रविवार, अप्रैल 02, 2023

सर्वागीण समृध्दि का द्योतक हनुमान जी...


सनातन धर्म की संस्कृति एवं व8भिन्न भिन्न ग्रंथों , रामायण , रामचरितमानस ,  में संकटमोचन हनुमान जी का उल्लेख मिलता है । वन राज मारुति की भार्या माता अंजनी के पुत्र  भगवान शिव का अवतार हनुमान जी का जन्म  चैत्र शुक्ल  पूर्णिमा त्रेतायुग में झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन  में हुआ था । तमिलानाडु व केरल में मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अमावस्या  तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन ,  कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक हनुमान जयंती  मनाया जाता है । भगवान सूर्य के शिष्य  हनुमान जी और ऋषि मनिन्दर  से त्रेता युग में हनुमान जी को लंका से माता सीता की खोज कर वापस लौटने के पश्चात शिक्षा प्राप्त हुआ था । इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी टूटने के कारण  हनुमान का नामकरण किया गया था । हनुमान जी को  बजरंग बली, मारुति, अञ्जनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शङ्कर सुवन , अंजनी पुत्र , मारुतिनंदन , केशरीनंदन ,  पवन सुत , अतुलित बलधामा , रामभक्त , कहा जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में हनुमान जी की तस्वीर लगाने से एवं  सही दिशा में सही स्थान  हनुमानजी की तस्वीर लगाने पर  लाभ होते हैं। हनुमानजी बाल ब्रहमचारी होने के कारण  तस्वीर शयन कक्ष में नहीं लगाने से  हनुमानजी की तस्वीर शुभ नहीं है ।भगवान हनुमानजी की तस्वीर घर या दुकान में दक्षिण दिशा की ओर लगाना  अच्छा  है। घर मे पंचमुखी, पर्वत उठाते हुए या राम भजन करते हुए हनुमानजी की तस्वीर लगाने से  घर के सभी दोष खत्म हो जाते हैं। उत्तर दिशा में हनुमानजी की तस्वीर लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली प्रत्येक नकारात्मक शक्ति को हनुमानजी रोक देते हैं। हनुमानजी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हो. ऐसी तस्वीर घर में लगाने से किसी तरह की बुरी शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाती और हनुमानजी की तस्वीर पर सिंदूर जरुर लगाना चाहिए। ऐसा न कर पाने पर सिंदूर का तिलक  किया जाता है।    हनुमानजीकी स्तुति रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने से पहले पाठ करने से भय दूर  और जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।। उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।। एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।। तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्। राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।। हनुमान जी का हनुमान ,लक्ष्मणप्राणदाता , दशग्रीवदर्पहा , रामेष्ट , फलगुनसुख , अमितविक्रम , उदधिक्रमण अंजनीसुत , वायुपुत्र , महाबल , सीताशोकविनाशन का स्मरण करने से सर्वार्थसिद्धि की प्राप्ति होती है । चैत्र शुक्ल पूर्णिमा मेष लग्न चित्रा नक्षत्र मंगलवार प्रातःकाल त्रेतायुग  2. 59 मिलियन वर्ष पूर्व देव गुरु वृहस्पति का पौत्र ऋषि भारद्वाज के वरदान प्राप्त कपिराज केशरी की भार्या अंजनी के पुत्र अंजनीनन्दन हनुमान जी का जन्म झारखंड राज्य का गुमला जिले के अंजनेरी पहाड़ी गुफा में हुआ था । हनुमान जी का निवास स्थान गंधमादन पर्वत है ।   विभिन्न ग्रंथों के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को प्रातःकाल में जन्म होने और रामायण के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मेष लग्न , स्वाति नक्षत्र मंगलवार विजय अभिनंदन एवं अमरता का वरदान प्राप्त होने के कारण  हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है । महाराष्ट्र का नासिक जिले के अंजनेरी पहाड़ी की गुफा में हनुमान जी का जन्म स्थली कहा गया है । हनुमान जी का जन्म 5114 ई. पू. विभिन्न ग्रंथों में उल्लेख मिलता है । भागवत पुराण के अनुसार हनुमान जी के भाई एवं बहन में गतिमान ,श्रुतिमान , धृतिमान ,केतुमान ,मतिमान एवं पुत्र मकरध्वज है ।  हनुमान जी का अस्त्र कौमोदकी गदा और सवारी उट है । हनुमान जी का आध्यात्मिक पिता वायुदेव , पिता कपिराज केशरी है। भगवान राम भक्त हनुमान जी की उपासना स्थल में उत्तरप्रदेश के अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी ,  ग्वालियर , पितृपर्वत , गंधमादन पर्वत ,, शिमला जाखुहिल , आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा , जकार्ता में दीर्णतारा , अमृतसर रामतीर्थ मंदिर , टोबैगो का त्रिनिदाद , डरबन ,छिंदवाड़ा , नंदुरा महाराष्ट्र , , करोगबाग ,शिमला , मध्यप्रदेश का मान्धाता पर्वत , प्रयागराज , बालाजी , बिहार , बंगाल , उड़ीसा , झारखंड राजस्थान , दिल्ली , तमिलनाडु , उज्जैन , असम आदि विभिन्न क्षेत्रों में हसनुमान जी की विभन्न रूपों में उपासना की जस्ती है । वाल्मीकीय रामायण एवं तुलसीदास कृत  राम चरितमानस का सुंदरकांड , तुलसीदास कृत हनुमान चालीसा , हनुमानाष्टक , बजररंगबाण में हनुमान जी का उल्लेख किया गया है । पटना स्टेशन परिसर के समीप हनुमान मंदिर , औरंगाबाद जिले का औरंगाबाद धर्मशाला में हनुमान मंदिर , गहमर में दक्षिणेश्वर हनुमान , गया , मुजफ्फरपुर के सहुपोखर में हनुमान मंदिर , वाराणसी काशी , बिहार के स ही क्षेत्रों में हनुमान मंदिर और उपासना केंद्र है ।


                 
  
         
       

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