मंगलवार, नवंबर 16, 2021

सामाजिक जीवन की आँखें पत्रकारिता...


लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा का मापदंड पत्रकारिताव  लोकतंत्र का स्तम्भ है । समाज और चेतना जागृति की आँखे और सामाजिक जीवन का समन्वय का सशक्त माध्यम पत्रकारिता है । विश्व में  50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद है। भारत में प्रेस को 'वाचडॉग' एवं प्रेस परिषद इंडिया को 'मोरल वाचडॉग' कहा गया है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता एवं जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है। 1920 के लेखक वाल्टर लिपमैन और  अमेरिकी दार्शनिक जॉन डेवी, नें एक लोकतांत्रिक समाज में पत्रकारिता की भूमिका पर विचार विमर्श को प्रकाशित किया था। पत्रकारिता जनता और नीति निर्माताओं के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। इस सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका एक पत्रकार निभाता है। प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एवं पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से  प्रेस परिषद की 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई । प्रेस परिषद ने 16 नवम्बर, 1966 से अपना विधिवत कार्य प्रारम्भ  किया।  प्रतिवर्ष 16 नवम्बर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस व 'नेशनल प्रेस डे  के रूप में मनाया जाता है। 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' पत्रकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से  समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है । पत्रकारिता सामाजिक जीवन का जुड़ाव कर राष्ट्रीय चेतना जागृत करता है । विश्व पत्रकारिता का मनुष्य की सतत जिज्ञासा और साहित्य के प्रति  स्वाभाविक अनुराग के संयोग से उत्पन्न होने की पत्रकारिता है । विकास यात्रा में पत्रकारिता ने तटस्थता और विश्वसनीयता के बूते पर ऐसा मुकाम हासिल करने  एवं आजादी का  नाम पत्रकारिता है । अंग्रेजी साहित्य के साहित्यकार एडीसन ने  कहा था, पत्रकारिता से अधिक मनोरंजक अधिक चुनौतीपूर्ण अधिक रसमयी और अधिक जनहितकारी कोई दूसरी बात मुझे दिखाई नहीं देती। एक स्थान पर बैठकर प्रतिदिन हजारों-लाखों लोगों तक पहुंच जाना, उनसे अपने मन की बात कह देना,  सलाह देना, शिक्षा देना परामर्श देना, उन्हें विचार देना, उनका मनोरंजन करना और  जागरूक बनाना सचमुच बेहद आश्चर्यजनक होता है। कागज और मुद्रण का आविष्कार सर्व प्रथम  चीन में होने के बाद  यूरोप में पहुंची थी ।  चीन में सबसे पहला समाचार पत्र पैकिंग गजट अथवा तिचाओं था। यूरोप में पहली प्रेस की स्थापना सन् 1440 में हुई। जर्मनी के गुटेनबर्ग   ने  प्रेस को स्थापित किया था और सबसे पहले बाइबिल को छापा है । इंग्लैंड में कैक्सटन ने 1477 में प्रेस स्थापित की। इंग्लैंड का प्रथम  समाचार पत्र 1603 में प्रकाशित हुआ था । और इसका आकार बहुत छोटा था। सन् 1666 में लंदन गजट प्रकाशित हुआ।  