मंगलवार, जुलाई 18, 2023

रोहतास की सांस्कृतिक विरासत ....



बिहार राज्य का  शाहाबाद जिले से विभाजित 3847. 82 वर्गकिमी व 1487 वर्गमील  में फैले 2011 जनगणना के अनुसार 2962593 आवादी वाले  रोहतास जिले का सृजन 1972 ई.  में  किया गया था। रोहतास जिले का प्रशासनिक एवं जिला मुख्यालय सासाराम है। रोहतास जिले में सासाराम में शेरशाह का मकबरा , कैमूर पर्वत की व8भिन्न भिन्न श्रंखला पर   मां तारा चंडी ,रोहतास गढ़ , मंझार कुंड , धुवाकुण्ड ,करमचंद पहाड़ी ,दारी गाँव पहाड़ , गुप्तेश्वरनाथ का गुफा , विक्रमगंज का मां अस्कामिनी , धारुपुर का मां काली मंदिर  दर्शनीय स्थल है। जिले के अनुमंडल में डेहरी आन सोन, बिक्रमगंज और सासाराम है। सतयुग में  सूर्यवंशीय  राजा सत्यहरिश्चंद्र की भार्या रानी शव्या के  पुत्र रोहिताश्व द्वारा स्थापित रोहतासगढ़ है ।प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल टॉड के अनुसार  रोहतास क़िला का निर्माण कुशवंशी  लोगों ने करवाया है। मुगल बादशाह अकबर ने 1582 ई. द्वारा रोहतास, सासाराम, चैनपुर सहित सोन के दक्षिण-पूर्वी भाग के परगनों- जपला, बेलौंजा, सिरिस और कुटुंबा शामिल थे। रोहतास, सासाराम और चैनपुर परगनों  को मिलाकर 1784 ई. में रोहतास जिला बना और 1787 ई. में रोहतास जिला शाहाबाद जिले का अंग हो गया।  शाहाबाद से अलग होकर रोहतास जिला पुनः अस्तित्व में  10 नवंबर 1972  में आ गया।  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना 1861 ई. में ब्रिटिश साम्राज्य ने अलेक्जेंडर कनिंघम पुरातात्विक सर्वेयर नियुक्त होने के बाद  1882 ई. में सासाराम स्थित शेरशाह रौजे का जीर्णोद्वार हुआ। त्रेतायुग में हैहय वंशीय राजा सहस्त्रबाहु द्वारा सहसराम बाद में सहस्त्रराम की स्थापना की गई थी । रोहतास जिले का  उत्तर और उत्तर-पूर्व में सासाराम का मैदान,जलोढ़ मैदान की  ऊँचाई उत्तर में समुद्र तल से ७२ मीटर से लेकर दक्षिण में समुद्र तल से १५३ मीटर तक है। मैदानी इलाकों में दिनारा, दावत, बिक्रमगंज, नासरीगंज, नोखा और डेहरी ब्लॉक के साथ-साथ सासाराम, शिवसागर और रोहतास प्रखंड  हैं। जिले के दक्षिणी भाग में समुद्र तल से 300 मीटर ऊँचाई पर रोहतास पठार विंध्य पठार का पूर्वी किनारा है, । नौहट्टा, रोहतास, शिवसागर , सासाराम और चेनारी प्रखंड  क्षेत्र पहाड़ी है । रोहतास जिले के प्रखंडों में कोचस , दिनारा ,दावथ ,सूर्यपुरा ,विक्रमगंज ,काराकाट   ,काराकाट ,नासरीगंज ,राजपुर ,संझौली ,नोखा ,करगहार ,चेनारी ,नौहट्टा ,शिवसागर ,सासाराम , अकोरी गोला ,देहरी ,तिलौथु , रोहतास है । साक्षरता दर 2011 के अनुसार  रोहतास जिले में 73.37% में महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए साक्षरता दर अधिक थी: 82.88% पुरुष और 62.97% महिलाएं है। रोहतास जिले के निवासी हिंदी और भोजपुरी भाषी है । रोहतास जिला कैमूर वन्यजीव अभयारण्य का सृजन 1982 ई. में क्षेत्रफल 1,342 कि॰मी2 व 518.1 वर्ग मील किया गया है ।
गुप्ताधाम -  रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड में विंध्य पर्वतमाला के कैमूर पर्वत की गुप्त पर्वत श्रंखला एवं दुर्गावती नदी के तट पर स्थित एवं  कैमूर समुद्र तट से दक्षिण में सासाराम से 12 मील और शेरगढ़ से दक्षिण-पूर्व में  8 मील की दूरी पर 500 मीटर गुप्त। गुफा में बाबा गुप्तेश्वरनाथ अवस्थित है। गुप्त गुफा के अंदर  चट्टान पर नीबू आकार से युक्त भगवान शिव-का स्टैलेंगाइट शिवलिंग के रूप में बाबा  गुप्तेश्वरनाथ प्राकृतिक रूप में स्थापित है।  