मंगलवार, अक्तूबर 20, 2020

हिंदी भाषा : भाषायी एकता की प्रतीक...


भाषायी एकता और सौहार्द समन्वय की भाषा हिंदी है । राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भारतीय राष्ट्रभाषा हिंदी की आवश्यकता है । भारत में राष्ट्रीय पशु में सिंह , पंछी में मयूर , नदी में गंगा है उसी तरह हिंदी को राष्ट्रीय भाषा तथा लिपि देवनागरी आवश्यक है। हिंदी भातीय की पहचान भाषा है।
बिहार हिंदी साहत्य सम्मेलन की १०१ वॉ स्थापना दिवस समाकोह के अवसर पर हिंदी साहित्य सम्मेलन सभागार पटना के सभा परिसर में  ६७ हिंदी सेवियों , साहितयकारों को अंग वस्त्र तथा प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानित किया गया । पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश संजय कुमार तथा पूर्व न्याधीश माननीय राजेंद्र प्रसाद ,सममेलन के अध्यछ डॉ . अऩील सुलभ द्वारा साहित्यकारों को प्रशस्ती पत्र और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया । हिंदी साहित्य सम्मेलन के १०१ वॉ स्थापना दिवस के अवसर पर जहानाबाद तथा अरवल जिले के  सहित्यकार एवं इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक को पं . जनार्दन प्रसाद झा " द्विज " सम्मान से सम्मानित किया गया तथा डॉ रामध्यान शर्मा अध्यछ जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन जहानाबाद को कल्कटर सिंह केसरी सम्मान से सम्मानित किये गए । समारोह में दूरदर्शन पटना के केंद्र निदेशक डॉ . राजकुमार नाहर ने हिंदी के वकास पर बल दिया । हिंदी साहित्य सम्मेलन के स्थापना दिवस समारोह की अध्यछता करते हए बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अधयछ डॉ . अनिल सुलभ ने सम्मेलन की प्रारंभिक स्थापना से वर्तमान उपलब्धियो के विकास की रूप रेखा की चर्चा की । देश की हिंदी राष्ट्रभाषा घोषित हो और लिपि देवनागरी बनाने की मांग की गई । साहित्य सम्मेलन के १०१वें स्थापना दिवस समारोह में, प्रस्ताव पारित कर की गई मांग,विविध अलंकरणों से विभूषित तथा सम्मानित हुए साहित्यकार  सम्मानित । बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यछ डॉ.अनिल सुलभ ने कहा कि जिस देश की अपनी कोई राष्ट्रभाषा नही होती, वह देश कंठ में स्वर रख कर भी गूँगा होता है।उसकी कोई राष्ट्रीय अस्मिता नहीं होती और वहाँ कभी भावनात्मक एकत्व नही हो सकता। यह अत्यंत चिंताजनक है कि भारत की कोई एक राष्ट्रभाषा नहीं है। बिना किसी और विलम्ब के भारत की एक 'राष्ट्र-भाषा' घोषित की जानी चाहिए और वह हिन्दी हो तथा उसकी लिपि देवनागरी हो। १९ अक्तुवर को क़दमकुआं स्थित सम्मेलन सभागार में आयोजित, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के १०१वें स्थापना दिवस समारोह में, एक प्रस्ताव पारित कर, यह मांग भारत के राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री से की गई है। सभागार के मुख्य-द्वार पर इस आशय का एक प्रस्ताव लगा कर रखा गया था, जिस पर सभी प्रतिभागियों ने अपना हस्ताक्षर किया। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में आयोजित इस ऐतिहासिक उत्सव का उद्घाटन पटना उच्चन्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन में मूल्यवान अवदान देने वाली विदुषियों और मनीषी विद्वानों को, बिहार की मुर्धन्य साहित्यिक विभूतियों के नाम से नामित अलंकरण प्रदान कर, सम्मानित किया गया। न्यायमूर्ति श्री कुमार ने चेन्नई से मंगाए गए विशेष वंदन-वस्त्र, स्मृति-चिन्ह और प्रशस्ति-पत्र देकर ये सम्मान प्रदान किए।