दिव्य रश्मि पटना कार्यालय परिसर में आयोजित महामना पंडित मदनमोहन मालवीय एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अतलविहारी बाजपेयी की जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए दिव्य रश्मि के संपादक डॉ. राकेश दत्त मिश्र ने कहा कि महामना मालवीय जी ने कहा था कि किसी राष्ट्र की उन्नति का आधार वहाँ की शिक्षा व्यवस्था होती है। अन्य प्राणियों की मानसिक शक्ति की अपेक्षा मनुष्य की मानसिक शक्ति अत्यधिक विकसित एवं ज्ञान होता है। साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा की मर्मज्ञ पुरुष एवं अद्वितीय प्रतिभा के धनी पण्डित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को प्रयागराज में हुआ था। महामना मालवीय की 160 वीं जयंती के अवसर पर मालवीय जी के द्वारा सामाजिक, राजनैतिक और शैक्षणिक क्षेत्र में किये गए कार्यों को याद किया जाता है। पंडित मदन मोहन मालवीय जी के पूर्वज मालवा प्रान्त के निवासी होने के कारण मालवीय कहा जाता था। मदन मोहन मालवीय को धार्मिक संस्कार विरासत में मिले थे। मदन मोहन मालवीय जी ने महज 25 वर्ष की आयु में 1886 में भारतीय राष्ट्री्य कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में संबोधित किया। सन् 1909, 1918, 1932 और 1933 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वे एक महान देशभक्त, स्वतंत्रता सेनानी, विधिवेत्ता, संस्कृत और अंग्रेजी के विद्वान, शिक्षाविद, पत्रकार और प्रखर वक्ता थे। एक पत्रकार के रूप में उन्होंने वर्ष 1907 में हिंदी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’ की शुरुआत की, जिसे वर्ष 1915 में दैनिक बना दिया गया। वर्ष 1910 में हिंदी मासिक पत्रिका ‘मर्यादा’ शुरू की थी। वर्ष 1909 में एक अंग्रेज़ी दैनिक अखबार ‘लीडर’ शुरू किया था। मालवीय जी हिंदी साप्ताहिक ‘हिंदुस्तान’ और ‘इंडियन यूनियन’ के संपादक भी थे। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के निदेशक मंडल के अध्यक्ष भी रहे। मालवीय जी केवल भारतीय राष्ट्री्य कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बनकर ही नहीं रहे बल्कि हिंदी भाषा को राजभाषा का सम्मान, समाज सुधार, पत्रकारिता, शैक्षणिक संप्रभुता और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए श्री गणेश करने वाले अग्रदूत थे। मालवीय जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में मालवीय जी ने अंग्रेजी परंपरा को तोड़, हिंदी में भाषण देकर देशभक्ति का अलख जगाया था । मालवीय जी का भाषण देते समय ‘सर स्पीक इन इंगलिश, वी कांट फॉलो योर हिंदी’ जैसे ही श्रोताओं के बीच से यह आवाज गूंजी तब पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने जवाब दिया “महाशय,मुझे भी अंग्रेजी बोलना आता है। शायद हिंदी की अपेक्षा मैं अंग्रेजी में अपनी बात अधिक अच्छे ढंग से कह सकता हूँ। लेकिन मैं एक पुरानी अस्वस्थ परंपरा को तोड़ना चाहता हूँ। हिंदी को देश में बाध्यकारी भाषा बना दे। महात्मा गांधी ने पंडित मदन मोहन मालवीय को 'महामना' की उपाधि दी थी। भारत के राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने मालवीय जी को 'कर्मयोगी' का दर्जा दिया था। मालवीय जी ने भारतीय संस्कृति की जीवंतता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए वर्ष 1916 ई. में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। मालवीय जी ने शैक्षणिक उन्नति के साथ साथ समाज में फैली बुराइयों को भी समाप्त किया। सामाजिक बुराइयों में अहम् था गिरमिटिया मजदूरी प्रथा। मालवीय जी ने ‘गिरमिटिया मज़दूरी’ प्रथा को समाप्त करने में अहम् भूमिका निभाई। ‘गिरमिटिया मज़दूरी’ प्रथा, बंधुआ मज़दूरी प्रथा का रूप है, जिसे वर्ष 1833 ई.में दास प्रथा के उन्मूलन के बाद स्थापित किया गया था। मालवीय जी ने वर्ष 1905 ई. में गंगा महासभा की स्थापना की थी। 