मंगलवार, जुलाई 25, 2023

यात्रा संस्मरण प्रकृति की गोद में गुप्ताधाम ...

 
घर के बाहर अंधेरा  बेसब्री से सूरज के उगने का इंतज़ार कर रहा है । शायद अंधेरा जानता है कि मेरे लिए कितना खास है। मैंने 17 जुलाई 2023 को  रोहतास जिले का गुप्ताधाम में स्थित  गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करने के लिए निश्चय किया था । मेरे मन मस्तिष्क  में नन्हा बच्चा की तरह उत्साह अपनी माँ - पिता एवं प्राकृतिक छटाओं से मिलने जा रहा हो। 17 जुलाई 2023  को  सुबह के 4:00 बज रहे हैं। हम सूरज का सूरजमुखी की तरह चार पहियों



























गाड़ी  का इंतज़ार कर रहे हैं। चार पहियों का वाहन द्वारा औरंगाबाद से अनुग्रह नारायण रोड रेलवे स्टेशन आया , अनुग्रह नारायण रोड से ट्रेन द्वारा डिहरी , सासाराम होते हुए कुदरा स्टेशन उतरकर टिनपहिया वाहन से चनेरी गया । चनेरी से जीविका औरंगाबाद जिला का ट्रेनिंग ऑफिसर प्रवीण कुमार पाठक एवं मैं मोटरसाइकिल द्वारा दुर्गावती डैम पहुच गया । सुबह 10 बजे औरंगाबाद  से दुर्गावती डैम  पहुंच चुके थे । श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित होने के कारण गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं ने श्रावणी का पारंपरिक पोशाक धारण कर जा रहे थे । हंसते-हंसाते, गाते-गुनगुनाते 1 बजे  बजे मोटरसाइकिल द्वारा  गुप्ता धाम  पहुंचे। दुर्गावती डैम पहुँच कर विंध्य पर्वत माला का कैमूर पहाड़ों , दुर्गावस्ती नदी एवं नाइक विहार का नजारा देख कर मन प्रफुल्लित हो गया ।  मोटरसाइकिल पर  में बैठने के बाद  10-12 मिनट बाद रास्ते में पहाड़ियां आना शुरू हो गईं। पहाड़ों की  हवा और झरने अमृत है। ऐसा लग रहा है की मैं प्रकृति की गोद में आ गया हूँ । ऊंचे- ऊंचे पहाड़ों के बदन पर दुर्गावती नदी का किनारा  पर द्विपहिया वहान  एवं श्रद्धालुओं की कतारें  ।  ठंडी-ठंडी हवा के साथ ताज़गी, पेड़ों पर छलांग मारते बंदर, कलरव करती झरने  मानो द्वारपाल की तरह हमारे ऊपर इत्र छिड़क रहे हों। पहाड़ों का सौंदर्य और ताज़गी भरी हवाओं का ऐसा मेल मिलन  से मानो मुझे प्रकृति डांस सीखने का मौका मिल गया हो! प्रकृति का आनंद लेते हुए दुर्गावती डैम से गुप्ताधाम तक 17 किमि दूरी एवं  चार-पांच घंटे बाद गुप्ताधाम की गुफा  पहुंचे । रास्ते में खोवा , दही , चने , फल , लिट्टी चोखे खाया और झरनों के जल से प्यास बुझाई । गुप्ताधाम का दुकान पर द्विपहिया वाहन रखा । दुकान से पैदल गुप्ताधाम की गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करने के लिए चल दिया । अब रोड से  ऊपर  चढ़ाई चढ़ी और विश्व की लंबी चौड़ी गुफा के मुख्य द्वार पर दस्तक दिया । गुफा के अंदर दो-तीन मिनट  के बाद सासें फूलने  शुरू हो गई। गुफा में सासें फूलने के बाद गुफा में बैठ गया । बैठने के जगह पर तीन ऑक्सीजन सिलेंडर पड़ा था परंतु दिखावा मात्र था । अगल बगल प्राकृतिक  शिवलिंग थे । 5 मिनट के बाद बाबा गुप्तेश्वरनाथ के दर्शन करने के लिए गुफा में चलना प्रारम्भ किया । गुफा में चलने पर जल की बूंदे गुफा की दीवारों पर टपक रहा था । गुफाओं की अनुभूति और जल की बूंदें हमे आनंदित कर रहा था । हमें लगभग 200 फिट गुफा में और चलना है। अंततः बाबा गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करने के बाद आनंदित हो गया ।मुझे चलते-चलते गुप्ताधाम में बिताए हुए पल याद आ रहे थे। रास्ते के पेड़, घास, झरने , नदी दुर्गावती की निरंतर प्रवाह , झरनों में स्नान और  चिड़िया  का कलरव की याद आनंद से वशीभूत किया हैं। गुप्ताधाम की हरियाली, साफ हवा और चिड़ियों की आवाज़ सुनकर मेरा मन खुश हो गया। ऐसी चीज़ें शहरों में नहीं के बराबर होती हैं ।







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