अपने उद्घाटन संबोधन में न्यायमूर्ति ने कहा कि, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन स्वतंत्रता सेनानियों का केंद्र रहा है। यहाँ जब भी आता हूँ, गौरव की अनुभूति होती है। यहाँ के सभागार और परिसर में जब मनीषियों के चित्र देखता हूँ, तो मन श्रधा से पूरित हो जाता है। उन्होंने कहा कि, हम सबको मिल कर यह प्रयास कराना चाहिए कि हिन्दी विज्ञान और तकनीक की भाषा बने और देश की राष्ट्र भाषा बने।समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि, इस देश की भाषाएँ अनेक हैं। कोई घोषित करे न करे किंतु हिन्दी इस देश की सर्वमान्य राष्ट्र भाषा है। यह बात समझी जानी चाहिए कि जिस देश की अपनी भाषा नहीं है, वह देश कभी सार्थक उन्नति नहीं कर सकता।अपने अध्यक्षीय उद्गार में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने सम्मेलन के पूर्वज और अग्रज साहित्यकारों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हुए, बिहार के सभी साहित्यकारों और हिन्दी प्रेमियों को स्थापना दिवस की बधाई दी तथा राष्ट्र-भाषा के संबंध में प्रस्ताव पारित करने के लिए कृतज्ञता का भाव प्रकट किया। पटना विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति डा एस एं पी सिन्हा, दूरदर्शन केंद्र, पटना के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी डा राज कुमार नाहर, सरदार महेंदरपाल सिंह ढिल्लन, प्रो जंग बहादुर पाण्डेय, चेन्नई से पधारे वरिष्ठ कवि डा ईश्वर करूण ने अपने  अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद तथा साहित्य मंत्री डा भूपेन्द्र कलसी ने संयुक्त रूप से किया। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा वासुकीनाथ झा, कृष्णरंजन सिंह, डा शालिनी पाण्डेय, वंदन-वस्त्र पहनाकर अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद-ज्ञापन कवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने किया। कार्यक्रम का सामापन सम्मेलन के कला विभाग की ओर से कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास के निर्देशन में प्रस्तुत 'राधायण' नृत्य-नाटिका की रंगारंग परस्तुतुई के साथ हुआ।
सम्मानित होने वाले विद्वानों में डा मिथिलेश मधुकर : आचार्य? शिवपूजन सहाय सम्मान  , डा मनोज कुमार  : महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान ,श्री अलख निरंजन प्रसाद सिन्हा : रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान  , डा संजय कुमार सिंह ,उड़ीसा : राम गोपाल शर्मा 'रूद्र' सम्मान ,श्री रामेश्वर द्विवेदी  : महाकवि आरसी प्रसाद सिंह सम्मान  ,श्री महेश कुमार बजाज : राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह सम्मान  , श्री रमेश चंद्र : फणीश्वर नाथ रेणु सम्मान  , श्रीमती अनिता मिश्रा 'सिद्धि' : प्रकाशवती नारायण सम्मान  , श्री दशरथ प्रजापति : आचार्य नलिन विलोचन शर्मा सम्मान , डा रामध्यान शर्मा : कलक्टर सिंह केसरी सम्मान  , डा सतीश कुमार राय  : लक्ष्मी नारायण सिंह 'सुधांशु' सम्मान , श्री सत्येंद्र कुमार पाठक  : पं जनार्दन प्रसाद झा 'द्विज' सम्मान, डा रंगनाथ दिवाकर  : केदार नाथ मिश्र 'प्रभात' सम्मान  , श्री हरि नारायाण सिंह 'हरि' : पं छविनाथ पांडेय सम्मान , डा सुशांत कुमार : आचार्य देवेंद्र नाथ शर्मा सम्मान , डा छाया सिन्हा : उर्मिला क़ौल साहित्य साधना सम्मान , श्री कपिलदेव सिंह, वैशाली : कामता प्रसाद सिंह 'काम'  सम्मान  ,श्री ऋद्धि नाथ झा ,अलीगढ़ : पं मोहन लाल महतो 'वियोगी' सम्मान, डा ,मधु ,बाला सिन्हा : कुमारी राधा स्मृति सम्मान  , श्री पीयूष कांति : गोपाल सिंह 'नेपाली' सम्मान , डा संजय कुमार सिंह, बि प्र से : डा कुमार विमल सम्मान  , डा राकेश कुमार सिन्हा'रवि', : अनूप लाल मंडल सम्मान , डा ओम् प्रकाश पाण्डेय : पं प्रफुल्ल चंद्र ओझा 'मुक्त' सम्मान  , डा सविता मिश्र 'मागधी' : चतुर्वेदी प्रतिभा मिश्र साहित्य साधना सम्मान ,डा चित्रलेखा : बच्चन देवी हिन्दी सेवी सम्मान  , डा करुणा पीटर 'कमल' : अंबालिका देवी सारस्वत-साधना सम्मान  , डारीता सिंह : डा मिथिलेश कुमारी मिश्र साहित्य साधना सम्मान , श्रीमती कहकशां तौहीद  : पीर मुहम्मद मूनिस हिन्दी सेवी सम्मान , डा देवव्रत अकेला : रामेश्वर सिंह काश्यप सम्मान  , डा दीनबन्धु माँझी  : रघुवीर नारायण हिन्दी सेवी सम्मान ,श्री अरुण माया : बाबा नागार्जुन सम्मान , डा सर्वदेव प्रसाद गुप्त : रामधारी प्रसाद विशारद सम्मान , डा चन्द्रभानु प्रसाद सिंह  : पं हंस कुमार तिवारी सम्मान , श्री अखौरी चंद्रशेखर, वैशाली : डा मुरलीधर श्रीवास्तव 'शेखर' सम्मान ,श्री अमलेन्दु अस्थाना : कविवर पोद्दार रामावतार अरुण सम्मान ,डा गोरख प्रसाद मस्ताना,वेतिया : महँथ धनराज पुरी हिन्दी सेवी सम्मान  ,डा पंकज कर्ण : पं राम दयाल पांडेय सम्मान , श्री रणजीत दुधु : हास्य रसावतार पं जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी सम्मान  , डा गोपाल प्रसाद 'निर्दोष' : पं रामचंद्र भारद्वाज सम्मान , डा प्रशांत गौरव : पं राम नारायण शास्त्री सम्मान,श्री अरुण कुमार श्रीवास्तव : बलभद्र कल्याण हिन्दी सेवी सम्मान , श्री आनन्द बिहारी प्रसाद : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान, श्री अशोक कुमार : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान ,डा सुनील कुमार 'प्रियबच्चन' : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान, डा मनोज गोवर्धनपुरी : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान, डा रणविजय कुमार : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान , डा अविनाश कुमार : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान ,डा अनिता सिंह : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान ,डा गोपाल कृष्ण यादव : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान ,श्री अंकेश कुमार ,पटना : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान, श्रीमती नम्रता कुमारी, पटना : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान, श्रीमती विभा कुमार : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान, श्रीमती रश्मि अभय : साहित्य सम्मेलन काव्य-साधना सम्मान, श्रीमती बबीता सिंह : साहित्य सम्मेलन काव्य-साधना सम्मान  ,डा रवि कुमार :  साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान ,डा अविनाश रंजन : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान ,श्री रवि रंजन : साहित्य सम्मेलन युवा साहित्यकार सम्मान ,डा कीर्ति कुमारी : साहित्य सम्मेलन युवा साहित्यकार सम्मान  ,श्री अमित कुमार मिश्र : साहित्य सम्मेलन युवा साहित्यकार सम्मा ,श्री कृष्ण अनुराग : साहित्य सम्मेलन युवा साहित्यकार सम्मान ,सुश्री सीमा कुमारी : साहित्य सम्मेलन युवा साहित्यकार सम्मान, श्री शिव नंदन प्रसाद : साहित्य सम्मेलन युवा साहित्यकार सम्मान ,डा सावन कुमार : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान ,डा हाराधन कोईरी : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान ,श्री गौरव अग्रवाल, : श्रेष्ठ प्रकाशक सम्मान से सम्मानित किया गया ।

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