11 वर्ष (1909-1920) तक 'इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल' के सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने 'सत्यमेव जयते' शब्द को लोकप्रिय बनाया। मालवीय जी के प्रयासों के कारण ही देवनागरी को ब्रिटिश-भारतीय अदालतों में पेश किया गया था। उन्होंने वर्ष 1915 में हिंदू महासभा की स्थापना की थी । 12 नवम्बर, 1946 ई. को महामना मालवीय जी का देहावसान हो गया था। भारत सरकार ने 25 दिसम्बर 2014 को उनके 153वें जन्मदिन पर भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा की थी। अतएव पंडित मदन मोहन मालवीय को 31 मार्च 2015 को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। सामाजिक समरसता को अक्षुण्ण बनाए रखने में महामना मालवीय को महारथ हासिल थी। पंडित मदन मोहन मालवीय सामाजिक समरसता के संवाहक थे । पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेयी जी को राजनेता, कुशल वक्ता और कवि के रूप में देश याद करता है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती पर देश भारत के लोकप्रिय एक पत्रकार से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया था। पहली बार 1996 एवं 1998 तथा 1999 में प्रधानमंत्री बने थे । पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके पोखऱण परमाणु परीक्षण और करगिल युद्ध के लिए भी याद किया जाता है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पोखरण में ऑपरेशन शक्ति के तहत परमाणु परीक्षण की मंजूरी दी थी । भारत ने 11 और 13 मई, 1998 को सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण कर खुद को न्यूक्लियर पावर घोषित किया ।शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी काम किया. वाजपेयी सरकार ने 2001 में सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत 6 साल से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा योजना के लॉन्च के 4 सालों के अंदर ही स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या में 60 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी. सर्व शिक्षा अभियान में आईसीडीएस और आंगनवाड़ी समेत 8 प्रोग्राम शामिल रहे ।वाजपेयी जी ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया था. 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहे वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया था । एक प्रधानमंत्री होने के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं कदम मिलाकर चलना होगा, गीत नया गाता हूं, दो अनुभूतियां, मेरी इक्यावन कविताएं चर्चित हैं ।मिली थी. सर्व शिक्षा अभियान में आईसीडीएस और आंगनवाड़ी समेत 8 प्रोग्राम शामिल रहे ।वाजपेयी जी ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया था. 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहे वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया था । एक प्रधानमंत्री होने के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं कदम मिलाकर चलना होगा, गीत नया गाता हूं, दो अनुभूतियां, मेरी इक्यावन कविताएं चर्चित हैं । मालवीय व अटल जी की जयंती समारोह के अवसर पर दिव्य रश्मि के उप संपादक सुबोध कुमार सिंह ,पटना व्यूरो सुबोध सिंह राठौड़ ,दिलीप कुमार ,रविन्द्र सिंह , विनोद सिंह ,कन्हैया तिवारी , देवेंद्र प्रसाद सिंह ,पीयूष रंजन ,आदित्य कुमार ,अभय कुमार ,अमर आदिवक्ताओं द्वारा महामना मदनमोहन मालवीय एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अतलविहारी बाजपेयी जी की कीर्तित्व एवं व्यक्तित्व पर बहुमूल्य विचार प्रकट किया । समारोह में उपस्थित पत्रकारों , साहित्यकारों एवं समाजसेवियों द्वारा मालवीय जी एवं अटल जी के चित्रों पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई । जयंती समारोह में हिंदी मासिक दिव्य रश्मि दिसंबर 2021 मालवीय अटल विशेषांक का लोकार्पण किया गया ।
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