शुक्रवार, सितंबर 22, 2023

सारण की सांस्कृतिक विरासत

सारण की सांस्कृतिक विरासत 
सत्येन्द्र कुमार पाठक 
 बिहार राज्य का सारण  जिला एवं प्रमंडल का गंगा , गंडक और घाघरा नदियों से घिरा मुख्यालय छपरा   है। भोजपुरी एवं हिंदी भाषी क्षेत्र सारण जिला सोनपुर मेला, चिरांद पुरातत्व स्थल राजनीतिक चेतना के लिए प्रसिद्ध है। सारण जिले का क्षेत्रफल 2641 वर्गकिमी में फैले क्षेत्र में 324870 आवादी में 3 अनुमंडल , 36 थाने , 1807 गाँव , 20 प्रखण्ड है । सारण जिला 1829 ई. में पटना प्रमंडल , 1866 ई. में चंपारण , 1908 ई. में तिरहुत प्रमंडल  का हिस्सा होने के बाद दिसंबर 1972 ई. में छपरा स्वतंत्र जिला का सृजन किया गया गया है। सारण की भूमि वनों के असीम विस्तार और विचरने वाले हिरणों के कारण प्रसिद्ध था। हिरण (सारंग) एवं वन (अरण्य) के कारण  सारंग अरण्य  कालक्रम में बदलकर सारन बना है। ब्रिटिस साम्राज्य का जेनरल कनिंघम ने मौर्य सम्राट अशोक के काल में सारण में लगाए गए धम्म स्तंभों को 'शरण' कहा  था । छपरा  से ११ किलोमीटर स्थित, चिराद   स्थल 2000 ई . पू . में  सारण की भूमि कोसल का अंग था । कोसल राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में सर्पिका (साईं) नदी, पुरब में गंडक नदी तथा पश्चिम में पांचाल प्रदेश था। कोशल साम्राज्य के अंतर्गत उत्तर प्रदेश का फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर तथा देवरिया जिला के बिहार का सारण क्षेत्र  है। आठवीं सदी में सारण पर  पाल शासकों का आधिपत्य था। सारण  जिले के दिघवारा के निकट दुबौली से महेन्द्रपाल देव के समय ८९८ ई.  में जारी किया गया ताम्रफलक प्राप्त हुआ है। बाबर काल में  सारण मुगल शासन का हिस्सा  था। अकबर के शासनकाल पर लिखे गए आईना-ए-अकबरी के  अनुसार कर संग्रह के लिए बनाए गए ६ राज्यों (राजस्व विभाग) में सारण  राज्य था ।  बक्सर युद्ध में विजय के बाद सन 1755 ई.  में ब्रिटिश साम्राज्य का दिवानी अधिकार प्राप्त था । पटना प्रमंडल का सृजन 1829 ई.  बनने के बाद सारन और चंपारण  जिला बना परंतु 1866 ई. में चंपारण को जिला बनाकर सारण से अलग कर दिया गया।था ।   तिरहुत प्रमंडल 1908 ई. में सृजन होने  पर सारण को शामिल किया गया था । स्वतंत्रता पश्चात 1981 ई.  में सारण  प्रमंडल का दर्जा प्राप्त हुआ है ।  स्वतंत्रता की लड़ाई में सारण जिले  के मजहरुल हक़, भारत का प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद , लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्म भूमि    महान सेनानियों नें बिहार का नाम ऊँचा किया है।  