शनिवार, अगस्त 21, 2021

संस्कृत : संस्कृति का द्योतक...


      विश्व वाङ्गमय और भारतीय मानवीयता की आईना संस्कृत में मिलती है । संस्कृति चेतना एवं भाषा विकास का मूल संस्कृत है ।श्रावण शुक्ल  पूर्णिमा को विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है । संस्कृत की प्राचीन भाषा और सांस्कृतिक चेतना की भाषा है । भारत सरकार ने वर्ष 1969 में श्रवण शुक्ल पूर्णिमा व  रक्षा बंधन के अवसर पर विश्व संस्कृत दिवस मनाने का फैसला किया था ।  विश्व की  पुरानी भाषाओं में संस्कृत भाषा  हिंदी, गुजराती और बंगाली सहित संस्कृत में मिलती हैं। इंडो-आर्य भाषा संस्कृत की  उत्पत्ति 3500 ई.पू.  भारत में  हुई थी।संस्कृत  लिखित रूप में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति 2 वीं सहस्त्राब्दी ई. पू . ऋग्वेद, भजनों का संग्रह लिखा गया था। भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है।  रक्षा बन्धन ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है। वैदिक साहित्य में श्रावणी कहा जाता था।  गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। इस संस्कार को उपनयन अथवा उपाकर्म संस्कार कहते हैं । ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। राज्य तथा जिला स्तरों पर संस्कृत दिवस आयोजित किए जाते हैं।  1969 ई.  में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था।  भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू ,  वेद पाठ का आरंभ और  छात्र शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे।  गुरुकुलों में श्रावण पूर्णिमा से वेदाध्ययन प्रारम्भ किया जाता है । संस्कृत दिवस के रूप से मनाया जाता है। आजकल देश में ही नहीं, विदेश में भी संस्कृत उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें केन्द्र तथा राज्य सरकारों का भी योगदान उल्लेखनीय है। जिस सप्ताह संस्कृत दिवस आता है, वह सप्ताह कुछ वर्षों से संस्कृत सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। सीबीएसई विद्यालयों और देश के समस्त विद्यालयों में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तराखण्ड में संस्कृत आधिकारिक भाषा घोषित होने से संस्कृत सप्ताह में प्रतिदिन संस्कृत भाषा में अलग अलग कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं होती हैं। संस्कृत के छात्र-छात्राओं द्वारा ग्रामों अथवा शहरों में झांकियाँ निकाली जाती हैं। संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह मनाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करना है। संस्कृत दिवस प्रत्येक  वर्ष श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष संस्कृत दिवस 2021 में 22 अगस्त को मनाया जाएगा। संस्कृत दिवस और रक्षा बंधन का त्योहार एक साथ मनाया जाता है। भारत में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति लगभग 4 हजार साल पहले हुई। सनातन  संस्कृति में संस्कृत के मंत्रों को उपयोग सैकड़ों वर्षों से किया जा रहा है। संस्कृत का अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है, 'सम' का अर्थ है 'संपूर्ण' और 'कृत' का अर्थ है 'किया हुआ' को  शब्द मिलकर संस्कृत शब्द की उतपत्ति करते हैं। भारत में वेदों की रचना 1000 से 500 ईसा पूर्व की अवधि में हुई। वैदिक संस्कृति में ऋग्वेद, पुराणों और उपनिषदों का बहुत महत्व है। वेद अलग-अलग चार खंडों में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद शामिल है । पुराण, महापुराण और उपनिषद है। संस्कृत बहुत प्राचीन और व्यापक है । विश्व संस्कृत दिवस व  संस्कृत दिवस को विश्व संस्कृत दिनम से जाना जाता है । संस्कृत भाषा को देव वाणी  कहा जाता है। संस्कृत भाषा का पता दूसरी सहस्राब्दी ई.  पू. से है । संस्कृत भाषा को उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया गया था। संस्कृत भाषा में 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्दों की सबसे बड़ी शब्दावली है। विश्व संस्कृत दिवस या संस्कृत दिवस पहली बार 1969 में मनाया गया था। यह प्राचीन भारतीय भाषा को जागरूकता फैलाने, बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए मनाया जाता है। यह भारत की समृद्ध संस्कृति को दर्शाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि हिंदू संस्कृति में पूजा और मंत्रों का उच्चारण संस्कृत में किया जाता है। संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और भारत में बोली जाने वाली प्राचीन भाषाओं में पहली है। संस्कृत सबसे अधिक कंप्यूटर के अनुकूल भाषा है।संस्कृत दिवस में कई कार्यक्रम और पूरे दिन के सेमिनार शामिल होते हैं जो संस्कृत भाषा के महत्व, इसके प्रभाव और इस खूबसूरत भाषा संस्कृत को बढ़ावा देने के बारे में बात करते हैं। संस्कृत दिवसपर सेमिनार सहित कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। संस्कृत  भारत की समृद्ध संस्कृति का प्रतीक है।  भारत की लोक कथाएं, कहानियां संस्कृत भाषा में हैं। संस्कृत भाषा के बारे में मुख्य तथ्यइस भाषा की एक संगठित व्याकरणिक संरचना है। यहां तक ​​कि स्वर और व्यंजन भी वैज्ञानिक पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं ।कर्नाटक का शिमोगा जिले के मत्तूर के निवासी  संस्कृत में बात करते है।संस्कृत को उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया है।शास्त्रीय संगीत  कर्नाटक और हिंदुस्तानी में   संस्कृत का प्रयोग किया जाता है।संस्कृतका  उपयोग बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म के दार्शनिक प्रवचनों के लिए किया जाता था। संस्कृत भाषा का प्रयोग सुसंस्कृत, परिष्कृत और समझदार लोगों द्वारा किया जाता था। शोधकर्ताओं ने संस्कृत को दो खंडों में वैदिक संस्कृत और शास्त्रीय संस्कृत वर्गीकृत किया है ।। संस्कृत में  पारंगत संस्कृति तथा मानवीय जीवन की वास्तविक रूप  और समन्वय का द्योतक है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें