कर्म , ज्ञान और भक्ति का द्योतक कृष्णाष्टमी
सत्येन्द्र कुमार पाठक
पुराणों एवं स्मृतियों में भगवान विष्णु के 22 वें एवं आठवें अवतार भगवान कृष्ण का उल्लेख किया गया है । भगवान कृष्ण के जन्म दिवस पर कृष्ण जन्माष्टमी , गोकुलाष्टमी , जन्माष्टमी मनाया जाता है । मथुरा का राजा कंश की बहन एवं आनकदुन्दुम्भी के पुत्र वासुदेव के आठवें पुत्र भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी नक्षत्र रोहिणी , दिन बुधवार द्वापरयुग में कंस के मथुरा स्थित कारागार में अर्धरात्रि में अवतरण हुआ था । भागवत पुराण के अनुसार कृष्ण के जीवन के नृत्य-नाटक की परम्परा, कृष्ण के जन्म के समय मध्यरात्रि में भक्ति गायन, उपवास , रात्रि जागरण , और जन्ममहोत्सव व जन्माष्टमी समारोह , झारखंड , उत्तरप्रदेश , मध्यप्रदेश , मणिपुर, असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश तथा भारत के सभी राज्यों में पाए जाने वाले वैष्णव और निर्सांप्रदायिक समुदायों के द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है ।भगवान कृष्ण का जन्म अराजकता के क्षेत्र , जनता का उत्पीड़न बड़े पैमाने पर था, स्वतंत्रता से वंचित , बुराई, और जब राजा कंस द्वारा संकट था।भगवान कृष्ण तीनों लोकों के तीन गुणों सतगुण, रजगुण तथा तमोगुण में से सतगुण विभाग के प्रभारी हैं । भगवान का अवतार होने के कारण से श्रीकृष्ण जी में जन्म से ही सिद्धियां उपस्थित थी। कृष्ण के माता पिता वसुदेव और देवकी जी के विवाह के समय मामा कंस जब अपनी बहन देवकी को ससुराल पहुँचाने जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई थी जिसमें बताया गया था कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का अन्त करेगा। अर्थात् यह होना पहले से ही निश्चित था अतः वसुदेव और देवकी को कारागार में रखने पर भी कंस कृष्ण जी को नहीं समाप्त कर पाया। मथुरा के बंदीगृह में जन्म के तुरंत उपरान्त, उनके पिता वसुदेव आनकदुन्दुभि कृष्ण को यमुना पार ले जाते हैं, जिससे बाल श्रीकृष्ण को गोकुल में नन्द और यशोदा का लल्ला कहा गया है । गुजरात के द्वारिका में लोग श्रीकृष्ण ने अपना राज्य स्थापित किया था । दही हांडी के समान परम्परा के साथ त्योहार मनाते हैं । लोग मंदिरों में लोक नृत्य करते हैं, भजन गाते हैं, कृष्ण मंदिरों जैसे द्वारिकाधीश मन्दिर व नाथद्वारा मन्दिर जाते हैं। कच्छ मण्डल के क्षेत्र में, किसान अपनी बैलगाड़ियों को सजाते और सामूहिक भजन गायन और नृत्य के साथ श्रीकृष्ण जीवन से सम्बन्धित प्रदर्शनी निकालते हैं। वैष्णव परम्परा के पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय के महान सन्त दयाराम की कवितायें और रचनाएँ, गुजरात और राजस्थान में जन्माष्टमी के मनाते हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखण्ड, हिमाचल और पंजाब के सभी नगरों और गाँवों में जन्माष्टमी विशेष रूप से मनाते हैं। जन्माष्टमी पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के हिंदू वैष्णव समुदायों द्वारा कृष्ण जन्माष्टमी को मनाने की व्यापक परंपरा का श्रेय १५वीं और १६वीं शताब्दी के शंकरदेव और चैतन्य महाप्रभु के प्रयासों और शिक्षाओं को जाता है। मीतेई वैष्णव समुदाय में बच्चे लिकोल बनाते हैं। ओड़िशाऔर पश्चिम बंगाल के नबद्वीप में, जनमाष्टमी त्योहार को श्री कृष्ण जयंती व श्री जयंती के रूप में और भागवत पुराण में श्रीकृष्ण जी के जीवन को समर्पित , १०वें अध्याय को पढ़ा जाता है। अगले दिन को "नन्द उत्सव" श्रीकृष्ण के पालक माता-पिता नन्द और यशोदा के हर्ष के उत्सव का प्रतीक है। केरल में, मलयालम कैलेंडर के अनुसार सितंबर को मनाते हैं। तमिलनाडु में, लोग फर्श को कोलम से सजाते हैं। गीता गोविंदम और ऐसे ही अन्य भक्ति गीत कृष्ण की स्तुति में गाए जाते हैं। आंध्र प्रदेश में, श्लोकों और भक्ति गीतों का पाठ त्योहार है।कृष्ण को समर्पित दक्षिण भारतीय मंदिर हैं, तिरुवरुर जिले के मन्नारगुडी में राजगोपालस्वामी मंदिर, कांचीपुरम में पांडवधूथर मंदिर, उडुपी में श्री कृष्ण मंदिर और गुरुवायुर में कृष्ण मंदिर विष्णु के कृष्ण अवतार की स्मृति को समर्पित हैं। किंवदंती कहती है कि गुरुवायुर में स्थापित श्री कृष्ण की मूर्ति है। नेपाल और जन्माष्टमी बांग्लादेश में राष्ट्रीय अवकाश है। जन्माष्टमी पर, बांग्लादेश के राष्ट्रीय मंदिर, ढाकेश्वरी मंदिर ढाका से एक जुलूस शुरू होता है, और फिर पुराने ढाका की सड़कों से आगे बढ़ता है। जुलूस 1902 का है, लेकिन 1948 में रोक दिया गया परंतु जुलूस 1989 में फिर से प्रारम्भ किया था। फिजी में जन्माष्टमी को "कृष्णा अष्टमी" के रूप में आठ दिनों तक जाना जाता है। फ़िजी में अधिकांश हिंदुओं के पूर्वज उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु से उत्पन्न हुए हैं, एरिज़ोना, संयुक्त राज्य अमेरिका में, गवर्नर जेनेट नेपोलिटानो इस्कॉन को स्वीकार करते हुए जन्माष्टमी पर संदेश देने वाले पहले अमेरिकी नेता थे। जनमाष्टमी त्योहार कैरिबियन में गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, जमैका और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश फिजी के साथ-साथ सूरीनाम के पूर्व डच उपनिवेश में हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से मनाया जाता है। सनातन धर्म तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बिहार , तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और उड़ीसा के क्षेत्र में मनाया जाता है । गोकुल , वृंदावन और मथुरा में भगवान कृष्ण का अवतरणोत्सव मनाते हैं ।
कृष्ण जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर 2023 , भाद्रपद कृष्ण अष्टमी बुधवार विक्रमसंबत 2080 को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। गृहस्थ जीवन वालें 6 सितंबर को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाएंगे। अर्ध कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र , बुधवार , वृष के चंद्रमा का दुर्लभ संयोग 1993 ई. अर्थात 30 वर्षों में प्रथम बार एक साथ जन्माष्टमी हैं। पुराणों एवं ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि , रोहिणी नक्षत्र जन्माष्टमी अर्थात 6 सितम्बर, बुधवार की रात को रोहिणी नक्षत्र और वृष का चंद्रमा दोनों का योग है। बिना रोहिणी नक्षत्र की जन्माष्टमी को केवला कहा जाता है। वहीं जब रोहिणी नक्षत्र के साथ जन्माष्टमी पड़ेने पर उसे जयंती योग कहा जाता है। 2023 का वर्ष का जन्माष्टमी योग के दिन बुधवार भी पड़ने से अति उत्कृष्ट दिन बन जाता है। जयंती योग की जन्माष्टमी के दिन व्रत, अर्चना और उत्सव मनाने से कोटि जन्म के पाप भी नष्ट और साथ ही इस दिन पूजन से पितरों को भी मोक्ष और शान्ति की प्राप्ति होती है। श्री कृष्ण का जन्म मां देवकी की कोख से कंस के कारावास में मध्य रात्रि में हुआ था और आधी रात में मां यशोदा के आँचल में पहुंचाया गया था।
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