बुधवार, सितंबर 01, 2021

नारियल : सर्वार्थसिद्धि का साधन...

विश्व एवं भारतीय संस्कृति में श्री फल का उल्लेख है । वेदों स्मृतियों , पुरणों में नारियल की चर्चा महत्वपूर्ण रूप से की गई है । एशिया प्रशांत नारियल समुदाय के गठन के उपलक्ष्‍य में प्रत्येक वर्ष 02 सितंबर  को विश्व नारियल दिवस व वर्ड कॉकनेट डे मनाया जाता है। APCC एशिया प्रशांत कॉकनेट कम्युनिटी द्वारा  उद्देश्य की पूर्ण करने के लिए अधिक से अधिक आर्थिक विकास को प्राप्त करना और नारियल से जुड़े विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना, नारियल के प्रति जागरूकता और महत्व का प्रसार करना है। 18 देशों के सदस्य अंतर-सरकारी संगठन के रूप में काम कर रहा है। एशिया प्रशांत समुदाय का भारत  सदस्य हैं। एशिया प्रशांत नारियल समुदाय का मुख्‍यालय इंडो‍नेशिया के जकार्ता में है। नारियल में मैंगनीज 52.17 फीसदी, कॉपर 38.67 फीसदी, आयरन 24.20 फीसदी, फाइबर 18.80 फीसदी, जिंक 8 फीसदी, वेलिन 7.60 फीसदी, कार्बोहाइड्रेट - 9.37 फीसदी पोषक तत्व मौजूद है। नारियल में मौजूद जरूरी पोषक तत्‍व से चेहरा का ग्‍लो बढ़ता है। 1 महीने बाद घर में किसी प्रकार का इवेंट या कोई प्रोग्राम है तो सप्‍ताह में 5 दिन जरूर नारियल पानी पिएं। इससे आपके चेहरे का ग्‍लो ऑटोमेटिक बढ़ेगा। डिहाइड्रेशन - जब शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो नारियल पानी पीने की सलाह दी जाती है। नारियल पानी से पानी की कमी तेजी से पूरी होती है।इसका सेवन करने से शरीर में ग्‍लूकोज का स्‍तर सामान्‍य हो जाता है ।  नारियल दुनिया के सबसे उपयोगी पौधों  और इसे अक्सर “जीवन का वृक्ष” भोजन, ईंधन, सौंदर्य प्रसाधन, लोक चिकित्सा और निर्माण सामग्री प्रदान करता है। विश्व नारियल दिवस 02 सितम्बर 2009 में सर्वप्रथम मनाया गया था। इस दिवस को एशियाई और प्रशांत नारियल समुदाय ने बड़े उत्साह के साथ मनाया था। नारियल की सतह पर तीन इंडेंटेशन(आँख) होते हैं, जो एक मानव चेहरे के समान होते हैं। प्राचीन इबेरियन लोककथाएं हमें बताती हैं कि जब पुर्तगाली और स्पेनिश खोजकर्ताओं ने इन इंडेंटेशन को देखा, तो इसने उन्हें बोगीमैन की याद दिला दी। उनकी कहानियों से एक पौराणिक कैरक्टर को ‘कोको’ कहा जाता था, और कोकोनट   शब्द का जन्म हुआ।विश्व नारियल दिवस का उद्देश्य विश्व नारियल दिवस मनाने का उद्देश्य विश्व में नारियल की खेती के प्रति लोगों को जागरूक करना है। तथा नारियल उद्योग को बढ़ावा देना है। विश्व में  अधिक नारियल का उत्पादन इंडोनेशिया में होता है। नारियल ट्रॉपिकल रीजन क्षेत्रों में 4500 से अधिक वर्षों से लोकप्रिय है, और भारतीय परिवार विभिन्न रूपों में नारियल का उपयोग करते रहे हैं। आपके लिए नारियल बहुत फायदेमंद हो सकता है, इसलिए आप नीचे दिए गए नारियल के कमाल के फायदे जानिए :-अगर आपको वजन कम करने में परेशानी हो रही है, तो आपको नारियल का सेवन करना चाहिए। नारियल में मीडियम चेन फैटी एसिड होता है जो न सिर्फ वजन घटाने में मदद करता है बल्कि साथ ही मेटाबॉलिज्म को भी बूस्ट करता है। फैट आपके पेट से चिपके रहने के बजाय ऊर्जा के रूप में बर्न होती है ।नारियल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल है और रोजाना नारियल के कुछ टुकड़े खाने या नारियल पानी पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बीमारियों से लड़ने में मदद मिल सकती है।मधुमेह रोगियों के लिए ब्लड शुगर के स्तर को मैनेज करने के लिए भी नारियल का उपयोग किया जा सकता है। नारियल कैलोरी में कम, फैट और फाइबर में उच्च है, जो रक्त में शुगर की रिलीज़ को धीमा करने में मदद करता है, और मधुमेह रोगियों के लिए ब्लड शुगर के बेहतर प्रबंधन में मदद करता है।नारियल का तेल बालों के तेल के रूप में उपयोग किया जाता है, खासकर भारत में। नारियल का तेल बालों की समस्याओं जैसे सूखे और रूखे बाल, रूसी, बालों का झड़ना आदि से निपटने में मदद कर सकता है। मच्छर के काटने से लेकर घावों तक, नारियल का तेल आपकी त्वचा को खरोंच, पपड़ी, निशान और घावों से ठीक करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।रोजाना नारियल खाने का लाभ यह है कि यह स्वस्थ दांतों और हड्डियों के विकास में मदद करता है। ऐसा करने से, आप अपने शरीर की मैंगनीज और कैल्शियम को अवशोषित करने की क्षमता में सुधार करेंगे,  हड्डियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने तथा  हड्डियों को नाजुक और पतली बनाने के लिए होती है। नारियल के 1,300 से अधिक प्रकार हैं।2010 में शीर्ष 3 नारियल उत्पादक देश फिलीपींस, इंडोनेशिया और भारत थे।नारियल के बम जापानियों द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल किया जाने वाला एक हथियार था जिसमें एक नारियल को सबसे महत्वपूर्ण रूप से एक ग्रेनेड से भरा जाता था, और फिर दुश्मन पर फेंक दिया जाता था।नारियल विभिन्न रूपों में एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-पैरासाइट होते हैं।नारियल ताड़ वास्तव में मालदीव का राष्ट्रीय वृक्ष है।2016 में दुनिया भर में 59 मिलियन टन से अधिक नारियल का उत्पादन किया गया था।नारियल पानी में औसतन 94% पानी होता है और एक कप में लगभग 46 कैलोरी होती है।एक नारियल के पेड़ में एक फसल के दौरान 180 नारियल तक काटे जा सकते हैं।द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, नारियल के पानी को कम चिकित्सा आपूर्ति के कारण डिहाइड्रेशन के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया था।एक नारियल की भूसी को वास्तव में एक मच्छर भगाने के रूप में कार्य करने के लिए जलाया जा सकता है, यह प्रक्रिया दुनिया भर के कई देशों में उपयोग की जाती है।नारियल के पेड़ों की 100 से अधिक प्रजातियां हैं, जिनमें बौनी किस्में भी शामिल हैं।भारत में, नारियल का उपयोग धार्मिक समारोहों में किया जाता है और हिंदू धर्म में प्रमुख है।नारियल के पेड़ में नर और मादा दोनों तरह के फूल होते हैं।कुत्तों के लिए नारियल के तेल के समान स्वास्थ्य लाभ है । शास्त्रों में  श्रीफल   व नारियल की उत्पत्ति महर्षि विश्वामित्र के द्वारा की गई थी। सत्यव्रत एक प्रतापी राजा थे। जिनका ईश्वर में भरपूर विश्वास था। सब कुछ होने का बाद भी उनकी ये इच्छा थी कि वे किसी भी प्रकार से पृथ्वीलोक से स्वर्गलोक जा सके। परंतु वहां कैसे जान है यह सत्यव्रत नहीं जानते थे। एक बार महर्षि विश्वामित्र तपस्या करने के लिए अपने घर से काफी दूर निकल गए थे और लंबे समय से वापस नहीं आए थे। उनकी अनुपस्थिति में क्षेत्र में सूखा पड़ गया और उनका परिवार भूखा-प्यासा भटक रहा था। तब सत्यव्रत ने उनके परिवार की सहायता की और उनकी देखरेख की ज़िम्मेदारी ली। जब ऋषि विश्वामित्र वापस लौटे तो उन्हें परिवार वालों ने राजा की अच्छाई बताया। वे राजा से मिलने उनके दरबार पहुंचे और उनका धन्यवाद किया। शुक्रिया के रूप में राजा ने ऋषि विश्वामित्र द्वारा उन्हें एक वर देने के लिए निवेदन किया। ऋषि ने उन्हें आज्ञा दी।  राजा सत्यब्रत ने कहा कि स्वर्गलोक जाना चाहते हैं। अपने परिवार की सहायता का उपकार मानते हुए विश्वामित्र ने जल्द ही एक ऐसा मार्ग तैयार किया जो सीधा स्वर्गलोक को जाता था। राजा सत्यव्रत खुश हो गए और उस मार्ग पर चलते हुए जैसे ही स्वर्गलोक के पास पहुंचे ही थे कि स्वर्गलोक के देवता इंद्र ने उन्हें नीचे की ओर धकेल दिया।धरती पर गिरते राजा सत्यब्रत  ऋषि विश्वामित्र के पास पहुंचे और सारी घटना बताई। देवताओं के के व्यवहार से ऋषि विश्वामित्र भी क्रोधित हो गए। परंतु स्वर्गलोक के देवताओं से बातचीत कर हल निकाला गया। इसके मुताबिक राजा सत्यव्रत के लिए अलग से एक स्वर्गलोग का निर्माण करने का आदेश दिया गया।  स्वर्गलोक के नीचे एक खंभे का निर्माण किया गया। माना जाता है कि यही खंभा समय आने पर एक पेड़ के मोटे ताने के रूप में बदल गया और राजा सत्यव्रत का सिर एक फल बन गया। श्रीफल या नारियल रूप मे और  शुभ कामों के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। श्रीफल शुभ कार्यो एवं शक्ति देवी का प्रिय है । नारियों के लिए श्रीफल फोड़ना वर्जित है ।नारियल की तीन आँखे सतोगुण , रजोगुण , तमोगुण साथ ही महालक्षमी , महासरस्वती और महाकाली का प्रतीक है । नारियल में ब्रह्मा , विष्णु और महेश साथ ही स्वर्गलोक , पाताल लोक , भूलोक अर्थात 14 भुवनों का प्रतीक है ।

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