वैदिक ग्रंथों तथा पौराणिक अख्यानों के अनुसार शैव धर्मावलंवियों के पाशुपत संप्रदाय , लिंगायत संप्रदाय ,नाथ संप्रदाय , वासव संप्रदाय तथा अघोर संप्रदाय का स्थल पशुपतिनाथ है। नेपाल की गंगा बागमती के किनारे निर्मित बाबा पशुपति नाथ मंदिर सनातन धर्मावलंवियों का महान आस्था केन्द्र है ।पशुपतिनाथ मंदिर तथा एतिहासिक स्थलों की परखने और दर्शन के लिए दिनांक 11 अगस्त 2019 सुबह में मिथिला एक्सप्रेस से जहानाबाद ,मुजफ्फरपुर बेतिया होते हुए से भारत - नेपाल सीमा रक्सौल ( बिहार ) गया । रकसौल से टमटम द्वारा वीररगंज (नेपाल ) गया । यह नेपाल यात्रा हमारे जीवन का पहला यात्रा दूसरे देश की राजधानी के लिए था । मैंने इसके पहले कभी भी किसी देश की राजधानी में नहीं गया था । इस कारण से मेरे लिए रोमांचकारी यात्रा था । नेपाल का बीरगंज में बहुत से गाड़ियां काठमांडू के लिए चलती है । वीरगंज (नेपाल ) से बस एवं छोटी गाड़ी द्वारा काठमांडू जाया जा सकता है । मैंने बीरगंज से छोटी गाड़ी से सफर करना बेहतर समझा क्योंकि छोटी गाड़ी कम समय में काठमांडू शार्टकट रास्ते से ले जाती है और बड़ी गाड़ी रात्रि में ज्यादा चलती है और उसका रास्ता थोड़ा ज्यादा दूरी को बनता है छोटी गाड़ी भारतीय मुद्रा में ₹350 में बीरगंज से काठमांडू तक पहुंचा देती है छोटी गाड़ी लेना सही समझा ₹360 देकर के छोटी गाड़ी को मैंने अपना सीट आगे वाला बुक कराया और काठमांडू के लिए निकल पड़ा बीरगंज से काठमांडू के लिए 1:00 बजे दिन में गाड़ी खोला इसके पहले मैंने भारतीय मुद्रा को नेपाली मुद्रा में बदलवाया है । नेपाल में दोनों मुद्राए चलती है मगर नेपाली मुद्रा रख लेने से फायदा यह होता है कि किसी को भी देने में सहूलियत होती है भारतीय मुद्रा को नेपाली मुद्रा में बदलने के लिए बॉर्डर पर बहुत सारे लोग मुद्रा को लेकर बैठ जाते हैं ₹1000 को ₹1600देते हैं भारतीय मुद्रा ₹1000 का ₹1600 नेपाली मुद्रा में बदलावाया और गाड़ी 1:00 बजे यहां से चली रास्ते में बहुत सारे पेड़ पौधे नदियां झरन पर्वतें खुबसुरत वादियां मिले । बीरगंज से काठमांडू यात्रा करने के दौरान बहुत ही सुंदर वादियां , काफी ऊंचे ऊंचे पहाड़ , पहाड़ों की वादियों में बसे हुए गांव लोगों का जीवन और होटल काफी सुंदर है । यहां पर गर्मी बिल्कुल ही नहीं है तकरीबन 8:00 बजे रात में गाड़ी ने काठमांडू पहुचने के बाद काठमांडू का गोशाला के पशुपतिनाथ मंदिर के समीप पहुंचा । जिसे गौशाला मोड कहा जाता है । मैंने ₹1000 में गोशाला स्थित होटल लिया और रात्रि विश्राम किया । 