सत्रहवीं शताब्दी में  लेखकों और पत्रकारों की संख्या में वृद्धि हुई और टैटलर, स्पेक्टेटर, एग्जामिनर, गार्जियन, इंग्लिश मैन, लवर आदि  साप्ताहिक प्रकाशित हुए थे । ग्रब जर्नलपत्र था। एडिशन ने कहा था कि 'पत्रकारिता से अधिक मनोरंजक, अधिक चुनौतीपूर्ण, अधिक रसमयी और अधिक जनहितकारी कोई दूसरी बात मुझे दिखाई नहीं देती। एक स्थान पर बैठकर प्रतिदिन हजारों-लाखों लोगों तक पहुंच जाना, उनसे अपने मन की बात कह देना, उन्हें सलाह देना, उन्हे शिक्षा देना- परामर्श देना, उन्हें विचार देना, उनका मनोरंजन करना, उन्हें जागरूक बनाना सचमुच बेहद आश्चर्यजनक होता है। हालैंड में 1526 में पहला समाचार पत्र प्रकाशित हुआ। 1610 में जर्मनी में, 1622 में इंग्लैंड में, 1660 में अमेरिका में 1703 में रूस में और 1737 में फ्रांस में पहला पत्र निकला। इंग्लैंड में पोस्टमैन नाम से पहला साप्ताहिक समाचार पत्र 21 सितंबर 1622 को लन्दन से निकला था । 11 मार्च 1702 को प्रथम दैनिक पत्र  डेली करेंट प्रकाशित हुआ था । लेखन के लिए कागज का निर्माण चीन में 105 ई० में हुआ था।  मिश्र में पेपीरस के उत्पादन का है। भारत में भोजपत्र और ताड़ पत्रों का प्रयोग लेखन के लिए किया जाता था। चीन में पांचवी या छठी शताब्दी में लकड़ी के ठप्पों से छपाई का कार्य आरम्भ हुआ। 11वीं शताब्दी में पत्थर के ठप्पों का प्रयोग होने लगा। 1390 ई० में कोरिया में धातु के टाइप का प्रयोग करके पहली पुस्तक छापी गई थी। चीन के माध्यम से यह कला यूरोप पहुंची। सन् 1400 ई. में मेनज नगर में जन्मे जोहान गुटेनबर्ग ने टाईप (अक्षरों का टाइप फेस) तैयार किया और 1445 में पहली बार इस टाईप से पुस्तक छपी थी । 1458 में इटली के मैसोफिनी ग्वेरा ने तांबे पर खुदाई करके छपाई का काम आरम्भ किया। 1477 ई० में इंग्लैंड में विलियम कैक्सटन ने अपने छापेखाने से पुस्तकें छापनी आरम्भ की। इंग्लैण्ड में सन् 1561 में न्यूज आउट ऑफ केंट नामक एक पृष्ठ का पत्र और 1575 ई० में 'न्यू न्यूज' का प्रकाशन हुआ माना जाता है। 1620 में हालैंड के एमस्टर्डम से नियमित निकलने वाला अंग्रेजी पत्र प्रकाशित हुआ। अमेरीका में पहला पत्र 'पब्लिक अकरेंसेस बोथ फारेन एण्ड डोमेस्टिक नाम से प्रकाशित हुआ। 1609 में असवार्ग से जर्मन भाषा में 'अविश' और 'जीटुंग' और स्टासवर्ग से 'रिलेशन' नामक पत्र प्रकाशित हुए। 1776 में प्राग से एलोयस सेने फेल्डर ने छपाई की एक नई प्रणाली लिथोग्राफी प्रारम्भ की। स्वीडन में पहला पत्र ऑर्डिनरी पोस्ट टिजडेंटर नाम से 1665 में प्रकाशित हुआ। चैकोस्लोवाकिया में जर्मन प्रकाशक जे० अर्नाल्ट ने जर्मन भाषा में 1672 में एक पत्र प्रकाशित किया। चैक भाषा का प्रथम समाचार पत्र 1719 में कारेल फैटीसेक रोजनमूलर ने चेस्की पोस्टीलियन नेवोलिजिट्टू नोविनी चेस्के नाम से प्रकाशित किया था लंदन के 'दि टाइम्स' पत्र की स्थापना 1785 में हुई। 1881 में 'गार्जियन' की शुरुआत हुई, जो मैनचेस्टर गार्जियन' के नाम से विख्यात था 'डेली टेलीग्राफ' की 1855 में, 'ईवनिंग न्यूज: 1881 में, फाइनेंशियल टाइम्स' 1888 में 'डेली मेल' 1896 में 'डेली एक्सप्रेस' 1900 में, 'डेली मिरर' 1903 में शुरू हुए। रविवारीय पत्रों में आब्जर्वर' 1791 में 'न्यूज ऑफ दि वर्ड' 1853 में, 'संडे टाइम्स' 1822 में, संडे पीपल 1881 में शुरू हुए। पत्रकारिता के एक रूप को रोमन गणराज्य के जन्म के साथ विकसित हुआ माना जा सकता है। रोमन साम्राज्य में संवाद लेखकों की व्यवस्था के प्रमाण मिलते हैं। ईसा से पांचवीं शताब्दी पूर्व ये संवाद लेखक हाथ में लिख कर समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया करते थे। इसके उपरांत जूलियस सीजर ने 60 ई. पू. 