अगस्त क्रांति 1942 में पटना के सचिवालय पर तिरंगा फहराने के क्रम में शहीद होने वालों में सारण जिले के युवा नरेंद्रपुर गाँव के उमाकांत प्रसाद सिंह और बनवारी चक - नयागांव के राजेन्द्र सिंह है । गंगा, गंडक तथा घाघरा नदियों से घिरा सारण जिला 25°36' से 26°13' उअत्तरी अक्षांश तथा 84°24' से 85°15' पूर्वी देशांतर के बीच बसा है। जिले के उत्तर में सिवान तथा गोपालगंज, दक्षिण में गंगा एवं घाघरा नदियों के पार पटना एवं भोजपुर जिला, पूर्व में मुजफ्फरपुर एवं वैशाली जिला तथा पश्चिम में सिवान तथा उत्तर प्रदेश का बलिया जिला अवस्थित है। सारण जिले के कुल 270245 हेक्टेयर भूमि में से 199300 हेक्टेयर खेती योग्य , 3789.20 हेक्टेयर स्थायॉ रूप से जल से ढँका है। कृषि योग्य भूमि में से 27% ऊँची भूमि, 7% मध्यम ऊँची भूमि, 15% मध्यम भूमि, 12% नीची भूमि, 21% चौर एवं 15% दियार क्षेत्र है।[16] गेंहूँ, धान, मक्का, आलू, दलहन एवं तिलहन मुख्य फसलें हैं। कुल जोत का सार्वाधिक हिस्सा गेंहूँ एवं धान की बुआई में इस्तेमाल होता है। जिले में कोई वन क्षेत्र नहीं है और आम, इमली, सीसम जैसी लकड़ियाँ निजी भूक्षेत्र पर ८२७० हेक्टेयर में  हैं। सारण जिले में रेल पहिया कारखाना, बेला, दरियापुर ,डीजल रेल इंजन लोकोमोटिव कारखाना, मढ़ौरा , सारण इंजीनियरिंग, मढ़ौरा ,सारणडिटेलरी, मढ़ौरा ,चीनी मिल, मढ़ौरा ,मोरर्न मिल, मढ़ौरा ,रेल कोच फैक्ट्री, सोनपुर , बी. सरकार शिक्षण संस्थान , लोकनायक जय प्रकाश प्रौद्योगिकी संस्थान ,जयप्रकाश विश्वविद्यालय ,राजेंद्र कॉलेज ,राम जयपाल कॉलेज , जगडम कॉलेज ,पॉलिटेक्निक कॉलेज, मढ़ौरा ,आईटीआई मढ़ौरा , जिला स्कूल ,राजेंद्र कॉलेजिएट , छपरा मेडिकल कॉलेज , आईटीबीपी हेडक्वाटर, कोठेया, जलालपुर प्रखण्ड  , शिक्षा के क्षेत्र में  प्राथमिक विद्यालय- 1265 , बुनियादी विद्यालय- 22 ,मध्य विद्यालय- 607 (266) ,उच्च विद्यालय- 116 , उच्चतर विद्यालय (१०+२) 6  ,केन्द्रीय विद्यालय- 3 (छपरा, सोनपुर एवं मसरख) ,संस्कृत विद्यालय- 17 , मदरसा- 4 ,शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय- 3 (२ डिप्लोमा एवं १ डिग्री स्तरीय) डिग्री महाविद्यालय- 11 (अंगीभूत इकाई) + 6 (संबद्ध इकाई) ,संत जलेश्वर अकादमी उच्चतर विद्यालय  बड़ा लौवा बनियापुर सारण है। सारण जिले का  अनुमंडलः छपरा सदर, सोनपुर, मढ़ौरा , प्रखंड:में छपरा, मांझी, दिघवारा, रिवीलगंज, परसा, बनियापुर, अमनौर, तरैया, सोनपुर, गरखा,एकमा, दरियापुर, जलालपुर, मढ़ौरा, मसरख, मकेर, नगरा, पानापुर, इसुआपुर, लहलादपुर ,पंचायतों की संख्या: ३३० ,गाँवों की संख्या: १७६७ ,शहरों की संख्या: ५ (नगर निगम-१, नगर पंचायत-४) ,नगर पंचायत:दिघवारा ,सोनपुर , मढ़ौरा, रिवीलगंज और  साक्षरता दर 68.57% है। भोजपुरी व हिंदी भाषायी क्षेत्र  1972 ई. का सृजन जिला सारण  की 2641 वर्गकिमी क्षेत्र में  2011 जनगणना के अनुसार 3951862 आवादी में 2022821 पुरुष एवं 1929041 महिला  निवास करती है । गंगा का उत्तरी मैदान बालसुन्दरी मृदा  सरयू नदी का गुठनी ( सारण )  में मिलान है ।