11 अगस्त 2019 को रात्रि विश्राम काठमांडू में लेने के बाद 12 अगस्त 2019 सुबह 5:00 बजे स्नान ध्यान करके पशुपतिनाथ मंदिर के प्रांगण में प्रवेश किया सुबह में देखा कि यहां पर बहुत ही लंबी लाइन है । लगभग 4 किलोमीटर लंबी लाइन लगा हुआ था । क्योंकि सावन माह का अंतिम सोमवारी था । जिसके कारण देश विदेश के लोग पशुपति नाथ जी का दर्शन करने के लिए आए हुए थे । मैंने भी इस लाइन में अपना जगह बना लिया और पशुपति नाथ जी का दर्शन करने के लिए आगे बढ़ गया घंटों लाइन में खड़े होने के बाद मुझे भी मंदिर में प्रवेश करने का मौका मिला । पशुपतिनाथ के मुख्य मंदिर में कैमरा ले जाना मना था इस कारण से कोई भी अंदर की फोटोग्राफी नहीं कर पाया दर्शन करने के बाद मंदिर प्रांगण में भ्रमण किया जहां छोटे-छोटे बहुत सारे मंदिर बने हुए थे और भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित था और इसके अगल बगल में साधुओं का कुटिया बना हुआ है । साधु की कुटिया देखा और उनके जीवन को समझने का प्रयास किया यहां पर मंदिर के बगल में है बागमती नदी बहती है यहां का दृश्य काफी सुंदर लगा मंदिर में तकरीबन 2 घंटे को भ्रमण किया और जानने और समझने का कोशिश किया कि यह स्थल कैसे विकसित हुआ होगा । क्योंकि पशुपतिनाथ प्रांगण मंदिर विश्व विरासत सूची में शामिल है और यहां पर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु देखने और पशुपति नाथ जी का दर्शन करते हैं शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति केदारनाथ का दर्शन किया हो और पशुपतिनाथ का दर्शन ना किया हो तो उसका पुण्य की प्राप्ति नहीं होता है । मैं दो बार केदारनाथ भी हो चुका हूं और वहां भी दर्शन केदारनाथ में कर चुका । मेरे भी मन में बहुत दिन से पशुपति नाथ जी का दर्शन करने की लालसा थी । मैंने सालों से प्रयास कर रहा था लेकिन वह कहावत है कि जब जिसकी भगवान की मर्जी होगी तब वह अपने दरबार में बुला लेंगे । मुझे लगता है कि भगवान भोलेनाथ ने मुझे याद किया और मैं पशुपतिनाथ के लिए चला आया बहुत ही खूबसूरत और बेहतरीन है बहुत सारी चीजें हैं मंदिर हैं और मूर्तियां बनी हुई है । जिसे देखने के बाद मन प्रसन्न हो जाता है । काठमांडू पशुपतिनाथ जी का दर्शन जरूर करें और इस मंदिर के प्रांगण का भ्रमण भी जरूर करें । जिससे कि आपको समझ बनता है कि यह मंदिर कितना पुराना और प्राचीन है और यहां का माहौल वातावरण बहुत ही बेहतर है कुछ समय के लिए लगा कि मैं यहीं पर रुक जाऊ और मगर पापी पेट का सवाल अपने कार्यक्षेत्र पर लौटना भी तो जरूरी है तो मैंने 1:00 बजे तक भ्रमण किया मंदिर प्रांगण का और यहां पर भंडारा चल रहा था उस भंडारे में खाना खाया और कुछ खरीदारी भी किया जैसे यहां का बना हुआ मूर्ति माला प्रसाद इत्यादि । इसके बाद 1:00 बजे गौशाला बस स्टैंड के पास आया और यहां से छोटी गाड़ियां नेपाल के विभिन्न जगहों पर जाने के लिए लगा हुआ था तो मैंने सोचा कि बीरगंज के रास्ते से आया हूं और वहां के नजारा देखा हूं कि बीरगंज से काठमांडू के रास्ते में किस प्रकार के प्राकृतिक नजारे हैं तो क्यों ना काठमांडू से इस बार जनकपुर के लिए जाया जाए ताकि इस रास्ते को भी समझे और इस रास्ते में किस प्रकार का देखने लायक चीजें तो जनकपुर के लिए मैंने वहां से गाड़ी को छोटी गाड़ी को पकड़ लिया और ₹500 भारतीय मुद्रा में काठमांडू से 2:00 बजे गाड़ी और रात्रि 8:00 बजे जनकपुर पहुंचा