मुंगेर की सांस्कृतिक विरासत
सत्येन्द्र कुमार पाठक
सनातन धर्म ग्रंथों , पुराणों ईवा इतिहास के पन्नों में मुंगेर का उल्लेख मिलता है । गंगा नदी के दक्षिणी तट पर वसा मुंगेर जिला एवं प्रमंडल का मुख्यालय मुंगेर है ।त्रेता युग और द्वापर युग में मुंगेर का अस्तित्व मिलता है। महाभारत काल में अंग की राजधानी मुंगेर को अंगराज कर्ण द्वारा रखी गयी थी । त्रेतायुग में मुंगेर के सीता कुंड में माता सीता ने अग्नि परीक्षा के बाद स्नान किया था। ऋषि मुदगल का तपो स्थली मुग्दलगिरी , गुप्त वंशीय राजाओं द्वारा मुंगेर की स्थापना , 1447 ई. में सूफी संत शाह मुश्क नफा का कर्म स्थल एवं बंगाल का नबाब मीर कासिम ने 1763 ई. में राजधानी ब्रिटिश साम्राज्य ने 1832 ई. में जिला का दर्जा मुंगेर को बनाया था । मुंगेर को मुग्दल , मुद्गलगिरी ,, मोदागिर, मोदागिरी , मोंगर पत्र के अनुसार 1066 ई. में नार्मन ने मुंगेर को ऑफ डेला मोंसेड अर्थात पहाड़ी का टीला कज़ह गया था । बंगाल का अंतिम नबाब मीरकासिम द्वारा मुंगेर में किला का निर्माण कराया था । हिंदी , मगही सुर अंगिका भाषीय मुंगेर जिले का क्षेत्रफल 1419.7 वर्ग कि.मी. में 2011 जनगणना के अनुसार 13,67,765 आवादी , 03 अनुमंडल , 9 प्रखण्ड , 923 गाँव में साक्षरता 76 .87 प्रतिशत है ।मुंगेर का प्राचीन नाम मुद्रलपुरी, मॉड-गिरि, मोदागिरि, मुद्रलगिरी है। त्रेतायुग में मुद्गलगिरी एवं द्वापरयुग में मुद्गलपूरी मुंगेर को मुद्रलपुरी अंग प्रदेश की राजधानी कलांतर में मुद्रलगिरी से मुंगेर के नाम से ख्याति है। गंगा नदी के पावन तट पर स्थित मुंगेर का प्रमुख गंगा घाट कष्टहरणी घाट के बगल में गंगा के समीप मध्य सीता चरण मंदिर है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में मुंगेर की स्थापना का श्रेय गुप्त बंश के राजाओं के अधीन था । कलांतर में बख्तियार खिलजी के अधिकार में मुंगेर रहा था । ब्रिटिश साम्राज्य काल द्वारा 1812 ई. मुंगेर पृथक प्रशासनिक केंद्र बनाया था । मुंगेर जिला बन गया है। सन 1934 के विनाशकारी भूकम्प से मीर कासिम द्वारा मुंगेर का निर्मित किले ध्वस्त हो गया। चार द्वार वाला मीरकासिम किला वास्तुकला से परिपूर्ण और सुंदर है। हिन्दू और बौद्ध शैली में निर्मित मीरकासिम किले के प्रमुख दरवाजा लाल दरवाजा , कीले में निर्मित सुरंग को आकर्षित करता है। मुंगेर स्थित सीता कुंड माता सीता को समर्पित एवं श्रृंगी ऋषि को समर्पित ऋषि कुंड , मुंगेर के गंगा नदी के किनारे स्थित बिहार स्कूल ऑफ योगा , कष्ट हरणी घाट , गंगा नदी के किनारे स्थित माँ चंडिका दरवार प्मंदिर शक्ति पीठ हैं। सती माँ का बाईं आँख गिरी थी । मनपत्थर सीता चरण, पीर शाह नफाह मकबरा,गोयनका शिवालय मिर्ची तालाब, ,श्रीकृष्ण वाटिका, ,भीमबंध वन्यजीव अभयारण्य एवं मुंगेर में बंदूक और सिगरेट फैक्ट्ररी है। मुंगेर जिले में मुंगेर शहर ,हवेली खड़गपुर ,तारापुर अनुमंडल एवं सदर ,जमालपुर ,वरियापुर ,धरहरा ,खड़गपुर ,रेडिया, बम्बर ,तारापुर ,असरगंज और संग्रामपुर प्रखण्ड है । गंगानदी के तट पर मगध साम्राज्य का राजा जरासंध द्वारा निर्माण कराया था । मगध साम्राज्य का राजा चंद्रगुप्त ने मुंगेर नगर की स्थापना कर चंपानगर में मुंगेर की राजधानी स्थापित किया था । ब्रिटिश साम्राज्य ने मुंगेर को मॉंगीर व मोंगिर कहा गया है । 1964 ई. में मुंगेर योगाश्रम की स्थापना , तारापुर में योगाचार्य ब्रजेश मिश्र की जन्मभूमि , 15 फरवरी 1932 ई. में मुंगेर का कलेक्टर एल .ओ ली एवं एस पी डब्लू एस मैंडोप द्वारा तारापुर में 38 स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी पर गोली से मौत के घाट उतार दिया था । शहीदों के सम्मान में प्रतिवर्ष 15 फरवरी को सहादत दिवस मनाया जाता है । 03 दिसंबर 1883 ई. में तारापुर में जन्मे चित्रकार नंदलाल बोस को 1954 ई. में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया ।वसु का निधन कलकत्ता में 16 अप्रैल 1966 ई. में हुई थी ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें