शुक्रवार, अप्रैल 21, 2023

ज्ञान व व्यापार का देवता बुध....


सनातन धर्म ग्रंथों एवं ज्योतिष ग्रंथों में ग्रहों का राजकुमार बुध का उल्लेख मिलता है । बुध देव गुरु वृहस्पति की पत्नी तारा के पुत्र बुध और  चंद्रमा का तारा एवं रोहिणी से पुत्र बुध है।  माल और व्यापारियों का स्वामी और रक्षक बुध  है। तारा पुत्र बुध की भार्या वैवस्वतमनु की पुत्री इला से पुरुरवा का जन्म हुआ था । बुध की सवारी सिंह और अष्ट अश्वसे युक्त रथ है । बुध का अस्त्र हल्के स्वभाव , सुवक्ता और  हरे वर्ण वाले बुध का अस्त्र  कृपाण, फ़रसा और ढाल धारण  और सवारी पंखों वाला सिंह  ,राजदण्ड और कमल लिये हुए उड़ने वाले कालीन या सिंहों द्वारा खींचे गए रथ पर आरूढ  है। हिन्दी, उर्दु, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्नड़ और गुजराती भाषाओं में सप्ताह के तीसरे दिवस को बुध को समर्पित  बुधवार  है।  सप्तम मनु वैवस्वत मनु की पुत्री एवं मित्रवरुण की वरदान से उत्पन्न  इला का विवाह  चन्द्रमा के पुत्र बुध से विवाह करके पुरूरवा नामक पुत्र को जन्म दिया था । शापित इला ने सुद्युम्न बनने के बाद उत्कल, गय तथा विनताश्व का जन्म दिया था । बुध का उद्भव -  देवगुरु  बृहस्पति की पत्नी तारा चंद्रमा की सुंदरता पर मोहित होकर चंद्रमा से प्रेम करने लगी। तदोपरांत वह चंद्रमा के संग सहवास  कर गई एवं बृहस्पति को छोड़ दिया। बृहस्पति के वापस बुलाने पर उसने वापस आने से मना कर दिया, जिससे बृहस्पति क्रोधित हो उठे तब बृहस्पति एवं उनके शिष्य चंद्र के बीच युद्ध आरंभ हो गया। इस युद्ध में असुर गुरु शुक्राचार्य चंद्रमा के साथ  और  देवता बृहस्पति के साथ देवता गण  थे । युद्ध तारा की कामना के कारण  तारकाम्यम युद्ध से सृष्टिकर्त्ता ब्रह्मा को भय हुआ कि ये कहीं पूरी सृष्टि को ही लील न कर जाए । वे बीच बचाव कर ताराकाम्यम युद्ध को रुकवाने का प्रयोजन करने लगे। उन्होंने तारा को समझा-बुझा कर चंद्र से वापस लिया और बृहस्पति को सौंपा। इस बीच तारा के एक सुंदर पुत्र जन्मा बुध थे । चंद्र और बृहस्पति दोनों बुध को अपना बताने लगे और स्वयं को इसका पिता बताने लगे यद्यपि तारा चुप  रही। माता तारा की चुप्पी से अशांत व क्रोधित होकर स्वयं बुध ने मातातारा  से सत्य बताने को कहा।  तारा ने बुध का पिता चंद्र को बताया। नक्षत्र मण्डलों में बुध का स्थाण बुध मण्डल में है। चंद्र ने  अपनी पत्नी  रोहिणी और कृत्तिका  को बुध सौंपा था। रोहिणी और कृतिका के लालन पालन में बुध बड़ा होने लगा। बड़े होने पर बुध को अपने जन्म की कथा सुनकर शर्म व ग्लानि होने लगी। उसने अपने जन्म के पापों से मुक्ति पाने के लिये हिमालय में श्रवणवन पर्वत पर जाकर तपस्या आरंभ की। बुध की  तप से प्रसन्न होकर भगवान  विष्णु  ने उसे दर्शन दिये। उसे वरदान स्वरूप वैदिक विद्याएं एवं सभी कलाएं प्रदान कीं।  स्मृति ग्रंथों के अनुसार बुध का लालन-पालन बृहस्पति ने किया व बुध उनका पुत्र कहलाया। ज्योतिष शास्त्र में बुध  को  शुभ ग्रह माना जाता है। किसी हानिकर या अशुभकारी बुध ग्रह के संगम से यह हानिकर  है। बुध मिथुन एवं कन्या राशियों का स्वामी  तथा कन्या राशि में उच्च भाव में स्थित रहता है तथा मीन राशि में नीच भाव में रहता है।  सूर्य और शुक्र के साथ मित्र भाव से तथा चंद्रमा से शत्रुतापूर्ण और अन्य ग्रहों के प्रति तटस्थ बुध  रहता है। यह ग्रह बुद्धि, बुद्धिवर्ग, संचार, विश्लेषण, चेतना , विज्ञान, गणित, व्यापार, शिक्षा और अनुसंधान का प्रतिनिधित्व करता है। सभी प्रकार के लिखित शब्द और सभी प्रकार की यात्राएं बुध के अधीन आती हैं।  अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती के स्वामी बुध   हरे रंग, धातु, कांसा और रत्नों में पन्ना बुद्ध की प्रिय वस्तुएं हैं। बुध के साथ जुड़ी दिशा उत्तर ,  मौसम शरद ऋतु और तत्व पृथ्वी है। बुध का  क्षेत्र ईशानकोण में  4 आंगुल का वाणाकार मंडल स्थित मगध देश अत्रि गोत्र में जन्मे हरित वर्ण  बुध है । मिथुन और कन्या राशि का स्वामी बुध का वाहन सिंह और अपामार्ग समिधा , पताका हरा , हरे रंग का वस्त्र , दुब प्रिय है । पन्ना ,सोना , कासे , मूंग ,खाड़ ,घी ,वस्त्र  , कपूर ,फल ,शस्त्र , हाथी का दाँत , रेशम सुत लेखन सामग्री , हर फूल और बुध को समर्पित दिन बुधवार समर्पित , गौ सेवा प्रिय है । बुध का तांत्रिक मंत्र ओम ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः ।। है ।
सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकटतम बुध ग्रह का आकर पृथ्वी के आकर से 18 गुना छोटा  गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल का 3/8 है। मेरिनट 10 बुध का एक मात्र कृत्रिम उपग्रह है । बुध, सौरमंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। इसका परिक्रमण काल लगभग 88 दिन होता है। पृथ्वी से देखने पर ग्रहों से सबसे तेज चलने वाला बुध ग्रह  अपनी कक्षा के आसपास 116 दिवसों में घूमता हुआ नजर आता है । ग्रहीय प्रणाली नामकरण के कार्य समूह में बुध पर घाटियों में एंगकोर घाटी, कैहोकीया घाटी, कैरल घाटी, पाएस्टम घाटी, टिमगेड घाटी है। रोमन के अनुसार बुध व्यापार, यात्रा और चोर्यकर्म का देवता, यूनानी देवता हर्मीश का रोमन रूप, देवताओं का संदेशवाहक देवता है। बुध को 3 सहस्त्राब्दि ई.पू. सुमेरियन काल में  सूर्योदय का तारा तो कभी सूर्यास्त का तारा कहा जाता  है। ग्रीक खगोल विज्ञानियों के अनुसार हेराक्लाइटेस में बुध और शुक्र पृथ्वी की नहीं सूर्य की परिक्रमा करते हैं। बुध पृथ्वी की तुलना में सूर्य के नजदीक है इसलिए पृथ्वी से उसकी चंद्रमा की तरह कलाये दिखाई देती है। गैलिलियो की दूरबीन छोटी थी जिससे वे बुध की कलाये नहीं  देख नहीं पाने के कार्सन शुक्र की कलाये देख पायी थी।  सूर्य और शुक्र के साथ मित्रता तथा बुध  ग्रह बुद्धि, नेटवर्किंग, विश्लेषण, चेतना, चर्चा, गणित, व्यापार, शिक्षा और अनुसंधान का प्रतिनिधित्व बुध करता है। बुध  अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती। हरे रंग, धातु कांस्य या पीतल और रत्नों में पन्ना रत्न बुध की प्रिय वस्तुएं हैं। बुध का शुभ अंक 5, दिन – रविवार और दिशा उत्तर पश्चिमी है। बुध का मूल त्रिकोण कन्या, महादशा समय 17 साल और देव भगवान विष्णु हैं।बुध का बिज मंत्र – ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: है। बुध मष्तिष्क, जीवा:, स्नायु तंत्र, त्वचा, वाक-शक्ति, गर्दन आदि का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्मरण शक्ति के कम होने, सर दर्द, त्वचा के रोग, दौरे, चेचक, पित, कफ, वायु प्रकृति के रोग, गूंगापन रोगों का कारक है। आवाज खराब होना, सूंघने की शक्ति क्षीण होना, बुआ और मौसी पर कष्ट, शिक्षा में व्यवधान, बहुत बोलना, कटु बोलना, जल्दबाजी में निर्णय लेना, दांतों की बीमारी, मानसिक तनाव, व्यापार और शेयर में नुकसान, गणित कमजोर होना, बुद्धिवाद का अहंकार आदि दी गई बाधाओं या अशुभ फलों को अपने जीवन में देख रहे हैं तो हो सकता है कि वो बुध के प्रभाव के कारण है। बुध ग्रह के शुभ होने पर व्यक्ति के जीवन में  सुंदर देह और व्यक्ति का ज्ञानी या चतुर होना, ऐसा व्यक्ति अच्छा प्रवक्ता भी होता है और उसकी बातों का असर  है। उस व्यक्ति की सूंघने की क्षमता भी अधिक होती है और व्यापार में भी लाभ प्राप्त करता है। बहन, मौसी और बुआ की स्थिति भी संतोषजनक होती है।




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