विश्व में सर्वाधिक वर्ल्ड हेरिटेज साइट इटली में  51 , चीन में 48, स्पेन में 44, फ्रांस में 41, जर्मनी में 40, मेक्सिको में 33 , भारत में 38 ऐसे स्थलों को विश्व धरोहर  में सम्मिलित  हैं। भारत के विश्व विरासत स्थलों में  आगरा का किला (1983, उत्तर प्रदेश) , अजंता की गुफाएं (1983, महाराष्ट्र) , एलोरा की गुफाएं (1983, महाराष्ट्र) , ताज महल (1983, उत्तर प्रदेश) ,महाबलीपुरम के स्मारक (1984, तमिलनाडु) , सूर्य मंदिर (1984, ओड़िशा) , मानस वन्यजीव अभ्यारण्य (1985, असम) , काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (1985,असम) ,केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (1985, राजस्थान) , गोवा के चर्च (1986, गोवा) ,फतेहपुर सीकरी (1986, उत्तर प्रदेश) ,हम्पी के स्मारक (1986, कर्नाटक) , खजुराहो के मंदिर (1986, मध्य प्रदेश) , एलीफेंटा की गुफाएं (1987, महाराष्ट्र) ,महान चोल मंदिर (1987/2004, तमिलनाडु) ,पट्टाकल के स्मारक (1987, कर्नाटक) , सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान (1987, पश्चिम बंगाल) , नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान व फूलों की घाटी (1988/2005, उत्तराखंड) , सांची का स्तूप (1989, मध्य प्रदेश) , हुमायूं का मक़बरा (1993, दिल्ली) , क़ुतुब मीनार (1993, दिल्ली) ,भारत के पर्वतीय रेलवे - ,दार्जिलिंग (1999, पश्चिम बंगाल) ,नीलगिरी (2005, तमिलनाडु) ,शिमला (2008, हिमाचल प्रदेश) ,महाबोधि मंदिर (2002, बिहार) ,भीमबेटका गुफ़ाएं (2003, मध्य प्रदेश) ,चंपानेर - पावागढ़ पार्क (2004, गुजरात) , छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (2004, महाराष्ट्र) , लाल किला (2007, दिल्ली) ,जंतर-मंतर (2010, राजस्थान) , पश्चिमी घाट (2012, गुजरात,महाराष्ट्र, कर्नाटक,तमिलनाडु,केरल) , राजस्थान के पहाड़ी किले (2013, राजस्थान) , रानी की वाव (2014, गुजरात) ,ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान (2014, हिमाचल प्रदेश) , नालंदा (2016, बिहार) , कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (2016, सिक्किम) , ली कार्बुसियर के स्थापत्य कार्य (2016, चंडीगढ़) , अहमदाबाद (2017, गुजरात), विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको (2018, महाराष्ट्र) , जयपुर (2019, राजस्थान) है। दुनियां के विभिन्न देशों में ऐतिहासिक सांस्कृतिक महत्व के स्थल को भावी पीढ़ी के लिए बचाकर रखा जाए इन्हें धरोहर की सूची में रखा जाता हैं जिसे यूनेस्को द्वारा ऐसे ही प्राकृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक स्थलों को चिन्हित कर हेरिटेज साईट की लिस्ट में शामिल किया जाता हैं। हर वर्ष 18 अप्रैल के दिन विश्व विरासत दिवस दुनिया भर में मनाया जाता हैं। भारतीय विरासत संगठन का उद्देश्य  है कि लोगों को  धरोहरों के संरक्षण तथा महत्व से अवगत कराया जाए तथा दुनियां के विभिन्न देशों में स्थित ऐसे स्थलों की जानकारी देकर उन्हें विरासत के प्रति आकर्षित किया जा सके। हमारा भारत भी ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक एवं संस्कृतियों कलाकृतियों, स्मृतियों एवं स्थलों से परिपूर्ण देश हैं। विरासत के स्थल संसार के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।  भारतीय नागरिक को देश की विरासत स्थलियों पर गर्व होना चाहिए तथा उनके संरक्षण के लिए आगे बढ़ना चाहिए। भारतीय विरासत संगठन द्वारा बिहार के विभिन्न जिलों में ऐतिहासिक स्थलों , स्मृतियों , पुरातात्विक स्थलों का सर्वेक्षण किया जा रहा है । भारतीय विरासत संगठन के अध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक  द्वारा विरासत परिभ्रमण के तहत  जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड के बराबर पर्वत समूह में स्थित गुफाएं , भित्तिचित्र ,  गुहा लेखन , मूर्तिकला , वास्तुकला , नेर का पत्थर युक्त मंदिर , मीरा बिगहा की मूर्तियां , धराउत का मंदिर एवं  मूर्तियां , काको का सूर्यमंदिर एवं विष्णुआदित्य की मूर्ति , दक्षणी का सूर्य मूर्ति , भेलावर का मंदिर एवं मूर्तियां , हुलासगंज के दबधु की मूर्तियां ,  रतनी फरीदपुर प्रखंड की बुध्द मूर्तियां , जहानाबाद ठाकुरवाड़ी , मोदनगंज का चरुई के कालीमंदिर में स्थित कंकाली किमुर्तियाँ , अरवल जिले का करपी प्रखंड के करपी जगदम्बा स्थान मंदिर में अवस्थित मूर्तियां , किंजर का शिव मंदिर , पन्तित का मूर्तियां , रामपुरचाय का पंचमुखी शिव लिंग , कुर्था प्रखंड के लारी गढ़ एवं शिवलिंग , कलेर प्रखंड के मदसरवा का च्यावनेश्वर शिवमंदिर है । गया जिले का विरासतों में गया स्थित विष्णुपद मंदिर , मंगलागौरी , रामशिला , बँग्लास्थान , वागेश्वरी , मार्कण्डेय , ब्राह्मणी घाट का विरंचि नारायण , पितामहेश्वर , सूर्यकुंड , भगवान सूर्य की मूर्ति , प्रेतयोनिपर्वत प्रेतशिला , डंगेश्वरी पर्वत , ब्रह्मयोनि  पर्वत , सीताकुंड ,  बोधगया का वोधिमन्दिर , बकरौर स्थित स्तूप , धर्मारण्य , मतंग वापी , बेलागंज प्रखंड का कौवाडोल पर्वत का ब्राह्मणधर्म का भित्तिचित्र , भूस्पर्स बुद्ध मूर्ति , बेला का विभूक्षणी माता की मूर्ति , बाणासुर का शोणितपुर  गढ़ , मेन का  कोटेश्वर स्थान , गुरूपा हिल , वजीरगंज का कुक्कुटापद गिरि हिल , जेठियन  का स्तूप ,व्यास स्थल ,  कुर्किहार का ऋषि कश्यप एवं स्तूप ,कोंच प्रखंड के कोच में स्थित कोचेश्वर मंदिर ,  टिकारी प्रखंड के टिकरी किला , केशपा का तारा मंदिर एवं माता तारा की मूर्ति , गुरुआ का भूरहा सप्त जल स्रोत , मूर्तियां , नवादा जिले का वारशलीगंज के अपसढ़ स्थित वराह अवतार मूर्ति  एवं मंदिर , दरियापुर पार्वती पर्वत , कौवकोल प्रखंड के इको हिल , बोलता पहाड़ , गोविंदपुर का ककोलत का नागवंशियों का निवास , ठंडा झरना , पकरीबरावां का मक्षेन्द्र नातन , लोमश हिल , रजौली स्थित दुर्वाशा स्थल , हिसुआ का  सीतामढ़ी , नवादा के शोभ में शिवलिंग मंदिर  , रूपौ का चंडी स्थान प्राचीन विरासत है । औरंगाबाद जिले का देव प्रखंड के देव सूर्यमंदिर एवं भगवान सूर्य की मूर्तियां , तलाव , गोह प्रखंड के देवकुण्ड स्थित बाबा दुग्धेश्वर नाथ एवं मंदिर , तलाव , गोह स्थित माता काली , भगवान शिव मंदिर एवं शिवलिंग , नवीनगर प्रखंड का नवीनगर में शोखा बाबा का मंदिर , सूर्यमंदिर, गजना माथा भगवती मंदिर ,रफीगंज का प्रचार हिल पर पत्थर युक्त जैन धर्म के पार्श्वनाथ , ब्रह्मा जी की मूर्ति , मदनपुर प्रखंड के उमगा हिल  का सूर्यमंदिर , तलाव , दाउदनगर का दाऊद खां , शमशेर नगर का शमशेर खां का मकबरा , पवई का झुंझुनिया हिल कुटुंबा गढ़  मदार व पुनपुन नदी के संगम पर अवस्थित भृगुरारी का मंदिर एवं मूर्तियां प्राचीन है । बिहार का गया जिले के बोधगया स्थित निरंजना नदी के किनारे महाबोधि मंदिर को 2002 ई. में  विश्व विरासत व विश्व धरोहर  में शामिल किए गए  है । 
बोधगया परिभ्रमण 25 मई 2024 को भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थल पर बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा विश्व के विभिन्न देशों में भारत , थाईलैंड , तिब्बत , बंगला देश , जापान , भूटान , श्रीलंका , नेपाल , चीन  वियतनाम आदि ने  बुद्ध मंदिर के गर्भ गृह में भगवान बुद्ध की स्थापना कर ज्ञान , शांति , अहिंसा एवं मानसिक चेतना जगृत किया जाता है।बोध गया परिभ्रमण के दौरान साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक एवं स्वंर्णिम कला केंद्र की अध्यक्षा उषाकिरण श्रीवास्तव द्वारा निरंजना व नीलांजन नदी , बौद्धि वृक्ष , भगवान बुद्ध की विभिन्न मंदिरों , जगन्नाथ मंदिर , विश्व विरासत की बौद्धि मंदिर  का परिभ्रमण गया ।






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