बांका की सांस्कृतिक विरासत
सत्येन्द्र कुमार पाठक
ऐतिहासिक और विभिन्न सनातन धर्म ग्रंथों में बांका का उल्लेख मिलता है । बांका जिले का मुख्यालय बांका पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र/सीमा झारखंड राज्य , पश्चिमी सीमा जमुई तथा उत्तर-पश्चिमी सीमा से मुंगेर तथा भागलपुर से जोड़ती है। भौगोलिक क्षेत्रफल 3020 वर्ग किलोमीटर में फैले बांका जिला की स्थापना 21 फरवरी, 1991 को हुई है। बांका जिले के सृजन पूर्व में भागलपुर जिला का अनुमंडल था। बांका जिले का अनुमंडल बांका तथा 11 प्रखंडों, 2111 गांवों, 185 पंचायतों , बांका नगर परिषद् व अमरपुर नगर पंचायत है। बांका जिला की समृद्ध विरासत , ग्रंथों एवं पुरानों के अनुसार वैवस्वत मन्वंतर काल के वैवस्वत मनु का वंशज , कश्यप ऋषि की पत्नी एवं दक्ष प्रजापति की पुत्री दिति के पुत्र हिरण्यकश्यप वंशीय बलि के पुत्रों में अनवा साम्राज्य की स्थापना के तत्परश्चात साम्राज्य अंग, बंग, कलिंगा, पुदीना और सुमहा का नामकरण किया गया था । स्वायंभुव मन्वंतर का त्रेतायुग में अंग राजाओं के संदरव लोमापादा अयोध्या के राजा दशरथ का मित्र था । अथर्ववेद के अनुसार अंग का प्रपोत्र चम्पा ने अंग की राजधानी मालिनी से हटा कर चंपा नगर निर्माण कर चंपा में रखा था । बौद्ध धर्म-ग्रंथों के अनुसार, अंग साम्राज्य का-राजा ब्रह्मदत्त ने मगध साम्राज्य के राजा भट्टिय को पराजित किया था । मगध साम्राज्य के राजा भट्टिय के पुत्र बिम्बसार द्वारा 545 ई. पू.में अंग को मगध के अधीन कर लिया था । मगध साम्राज्य की राजधानी चंपा में राजा अजातशत्रु द्वारा स्थानांतरित कर ली थी। सम्राट अशोक की मां चम्पा की सुभद्रांगी का विवाह मगध साम्राज्य का राजा विन्दुसार का विवाह हुआ था । अंग नंद वंश, मोर्य वंश 324-185 ई. पू ., शुंग वंश (185-75 ई .पू. और कण्व वंश 75-30 ईसा पू . मगध साम्राज्य के शासकों के अधीन बना रहा। कण्व वंश के शासन-काल में कलिंग के राजा खारवेल ने मगध और अंग पर चढ़ाई कर दी गयी थी । चन्द्र गुप्त 1 (320 ईसवी) का राज्याभिषेक के बाद अंग महान गुप्त साम्राज्य (320-455 ईसवी) का हिस्सा बना रहा। गुप्त काल तक अंग भौतिक एवं सांस्कृतिक विकास का काल था। गुप्त वंश के पतन के बाद , गौड़ शासक शशांक ने बांका क्षेत्र में 602-ई . से 625 ई. तक नियंत्रण किया । अंग क्षेत्र राजा हर्षवर्धन के द्वारा माधवगुप्त को मगध का राजा घोषित किया। माधव गुप्त का पुत्र आदित्यसेन ने मंदार-पहाड़ी पर शिलालेख के अनुसार नरसिंहा या नरहरि मंदिर का निर्माण कराई थी। चीनी यात्री यूआन चेंग ने चम्पा का वर्णन यात्रा-वृतांत में किया है। बंगाल के पाल शासक गोपाल के नेतृत्व में 755 ई . में शासन में आया।धर्मपाल उनके उत्तराधिकारी बने। विग्रहपाल ने राज-स्थापना अंग में की थी । ताम्र-पत्र अभिलेख के अनुसार नारायणपाल द्वारा भागलपुर में मिला दिया गया था ।। पल वंशीय राजा गोपाल द्वारा विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। सेन वंश ने अंग-क्षेत्र में शासन किया।