कैमूर पर्वत के पूर्वी तट पर  निश्चित मार्ग में  गुफा के  प्रवेश द्वार 18 फीट और 12 फीट ऊंचाई युक्त  अंदर का रास्ता अंधेरा, विचित्र , रहस्यमयी  गुफा के अंदर 363 फीट अंदर जाने के बाद पाताल गंगा है । गुप्तेश्वरनाथ शिव-लिंग प्रकृति निर्मित चरित्र शिव-लिंग  हजारों वर्षों से गिरी हुई गुफा के शीर्ष पर स्थित चट्टानी पत्थर से निर्मित   स्टैलेग्माइट्स कैमूर ऑप्रेशन भरा  है। चूने के साथ पानी की बौछार ऊपर से नीचे गिराने के कारण गुप्तेश्वरनाथ शिवलिंग   स्टैलासिटीज निर्मित  ऊपर से नीचे की ओर लटकी हुई है। चूने की प्रचुरता के कारण स्टैलेग्माइट सफेद होते हैं। बाबा गुप्तेश्वरनाथ पर ऊपर से जल  की बूंदें गिरीती रहती हैं । सनातन धर्म की शिव पुराण एवं लिंगपुराण एवं भिन्न भिन्न भिन्न ग्रंथों के अनुसार अनुसार विंध्य पर्वतमाला की कैमूर का गुप्त श्रंखला पर अवस्थित  गुफा के नाचघर और घुड़दौड़ मैदान के बगल में स्थित पताल गंगा के पास दीवार पर उत्कीर्ण ब्राह्मी लिपि शिलालेख बाबा गुप्तेश्वरनाथ एवं अन्य स्थलों का उल्लेख है । गुप्तेश्वर गुफा में ऑक्सीजन की कमी रहती है । 1989 ई. में श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन की कमी होने के कारण 6 श्रद्धालुओं की मौत होने के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर रखा गया है । गुप्ता धाम की सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार दैत्यराज भस्मासुर ने भगवान् शिव की कठिन तपश्या करने के दौरान दैत्यराज भस्मासुर के तपस्या को देखकर भगवान् शिव प्रशन्न हो गए। भगवान् शिव ने भस्मासुर से कहा की हम तुम्हरी तपश्या से प्रसन्न है । दैत्यराज भस्मासुर ने कहा की प्रभु हमें ऐसा वरदान दीजिये की जिस किसी के सिर पर हाथ रखे वो तुरंत भष्म हो जाये । भोले नाथ ने कहा तथास्तु। कैमूर जिला में स्थित हरसू ब्रह्म के दर्शन करने से भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है । भस्मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने उन्हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। जहां से भाग कर भगवान शिव यहीं की गुफा के गुप्त स्थान में छुपे थे। भगवान विष्णु से शिव की  विवशता देखी नहीं गयी और उन्होंने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का नाश किया। उसके बाद गुफा के अंदर छुपे भोलेदानी बाहर निकल गए थे । गुप्त गुफा  में गहन अंधेरा है । प्रकाश के भीतर जाना संभव नहीं है । पहाड़ी पर स्थित गुफा का द्वार 18 फीट चौड़ा और 12 फीट ऊंचा मेहराबनुमा है. गुफा में लगभग 363 फीट अंदर जाने पर बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसमें सालभर पानी रहता है. श्रद्धालु इसे ‘पातालगंगा’ कहते हैं. गुफा के अंदर प्राचीन काल के दुर्लभ शैलचित्र हैं ।. शाहाबाद गजेटियर  एवं  फ्रांसिस बुकानन  के अनुसार गुफा में जलने के कारण उसका आधा हिस्सा काला होने के सबूत देखने को मिलते हैं। रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित गुप्ताधाम गुफा  में पहुंचने के लिए रेहल, पनारी घाट और उगहनी घाट से तीन रास्ते अतिविकट और दुर्गम रास्ता है । दुर्गावती नदी डैम से  पार कर पांच पहाड़ियों की यात्रा करने के बाद लोग गुप्ता धाम पहुंचते हैं ।  गया वाराणसी रेलवे लाइन का कुदरा स्टेशन से छोटी बड़ी वाहन , मोटरसाइकिल , पैदल दुर्गावती डैम तक श्रद्धालु जाकर द्वयपहिया या पैदल गुप्ताधाम तक दुर्गावती नदी के किनारे प्रकृति झरनों और जंगलों तथा विभिन्न प्रकार के वृक्षों और पर्वतों के मध्य में चल कर 17 किमि दूरी यात्रा कर श्रद्धालु गुप्ता धाम की यात्रा कर गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करते है । साहित्यकार व इतिहासकार सत्येंद्र कुमार पाठक द्वारा  17 जुलाई 2023 को करने के दौरान गुप्ताधाम के विभिन्न स्थानों का परिभ्रमण किया गया । परिभ्रम के दौरान जीविका औरंगाबाद जिले का प्रशिक्षण पदाधिकारी प्रवीण कुमार पाठक साथ है । निर्देशांक: 24.9156° उत्तर 83.79684° पूर्व एवं 2011 जनगणना के अनुसार 131528 आवादी वाला व 190 .52 वर्गकिमी में 153 गाँव में  फैले चेनारी प्रखंड का अधिकांश भाग रोहतास पठार व  पहाड़ी क्षेत्र है ।  विंध्य पर्वत श्रृंखला का पूर्वी भाग भूभाग  ऊबड़-खाबड़ है ।  चेनारी शहर से लगभग 13 किमी दक्षिण में शेरशाह किला  दुर्गावती नदी के सामने पहाड़ी पर है । फ्रांसिस बुकानन ने 1813 ई. में शेरशाह  किले के निर्माण का श्रेय शेर शाह सूरी को दिया था । डिस्ट्रिक्ट गजेटियर शाहाबाद 1957 के लेखक  पीसी रॉय चौधरी के अनुसार किला शेरशाह शासनकाल से पूर्व   है। रोहतासगढ़ पर कब्ज़ा करने के बाद , शेरशाह ने शेरगढ़ में पहले से मौजूद किले को रक्षा की दूसरी पंक्ति के रूप में पुनर्निर्माण  किया था । शेरकिला का निर्माण चेरो शासकों द्वारा किया गया जिसे शेरशाह ने शेर किला का पुनर्निर्माण किया था । शेर किला को चेर किला को शेरकिला कहा गया है ।  शेरगढ़ को चेरगढ़ , शेरगढ़ है।  तुतला भवानी मंदिर -  तिलौथू से  8 किमी पर स्थित तुतराही  दक्षिण-पश्चिम में  विन्ध्यपर्वतमाला  की कैमूर पहाड़ी की घाटी में  रोहतास जिले का उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूरब की ओर दो ऊँची पहाड़ियों के बिच, एक मील लम्बी तथा हरियाली युक्त  घाटी ,  जल प्रपात और घाटी के मध्य  से कलकल कर बहती कछुअर नदी का जलप्रवाह घाटी पूरब में जहाँ लगभग 300  मीटर चौड़ी है । पश्चिम की ओर सिकुड़ती हुई 50  मीटर (पश्चिम में 180  फीट की ऊंचाई से प्रपात गिरता है। तुतला जल  प्रपात के भीतर  दाएँ  में ऊंचाई पर चबूतरा दक्षिण की ओर से सीढ़ी बनी है। चबूतरे पर माँ जगद्धात्री महिषमर्दिनी दुर्गा की प्रतिमा अवस्थित है। प्रतिमा से दक्षिण में , चट्टान पर ऊपर-नीचे तीन भागों में बँटा शिलालेख नायक प्रताप धवल देव का 01  अप्रैल 1158 ई०, शनिवार (वि० सं० 1214  अंकित है। तुतला मंदिर के गर्भगृह में माता तुतला भवानी स्थापित है । दुर्गावती जलासय -   दुर्गाती या दुर्गौती  और दुर्गावती  बिहार राज्य के कैमुर जिले से प्रवाहित , कर्मनाशा नदी की दुर्गावती  सहायक नदी है। रोहतास का पठार के खादर खोह  से समुद्र तल से 90 मीटर व 295 फिट की ऊँचाई से प्रवाहित होने वाली दुर्गावती नदी है । दुर्गावती का स्रोत कर्मनासा के स्रोत के पूर्व में 11 किलोमीटर (7 मील) की दूरी पर स्तिथ है।  दुर्गावती नदी 6 से 9 मीटर (20 से 30 फीट) चौड़ी चट्टानी पेटा व  14 किलोमीटर (9 मील) उत्तर में बढ़ने के पठार भूमि की चट्टानी सीमा को लांघकर खादर कोह (90 मीटर) की गहरी घाटी के मुख में गिरती है। खदरकोह में  खुद तुर्कन खारवार्स पठार पर उभरतीं और  घाटी के मुख में आकर गिरतीं हैं। खदरकोह में  लोहरा, हतियादुब और कोठस। कर्मनाशा दुर्गावती को दाहिने किनारे की सहायक नदी के रूप में शामिल करती है। रोहतास पठार के छोर पर स्तिथ दुर्गावती जलप्रपात  80 मीटर (260 फ़ीट) ऊँचा जलप्रपात है। दुर्गावती जलाशय व  करमचत बांध कैमुर जिले के करमचत  के समीप एवं रोहतास जिले के चेनारी सीमा स्थित  जल भंडारण बांध है। दुर्गावती  परियोजना के लिए आधारशिला 1976 में केंद्रीय मंत्री जगजीवन राम ने रखी थी । , दुर्गावती जलासय में कुदरा-चेनारी-मलाहिपुर सड़क के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।








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