'एक्टा डोएना' नाम से दैनिक बुलेटिन निकाला जो राज्य की जरूरी सूचनाओं का एक हस्तलिखित पोस्टर होता था। भारतीय इतिहास में अशोक ने सुदृढ़ शासन व्यवस्था को कायम रखने के लिए विशेष प्रयत्न किए। राजकार्य के कुशल संचालन के लिए उपयोगी सूचनायें विभिन्न स्रोतों से प्राप्त करने हेतु व्यवस्था की थी साथ ही शिला लेखों की परम्परा ने भी इसे आगे बढ़ाया। आज से करीब 1350 वर्ष पूर्व चीन में विश्व का पहला पत्र तिंचाओं शुरू हुआ था। यह हस्तलिखित पत्र था । विश्व का सबसे पुराना नियमित समाचार पत्र स्वीडन का पोस्ट ओच इनरिक्स ट्रिडनिंगर था जिसे रायल स्वीडिश अकादमी ने 1644 में छापना शुरू किया था। विश्व का सबसे पुराना व्यावसायिक समाचार पत्र 8 जनवरी 1658 को हालैंड में 'बीकेलिक कूरंत बात यूरोप नाम से शुरू हुआ था। आज इसका नाम 'हार्लेक्स दोगब्लेडे हारलमेशे कूरंत' है। छापेखाने के आविष्कार के बाद प्रारम्भिक मुद्रक एक कागज पर समाचार छाप कर फेरी वालों को मुफ्त में दे देते थे। विश्व का पहला दैनिक समाचार पत्र 'मार्निंग पोस्ट' था, जो 1772 में लंदन से प्रकाशित होना शुरू हुआ था। इसके कुछ ही दिनों बाद लन्दन से ही 'टाइम्स'  समाचार पत्र प्रकाशित होना शुरू हुआ। सोलहवी और सत्रहवीं शताब्दी में फ्रांस में 'सोलोन' और ब्रिटेन में काफी हाउस इस बात के लिए लोकप्रिय हो गए थे कि वहां लेखक व बुद्धिजीवी एकत्र होते थे और समाचारों का आदान-प्रदान करते थे हमारे देश में भी प्राचीन काल से ही लोग गांवों की चौपालों में बैठ कर समाचारों, विचारों का आदान-प्रदान किया करते थे। आज भी कमोवेश यह क्रम जारी है। भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना के साथ ही संवाद सेवा के युग का आरम्भ हुआ। मुगलों ने संचार सेवाओं के लिए सूचनाधिकारियों की नियुक्ति की। औरंगजेब 1658-1707) ने शासकीय व्यवस्था को चौकस रखने के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान का प्रबंध किया। संवाद लेखकों की वाकियानवीस व खुफियानवीस के तौर पर नियुक्ति की 18वीं शदी के पहले चरण में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भी इन संवाद लेखकों की सेवायें हासिल की हमारे देश में पत्रकारिता अंग्रेजों ने शुरू की। जेम्स आगस्टस हिकी और विलियम ड्यूएन जैसे पत्रकारों ने तत्कालीन कम्पनी सरकार की काली करतूतों का भंडाफोड़ किया। वारेन हेस्टिंग्ज (1772-1785) जैसे तानाशाहों को मजबूर कर दिया कि वह या तो उन्हें जेल भिजवा दे या हिन्दुस्तान से निर्वासित कर दे। यद्यपि ये झगड़े उनके आपसी थे, जनहित से उनका कोई सरोकार नहीं था, फिर भी पत्रकारिता में निर्भीकता के उदाहरण समझे जाते हैं। भारत में तत्कालीन ब्रिटिश शासकों का भारतीय पत्रकारों और पत्रकारिता के प्रति क्या दृष्टिकोण था ।19 वीं शताब्दी के मद्रास के गवर्नर  टॉमस मुनरो ने कहा है है कि हमने हिन्दुस्तान में अंग्रेजों के साम्राज्य की नीव इस नीति पर रखी है कि हमने अपनी प्रजा को न कभी प्रेस की आजादी दी है और न देंगे। यदि यहां की पूरी जनता हमारी तरह अंग्रेज होती  मैं प्रेस की स्वतंत्रता की मांग स्वीकार कर सकता था लेकिन ये तो हमारे उपनिवेश के रहने वाले यहां के नेटिव हैं। इनको प्रेस की आजादी देना हमारे लिए खतरनाक है। दोनों एक साथ नहीं चल सकते हैं। हिन्दुस्तानी, प्रेस यानी छपाई की मशीन का प्रयोग सीख