पर्यटन स्थल  में छपरा से ११ किलोमीटर दक्षिण पूर्व में डोरीगंज बाजार के निकट  सारण जिले का पुरातात्विक स्थल चिराद  है। घाघरा नदी के किनारे निर्मित स्तूपनुमा भराव हिंदू ,  बौद्ध तथा मुस्लिम प्रभाव क्षेत्र चिराद  नव पाषाण काल का पहला ज्ञात स्थल है। चिराद उत्खनन से नव-पाषाण काल 2500 ई.पू. से 1345 ई.पू.   तथा ताम्र युग की  हड्डियाँ, गेंहूँ की बालियाँ तथा पत्थर के औजार प्राप्त  हैं । चिरांद टीले को द्वापर युग में राजा मौर्यध्वज (मयूरध्वज) के किले का अवशेष एवं च्यवन ऋषि का आश्रम था । चिराद का उत्खनन 1960 ई. में बुद्ध की मूर्तियाँ एवं धम्म की विरासत  मिली है ।  द्वापरयुग  में सारंग प्रदेश का राजा  मयूरध्वज की राजधानी चिराद थी । सोनपुर -  गंगा और गंडक नदी के संगम पर अवस्थित सोनपुर को हरिहर क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष लगने वाला पशु मेला विश्व प्रसिद्ध एवं  नगर पंचायत और पूर्व मध्य रेलवे  मंडल है।  भागवत पुराण एवं गजेंद्र मोक्ष के अनुसार में  हरिहर क्षेत्र में गज-ग्राह की लडाई में भगवान विष्णु ने ग्राह (घरियाल) को मुक्ति देकर गज (हाथी) को जीवनदान दिया था।   प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को गंडक स्नान तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा  तक चलनेवाला मेला लगता है। सोनपुर का गंडक नदी के तट पर  हरिहरनाथ मंदिर के गर्भगृह में  अर्थात भगवान विष्णु एवं भगवान शिव लिंग स्थापित है ।  काली मंदिर , गज ग्राह की मूर्ति  है। मांझी: छपरा से २० किलोमीटर पश्चिम गंगा के उत्तरी किनारे पर 1400' x 1050' के दायरे में प्राचीन किले का अवशेष  ३० फीट ऊँचे खंडहर में लगी ईंटे 18" x 10" x 3” की है। मांझी  से प्राप्त दो मूर्तियों को  मधेश्वर मंदिर में भगवान बुद्ध की भू स्पर्श मूर्ति  है । मांझी का राजा चेरो वंशीय मांझी मकेर की राजधानी थी ।  टीले के संबंध में अबुल फजल लिखित आइन-ए-अकबरी में मांझी को प्राचीन शहर बताया गया है। अंबा स्थान, आमी: छपरा से 37 किलोमीटर पूर्व तथा दिघवारा से 4 किलोमीटर दूर आमी में प्राचीन अंबा स्थान है। दिघवारा को  दीर्घ बड़ा द्वार के कारण नामकरण   है। आमी मंदिर के समीप यज्ञ कूप   है । दधेश्वरनाथ मंदिर: परसागढ से उत्तर  गंडक के किनारे भगवान दधेश्वरनाथ मंदिर में विशाल शिवलिंग स्थापित है। गौतम स्थान: छपरा से ५ किलोमीटर पश्चिम में घाघरा नदी  के किनारे स्थित रिवीलगंज (पुराना नाम-गोदना) में गौतम स्थान है। दर्शन शास्त्र की न्याय शाखा के प्रवर्तक गौतम ऋषि का आश्रम गोदना में  था। त्रेतायुग  रामायण काल में भगवान राम ने गौतम ऋषि की शापग्रस्त पत्नी अहिल्या का उद्धार किया था। राहुल गेट: राहुल सांकृत्यायन ने "परसा गढ़" गाँव में कई साल बिताने के कारण  गाँव के प्रवेश द्वार का नाम "राहुल गेट" है। गढ़देवी मंदिर : मढ़ौरा के एक कोने में स्थित , सारण जिले में बेस इस क्षेत्र में एक मंदिर है जो देवी माँ दुर्गा को अर्पित है। इस मंदिर को गढ़ देवी मंदिर कहते है। मंदिर के इतिहास के अनुसार यह माना जाता है की माँ दुर्गा