दिया यह रास्ता बहुत ही बेहतरीन है बहुत ही सुंदर बनी हुई है । नजारे बीच रास्ते में बहुत खूबसूरत बने हुए हैं हिमालय के पर्वत श्रृंखलाओं के बीचो में रास्ते काटकर के बनाए हुए हैं रास्ता अच्छी अवस्था में है और नदी झरने का दर्शन होते हुए जनकपुर आता है काठमांडू से जनकपुर आते के क्रम में ऊंचाई पर एक होटल बना हुआ था । यहां का मौसम काफी ही सुनहरा और सुहावना और ठंडा था वहां पर खाना खाया और आपको बता दू काठमांडू में मैं पहली बार गया था । यह मेरे जीवन का पहला विदेश यात्रा था किसी भी देश दूसरे देश की राजधानी में गया था तो जानकारी अभाव था इस कारण से थोड़ा समस्या का सामना भी करना पड़ा लेकिन काठमांडू मुझे बहुत ही अच्छा शहर लगा यहां ठहरने खाने-पीने की व्यवस्था उत्तम है और रोड सड़कें चकाचक है पशुपतिनाथ ट्रस्ट द्वारा बनाया गया एक यहां पर धर्मशाला है । सस्ते में है 1 दिन का ठहरने का कीमत यहां पर ₹80 है जो कम बजट में अच्छा है व्यवस्था अच्छा है और इसी धर्मशाला के प्रांगण में मारवाड़ी भाषा होटल बना हुआ है जहां पर शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता है और बहुत ही कम शुल्क में जिन्हें कम बजट में जाना हो और काठमांडू में पशुपतिनाथ जी का दर्शन करना हो इस धर्मशाला में ठहरा जा सकता है । यहां पर अनेक होटल बने हुए हैं । हर बजट का बना हुआ है । काठमांडू जाने के लिए बीरगंज और जनकपुर से फ्लाइट की भी सुविधा है मात्र ₹2555 में फ्लाइट से जनकपुर से काठमांडू तक लाता है जो 40 से 50 मिनट का सफर है तो जिनके पास पैसे हैं तो वे फ्लाइट का सहारा ले सकते हैं अगर मैं यह बात कहूंगा कि काठमांडू जब आए तो फ्लाइट से आए लेकिन लौटे छोटी गाड़ी से ताकि प्राकृतिक नजारा को देखते हुए की किस तरह से नेपाल हिमालय की गोद में बसा हुआ है और हिमालय में कितनी सुंदर सुंदर वादियां हैं इसके बाद 8:00 बजे रात्रि को काठमांडू से जनकपुर पहुंचा और थके होने के कारण रात्रि विश्राम 12 तारीख को रात्रि विश्राम जनकपुर में किया । नेपाल की भाषा नेपाली , हिंदी और देवनागरी लिपि है। जनकपुर में नेपाली , हिंदी , मैथिली , मगही तथा भोजपुरी भाषा है । पत्रकारिता मे समाचार पत्रों की भाषा नेपाली तथा देवनागरी लिपि मे प्रकाशित होते हैं। काठमांडू में 5 नेपाली साहित्यकारों से वार्ता में नेपाली सभ्यता तथा पुरातात्विक विरासत के सबंध मे हुई ।
काठमांडू (नेपाल ) का पशुपतिनाथ मंदिर विश्व सांस्कृतिक विरासत है । काठमांडू में पाशुपत संप्रदाय की नीव लकुलीश डाले थे। लकुलीश भगवान् शिव के 18 अवतारों में माना जाता है । पाशुपत संप्रदाय के अनुयाई को पंचार्थिक कहा जाता हैं। पाशुपत संप्रदाय के श्रीकर पंडित आचार्य थे। ऋग्वेद , अथर्ववेद के अनुसार भगवान शिव को पशुपति कहा जाता हैं। मत्स्य, शिव, वामन आदि पुराणों तथा महाभारत अनुशासन पर्व में पशुपति नाथ की उलेख है। शैव धर्म में लिंग पूजा की प्रधानता है। समुद्र तल से 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित नेपाल की राजधानी काठमांडू बागमती नदी के किनारे देवपाटन वनकाली में वास्तु शास्त्र के अनुसार पगोड़ा शैली में भगवान् पशुपति नाथ मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष द्वारा 03 री सदी पूर्व कराया गया था। पशुपति नाथ चतुर्मुखी शिवलिंग की स्थापना पशुपति नाथ मंदिर के गर्भगृह में की गई है। बाद में 1480 ई. में भक्तपुर, 1566 ई. में ललितपुर में अन्य मंदिर का निर्माण किया गया है। पशुपति नाथ मंदिर कई बार नष्ट हुए । 15 वीं सदी में मंदिर का जीर्णोद्धार नेपाल का राजा प्रतापमल्ल तथा नरेश भूपतेंद्र मल्ल ने 1697 ई. में कराया था। पशुपति नाथ मंदिर में 4 पुजारी भट्ट तथा मुख्य पुजारी भट्ट रखे गए । पुजारी भट्ट द्वारा पशुपति नाथ की पूजा अर्चना, देख रेख की परंपरा कायम है। मंदिर का दस्तावेज 13 वीं सदी से उपलब्ध हैं। प्राचीन काल में काठमांडू को यल देश, रव्वाप देश, यंबू देश, यांबी देश, यंगला देश तथा काठ मंडप , मेरो पौरख , गौरव कहा जाता था। यहां की भाषा जिगुपौरख़, जिगुगौरव जिगु यें देय , मारुसता तथा नेवार भाषाई की परंपरा 1556 ई. में राजा लक्ष्मीनारायण मल्ल द्वारा कायम की गई थी तथा नेपाल की नेवार संस्कृति का उदय हुआ है। पशुपति नाथ मंदिर के इर्द गिर्द कापालिक संप्रदाय के भैरव, कालामुख संप्रदाय, लिंगायत संप्रदाय, नाथ सम्प्रदाय का प्राचीन स्थल है। यहां पर कापालिक संप्रदाय के अनुयाई नर कपाल में भोजन, पानी, सुरा पान करते हैं और शरीर पर चिता भाष्म मलते है। काठमांडू की परंपरा और ये: , नेवारी और नेपाली भाषा है। यहां पर 17 वीं सदी में राजा प्रतापमल ने कई मंदिर तथा दरबार का निर्माण किया जब कि 5 वीं सदी में भी दरबार बनाए गए थे। सभी दरबार विभिन्न सम्प्रदायों को दिए गए थे। नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बागमती नदी के किनारे देवपाटन ग्राम में स्थित पशुपति नाथ मंदिर है। नेपाल के एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने से पूर्व यह मंदिर राष्ट्रीय देवता, भगवान पशुपतिनाथ का मुख्य निवास माना जाता था। यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में सूचीबद्ध है। पशुपतिनाथ में आस्था रखने वालों (मुख्य रूप से हिंदुओं) को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है। गैर हिंदू आगंतुकों को इसे बाहर से बागमती नदी के दूसरे किनारे से देखने की अनुमति है। यह मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। १५ वीं शताब्दी के राजा प्रताप मल्ल से शुरु हुई परंपरा है कि मंदिर में चार पुजारी भट्ट और एक मुख्य पुजारी मूल-भट्ट दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे गये हैं। पशुपतिनाथ में शिवरात्रि पर्व विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है । नेपाली संबत कार्तिक मास अमावस्या दीपावली का नया वर्ष का प्रारंभ है। नेपाली गीत ,विचार प्रिय रहता है ।
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