अंग शासक सेन वंश के राजा लक्ष्मण सेन 1185-1206 जब शासन में बख्तियार खिलजी ने 12वीं शताब्दी में बिहार और बंगाल की ओर कूच कर नालंदा एवं विक्रमशिला की प्राचीन विश्व–विद्यालयों को लूट कर ध्वस्त कर दिया था । बख्तियार खिलजी दिल्ली के तुर्क-अफगान शासकों के अधीन बिहार और बंगाल का प्रथम प्रतिनिधि द्वारा दक्षिण बिहार पूरी तरह से 1330 ई में दिल्ली के अधीन हो गया था। चौदहवीं सदी में बिहार जौनपुर साम्राज्य द्वारा हड़प लिया था । बंगाल के हुसैन शाह ने जौनपुर के शासन को सफलतापूर्वक अभियान से समाप्त कर दिया। हूमायूं ने 1540 ई . में बंगाल पर चढ़ाई करने के दौरान भागलपुर से होकर राजमहल पहाडि़यों एवं गंगा की संकीर्ण पट्टी में शेरशाह ने रोक दिया। अकबर के बादशाह बनने पर 1556 ई. में अफगान ताकत को समाप्त कर मुगल साम्राज्य की स्थापना कर दी थी । अकबर की सेना ने भागलपुर के रास्ता 1573 ई. और 1575ई. में मार्च किया। 1580 ई. में अकबर के विरूद्ध सैन्य-विद्रोह होगया था । ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा 1769 ई. में सुपरवाइजर के रूप में काम करने के तहत मुगल प्रतिनिधित्व हटा दिया गया। आगस्ट्स क्लीवलैंड 1779 ई0 में भागलपुर जिला के प्रथम कलेक्टर बनाये गए। अपने चार वर्ष के छोटे से कार्यकाल में क्लीवलैंड ने पहाड़ी जनजातियों के विद्रोह को शांत करने में कमयाबी पाई। भागलपुर सिटी पिरामिड-स्मारक क्लीवलैंड का अस्तित्व है। संथाल विद्रोह के कारण एक नई मन-रेगुलेशन जिला संथाल परगना की स्थापना 1955-56 में हुई थी । 1857 का विद्रोह में बांका के क्रांतिकारी आंदोलन था । बांका क्षेत्र का वैरुनसी मंदार पर्वत को मंदराचल पर्वत कहा गया है । मंदराचल पर्वत की गुफाएं , ब्राह्मण धर्म , सनातन धर्म बौद्ध एवं जैन धर्म की मूर्तियां , चैत्य , पापहरणी कुंड , लक्षद्वीप कुंड , मदसूदन , भगवान शिव मंदिर प्रसिद्ध है । चंदन नदी के किनारे रूपस में काली मंदिर ,बिहार का गवर्नर शाह उमर वजीरने द्वारा अमरपुर की स्थापना , जैन धर्म के। वासुपूज्य निर्वाण भूमि , रूपस , असिता ,जेष्ठ गौर मठ में काली मंदिर , ओढ़नी डैम प्रसिद्ध है । द्वापर युग व महाभारत काल में असुर संस्कृति का राजा बकासुर द्वारा बका नगर का निर्माण कराया था । बकासुर जरासंध और मथुरा के राजा कंश का मित्र था । असुरराज बकासुर ने बका साम्राज्य की राजधानी बका में स्थापित किया था । 18 53 ई. में बांका को अनुमंडल का दर्जा मिला था । स्वायम्भुव मनु के मन्वंतर काल में बांका विकसित था । शंभुगंज प्रखण्ड का तेलड़िहा में 1603 ई. में दुर्गा मंदिर , चांदन नदी के तट पर बाबा जेष्ठ गौरनाथ महादेव मंदिर , बाराहाट दुर्गा मंदिर ,जगतपुर दुर्गामंदिर ,मंदारेश्वर मंदिर ,पंचमुखी शिवमंदिर ,माँ तारा मंदिर , जैन धर्म का 12 वें तीर्थंकर वासुपूज्य निर्वाण स्थल प्रसिद्ध है । अमरपुर प्रखण्ड का कलिंग राजा शशांक द्वारा स्थापित 108 शिव लिंग , शाम्भगंज प्रखंड के तेलड़िहा में हिरबल्लभ दास द्वारा 1603 ई. में स्थापित माता कृष्णकाली मंदिर , है । मंदराचल व मंदार पर्वत की 800 ऊँचाई पर अवस्थित बौसी में अवस्थित है । वैवस्वत मन्वंतर काल में देव , दैत्य , दानव द्वारा समुद्र मंथन के लिए मंदार पर्वत को मथनी एवं वासुकी नाग मथनी का डोर बनाया गया था । समुद्र मंथन करने के दौरान नवरत्न प्राप्त हुए थे । मंदार पर्वत के चारो तरफ नाग का चिह्न अवस्थित है । मंदार पर्वत पर मंदारेश्वर शिवलिंग , भगवान विष्णु मंदिर, कुंड , गुफाएं , भीटी चित्र अवस्थित है । झारखंड राज्य का दुमका जिले का जरमुंडी प्रखंड के वासुकी नाग को समर्पित वासुकीनाथ मंदिर के गर्भगृह में बाबा बासुकीनाथ स्थापित है ।
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