यहाँ मढ़ौरा में थावे (गोपालगंज) तक की अपनी यात्रा में रुकी थी। इस मंदिर की यात्रा करने वाले भक्तों को बड़े शहरों की सुविधायें प्राप्त नहीं होती प्रान्तों गाँव में बेस इस मंदिर की अपनी अलग ही सुंदरता है। यहाँ गढ़देवी मेले में स्थानीय व्यवसाय करने वाले खिलोने, खाने पिने की वास्तु, अन्य घर की वस्तुए बेचने आते है। इस हर सोमवार व शुक्रवार को मेला लगता है जहां सैकड़ों श्रद्धालु माता की पुजा करते हैं मान्यता है कि यहाँ आये हुए जो भी भक्त माता से मन्नत मांगते हैं और माता पूरी करती है यहाँ खासकर चैत नवरात्र व शरदी्यनवरात्र में काफी भीड़ लगती है। बाबा शिलानाथ मंदिर: मढौरा से 1 किलोमीटर दूर सिल्हौरी के बारे में ऐसी मान्यता है कि शिव पुराण के बाल खंड में वर्णित नारद का मोहभंग इस स्थान पर हुआ था। प्रत्येक शिवरात्रि को बाबा शिलानाथ के मंदिर में जलार्पण करनेवाले भक्त यहाँ जमा होते हैं। गढ़देवी मंदिर पटेढ़ा: सारण जिले के नगरा प्रखंड अंतर्गत पटेढा चौक से करीब 200 मीटर उत्तर गंडकी नदी किनारे स्थित  13 23 ई. की काली मंदिर के गर्भगृह में माता काली की मूर्ति स्थापित और    काली मंदिर  से 500 मीटर की दूरी पर निर्मित  गढ़देवी मंदिर  है। पटेढ़ा का शासक राजा  धमसी राम  द्वारा 12 वीं सदी में धमसी नगर वसया गया  था । धमसी राम हवेली के निर्माता राजा धमसी राम   के द्वारा कुएं के ऊपर गढ़देवी मंदिर का निर्माण करवाया गया था। द्वारिकाधीश मंदिर :- छपरा से 8 किलोमीटर की दूरी पर छपरा-जलालपुर के बगल में स्थित द्वारिकाधीश मंदिर का निर्माण गुजरात के कारीगरों ने  14 वर्षों में किया है। डच मकबरा :- छपरा से 5 किलोमीटर के दूरी पर छपरा- जलालपुर पर करिंगा गाँव में डच मकबरा अवस्थित है । करिंगा गाँव  1770 तक यूरोपीय व्यपारी डच के नियंत्रण में था। डच गवर्नर जैकवॉर्न का कब्र करिंगा में  बनाया गया था । करिंगा में  1770 ई. तक  डच सिमेट्री का  डच गर्वनर जैकवस वैन हर्न की याद में स्मारक बनाया गया था । यूरोपियन व्यापारी कंपनी 18 वी सदी तक करिंगा में थी । विक्रम संबत 1122  में राजा बलि वंशीय राजा सारण द्वारा चिरांग नगर बसाया और सरन प्रदेश की राजधानी बनाया गया था । सारण को सारंग , सारन , सरन कह गया है । महामहोपाध्याय राहुल संस्कृत्यान की कर्म स्थली , भोजपुरी ऑफ शेक्सपियर भिखारी ठाकुर का जन्म 11 दिसंबर 1887 ई . में हुआ और निधन 10 जुलाई 1971 ई. में छपरा का कुतुबपुर दियारा में हुआ था । पुरबिया सम्राट महेंद्र मिसिर व महेंद्र मिश्र का जन्म जमालपुर प्रखण्ड के कांही मिश्रबलिया में 16 मार्च 1865 ई. और निधन 26 अक्टूबर 1946 ई. में हुआ था । लोकनायक एवं सम्पूर्णक्रन्ति के संस्थापक सर्वोदय नेता जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 में सिताबदियारा के निवासी देवकी बाबू की पत्नी फुलरानी देवी के पुत्र थे ।

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