सोमवार, सितंबर 11, 2023

मुजफरपुर का बाबा गरीबनाथ

सर्वार्थ मनोकामना स्थल है गरीबनाथ 
सत्येन्द्र कुमार पाठक। 
सनातन धर्म की विभिन्न ग्रंथों एवं ऐतिहासिक दस्तावेज के अनुसार बिहार राज्य का  मुजफ्फरपुर जिला का मुख्यालय मुजफरपुर  में ब्राह्मण टोली पुरानी बाजार  स्थित गरीबनाथ मंदिर में स्थापित  बाबा गरीबनाथ शिव लिग  पवित्र स्थान है ।  मुजफ्फरपुर का गरीबनाथ मंदिर परिसर में महा शिवरात्रि , श्रावणी  मेला, नाग पंचमी मनाई जाती है । बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा भौगोलिक निर्देशांक 26°7′28″एन  85°23′25″ ई पर अवस्थित गरीबनाथ मंदिर का रखरखाव किया जाता है। विभिन्न स्रोतों के अनुसार के अनुसार 1723 ई. में नाथ सम्प्रदाय के अनुयायी शैव संत गरीब  दास द्वारा  सप्त  पीपल वृक्ष के समीप रह कर भगवान शिव की उपासना किया करते थे । पीपल वृक्षों की  कटाई के दौरान रक्त-लाल पदार्थ निकलने लगे और  शिवलिंग मिला था । जमीनदार के स्वप्न में बाबा गरीब आ कर पीपल वृक्ष को कटाई रोकने के लिए कहा था । बाबा गरीबनाथ मंदिर  मुजफ्फरपुर के पुरानी बाजार के पास स्थित है । 1971 ई.  की शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा बाबा गरीबनाथ की बाराती एवं वार्षिक आयोजन प्रारम्भ किया गया है । वज्जि प्रदेश की राजधानी गंडक नदी के तट पर तीरह व तिरहुत में  600 ई. पू . थी । बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय एवं महापरिनिर्वाण सूत्र  में तीरभुक्ति का उल्लेख किया गया है । मुजफ्फरपुर को तिरह , तिरहुत , तीरभुक्ति गुप्त काल तक नाम था । संस्कृत साहित्य में लिंगोपासना , नागोपसना में भगवान शिव का नागयुक्त  शिव लिंग लिंगायत सम्प्रदाय का मुख्य केंद्र गंडक नदी के तट पर आधुनिक मुजफरपुर में स्थापित है । यह का झील को मन कहा गया है । 1893 ई. में मुजफरपुर का सेठ शिवदत्त राय द्वारा गरीबनाथ क्षेत्र का बंदोबस्त कराने के पश्चात वनों की कटाई प्रारंभ करने के दौरान शिवलिंग प्रकट हुआ था । शिवदत्त राय के वंशज सुरेश चनानेवाम विश्वनाथ चानन  गरीबनाथ मंदिर का निर्माण  एवं भूमिदाता थे । धर्म संसद एवं वीणा कला आश्रम के संथापक  पूर्व विधायक केदारनाथ प्रसाद द्वारा शिव महिमा ग्रंथ में बाबा गरीबनाथधाम, मुझफरपुर की महत्वपूर्ण उल्लेख किया गया है ।
सनातन धर्म  का शैव सम्प्रदाय का लिंगायत पंथ के संस्थापक वसवन्ना  द्वारा 12 वीं सदी में भगवान शिव की स्तुति ,  आराधना और उपासना का मंत्र दिया गया है। लिंगायत पंथ के मुख्य देव भगवान शिव है । लिंगायत मत के उपासक लिंगायत कन्नड़:कहलाते हैं। लिंगवंत लोग मुख्यतः महात्मा बसवण्णा की शिक्षाओं के अनुगामी हैं। लिंगायतों में गुरु बसवेश्वर  है। 'वीरशैव' पंथ  शिव का परम भक्त ,  वीरशैव का तत्वज्ञान दर्शन, साधना, कर्मकांड, सामाजिक संघटन, आचारनियम वीरशैव देश के अन्य भागों - महाराष्ट्र, आंध्र, तमिल क्षेत्र में में फैले है।  शैव लोग अपने धार्मिक विश्वासों और दर्शन का उद्गम वेदों तथा 28 शैवागमों से मानते हैं। वीरशैव भी वेदों में अविश्वास नहीं प्रकट करते किंतु उनके दर्शन, कर्मकांड तथा समाजसुधार आदि विकसित  हैं । शैवागमों तथा अंतर्दृष्टि 12वीं से 16 वीं शती के बीच  तीन शताब्दियों में 300 वचनकार प्रमुख महात्मा बसवेश्वर के अनुयायी   30 स्त्रियाँ रही थी ।  महात्मा बसवेश्वर  कल्याण (कर्नाटक) के जैन राजा विज्जल (12वीं शती) का प्रधान मंत्री थे। वह योगी महात्मा बसवेश्वर द्वारा  वीरशैव संप्रदाय की स्थापना की। महात्मा बसवेश्वर का लक्ष्य  आध्यात्मिक समाज बनाना था । वीरशैवों ने आध्यात्मिक अनुशासन की परंपरा स्थापित शतस्थल शास्त्र'  हैं। वीरशैववाद मूलत: अद्वैतवादी दर्शन है ।आध्यात्मिक गुरु प्रत्येक वीरशैव को इष्ट लिंग अर्पित कर उसके कान में पवित्र षडक्षर मंत्र 'ओम्‌ नम: शिवाय' फूँक देता है। प्रत्येक वीरशैव स्नानादि कर हाथ की गदेली पर इष्ट लिंग रखकर चिंतन और ध्यान द्वारा आराधना करता है। वीरशैव में सत्यपरायणता, अहिंसा, बंधुत्वभाव जैसे उच्च नैतिक गुणों के होने की आशा की जाती है। महाराष्ट्र वारकरी संप्रदाय का विकास काल  १२ वी मे कर्नाटक मे लिंगायत सम्प्रदाय का परीचय आया । लिंगायत सम्प्रदाय के अनुयाय ने  शरीर पर शिवलिंग धारण करने के कारण लिंगायत सम्प्रदाय है | पेड ,  फुल ,फल लगते है उसी तरह भगवान शिव से विश्व कि निर्माण हुया है । ओम नम: शिवाय मंत्र लिंगायत सम्प्रदाय ने स्वीकार किया है । बिहार राज्य का मुजफरपुर गंडक नदी के तट पर लिंगायत पंथ द्वारा शिवलिंग की स्थापना कर उत्तर बिहार का प्रमुख केंद्र 12 वीं सदी में स्थापित किया था । वासव पुराण में गरीबनाथ का उल्लेख किया गया है । वासव द्वारा शिवलिंग की वासव स्थल पर वसवेश्वर नाथ की स्थापना की थी । वसवेश्वर नाथ स्थल को लिंगायत पंथ का केंद्र विंदु 12वी सदी और 18 वी सदी में गरीब दास की उपासना स्थल के कारण गरीबनाथ के नाम प्रख्यात हुआ । प्रत्येक वर्ष गरीबनाथ के श्रद्धालुओं द्वारा कावरिया के रूप में  हाजीपुर की गंगा नदी की जल ले कर मुजफ्फरपुर स्थित गरीबनाथ बाबा पर जल का अभिषेक करते है । मुजफरपुर में माता रानी सती , सत्यनारायण मंदिर , कालीमंदिर , चतुर्भुजमन्दिर , सूर्यमंदिर , भैरवमन्दिर दर्शनीय स्थल है।

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