शुक्रवार, नवंबर 26, 2021

हालावाद के जनक हरिवंश राय बच्चन...


        हरिवंश राय बच्चन हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक एवं  हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में  हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद में कायस्थ परिवार का प्रताप नारायण श्रीवास्तव की पत्नी सरस्वती देवी के पुत्र के रूप में  हुआ था।  हरिवंशराय को बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था । हरिवंशराय बच्चन के पूर्वज उत्तरप्रदेश के आगरा के प्रतापगढ़ के थे । उन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू और फिर हिन्दी की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम॰ए॰ और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू॰बी॰ यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच.डी.पूरी की थी । १९२६ में १९ वर्ष की उम्र में उनका विवाह 14 वर्षीय श्यामा बच्चन से हुआ था । सन १९३६ में टीबी के कारण श्यामा की मृत्यु हो गई। पाँच साल बाद १९४१ में बच्चन ने रंगमंच एवं गायन से जुड़ी तेजी सूरी  teji व तेजी बच्चन से विवाह किया । बच्चन जी ने 'नीड़ का निर्माण फिर'  कविताओं की रचना की। उनके पुत्र अमिताभ बच्चन  प्रसिद्ध अभिनेता एवं अजिताभ बच्चन हैं। 2002 के सर्दियों के महीने से उनका स्वस्थ्य बिगड़ने लगा। 2003 के जनवरी से उनको सांस लेने में दिक्कत होने लगी।कठिनाइयां बढ़ने के कारण उनकी मृत्यु 18 जनवरी 2003 में सांस की बीमारी के वजह से मुंबई में हो गयी।
बच्चन जी की कविता संग्रह में तेरा हार (1929) , मधुशाला (1935),मधुबाला (1936),मधुकलश (1937),आत्म परिचय (1937) , निशा निमंत्रण (1938),एकांत संगीत (1939),आकुल अंतर (1943),सतरंगिनी (1945) हलाहल (1946),बंगाल का काल (1946),खादी के फूल (1948),सूत की माला (1948),मिलन यामिनी (1950), प्रणय पत्रिका (1955),धार के इधर-उधर (1957),आरती और अंगारे (1958),बुद्ध और नाचघर (1958),त्रिभंगिमा (1961),चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),दो चट्टानें (1965),बहुत दिन बीते (1967),कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968), उभरते प्रतिमानों के रूप (1969),जाल समेटा (1973) ,नई से नई-पुरानी से पुरानी (1985) ,क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969),नीड़ का निर्माण फिर (1970),बसेरे से दूर (1977),दशद्वार से सोपान तक (1985) ,बच्चन के साथ क्षण भर (1934),खय्याम की मधुशाला (1938),सोपान (1953),मैकबेथ (1957),जनगीता (1958),ओथेलो (1959),उमर खय्याम की रुबाइयाँ (1959),कवियों में सौम्य संत: पंत (1960),आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत (1960),आधुनिक कवि (1961),नेहरू: राजनैतिक जीवनचरित (1961),नये पुराने झरोखे (1962), अभिनव सोपान (1964) ,चौंसठ रूसी कविताएँ (1964) ,नागर गीता (1966),बच्चन के लोकप्रिय गीत (1967) ,डब्लू बी यीट्स एंड अकल्टिज़म (1968) , मरकत द्वीप का स्वर (1968) ,हैमलेट (1969) ,भाषा अपनी भाव पराये (1970) ,पंत के सौ पत्र (1970)प्रवास की डायरी (1971)किंग लियर (1972) टूटी छूटी कड़ियाँ (1973) है । हरिवंशराय बच्चन जी  इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्यापन , भारत सरकार विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ राज्य सभा के सदस्य  रहे थे ।  भारत सरकार द्वारा बच्चन जी को  1976 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था । हालावाद के जनक हरिवंश राय को  सम्मान व पुरस्कार में सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार,(1966 ई.) , साहित्य अकादमी पुरस्कार (दो चट्टाने),1968 ई. में ,पद्म भूषण (साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में),1976 ई. , प्रथम सरस्वती सम्मान (चार आत्म कथात्मक खण्डों के लिए),1991 ई. और एफ्रो एशियाई सम्मेलन के द्वारा,1968 ई. में कमल पुरस्कार से  सम्मानित किया गया है । च्छन्दतावाद-काल की रचनाओं का औदात्य और गौरव स्वच्छन्दतावादोत्तर काल के न तो किसी कवित में मिलेगा और न समस्त रचनाओं में इतिहास के विकास के क्रम में बच्चन ने कविता को जमीन पर उतारा एवं इहलौकिक जीवन से सम्बद्ध किया और उसकी सीमा का विस्तार  किया है । स्वच्छन्दतावा प्रेम की मस्ती में झूमने का संदेश देता है ।


                       

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