कर कहीं अखबार छापना शुरू न कर दें और ब्रिटिश साम्राज्य को एक नया खतरा पैदा न हो जाए. अंग्रेजी सरकार इस बात से डरती थी। हैदराबाद निजाम के दरबार में नियुक्त ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेंट ने निजाम को मुद्रित पत्र का एक नमूना उपहार में दिया तो कम्पनी सरकार ने उस एजेंट की भर्त्सना की कि ऐसी खतरनाक मशीन निजाम को क्यों दिखाई। नतीजा यह हुआ कि एजेंट ने अपने कारिन्दों से उस मशीन को तुड़वाकर फिंकवा दिया था । यूरोप में पुनर्जागरण तथा अमेरिका में लोकतंत्र की स्थापना, फ्रांस की क्रांति के बाद शुरू हुई औद्योगिक क्रांति से लोगों का जन जीवन धीरे-धीरे पेचीदा व जटिल होता गया। पूंजीवाद के विकास के साथ साम्यवाद ने भी पैर पसारने शुरू कर दिए। विज्ञान ने एक साथ ढेर सारी तरक्की कर ली और संचार के साधन विकसित हो गए। इन परिवर्तनों से पत्रकारिता भी प्रभावित हुई। सबसे पहले प्रभाव यह हुआ कि परिवर्तनों तथा शिक्षा के फैलाव से लोगों में जागृति आने लगी और वे दुनिया में तेजी से आ रहे बदलाव तथा घटित हो रही घटनाओं को जल्द से जल्द जानने के लिए उत्सुक रहने लगे। इस प्रवृत्ति के कारण जहां एक ओर समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशन में वृद्धि हुई, वहीं उनकी प्रसार संख्या भी बढ़ी। प्रसार संख्या बढ़ने के साथ-साथ अब पत्र पत्रिकाओं में खेल जगत, अर्थजगत, शिक्षा, विज्ञान, फोटोग्राफी, फिल्म उद्योग, साहित्य सृजन आदि क्षेत्रों को भी पत्रकारिता अपना अभिन्न अंग बना लिया अब पत्रकारिता को चलाना मात्र मिशन नहीं रह गया, बल्कि प्रसार संख्या बढ़ने, नये नये विषयों के समावेश, डाक के द्वारा पत्र पत्रिकाओं को दूरस्थ स्थानों को भेजे जाने आदि ने पत्रकारिता को व्यवसाय बना दिया गया ।
 भारत में प्रथम अखबार 1780 में जेम्स ऑगस्टस हिकी के संपादकीय के तहत   बंगाल राजपत्र था। 30 मई, 1826 को उदंत मार्टंड (द राइजिंग सन), भारत में प्रकाशित पहला हिंदी-भाषी समाचार पत्र, कलकत्ता  से शुरू हुआ था । भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता के जनक व समाजसेवी, ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय द्वारा 1885 में सती प्रथा के विरोध में प्रथम धार्मिक लेख लिखा। भारतीय समाज में आचार-विचार की स्वतंत्रता का श्रीगणेश यहीं से प्रारम्भ हुआ। यहीं से समाज सुधार की प्रवृत्ति प्रारम्भ हुई। सती प्रथा के सम्बंध में यह उनका प्रथम प्रयास था। बिहार में बिहार बंधु  आर्यावर्त , प्रदीप , सर्चलाईट , इंडियन नेशन , आत्मकथा , विश्वामित्र , पाटलिपुत्र टाइम्स , जनशक्ति  हिंदी दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित होते थे । आज , हिंदुस्तान , प्रभातख़बर , दैनिक जागरण , दैनिक भाष्कर , दैनिक सहारा आदि हिंदी दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे है । पटना से प्रकाशित होने वाले हिंदी मासिक पत्र में तापमान , दिव्य रश्मि , केवल सच एवं निर्माण भारती हिंदी सप्ताहिक मुजफ्फरपुर , बम्मई हिंदी विद्यापीठ मुम्बई से हिंदी मासिक भारती , संस्कार धरा टुडे जबलपुर , बूंदी से डिजिटल हिंदी साप्ताहिक लेखक हिंदी के  , अजमेर हिंदी दैनिक डिजिटल  संस्कार न्यूज़ , मगध ज्योति ब्लॉग समाचार पत्र   प्रकाशित हो रहे है ।



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